साहित्य हमारा साझा संकल्प - अनामिका

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अनामिका की कविताएँ हमें ऐसी बहुत सारी चीजों से परिचित कराती हैं जिन से हम अनजान थे। वे अनेक बिसरी चीजों की याद दिलाती हैं, हमारे आसपास की आधी आबादी की

अनामिका का लेखन साहित्य का नया दिगन्त



नामिका की कविताएँ हमें ऐसी बहुत सारी चीजों से परिचित कराती हैं जिन से हम अनजान थे। वे अनेक बिसरी चीजों की याद दिलाती हैं, हमारे आसपास की आधी आबादी की दुनिया को बहुत बारीकी से देखने की दृष्टि देती हैं। उनकी कविताओं से गुजरने पर हम जान पाते हैं कि अपने इर्दगिर्द रची-बसी इस दुनिया को हम कितना कम जानते हैं. उनकी कविताएं स्त्रियों की व्यथा गाथाओं के साथ-साथ भविष्य का स्वप्न और आश्वासन भी हैं। गद्य और पद्य में समान रूप से लिखने वाली अनामिका ने अपनी रचनाओं के जरिये साहित्य को नई ऊँचाई दी है। ऐसे रचनाकार की कृति को 2020 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार के लिए चुना जाना पूरे हिंदी समाज के लिए गर्व और संतोष की बात है। ये बातें गुरुवार शाम 'बात-मुलाकात' में आए जानेमाने साहित्यकारों ने अनामिका को साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिलने के उपलक्ष्य में की। यह आयोजन राजकमल प्रकाशन की ओर से इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के रोज़ गार्डेन में आयोजित किया गया।


आयोजन में अनामिका की साहित्य अकादेमी के लिए चयनित कृति 'टोकरी में दिगन्त' के पेपरबैक संस्करण का विमोचन वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी और कथाकार मृदुला गर्ग ने किया। इस अवसर पर मृणाल पांडे, नासिरा शर्मा, गीतांजलि श्री, परामिता शतपथी, पुरुषोत्तम अग्रवाल, वंदना राग, अल्पना मिश्र, गीता श्री, सुजाता, अनुपम सिंह,  भगवान दास मोरवाल, अशोक कुमार पांडेय, रविकांत, ओम निश्चल, रवींद्र त्रिपाठी, जितेंद्र श्रीवास्तव, गौतम चौबे, सुधा उपाध्याय, मनीषा तनेजा, पूर्वा भारद्वाज, अनिल यादव समेत तमाम साहित्यकार और अन्य गणमान्य जन मौजूद थे।

इस अवसर पर अनामिका ने कहा कि हमारा हिन्दी समाज अभी भी एक संयुक्त परिवार की तरह है, जो कहीं भी मिलकर अपने सुख दुख साझा कर लेता है, सबके सुख दुख में खड़ा हो जाता है। कभी आपस में तू तू मैं मैं भी हो जाती है, पर इतनी नहीं कि कोई पराया लगने लगे.उन्होंने कहा, सब कुछ हमारा साझा है, स्मृतियाँ, स्वप्न और संकल्प भी. हम सब मिलकर एक पाठ रच रहे हैं। यही है हमारा साहित्य. यह हमारा साझा सपना है, साझा संकल्प है जिसे हम सब मिल कर रच रहे हैं।

साहित्य हमारा साझा संकल्प

कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी ने कहा, अनामिका की कविताओं ने हमें ऐसी बहुत सी चीजों को जानने चीन्हने का मौका दिया जो हमारे लिए अनचिन्हार थीं। उन्होंने आज के प्रतिकूल समय में, अपने लेखन से थेरी गाथा से लेकर अमीर खुसरो तक अनेक चीजों की स्मृति का पुनर्वास कराया है, जो बिसरती जा रही थीं, यह अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है।


वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग ने कहा, आज जब हमारी दुनिया भयावह हो चुकी है, तब हमें जरूरत है कि एक नई दुनिया ईजाद करें। पिछली को भूल कर नहीं, बल्कि उस से ही काम की चीजें लेकर. अनामिका अपने गद्य और पद्य में यह काम बखूबी करती हैं।

सुपरिचित कवियित्री सुमन केशरी ने कहा, अनामिका एक ओर तो अपने एकदम आसपास से कविता के विषय का चयन करती हैं तो दूसरी ओर इतिहास से संवाद करती हुई उन चरित्रों-पात्रों को हमारे समय के अनुकूल ढाल देती हैं। उनकी कविताएँ स्त्रियों की अपनी व्यथा गाथाएँ हैं स्वप्न व आश्वासन हैं, उम्मीद की लाली लिए सुबह की किरणें हैं।

जाने माने आलोचक अपूर्वानंद ने कहा, आज जब अपनापन, परस्परता, लगाव जैसे मूल्य धीरे धीरे ढह रहे हैं, ऐसी स्थिति में मिलने जुलने के मौके दुर्लभ होते जा रहे हैं जिन्हे संजो लेने की जरूरत है, अनामिका का लेखन ऐसे मूल्यों की वकालत करता है।

युवा कवि मृत्यंजय ने कहा, अनामिका की कविताओं ने मुझ जैसे जन्मना पुरुष कवियों को न सिर्फ अपने भीतर और बेहतर तरीके से झांकना सिखाया है, न सिर्फ अपनी पावर पोजिशन को लगातार प्रश्नांकित करने का रास्ता सुझाया, बल्कि हमें एक नयी-टटकी जीवन-दीप्त भाषा भी दी है। उन्होंने हमें बताया हम अपने इर्द-गिर्द रची-बसी आधी आबादी की दुनिया के भावबोध, भाषा, तर्क विन्यास और जीवन तक को कितना कम जानते हैं। पितृसत्ता हमारा चित्त-सम्मोहन कैसे कर लेती है, वे बहुत आत्मीय, बेधक और दृढ़ स्वर में इसे बार-बार रेखांकित करती हैं।

इससे पहले राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, अनामिका के कविता संग्रह ' टोकरी में दिगंत : थेरीगाथा 2014' को 2020 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार के लिए चुना गया है। इसको प्रकाशित करने का गौरव राजकमल को है। विशेष खुशी की बात यह है कि साहित्य अकादेमी पुरस्कारों के इतिहास में पहली बार हिंदी में यह पुरस्कार एक स्त्री-कवि के कविता-संग्रह को दिया जाना तय हुआ है। यह पूरे हिंदी समाज के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा, अनामिका की रचनाओं में देशजता, जन पक्षधरता और स्त्री-स्वर प्रमुखता से है। पद्य और गद्य, दोनों में उनका लेखन उनके रचनाकार के असाधारण सामर्थ्य का प्रमाण है, साथ ही श्रेष्ठ रचनाशीलता का उदाहरण भी है। उनके लेखन में व्यापकता है. लोक से शास्त्र तक, परंपरा से आधुनिकता और उत्तर आधुनिकता तक तथा भाषा से बोध तक उसकी परिधि काफी विस्तृत है. उसमें एक दुर्लभ अपनापा है. ये गुण उनके रचनात्मक और वैचारिक, दोनों प्रकार के लेखन में सहज मौजूद हैं।  

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