ईदगाह प्रेमचंद की कहानी Class 11th Hindi Antra Book Chapter Idgah By Premchand

SHARE:

ईदगाह प्रेमचंद की कहानी Class 11th Hindi Antra Book Chapter Idgah By Premchand कहानी का सारांश इन हिंदी important question and answer Samiksha explain

ईदगाह प्रेमचंद की कहानी



दगाह प्रेमचंद की कहानी ईदगाह कहानी के पात्र ईदगाह कहानी से शिक्षा ईदगाह कहानी का सार लिखिए ईदगाह कहानी में बाल मनोविज्ञान ईदगाह कहानी का सारांश लिखिए ईदगाह कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए ईदगाह कहानी का सारांश लिखिए, ईदगाह कहानी की कथावस्तु, ईदगाह कहानी की भाषा शैली ईदगाह कहानी के प्रश्न उत्तर ईदगाह कहानी का सारांश ईदगाह कहानी इन हिंदी ईदगाह कहानी प्रेमचंद idgaah kahaani ki Samiksha premchandra ki idgah ईदगाह का सारांश idagah kahaani ka Saransh ईदगाह मुंशी प्रेमचंद की कहानी idgah munshi premchand ki kahaniya ईदगाह मुंशी प्रेमचंद की यादगार कहानी idgah munshi premchand class 11 Hindi idgaah idgaah important question and answer idgaah class 11 chapter full explanation idgaah Hindi class 11 important question Class 11 Hindi Chapter 1 Idgah NCERT Solutions for Class 11th पाठ 1 ईदगाह, ईदगाह Questions and Answers idgah question answers in hindi class 11 hindi chapter 1 important question eidgah question answers in hindi class 11 class 11 antra chapter 1 Important question Eidgah kahani munshi premchand class 11 hindi chapter 1 antra question answer Class 11th Hindi Antra Book Chapter Idgah By Premchand 


ईदगाह कहानी का सारांश इन हिंदी

प्रस्तुत पाठ या कथा ईदगाह कथाकार प्रेमचंद जी के द्वारा लिखित है | इस कथा के माध्यम से लेखक ने 'ईद' जैसे महत्वपूर्ण त्योहार को केन्द्र बनाकर ग्रामीण मुस्लिम जीवन या परिवेश का भावात्मक व ख़ूबसूरत चित्र प्रस्तुत करने का प्रयास किया है | इस कथा का मुख्य किरदार हामिद
ईदगाह प्रेमचंद की कहानी
ईदगाह प्रेमचंद की कहानी

मेले में अपनी हर ख़्वाहिश पर नियंत्रण रखने में कामयाब होता है | प्रस्तुत कथा में बालक हामिद का चरित्र हमें यह संदेश देता है कि अभाव उम्र से पहले ही बच्चों में बड़ों जैसी समझदारी पैदा कर देता है | 


प्रस्तुत पाठ के अनुसार, रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद ईद आई है | बेहद मनोहर व सुहाना प्रभात है | खेतों में रौनक है और पेड़ों पर हरियाली है | आसमान पर मनमोहक लालिमा छाई हुई है | सूर्य भी मानों आसमान से संसार को ईद की बधाई दे रहा है | पूरे गाँव में ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं | सभी अपने-अपने काम निपटाने के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं | बच्चे सबसे ज्यादा खुश हैं | किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं ; लेकिन ईदगाह जाने के लिए सभी बेताब हैं | क्योंकि उन्होंने इस दिन का बहुत इंतज़ार किया है | इन बच्चों को घर-गृहस्थी की चिंताओं से कोई मतलब नहीं | बच्चों को क्या फ़िक्र कि घर में सेवैयों के लिए दूध और शक्कर घर में है या नहीं, उन्हें तो सिर्फ सेवैयाँ खाना है | उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि उनके अब्बाजान क्यों बदहवास चौधरी कायमअली के घर दौड़े जा रहे हैं ? उन्हें क्या ख़बर कि चौधरी आज आँखें मोड़ ले, तो ईद की तमाम खुशियाँ मोहर्रम में तबदील हो जाएगी | उन्हें तो बस ईदगाह जाने की जल्दी है क्योंकि वहाँ लगे मेले में घूमना है | 

उन बच्चों में हामिद भी चार-पाँच साल का एक दुबला-पतला बच्चा है, जिसके अब्बा-अम्मा दोनों मृत्यु को प्राप्त हो गए थे | वह अपनी दादी के साथ अकेले रहता है | किन्तु, उसे लगता है कि उसके अब्बाजान एक दिन ख़ूब सारे रुपए लेकर आएँगे और बहुत सारी चीजें लाएँगे | उसकी अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीज़ें लेकर आएंगी | इसलिए वह बहुत ख़ुश है | हामिद के पाँव में जूते नहीं हैं और सिर पर एक पुरानी-धुरानी टोपी है | फिर भी इस उम्मीद से बालक हामिद ख़ुश है कि जब उसके अब्बाजान और अम्मीजान आएँगे तब वह दिल की हसरत मिटा लेगा | हामिद की दादी अमीना घर की आर्थिक स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है | उसे इस बात की चिंता सताए जा रही है कि इतने कम पैसे में ईद का त्यौहार कैसे गुजरेगा | वह हामिद को मेला घूमने के लिए तीन पैसे देती है | 

ईदगाह के लिए गाँव से मेला रवाना हुआ | दूसरे बच्चों के साथ हामिद भी जा रहा था | सभी बच्चे ख़ूब मस्ती करते हुए आगे बढ़ रहे थे | धीरे-धीरे शहर का चकाचौंध भरा दृश्य नज़र आने लगा | बड़ी-बड़ी इमारतें नज़र आने लगीं | कुछ आगे बढ़ा गया तो हलवाइयों की दुकानें दिखने लगीं | वहाँ पर तरह-तरह की खूब सारी मिठाईयाँ नज़र आ रही थीं | तत्पश्चात्, बच्चों के मध्य जिन्नतों के बारे मजेदार बातें चलने लगीं | हामिद भी खूब दिलचस्पी से जिन्नातों के बारे में अपने साथी मोहसिन से मालूमात करने लगा | देखते ही देखते बस्ती घनी होने लगी थी | ईदगाह जाने वालों की टोलियाँ नज़र आने लगीं | लोग तरह-तरह के चमकदार वस्त्रों से सुसज्जित थे | कोई इक्के-ताँगे पर सवार, कोई मोटर पर, सभी सुगंधित इत्र में सराबोर, सभी के दिलों में उमंग नज़र आ रहा था | ग्रामीणों का यह छोटा सा दल अपनी विपन्नता से बेखबर, संतोष और धैर्य में मगन चला जा रहा था | बच्चों के लिए नगर की सभी चीजें अनोखी थीं | 

सहसा ईदगाह नज़र आता है | ऊपर इमली के घने वृक्षों की छाया है | नीचे पक्का फ़र्श है, जिस पर जाजिम बिछा हुआ है | रोज़ेदारों की पंक्तियां एक के पीछे एक करके दूर तक चली गई हैं | यहाँ कोई धन और पद नहीं देखता | इस्लाम की निगाह में सब बराबर हैं | (हामिद की टोली) इन ग्रामीणों ने भी वजू किया और पिछली पंक्ति में खड़े हो गए | तत्पश्चात्, ईद की नमाज़ अदा की जाती है | ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद लोग आपस में गले मिलते हैं | 
इसके बाद बच्चे खिलौने और मिठाईयों की दुकानों पर कूद पड़ते हैं | बच्चों की टोली मेले से तरह-तरह के खिलौने और मिठाई खरीदती है | लेकिन हामिद के पास मात्र तीन ही पैसे होते हैं, जिनसे वह अपनी दादी के लिए चिमटा ख़रीदता है | इस बात पर उसके सभी दोस्त उसका मज़ाक उड़ाते हैं | हामिद भी उनके खिलौनों की निंदा करता है और अपने चिमटे को उनके खिलौनों से बेहतर बताता है | 

ग्यारह बजे गाँव में हलचल मच गई | मेले वाले आ गए | एक-एक करके सभी बच्चे अपने-अपने घरों में पहुँच कर ख़ुशियों का केन्द्र बन गए | जब अमीना बालक हामिद की आवाज़ सुनी तो उसके पास दौड़कर गई और उसे अपनी गोद में उठा ली | 
वह अचानक हामिद के हाथ में चिमटा देखकर चौंक गई --- 

"यह चिमटा कहाँ था ?"      (अमिना) 
"मैंने मोल लिया है |"    (हामिद) 
"के पैसे में ?"            (अमिना) 
"तीन पैसे दिए |"        (हामिद) 

तत्पश्चात्, अमिना हामिद को डाँटने लगी कि कुछ खाता-पीता, जो चीमटा उठा कर ले आया | तभी हामिद अपनी दादी से भावुकता और समझदारी भरी बात कहता है --- "तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं ; इसलिए मैंने चिमटा लिया |" हामिद का इतना बात सुनना था कि अमिना को क्रोध तुरन्त स्नेह में बदल गया | हामिद का अपने प्रति प्यार और त्याग की भावना देखकर अमिना भावुक हो उठीं | उनकी आँखों से आँसूओं के कतार जारी हो गए | वह हामिद को ख़ूब दुआएँ देने लगीं...|| 

---------------------------------------------------------


प्रेमचंद का जीवन परिचय 

प्रस्तुत पाठ या कथा के लेखक या कथाकार प्रेमचंद जी हैं | इनका जन्म 1880 में वाराणसी ज़िले के लमही ग्राम में हुआ था | इनका मूल नाम 'धनपतराय' था | इनकी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में मुकम्मल हुई | मैट्रिक के पश्चात् वे अध्यापन कार्य में जुट गए | स्वाध्याय के रूप में प्रेमचंद जी बी.ए. तक शिक्षा ग्रहण किए | लेखनी को लेकर उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट तब आया, जब वे असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर पूर्णतः लेखन-कार्य के लिए समर्पित हो गए | 

वास्तव में देखा जाए तो प्रेमचंद जी ने अपने लेखन की शुरुआत पहले उर्दू में 'नवाबराय' के नाम से किया तथा बाद में हिन्दी में लिखने लगे | प्रेमचंद जी साहित्य को स्वांतः सुखाय न मानकर सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम मानते थे | इनके साहित्य में किसानों, दलितों, नारियों की व्यथा, पीड़ा और वर्ण-व्यवस्था की कुरीतियों का बेहद मार्मिक चित्रण मिलता है | प्रेमचंद जी ने समाज-सुधार और राष्ट्रीय-भावना से ओत-प्रोत अनेक उपन्यासों एवं कहानियों की रचना की है | वे एक ऐसे साहित्यकार या कथाकार थे, जो समाज की वास्तविक स्थिति को पैनी दृष्टि से देखने की शक्ति रखते थे | उनकी भाषा बेहद सरल, सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल की भाषा है | हिन्दी भाषा को जन-जन तक पहुँचाने और उसे लोकप्रिय बनाने में प्रेमचंद जी का विशेष योगदान है | संस्कृत के प्रचलित शब्दों के साथ-साथ उर्दू की रवानी इसकी विशेषता है, जिसने हिन्दी कथा भाषा को नया आयाम दिया है | 

प्रेमचंद जी की प्रमुख कृतियाँ हैं - 
निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन, गोदान (उपन्यास); मानसरोवर (आठ भाग), गुप्त धन (दो भाग) (कहानी संग्रह); कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी (नाटक); विविध प्रसंग (तीन खंडों में, साहित्यिक और राजनीतिक निबंधों का संग्रह); कुछ विचार (साहित्यिक निबंध) | उन्होंने माधुरी, हंस, मर्यादा, जागरण आदि पत्रिकाओं का संपादन भी किया है...|| 



ईदगाह कहानी के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 आशय स्पष्ट कीजिए --- 

(क)- ‘उन्हें क्या ख़बर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए |'

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचंद जी के द्वारा लिखित कथा ईदगाह से उद्धृत हैं | गाँव में गरीबी और अभाव का प्रकोप इस कदर है कि लोग त्यौहारों पर चौधरी से उधार लेकर ही ख़ुशियाँ मनाया करते हैं | अगर चौधरी किसी बात पर नाराज़ हो जाए, तो वह पैसे उधार देने से इनकार कर सकता है | फलस्वरूप, लोगों के त्यौहार पर ग्रहण लग सकता है | घर में ग़म का वातावरण छा सकता है | इसलिए लेखक ने यह कहा है कि 'उन्हें क्या ख़बर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए |'

(ख)- ‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा | विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद-भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी |' 

उत्तर- 
प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचंद जी के द्वारा लिखित कथा ईदगाह से उद्धृत हैं | हामिद के माता-पिता उसके साथ नहीं हैं | लेकिन उसके पास यह आशा है कि एक दिन उसके माता-पिता जरूर लौटकर आएँगे | इन्हीं आशा की किरणों से हामिद हमेशा खुश रखता है | क्या हुआ कि वह अभावों की ज़िंदगी जी रहा है, मगर उससे उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता | क्योंकि वह जानता है कि एक दिन उसके दिन जरूर बदलेंगे | उसका यही यकीन विपत्ति को उसके आगे घुटने टेकने पर विवश कर देता है | इसलिए लेखक ने यह कहा है कि 'उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा | विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद-भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी |' 

प्रश्न-2 निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए --- 
(क)- कई बार यही क्रिया होती है ……… आत्माओं  को एक लड़ी में पिरोए हुए है | 

(ख)- बुढ़िया का क्रोध ……… स्वाद से भरा हुआ | 

उत्तर- गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या - 
(क)- प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश कथाकार प्रेमचंद द्वारा लिखित कथा ईदगाह से उद्धृत है | इस गद्यांश में सामूहिक रूप से नमाज़ अदा करने की बात कही गई है | लेखक ने नमाज़ पढ़ने की प्रक्रिया को बहुत ही अच्छे ढंग से वर्णित किया है | 

व्याख्या- लेखक उक्त पंक्तियों के माध्यम से कह रहे हैं कि ईद की नमाज़ अदा करते वक़्त सारे लोग एक साथ कतारबद्ध खड़े होते हैं और फिर एक साथ सजदे में झुक जाते हैं | यह दृश्य बेहद मनोहर प्रतीत होता है | नमाज़ पढ़ने के अनुशासनात्मक क्रिया मन को श्रद्धा और आनंद से भर देती है | यह क्रिया सभी के अंदर भाईचारे की भावना का संचार करती है | ऐसा लगता है मानो सभी मनुष्यों की आत्माओं को एकता के धागे में इस तरह से पिरो दिया गया है, जैसे माला के धागे में मोती के दाने को पिरो दिया जाता है | 

(ख) प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश कथाकार 'प्रेमचंद' द्वारा लिखित कथा ‘ईदगाह’ से उद्धृत है | इस गद्यांश में अमिना अपने पोते हामिद के हाथ में चिमटा देखकर हामिद को डाँटने लगी कि कुछ खाता-पीता, जो चीमटा उठा कर ले आया | अमिना हैरत व भावनाओं से भी कहीं न कहीं ओत-प्रोत है |  एक छोटा-सा बच्चा खाने-खिलौने के लालच को दरकिनार करते हुए अपनी बूढ़ी दादी के लिए एक चिमटा खरीद लाता है | 

व्याख्या- अमीना बालक हामिद की आवाज़ सुनी तो उसके पास दौड़कर गई और उसे अपनी गोद में उठा ली | 
वह अचानक हामिद के हाथ में चिमटा देखकर चौंक गई --- 

"यह चिमटा कहाँ था ?"   (अमिना) 
"मैंने मोल लिया है |"    (हामिद) 
"के पैसे में ?"            (अमिना) 
"तीन पैसे दिए |"        (हामिद) 

तत्पश्चात्, अमिना हामिद को डाँटने लगी कि कुछ खाता-पीता, जो चीमटा उठा कर ले आया | तभी हामिद अपनी दादी से भावुकता और समझदारी भरी बात कहता है --- "तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं ; इसलिए मैंने चिमटा लिया |" हामिद का इतना बात सुनना था कि अमिना को क्रोध तुरन्त स्नेह में बदल गया | हामिद का अपने प्रति प्यार और त्याग की भावना देखकर अमिना भावुक हो उठीं | उनकी आँखों से आँसूओं के कतार जारी हो गए | वह हामिद को ख़ूब दुआएँ देने लगीं | 


प्रश्न-3 क्या कहानी की कुछ प्रमुख घटनाओं के आधार पर 'ईदगाह' कहानी का कोई और शीर्षक दिया जा सकता है ? 

उत्तर- 
वैसे प्रस्तुत कहानी का शीर्षक 'ईदगाह' न्यायोचित है | परन्तु, यदि कोई और नाम दिया जा सकता है तो वह "बालक हामिद की समझदारी" हो सकता था | 

प्रश्न-4 'बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई |’ --- ऐसा क्यों कहा गया है ? 

उत्तर- 
जब बालक हामिद ने अपनी दादी के लिए मेले से 'चिमटा' खरीदकर ला दिया, ताकि उसकी दादी का हाथ तवे में न जले, तो हामिद का अपने प्रति प्यार और त्याग की भावना देखकर अमिना भावुक हो उठीं | उनकी आँखों से आँसूओं के कतार जारी हो गए | वह हामिद को ख़ूब दुआएँ देने लगीं | वह जहाँ दुखी थी, वहीं एक बच्चे के समान हैरान भी थी | पल भर के लिए वह भूल गई थी कि वह उम्र में हामिद से बहुत बड़ी है | इसलिए कहा गया है कि --- 'बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई |' 

प्रश्न-5 हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ बताइए अथवा इस कहानी के किस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया और क्यों ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं --- 

• समझदार -  हामिद एक समझदार बालक है | मेले में सभी बच्चे खिलौने व मिठाईयाँ खरीदते रहे, लेकिन वह अपनी दादी की फिकर करते हुए चिमटा खरीदता है, ताकि उनकी उँगलियाँ रोटी सेंकते वक़्त न जले | 

• साहसी - हामिद कितना साहसी किस्म का बालक है, उसके इस कथन से मालूम पड़ता है कि वह मेले जाते वक़्त अपनी दादी को संबोधित करते हुए कहता है ---  ‘तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा |’ 

• स्वाभिमानी - हामिद अपने दोस्तों को मिठाई और खिलौने खरीदते देखकर भी उनसे मिठाई या खिलौने नहीं माँगता | इससे हामिद के स्वाभिमानी होने की बात पता चलती है | 

प्रश्न-6 बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है --- कहानी से कोई दो प्रसंग चुनकर इस मत की पुष्टि कीजिए | 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, 'बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है |' --- इस मत की पुष्टि के लिए कहानी से कोई दो प्रसंग निम्नलिखित है --- 

• जब बच्चे मेले जाते हैं, तो मेले में हामिद के दोस्त मिठाई खरीदते हैं और हामिद नहीं खरीदता | मोहसिन हामिद को रेवड़ी देने का दिखावा करके खुद खा लेता है और सब हामिद का उपहास करते हैं | किन्तु, बाद में जब मोहसिन को अपनी गलती का एहसास होता है तो वह अल्लाह कसम खा कर दोबारा हामिद को रेवड़ी देता है | दूसरे भी अपनी मिठाई हामिद को देने की इच्छा जाहिर करते हैं | 

• जब हामिद मेले में चिमटा खरीदता है | वह अपने चिमटे को मजबूत, आग, पानी, आँधी, तूफ़ान में खड़ा करने पर आराम से डटा रहने वाला बताता है | जब सभी बच्चे अपने खिलौने से मायूस हो जाते हैं | तब हामिद उन्हें खुश करने के लिए कहता है --- मैं तुम्हें चिढ़ा रहा था, सच ! यह चिमटा भला इन खिलौनों की कोई बराबरी नहीं कर सकता | 

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है | 

---------------------------------------------------------

योग्यता-विस्तार
प्रश्न-7 इस कहानी में लोक प्रचलित मुहावरों की भरमार है, जैसे --- नानी मरना, छक्के छूटना आदि | इसमें आए मुहावरों की एक सूची तैयार कीजिए | 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ में आए मुहावरों की सूची निम्नलिखित है --- 

• गरदन पर सवार होना - अत्यधिक परेशान करना
• पैरों पड़ना -  खुशामद करना
• आग में कूदना - जान की परवाह न करना
• मुँह ताकते रहना - हैरान रह जाना
• गर्मी दिमाग में चढ़ना - घमंड हो जाना
• माटी में मिल जाना - समाप्त हो जाना
• छाती पीटना - विलाप करना
• गद्गद् होना - प्रसन्न होना
• आँखें बदलना - मुकर जाना या धोखा देना
• राई का पर्वत बनाना - छोटी बात को बड़ा बना  देना
• दिल के अरमान निकालना - सारी इच्छाएँ पूरी करना
• बेड़ा पार होना - समस्या हल होना
• मुँह चुराना - उपेक्षा करना
• पैरों में पर लगना - अत्यधिक खुश होना
• उल्लू बनाना - बुद्धू बनाना
• काम से जी चुराना - काम न करना
• आँखों तले अँधेरा छाना - कुछ समझ न आना
• धावा बोलना - हमला करना
• मुँह छिपाना - लज्जित होना
• दिल कचोटना - दुखी होना
• सिर पर सवार होना - परेशान करना  | 

---------------------------------------------------------


ईदगाह कहानी पाठ से संबंधित शब्दार्थ 


• सिजदा - माथा टेकना, खुदा के आगे सिर झुकाना
• हिंडोला - झूला, पालना
• निगोड़ी - अभागी, निराश्रय, जिसका कोई न हो
• चितवन - किसी को ओर देखने का ढंग, दृष्टि,कटाक्ष
• वजू - नमाज से पहले यथाविधि हाथ-पाँव और मुँह धोना | 
• मशक - भेड़ या बकरी की खाल को सीकर बनाया हुआ थैला जिससे भिश्ती पानी ढोते हैं | 
• अचकन - लंबा कलीदार अँगरखा जिसमें पहले गरेबाँ से कमर-पट्टी तक अर्धचंद्राकार बंद लगते थे और अब सीधे बटन टँकते हैं | 
• नेमत - बहुत बढ़िया
• जब्त - सहन करना
• दामन - पल्लू, आँचल
• बला - कष्ट, आपति, बहुत कष्ट देनेवाली वस्तु
• बदहवास - घबराना, होश-हवाश ठीक न होना  | 







COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका