मिशन शक्ति एवं मिशन कोविड-19 का जागरूकता कार्यक्रम

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मिशन शक्ति एवं मिशन कोविड-19 का जागरूकता कार्यक्रम जिस तरह आप सीधे खेत में चावल नही बो नहीं सकते उसके लिए धान बोना ही जरूरी है उसी तरह योग

मिशन शक्ति एवं मिशन कोविड-19 का जागरूकता कार्यक्रम



यूनिवर्सल पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट अवतार नगर अलीगढ़ में संचालित ,एनआई ओ एस , द्वारा योगा टीचर इंस्टीट्यूट के डिप्लोमा कोर्स के बैनर तले 2 नवंबर 2020 को सरकार का मिशन शक्ति एवं मिशन कोविड-19 का जागरूकता कार्यक्रम का अलीगढ़ के मुख्य  चिकित्सा अधिकारी डाक्टर  भानु  प्रताप सिंह,  भारत सरकार श्रम मंत्रालय ESIC के पूर्व संयुक्त निदेशक श्री क्षेत्रपाल शर्मा ,  संस्थान के कोऑर्डिनेटर डॉ हरी सिंह यादव, सहायक सीएमओ  अन्य चिकित्सा अधिकारियों की मौजूदगी में विधिवत रूप से संपन्न हो गया।


इस अवसर पर सर्वोत्कृष्ट टीचर के रूप में मानव  संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा सम्मानित सीमा पाठक का भी सम्मान किया गया।योग शिक्षको  को संबोधित करते हुए   श्री सिंह जी  ने योग के विषय में बहुत ही  सार  गर्भित  और सार्थक व्याख्यान दिया। उन्होंने जानना चाहा कि योग क्या है,  योग की सही मुद्रा क्या है? बेस्ट ब्रीदिग क्या है ?

अपने  ही  प्रश्नों का जवाब देते हुए , श्री सिंह ने  बताया  कि  बेस्ट ब्रीदिग इज़ नो ब्रीदिग । नो  ब्रीदिग का अर्थ  श्वास  न लेने से नहीं है  सान्स  का नियमित व  धीमा हो   जाना है योग की पहचान का सबसे  सरल  व सर्वोत्तम उपाय है .उन्होने  बताया  कि  योग के लिए सही मुद्रा(   पोस्चर) का होना भी एक पूर्व वान्छा  है प्री- रिक्विजिट है । रीढ  की  हड्डी  एकदम  सीधी  होनी  चाहिए ।

जागरूकता कार्यक्रम
 जागरूकता कार्यक्रम

योग आत्मा का परमात्मा से मिलन है जैसा सभी जानते हैं इसकी परिभाषा में ही स्पष्ट कर दिया गया है योग:  चित्तवृत्ति निरोधाय चित्त   की  वृत्ति      विचार  है   इनको  गाइड  करना   इनका  वश   मे  करना   समूल  नष्ट  आसानी  से  ये  होते  नही ।
अर्थात मन एक शरीर में ही निवास करता है । योग तभी आ सकता है कि जब आप मन की अति गतिमान      को   नियंत्ररित  कर दे ,  जिनके  जरिए विचार   अपना  प्रवाह  लेता  है  ,  शरीर  मे  सांस की  गति एक   मिनट में  औसत    18 बार   (  4  कम  या  ज्यादा  टालरेसन  है  )होती है   जब  कि  पल्स  रेट  (  नाडी  का  धडकना   60  से  100   के  बीच ) । )  जब एक  मिनट  मे  एक  बार  ही  सांस लें  तब  को समझना चाहिए कि योग    जान  गये ।

जिस तरह सीधे-सीधे नियंत्रित नहीं किया जा सकता अगर आप सांसो पर यह नियंत्रण धीरे-धीरे अभ्यास, ध्यान  द्वारा कर पाए जिसमें वह भी ग्रुप से जाए जानना जरूरी है जैसे कि के सिंहासन किन को करना चाहिए शवासन किन को करना चाहिए और प्राणायाम की सही विधि क्या है खींची जानी चाहिए और कब सांस छोड़ी जानी चाहिए और मेरुदंड सीधा होना चाहिए । यद्यपि योग   लेट ( एक  मुद्रा )  कर  भी हो सकता है लेट कर करने में आप के सो जाने का  अंदेशा  बना रहता है ।

जिस तरह आप सीधे खेत में  चावल  नही  बो  नहीं सकते उसके लिए  धान बोना ही जरूरी है उसी तरह योग करने के लिए आवश्यक क्रियाओं का करने का शरीर को स्वच्छ करने का उपाय किया जाना नितांत जरूरी है।जैसे  आप  को  शरीर  की  स्वच्छता  और  मजबूती  के  लिए  ब्रह्म मुहूर्त  4 से 5 बजे  प्रात: जग  जाना  चाहिए ।  सही  प्राणायाम व आसन  चुनना  चाहिए ।।

संत  ज्ञानेश्वर  व  श्री कृष्ण  योग  मे  निष्णात  थे ।  संसार  मे  रहना  है  लेकिन  इसमे  लिप्त  नही  होना  है ।  ईश्वर  के  लिए  संसार  को  मत  भूलिए  पर  , संसार   के  लिए   ईश्वर  को  भी  मत  भूलिए ।ईश्वर  आपसे  दूर  नही  है  बस  एक  परदे  के  पीछे  है  ,  आप  उस  परद्  को   हटाना  सीख  जाइए ।।

जिस तरह  प्रेमी  और  प्रिया  के  बीच  स्नेह  समर्पण की  दरकार  होती  है  ,  वही  दरकार  आत्मा  और  परमात्मा  के  बीच  होनी  है ।  आप  पूरे  दिन  काम  करै   और  दिन के अंत  मे  उन  कामो  को  सब  कामो  को  ईश्वर  को  समर्पण  कर  दै  कि  ये  किया  है  अब  आगे  तू  संभाल ।

डिवाइन  लाइफ  सोसाइटी  हरिद्वार   के   स्वामी  शिवानंद  जी  ,  उन्होने   आगे  बताया ,  एक  अच्छे  डाक्टर  थे ।  इतने   जेवर पहनने  के  शौकीन  थे  कि  जेवरो  से  लदे  रहते  थे । फिर   ईश्वर   मे  भक्ति  इतनी  जगी  कि  वे  एक  व्यक्ति  को  सारे  जेवर  दे गये  कि  मै  वापस  आकर  ले  लूगा ।  परन्तु  वे  माया  मोह  से  उबर  गये  कि   कभी  फिर  जेवर वापस  लेने  नही  गये ।उस ईश्वर  के   हम  कृतज्ञ हो  कि  उसने एक  दिन  और  सासो  की  डोर  बढाई ।

धान  मे  छिलके ( जीवन  मे   पूजा  ध्यान   जैसे  हम  करते  है  )  का कोई  विशेष मूल्य नही  होता है  लेकिन  अगली  फसल    कल्चर  होने तक  ,  फसल उस छिलके  बिना  हो ही नही  सकती ,  इसलिए  गलत व  हानिकर विचारो  का  शमन  व  दमन  करके  ही   ,  जिसकी  सरल  विधि  अभ्यास  एक्सरसाइज, पूजा , ध्यान   है , के  द्वारा  हम  योग  सीख  सकते  है । जो व्यक्ति यह जान लेगा  वह  कभी  दूसरे  किसी का भी  अहित  सोच  ही  नही  सकता । जब  विचार  आपने  सास  पर  नियंत्रित कर  लिए  तब  माया  काम  क्रोध  के  वशीभूत  आसानी  से  नही  होगे ।




संपर्क  - क्षेत्रपाल शर्मा
 म.सं 19/17  शांतिपुरम, सासनी गेट ,आगरा रोड अलीगढ 202001
 मो  9411858774    ( kpsharma05@gmail.com )

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