स्कूल खोलने से पहले विचार आवश्यक

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स्कूल खोलने से पहले विचार आवश्यक राष्ट्रव्यापी लौकडाउन के तहत पूरे देश में 15 लाख स्कूलों को बंद कर दिया गया था ,इसमें 24.7 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए । शुरुआती दौर में करोना के मामले तेजी से फैल रहे थे । आधिकारिक आकड़ों के अनुसार शुरू के 21 दिनों में संक्रमण 2100 प्रतिशत बढ़ गया ,हालांकि स्कूल बंद होने से संक्रमण का फैलाव में कमी आई ,अन्यथा परिणाम ऑर भी बुरी हो सकती थी ।

स्कूल खोलने से पहले विचार आवश्यक 


राष्ट्रव्यापी लौकडाउन के तहत पूरे देश में 15 लाख स्कूलों को बंद कर दिया गया था ,इसमें 24.7 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए । शुरुआती दौर में करोना के मामले तेजी से फैल रहे थे । आधिकारिक आकड़ों के अनुसार शुरू के 21 दिनों में संक्रमण 2100 प्रतिशत बढ़ गया ,हालांकि स्कूल बंद होने से संक्रमण का फैलाव में कमी आई ,अन्यथा परिणाम ऑर भी बुरी हो सकती थी । लौकडाउन फिलहाल अभी तक बढ़ाया जा रहा है इसे चरणबद्ध तरीके से हटाया भी जा रहा है । लेकिन यह इस समय लौकडाउन हटाया जा रहा ,जब दो हफ़्तों से भी कम समय में आंकड़े 10 लाख से भी पार पहुँच रहा है ।  लौकडाउन के शुरुआत ऑर अंत दोनों पर सवालिया निशान है क्या यह उपयुक्त समय है ? सवाल तो यह पुछना लाज़मी हो जाता है कि ऐसे में स्कूल खोलने का विचार बच्चों के हित में है । उसकी स्वास्थ्य की जिम्मेवारी क्या सरकार लेगी ?

स्कूल कब खुलने चाहिए ? राज्य सरकारें दुविधा में है कि कोरोना संक्रमण अब तेजी से फैल रहा है ,क्या स्कूल खुलने चाहिए? लौकडाउन जारी रखने से बच्चों को नुकसान ऑर दूसरी तरफ सामाजिक स्तर पर बड़ा स्तर पर
स्कूल
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नुकसान ,हमें इन दोनों के बीच समंजस्य बनाना होगा ,अगर स्कूल बिना तैयारी के खुलते हैं ,तो यह तय मानकर चलना चाहिए कि इससे बच्चों को भारी नुकसान है । देश को आर्थिक पटरी पर लाने के लिए देश को अनलॉक करना भी जरूरी है लेकिन स्कूलों को खोलने को फैसले को आर्थिक जरूरी से अलग नहीं देखा जा सकता है ? एक अनुमान अनुसार करीब 12.5 प्रतिशत परिवारों के पास इन्टरनेट की सुविधा मौजूद है ,जब तक सभी बच्चों के पास नेट कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं मिल पाती है तब तक ऑनलाइन की की क्लास को हम विकल्प के तौर पर नहीं देख सकते हैं । घर में बैठे बच्चे को  अवसाद ऑर तनाव का सामना करना पड़ रहा है । पढ़ाई में पिछड़ने ऑर भविष्य की चिंता सता रही है । साथ ही अपने सहपाठी से न मिलने जुलने के कारण बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर हो रहे हैं । आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे कुपोषण के शिकार एवं धनी घर के बच्चे शारीरक गतिविधि कम होने के कारण मोटे हो रहे हैं ,जो भविष्य में उनके स्वास्थ्य पर असर डालेगा ।

अगर लंबे समय तक स्कूल बंद रहते हैं ,तो इसके दूरगामी दुष्परिणाम हो सकते हैं ।बाल श्रम ,बच्चों का अवैध व्यापार ऑर बाल विवाह की संभावना बन सकती है लेकिन इन सब बातों के बावजूद फिर इस महामारी का क्या ? यह तो तय है कि स्कूल बसों में , सड़कों ऑर स्कूल परिसरों में बच्चे संक्रमित होंगे । अमेरिका में स्कूल खोलने के चार हफ्ते के बाद ही 90 प्रतिशत संक्रमण में इजाफा हुआ । बच्चो के संक्रमण द्वारा परिवारों में फैलेगा ऑर इस तरह हम कोरोना के संक्रमण को रोकने के बजाय उसे हम बढ़ाने लेगेंगे । 

सरकार को यह बात पर विचार करना आवश्यक हो जाएगा कि स्कूल खोलने के पहले निम्न प्रकार की तैयारियां कर ली गयीहैं जैस स्कूलों के मौजूद ढांचों को पूर्ण रूप से बदलने की आवश्यकता है । हवादार ऑर खुली खिड़कियाँ होनी चाहिए , भीड़ से बचने के लिए दो दिन पाली में कक्षा की व्यवस्था करनी होगी । स्कूल प्रशासन एवं शिक्षक को पूर्ण रूप से तैयार रहना होगा , हैंड सेनीटाइजर , साबुन ,मास्क की प्रर्याप्त मात्रा उपलब्ध हो । स्कूल स्टाफ के द्वार समुचित एवं नियमित सफाई । साथ ही पचास साल से ज्यादा आयु वाले स्टाफ ,जिन्हें कोई गंभीर बीमारी की समस्या हो उनसे बचाने की जरूरत है । बच्चों ऑर कक्षाओं के साथ उनका संपर्क न हो । अगर किसी  को कोरोना की संभावना हो तो उसे आसानी से जांच की सुविधा हो । स्कूल खोलने की राज्य सरकारों को तभी अनुमति  देनी चाहिए कि जब वे संक्रमण से निबटने के पूर्ण तैयार हो ऑर सभी मानदंडों को पूरा करते हों । स्थानिये स्वास्थ्य प्राधिकरण के तरफ से गाडलाइन्स जारी होने चाहिए कि कोविड कि समस्या होने पर ,पहले क्या करना होगा । 

जब तक कोविड के वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो जाते तब तक स्कूली बच्चों को विशेष तौर पर ध्यान की आवश्यकता है , क्योंकि बच्चे तो बच्चे होते हैं उनपे ध्यान रखना घर में माता –पिता एवं स्कूलों में शिक्षक एवं स्कूल प्रशासन की ज़िम्मेदारी है । एक तरफ पढ़ाई भी होना आवश्यक है दूसरी तरफ स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना उतना ही महत्वपूर्ण है ।स्कूल खोलने से पहले सारी तैयारी सुनिश्चित करने के बाद ही कोई भी निर्णय इस विषय में सरकार को देना चाहिए । 
                                   





- जे आर पाठक 
पता – सी/ऑफ – राजेंद्र पोद्दार , नियर संत अल्बर्ट स्कूल ,तिरिल रोड, कोकर , रांची (झारखण्ड )

संपर्क नं -8434768823

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