हरिहर काका कहानी class 10 hindi

SHARE:

हरिहर काका कहानी मिथिलेश्वर हरिहर काका class 10 हरिहर काका कितने भाई थे हरिहर काका प्रश्न उत्तर हरिहर काका कौन थे हरिहर काका पाठ का सार हरिहर काका कहानी हरिहर काका का चरित्र चित्रण हरिहर काका के कितने भाई थे हरिहर काका के पास कितनी जमीन थी हरिहर काका की सम्पति के दावेदार कौन थे हरिहर काका के पास कितनी जमीन थी harihar kaka class 10 harihar kaka class 10 solutions harihar kaka ke kitne bhai the harihar kaka class 10 summary in hindi harihar kaka class 10 explanation harihar kaka class 10 question answers harihar kaka ncert solutions हरिहर काका के कितने बच्चे थे हरिहर काका पाठ के लेखक हरिहर काका के लेखक हैं हरिहर काका पाठ के रचयिता है हरिहर काका पाठ के लेखक कौन है हरिहर काका class 10 summary mithaleshvar हरिहर काका Class 10 Harihar Kaka Class 10 Harihar Kaka Explanation Harihar Kaka Question Answers Class 10 Hindi Lessons Class 10 Harihar Kaka Hindi class 10th Harihar Kaka Harihar Kaka Summary हरिहर काका Harihar Kaka class 10 Harihar Kaka class 10 in hindi ncert books CBSE Class 10 Hindi हरिहर काका पाठ का सार कक्षा १० संचयन पुस्तक का पाठ easy explanation of hariharkaka

हरिहर काका कहानी मिथिलेश्वर


हरिहर काका class 10 हरिहर काका कितने भाई थे हरिहर काका प्रश्न उत्तर हरिहर काका कौन थे हरिहर काका पाठ का सार हरिहर काका कहानी हरिहर काका का चरित्र चित्रण हरिहर काका के कितने भाई थे हरिहर काका के पास कितनी जमीन थी हरिहर काका की सम्पति के दावेदार कौन थे हरिहर काका के पास कितनी जमीन थी harihar kaka class 10 harihar kaka class 10 solutions harihar kaka ke kitne bhai the harihar kaka class 10 summary in hindi harihar kaka class 10 explanation harihar kaka class 10 question answers harihar kaka ncert solutions हरिहर काका के कितने बच्चे थे हरिहर काका पाठ के लेखक हरिहर काका के लेखक हैं हरिहर काका पाठ के रचयिता है हरिहर काका पाठ के लेखक कौन है हरिहर काका class 10 summary mithaleshvar हरिहर काका Class 10 Harihar Kaka Class 10 Harihar Kaka Explanation Harihar Kaka Question Answers Class 10 Hindi Lessons Class 10 Harihar Kaka Hindi class 10th Harihar Kaka Harihar Kaka Summary हरिहर काका Harihar Kaka class 10 Harihar Kaka class 10 in hindi ncert books CBSE Class 10 Hindi हरिहर काका पाठ का सार कक्षा १० संचयन पुस्तक का पाठ easy explanation of hariharkaka 


हरिहर काका पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ या कहानी हरिहर काका , लेखक मिथिलेश्वर जी के द्वारा लिखित है। इस कहानी में लेखक के द्वारा ग्रामीण परिवेश को चित्रित करते हुए एक वृद्ध व्यक्ति के सादगीयुक्त जीवन को उजागर किया गया है। इस कहानी के मुताबिक उस वृद्ध व्यक्ति के परिवारवाले स्वार्थमय जीवन के भोग-विलास में लगे हुए हैं और उसे अपने जीवन के अंतिम क्षणों में बेबस और लाचार होना पड़ा। 

प्रस्तुत कहानी के अनुसार, लेखक कह रहे हैं कि मैं हरिहर काका के यहाँ से अभी-अभी लौटा हूँ। कल भी काका के यहाँ गया था, परन्तु हरिहर काका न तो कल और न तो आज ही कुछ कह सके। मैंने जब उनकी तबीयत पूछी तो उन्होंने सिर्फ सिर उठाकर एक बार मुझे देखा। तत्पश्चात, उन्होंने दुबारा मेरी ओर नहीं देखा। आगे लेखक कहते हैं कि मगर फिर भी मैं उनके कष्टों को समझ गया। हरिहर काका जिस मन:स्थिति से गुजर रहे थे, उसमें आँखें ही काफी कुछ कह देती हैं। लेखक कहते हैं कि हरिहर काका मेरे पड़ोस में रहते थे और वे मुझे बेहद दुलार किया करते थे। एक पिता से भी बढ़कर वे मुझे प्यार किया करते थे और जब मैं बड़ा हुआ तो मेरी प्रथम दोस्ती हरिहर काका के साथ ही हुई। 

हरिहर काका लेखक से खुलकर बातें किया करते थे। लेकिन अचानक से वे अब मौन रहने लगे हैं, जिनकी इस स्थिति से लेखक बहुत चिंतित है। आगे लेखक कहते हैं कि हरिहर काका कि ऐसी स्थिति क्यूँ हुई और इसके जिम्मेदार कौन हैं ? ये सब जानने से पहले मैं अपने गाँव कि ‘ठाकुरबारी’ का संक्षिप्त परिचय देना अधिक उचित समझता हूँ। इसी कड़ी में लेखक आगे कहते हैं कि मेरा गाँव कसबाई शहर आरा से चालीस किलोमीटर कि दूरी पर है। गाँव की आबादी लगभग ढाई से तीन हजार की होगी। लेखक के अनुसार, गाँव में तीन प्रमुख स्थान हैं। गाँव के पश्चिम किनारे का बड़ा सा तालाब। गाँव के मध्य स्थित बरगद का पुराना वृक्ष और गाँव के पूरब में ठाकुरजी का विशाल मंदिर, जिसे गाँव के लोग ठाकुरबारी कहते हैं। आगे लेखक ठाकुरबारी के बारे में गाँव में प्रचलित कहानी को बताते हुए कहते हैं कि वर्षों पहले एक संत इस गाँव में आकर रहने लगे थे। वह सुबह-शाम ठाकुर जी की पूजा किया करते थे। तत्पश्चात गाँव के लोगों ने आपस में चंदा करके ठाकुरजी का एक छोटा सा मंदिर बनवा दिए। फिर धीरे-धीरे ठाकुरजी के प्रति लोगों का आस्था बढ़ता चला गया। लोग तरह-तरह की मन्नतें मांगने लगे और जब उनकी मन्नतें पूरी हो जाती थी तो वे खुशी से ठाकुरजी पर रुपए, जेवर, अनाज इत्यादि चढ़ाते। लेखक कहते हैं कि यह ठाकुरबारी न सिर्फ मेरे गाँव की एक बड़ी और विशाल ठाकुरबारी है, बल्कि पूरे इलाके में इसकी जोड़ की दूसरी ठाकुरबारी नहीं। ठाकुरबारी के नाम पर बीस बीघे खेत हैं। धार्मिक लोगों की एक समिति है, जो ठाकुरबारी की देख-रेख और संचालन के लिए प्रत्येक तीन साल पर एक महंत और एक पुजारी की नियुक्ति करती है। ठाकुरबारी के साथ अधिकांश लोगों का संबंध बहुत घनिष्ठ है- मन और तन दोनों स्तर पर। ठाकुरबारी में साधु-संतों का प्रवचन सुन और ठाकुरबारी का दर्शन करके लोग अपना जीवन सार्थक मानते हैं। लोगों का विश्वास है कि ठाकुरबारी में प्रवेश करते ही वे पवित्र हो जाते हैं। उनके पिछले सारे पाप ख़त्म हो जाते हैं। 

आगे लेखक कहते हैं कि हरिहर काका चार भाई हैं। सबकी शादी हो चुकी है। हरिहर काका के अलावा सबके बाल-बच्चे हैं। हरिहर काका ने औलाद प्राप्ति के लिए दो-दो शादियाँ कीं, परन्तु बिना बच्चा जने उनकी दोनों पत्नियाँ इस दुनिया से चल बसीं। बाद में बिना विवाह किए हरिहर काका अपने भाइयों के परिवार के साथ रहने लगे। हरिहर काका के तीनों भाइयों ने अपनी पत्नियों को यह सीख दी थी कि हरिहर काका की अच्छी तरह सेवा करे। लेकिन बाद में स्थिति विपरीत होने लगी और हरिहर काका को रूखा-सूखा खाकर ही संतोष करना पड़ता था। हरिहर काका को इतने बड़े परिवार में रहने के बाद भी कोई उन्हें पानी तक भी पूछने वाला नहीं था। घर में लोग तरह-तरह के पकवान खाते पर हरिहर काका को पूछते तक नहीं थे। एक दिन हरिहर काका ने खुद दालान के कमरे से निकलकर हवेली के अंदर प्रवेश किया। तब उनके छोटे भाई कि पत्नी ने रूखा-सूखा खाना लाकर परोस दिया। तभी हरिहर काका का गुस्सा फूटा और वे थाली उठाकर बीच आँगन में फेंक दिए। तत्पश्चात गरजते हुए पुनः दालान कि ओर निकल गए – 

“ समझ रही हो कि मुफ्त में खिलाती हो, तो अपने मन से यह बात निकाल देना। मेरे हिस्से के खेत कि पैदावार इसी घर में आती है। उसमें तो मैं दो-चार नौकर रख लूँ, आराम से खाऊँ, तब भी कमी नहीं होगी। मैं अनाथ और बेसहारा नहीं हूँ। मेरे धन पर तो तुम सब मौज कर रही हो। लेकिन अब मैं तुम सबों को बताऊँगा... आदि।“ 

हरिहर काका जिस समय यह सब कह रहे थे, उस समय ठाकुरबारी के पुजारी जी उनके दालान पर ही विराजमान थे। लौटकर पुजारी जी महंत जी को सारी घटना बताई। दूसरे दिन महंत जी हरिहर काका को लेकर ठाकुरबारी चले गए और एकांत कमरे में उन्हें बैठकर प्रेम से समझाने लगे – “ हरिहर ! यहाँ कोई किसी का नहीं है। सब माया का बंधन है। ईश्वर के सिवाए कोई तुम्हारा अपना नहीं है। तुम्हारे हिस्से में पंद्रह बीघे खेत हैं। उसी के चलते तुम्हारे भाई के परिवार तुम्हें पकड़े हुए हैं। तुम एक दिन कहकर तो देखो कि अपना खेत उन्हें न देकर दूसरे को लिख दोगे, वह तुमसे बोलना बंद कर देंगे। तुम्हारे भले के लिए मैं बहुत दिनों से सोच रहा था। तुम अपने हिस्से का खेत ठाकुरजी के नाम पर लिख दो। सीधे बैकुंठ को प्राप्त करोगे। तीनों लोक में तुम्हारी कीर्ति जगमगा उठेगी। यह तुम्हारे जीवन का महादान होगा। साधु-संत तुम्हारे पाँव पखारेंगे। तुम्हारा यह जीवन सार्थक हो जाएगा। अपनी शेष ज़िंदगी तुम इसी ठाकुरबारी में गुजारना, तुम्हें किसी चीज़ की कोई कमी नहीं होगी। अपना यह जीवन तुम बेकार मत जाने दो। इस दान से तुम्हारा लोक और परलोक दोनों बन जाएगा...।“ 

हरिहर काका देर तक महंत जी की बातें सुनते रहे। कहीं न कहीं एक पल के लिए उन्हें महंत जी कि बातों पर यकीन होने लगा था। परन्तु, दूसरे ही पल वे सोचने लगे कि भाई का परिवार भी तो अपना ही परिवार होता है। उनको न देकर ठाकुरबारी में दे देना उनके साथ धोखा और विश्वासघात होगा। तत्पश्चात, ठाकुरबारी में ही महंत जी हरिहर काका के लिए खाने-पीने का विशेष इंतेज़ाम करवा दिये और उन्हें आराम करने के लिए एक सुंदर कमरा दे दिया गया था। आगे लेखक कहते हैं कि इधर जब शाम को हरिहर काका के भाई जब खलिहान से लौटे तब उन्हें इस दुर्घटना का पता चला। वे अपनी पत्नियों पर खूब बरसे और चिंतित हो गए। शाम गहराते-गहराते हरिहर काका के तीनों भाई ठाकुरबारी पहुँच गए। जब उन्होंने हरिहर काका को घर चलने के लिए कहा, तभी महंत जी बीच में आकर कहने लगे – “ आज हरिहर को यहीं  रहने दो, बीमारी से उठा है। इसका मन अशांत है। ईश्वर के दरबार में रहेगा तो शांति मिलेगी...।“ अंतत: भाइयों को निराश होकर वहाँ से लौटना पड़ा। हरिहर काका वहीं पर रुक गए। इधर रात में खाने के लिए तरह-तरह के व्यंजन परोसकर ठाकुरबारी में हरिहर काका को खूब रिझाने की कोशिश की गई। उधर तीनों भाइयों को रात भर नींद नहीं आई थी। सुबह तड़के ही तीनों भाई पुन: ठाकुरबारी पहुंचे। हरिहर काका के पाँव पकड़ रोने लगे। अपनी पत्नियों की गलती के लिए माफी मांगी और उन्हें दंड देने की बात कही। साथ ही खून के रिश्ते की माया फैलाई। हरीहर काका का दिल पसीज गया। वे पुनः घर वापस लौट गए। 

आगे लेखक कहते हैं कि इस बार घर कि तस्वीर कुछ और ही नजर आ रही थी। घर के सभी बड़े-छोटे हरिहर काका कि खातिरदारी में जुट गए थे। हरिहर काका समझ गए थे कि यह सब महंत जी के चलते ही हो रहा है। महंत जी के प्रति हरिहर काका के मन में आदर और श्रद्धा के भाव निरंतर बढ़ते ही जा रहे थे। भावी आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए हरिहर काका के भाई उनसे यह निवेदन करने लगे थे कि अपनी ज़मीन वे उन्हें लिख दें। लेखक कहते हैं कि इस विषय पर हरिहर काका ने एकांत में मुझसे काफी देर तक बात की। अंतत: हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जीते-जी अपनी जायदाद का स्वामी किसी और को बनाना ठीक नहीं होगा। चाहे वो अपना भाई या मंदिर का महंत ही क्यूँ न हो। हरिहर काका अपने भाइयों को समझा दिये कि मर जाऊंगा तो अपने आप मेरी ज़मीन तुम्हें मिल जाएगी। ज़मीन लेकर तो जाऊंगा नहीं। इसलिए लिखवाने कि क्या जरूरत ? 

लेखक कहते हैं कि महंत जी लड़ाकू प्रवृति के इंसान थे। हरिहर काका से जबर्दस्ती ज़मीन लिखवाने के  लिए हर कोशिश करने में जुट गए थे। एक दिन अचानक आधी रात को ठाकुरबारी के साधु-संत और उनके पक्षधर भाला, गँड़ासा और बंदूक से लैस एकाएक हरिहर काका के दालान पर आ धमके और हरिहर काका को अपने पीठ पर लादकर चंपत हो गए। तत्पश्चात, हरिहर काका के भाई लोगों के साथ उन्हें तलाशने निकले। उन्हें लगा कि यह महंत का काम है। वे सभी ठाकुरबारी जा पहुंचे। वहाँ खामोशी और शांति नजर आई। वहाँ चारों तरफ सन्नाटा पसरा था। लोगों को लगा कि यह काम महंत का नहीं, बाहर के डाकुओं का है। लेकिन ज्यों ही लोग किसी दूसरी दिशा की ओर प्रस्थान किए कि ठाकुरबारी के अंदर से धीमी बातचीत की आवाज़ सुनाई पड़ी। सबके कान खड़े हो गए थे। उन्हें यकीन हो गया था कि हरिहर काका इसी में हैं। लोग ठाकुरबारी का फाटक पीटने लगे। तभी ठाकुरबारी की छत से रोड़े और पत्थर उनके ऊपर गिरने लगे। ठाकुरबारी के कमरों की खिड़कियों से फायरिंग शुरू हो गयी थी। एक नौजवान के पैर में गोली लग गई तो तीन भाइयों को छोडकर बाकी लोग वहाँ से भाग निकले। इसलिए तीनों भाइयों ने कस्बे के पुलिस थाने की ओर दौड़ पड़े। 

आगे लेखक कहते हैं कि ठाकुरबारी के भीतर महंत और उसके साधु कागज़ पर जबरन हरिहर काका के अंगूठे के निशान ले रहे थे। हरिहर काका की नजरों में महंत एक घृणित, दुराचारी और पापी नजर आने लगा था। अब हरिहर काका को अपने भाइयों के परिवार महंत की तुलना में ज्यादा पवित्र, नेक और अच्छा लगने लगा था। सुबह होने से पहले ही पुलिस की जीप लेकर हरिहर काका के तीनों भाई ठाकुरबारी आ पहुंचे। तत्पश्चात, पुलिस के जवानों ने ठाकुरबारी के चारों तरफ घेरा डाल दिया। पुलिस इंचार्ज रह-रहकर ठाकुरबारी का फाटक खोलने तथा साधु-संतों को आत्मसमर्पण करने के लिए आवाज़ लगा रहे थे। लेकिन ठाकुरबारी की ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा था। सुबह तड़के एक वृद्ध साधू ने ठाकुरबारी का फाटक खोल दिया। वह 80 वर्षीय वृद्ध एक लाठी के सहारे काँपते हुए खड़ा था। पुलिस इंचार्ज ने उस वृद्ध साधु से हरिहर काका तथा ठाकुरबारी के महंत, पुजारी और अन्य साधुओं के बारे में पूछा। लेकिन उसने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। तभी पुलिस इंचार्ज के नेतृत्व में पुलिस के जवान ठाकुरबारी की तलाशी लेने लगे। लेकिन न तो ठाकुरबारी के नीचे के कमरों में ही कोई पाया गया और न छत के कमरों में ही। आगे लेखक कहते हैं कि एक कमरे के बाहर बड़ा सा ताला रहा था। उस कमरे की चाबी की मांग वृद्ध साधु से की गई तो उसने साफ कह दिया कि मेरे पास नहीं है। पुलिस इंचार्ज अभी यह सोच ही रहे थे कि इस कमरे का ताला तोड़कर देखा जाए या छोड़ दिया जाए कि अचानक उस कमरे के दरवाजे को भीतर से किसी ने धक्का देना शुरू किया। तभी पुलिस के जवान सावधान हो गए। ताला तोड़कर कमरे का दरवाजा खोला गया। कमरे के अंदर हरिहर काका जिस स्थिति में मिले, उसे देखकर उनके भाइयों का खून खौल उठा। उस वक़्त अगर महंत, पुजारी या अन्य साधु उन्हें नजर आ जाते तो वे जीते-जी उन्हें मार डालते। हरिहर काका के हाथ-पैर और मुंह बांध दिये गए थे। काका को बंधन मुक्त किया गया। आगे लेखक कहते हैं कि हरिहर काका ने देर तक अपने ब्यान दर्ज कराए। उनके शब्दों से साधुओं के प्रति नफरत और घृणा व्यक्त हो रही थी।

अब हरिहर काका पुनः अपने भाइयों के परिवार के साथ रहने लगे थे। लेकिन उनके परिवार वाले भी महंत से कम नहीं थे, वे भी ज़मीन लिखने के लिए काका पर दबाव डालने लगे थे। काका ज़मीन उनके नाम करने के बाद की दुर्गति से जागरूक हो गए थे, इसलिए ऐसा करने से साफ इंकार कर दिये थे। हरिहर काका के साथ उनके भाई-बंधु हाथापाई पर उतर आए थे। काका ने अपनी रक्षा हेतु ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ लगाई, जिसके बाद टोला-पड़ोस के लोग वहाँ इकट्ठा हो गए थे। जैसे ही यह बात महंत तक पहुंची, वे फौरन पुलिस की जीप लेकर आ धमके। जब पुलिस के द्वारा तलाशी ली गई, तब हरिहर काका को उससे भी बदतर हालत में बरामद किया गया, जिस हालत में ठाकुरबारी से उन्हें बरामद किया गया था। भाइयों के द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद हरिहर काका के पीठ, माथे और पावों पर कई जगह ज़ख्म के निशान उभर आए थे। लेखक कहते हैं कि हरिहर काका की सुरक्षा के लिए पुलिस के चार जवान तैनात कर दिये गए हैं। 

आगे लेखक कहते हैं कि हरिहर काका और उनकी ज़मीन के बारे में गाँव में तरह-तरह की चर्चाओं का अंबार लगा हुआ है। गाँव में दिन-प्रतिदिन आतंक का माहौल गहराता जा रहा है। हरिहर काका एक नौकर रख लिए हैं, वही उन्हें बनाता-खिलाता है। पुलिस के जवान काका के खर्चे पर ही खूब मौज-मस्ती से रह रहे हैं...॥ 


मिथिलेश्वर का जीवन परिचय

हरिहर काका कहानी के लेखक मिथिलेश्वर जी हैं। इनका जन्म 31 दिसम्बर, 1950 को बिहार के भोजपुर जिले के
मिथिलेश्वर
मिथिलेश्वर
वैसाडीह गाँव में हुआ था। इन्होंने मास्टर डिग्री और पीएच.डी. पूर्ण करने के पश्चात अध्यापन कार्य को अपनाया। वर्तमान में लेखक बिहार के आरा जिले में स्थित विश्वविद्यालय में रीडर के पद पर कार्यरत हैं। मिथिलेश्वर जी की कहानियाँ ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रमुखता से प्रकाश डालती हैं। इनकी कहानियों से पता चलता है कि स्वतंत्रता के उपरांत ग्राम्य जीवन किस स्तर तक अत्यधिक भयावह और जटील हो गया है। वास्तव में मिथिलेश्वर जी की कहानियों से मालूम पड़ता है कि महज़ बदलाव के नाम पर इतना हुआ है कि आम लोगों के शोषण के तरीकों में परिवर्तन हो गया है।

मिथिलेश्वर जी कि प्रमुख कृतियाँ हैं – बाबूजी, मेघना का निर्णय, हरिहर काका, चल खुसरो घर बनाने(कहानी संग्रह), झुनिया, युद्धस्थल, प्रेम न बाड़ी ऊपजे और अंत नहीं (उपन्यास)। लेखन के क्षेत्र में लेखक को सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है...॥  



हरिहर काका का चरित्र चित्रण 


हरिहर काका कहानी के अनुसार, हरिहर काका अनपढ़ थे, मगर दुनियादारी के मामले में अनुभवी थे | कहानी के मुताबिक वृद्ध हरिहर काका के परिवारवाले स्वार्थमय जीवन के भोग-विलास में लगे हुए थे, जिसके फलस्वरूप, हरिहर काका को अपने जीवन के अंतिम क्षणों में बेबस और लाचार होना पड़ा | उनका कोई संतान न था, जिसके कारण उनके भाई लोग उनसे ज़बरदस्ती उनके हिस्से की ज़मीन अपने नाम कराने के लिए डराते-धमकाते थे | गाँव के महंत और साधु-संतों ने भी हरिहर काका को बहला-फुसला कर तथा जोर-जबरदस्ती करके उनकी ज़मीन हथियाने की कोशिश की थी | हरिहर काका के साथ हुए हादसों ने उन्हें इतना तोड़ दिया कि वह शांत रहने लगे थे | वे अंदर ही अंदर घुटते रहते थे | लेकिन वे किसी को कुछ कहते नहीं थे...||



हरिहर काका के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, कथावाचक और हरिहर काका के बीच प्यार और स्नेह भरा संबंध था। दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी थे। जब लेखक बड़े हुए तो उनकी पहली मित्रता हरिहर काका के साथ ही हुई थी। दोनों आपस में कोई बात नहीं छिपाते थे। हर संभव एक-दूसरे कि सहायता किया करते थे। उम्र में अंतर होने के बावजूद भी दोनों के बीच आत्मीय संबंध था। 

प्रश्न-2 हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यूँ लगने लगे ? 

उत्तर-जिस निंदनीय और ओछी काम को अंजाम महंत ने दिया था, उससे भी घटिया व्यवहार हरिहर काका के सगे भाइयों ने उनके साथ किया था। दोनों ने ही ज़मीन के लालच में आकर हरिहर काका के साथ दुर्व्यवहार किया और उनको कष्ट दिया। इसलिए हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के लगे। 

प्रश्न-3 ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं, उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है ? 

उत्तर- आम तौर पर गाँव के लोगों में यह धारणा रहती है कि मंदिर एक पवित्र स्थान है और यहाँ के पुजारी एक सच्चे इंसान होते हैं। भले ही पुजारी या महंत जैसे इंसान बुरे से बुरे कर्मों में लीन ही क्यूँ न हो। गाँव वालों की अंधभक्ति से ही महंत जैसे धर्म के ठेकेदारों को गलत काम करने के लिए बढ़ावा मिलता है। लेकिन ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के भाव थे तथा उनका हर सुख-दुख मंदिर से जुड़ा था। 

प्रश्न-4 अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, हरिहर काका अनपढ़ होते हुए भी दुनिया कि बेहतर समझ रखते थे। हरिहर काका को उन लोगों का चेहरा अच्छे से याद है, जिन्हें अपनी ज़मीनें अपने परिवार वालों के नाम लिख देने के पश्चात उनकी हालत बद से बदतर हो गई थी। इसलिए हरिहर काका ने अपनी ज़मीन न तो महंत और न ही अपने भाइयों के नाम करने का फैसला ले लिया था। क्योंकि उनको समझ में आ गया था कि लोगों का उनके प्रति कोई प्यार नहीं है, बल्कि सारे प्यार का ढोंग उनकी ज़मीन पाने के लिए है। 

प्रश्न-5 हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे ? उन्होंने उनके साथ कैसा बर्ताव किया ? 

उत्तर- हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले ठाकुरबारी के महंत और उनके साधु-संत थे। उन्होंने हरिहर काका के साथ अमानवीय व्यवहार किया। उनके हाथ-पैर बांध दिया गया और जबरदस्ती एक कागज़ पर काका के अंगूठे का निशान ले लिया गया। 

प्रश्न-6 कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।“ 

उत्तर- प्रस्तुत कहानी के अनुसार, जब हरिहर काका को महंत और अपने भाइयों के लालची और ओछी मंसूबे के बारे में पता चला तो वे समझ गए कि इन सभी को मुझसे नहीं बल्कि मेरी जायदाद से मतलब है। इसलिए काका ने यह निश्चय कर लिया कि अपने जीते जी तो ज़मीन किसी के नाम नहीं लिखेंगे। वरना ज़मीन लिख देने के बाद इन लोगों की नजर में तो वैसे भी हमारी अहमियत फूटी कौड़ी की भी नहीं रहेगी। इसलिए हरिहर काका ने कहा कि, ““अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।“  

प्रश्न-7 समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है ? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए। 

उत्तर- यदि रिश्तों को आधार बिन्दु मानकर वर्तमान समाज के परिवेश की बात करें तो आज वास्तव में रिश्तों की आपसी मधुरता समाप्ती के कगार पर है। लोग चेतनाशून्य होते जा रहे हैं। स्वार्थमय जीवन जीने के कारण रिश्तों में दरार उत्पन्न होते जा रहे हैं। लोग रिश्तों की अहमियत भूलते जा रहे हैं। यहाँ तक कि लोग ज़मीन-जायदाद की खातिर एक-दूसरे का खून करने से भी नहीं कतराते हैं। 



हरिहर काका पाठ का शब्दार्थ  


संचालन – चलाना 
प्रवचन – उपदेश 
आसक्ति – लगाव 
यंत्रणाओं – यातनाओं 
मझधार – बीच में (फंसा हुआ)
ठाकुरबारी – देवस्थान 
मशगूल – व्यस्त 
तत्क्षण – तत्काल, उसी पल 
बय – वसीयत 
अकारथ – बेकार 
वय – उम्र 
आच्छादित – ढका हुआ 
महटिया – टाल जाना 
आशंका – संदेह 
इंचार्ज – प्रभारी 
प्रतीक्षा – इंतज़ार । 


COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,36,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1466,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,31,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,34,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,75,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,198,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,138,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,44,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,87,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,15,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,7,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,56,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,32,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,42,समसामयिक हिंदी लेख,258,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,19,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,82,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,415,हिंदी लेख,526,हिंदी व्यंग्य लेख,13,हिंदी समाचार,179,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,10,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,407,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,674,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,43,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,21,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,44,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: हरिहर काका कहानी class 10 hindi
हरिहर काका कहानी class 10 hindi
हरिहर काका कहानी मिथिलेश्वर हरिहर काका class 10 हरिहर काका कितने भाई थे हरिहर काका प्रश्न उत्तर हरिहर काका कौन थे हरिहर काका पाठ का सार हरिहर काका कहानी हरिहर काका का चरित्र चित्रण हरिहर काका के कितने भाई थे हरिहर काका के पास कितनी जमीन थी हरिहर काका की सम्पति के दावेदार कौन थे हरिहर काका के पास कितनी जमीन थी harihar kaka class 10 harihar kaka class 10 solutions harihar kaka ke kitne bhai the harihar kaka class 10 summary in hindi harihar kaka class 10 explanation harihar kaka class 10 question answers harihar kaka ncert solutions हरिहर काका के कितने बच्चे थे हरिहर काका पाठ के लेखक हरिहर काका के लेखक हैं हरिहर काका पाठ के रचयिता है हरिहर काका पाठ के लेखक कौन है हरिहर काका class 10 summary mithaleshvar हरिहर काका Class 10 Harihar Kaka Class 10 Harihar Kaka Explanation Harihar Kaka Question Answers Class 10 Hindi Lessons Class 10 Harihar Kaka Hindi class 10th Harihar Kaka Harihar Kaka Summary हरिहर काका Harihar Kaka class 10 Harihar Kaka class 10 in hindi ncert books CBSE Class 10 Hindi हरिहर काका पाठ का सार कक्षा १० संचयन पुस्तक का पाठ easy explanation of hariharkaka
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyR-B42gAKEnU1naCeN183owsowUhlUHA0ThKrNIk6N0inAyCsj_U0o6LKC9jSWFXJRLOdTsmRlKkzJA0iNEzGRuyuQ3iq9ptosewtTQE6zMExTkmpL8V_O0OG1jZHo-jW45XWRXXzlkIE/s1600/mithleshwar.jpeg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyR-B42gAKEnU1naCeN183owsowUhlUHA0ThKrNIk6N0inAyCsj_U0o6LKC9jSWFXJRLOdTsmRlKkzJA0iNEzGRuyuQ3iq9ptosewtTQE6zMExTkmpL8V_O0OG1jZHo-jW45XWRXXzlkIE/s72-c/mithleshwar.jpeg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2020/09/harihar-kaka-class-10-hindi.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2020/09/harihar-kaka-class-10-hindi.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका