Yamraj Ki Disha यमराज की दिशा Class 9 Hindi

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यमराज की दिशा चंद्रकांत देवताले



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यमराज की दिशा कविता का अर्थ व्याख्या 


माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
ज़िंदगी जीने और दुख बर्दाश्त करने के 
रास्ते खोज लेती है

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि चंद्रकांत देवताले जी के द्वारा रचित कविता यमराज की दिशा से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों में कवि देवताले जी की माँ का ईश्वर के प्रति पूर्ण विश्वास का भाव उत्पन्न हुआ है | कवि कहते हैं कि उनकी माँ का ईश्वर से भेंट हुआ है कि नहीं, वह नहीं जानते | परन्तु, उनकी माँ के व्यवहारों से पता चलता था कि वह ईश्वर से बात-चीत करती रहती थी | ईश्वर से जो सलाह मिलता था, उन सलाहों के अनुसार, वह ज़िंदगी जीने और दुःख बर्दाश्त का समाधान तलाश लेती थीं | 

(2)- माँ ने एक बार मुझसे कहा था-
दक्षिण की तरफ़ पैर करके मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था-
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि चंद्रकांत देवताले जी के द्वारा रचित कविता यमराज की दिशा से उद्धृत हैं | कवि देवताले जी कहते हैं कि जब वे बच्चे थे, तब उनकी माँ ने उनसे कहा था कि दक्षिण की तरफ़ पैर करके कभी मत सोया करना | कवि की माँ का मानना है कि दक्षिण दिशा से यमराज का संबंध है और यमराज को गुस्सा दिलाना बुद्धिमानी की बात नहीं है | आगे कवि कहते हैं कि वे छोटा थे और अपनी माँ से यमराज के घर का पता पूछ लिए थे | तत्पश्चात्, उनकी माँ ने बड़ी कुशलता से जवाब देते हुए कहा था कि तुम जहाँ पर भी रहो, उस स्थान से दक्षिण दिशा की ओर हमेशा यमराज का निवास होगा | कवि देवताले जी ने दक्षिण दिशा से तात्पर्य सिद्ध करते हुए दक्षिणपंथी विचारधारा को यमराज बताया है | क्योंकि कवि के अनुसार, जो भी इसके गिरफ्त में आता है, उसकी सभ्यता और संस्कृति का सर्वनाश होना निश्चित हो जाता है | 

(3)- माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि चंद्रकांत देवताले जी के द्वारा रचित कविता यमराज की दिशा से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि माँ के द्वारा समझाने पर वे कभी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोए | इससे कवि को एक फायदा हुआ कि दक्षिण दिशा को पहचानने में उन्हें कभी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा | अर्थात्, जब बड़े होने पर कवि को माँ की बातों का तात्पर्य समझ में आ गया, तब से कवि ने अपनी माँ की समझाइस और दिखाए रास्ते पर चलते हुए कभी भी दक्षिणपंथी विचारधारा को स्वीकार नहीं किया | आगे कवि कहते हैं कि उन्होंने दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक सफर तय किया है और यात्रा के दौरान उन्हें हमेशा उनकी माँ याद आती रही | अर्थात् उन्हें माँ की बातें याद आती रही | कवि कहते हैं कि उनके लिए दक्षिण को लांघ पाना सम्भव नहीं था, अर्थात् दक्षिणपंथी विचारधारा को अपनाकर असत्य मार्ग पर चलना उनके सभ्यता और संस्कृति के विरुद्ध था | इसलिए वे कभी वे उस दिशा की ओर कदम नहीं बढ़ाए | फलस्वरूप, कवि कभी यमराज का घर नहीं देख पाए | 

(4)- पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
चंद्रकांत देवताले
चंद्रकांत देवताले
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
माँ अब नहीं हैं
और यमराज की दिशा भी अब वह नहीं रही
जो माँ जानती थी

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि चंद्रकांत देवताले जी के द्वारा रचित कविता यमराज की दिशा से उद्धृत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि जब उनकी माँ ने कहा था कि यमराज का निवास स्थान दक्षिण दिशा में है, तब सचमुच यमराज केवल दक्षिण दिशा तक ही सीमित था | परन्तु, वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि चारों तरफ आपको यमराज का वास स्थान मिल जाएगा | इसलिए कवि कहते हैं कि जिधर भी पैर करके सोओ, वही दक्षिण बन जाता है | कवि कहते हैं कि आज हर तरफ यमराज का अस्तित्व हो गया है | ऐसा कोई भी स्थान शेष नहीं, जहाँ पर यमराज के आलीशान महल न खड़े हों | उन सभी महलों में यमराज अपनी डरावनी दहकती हुई आँखों के साथ विराजते हैं | आज अधिकांश लोग दक्षिण विचारधारा से ग्रसित हैं |  इसलिए हमारी सुरक्षा पर अभी सवालिया निशान लगा हुआ है | कवि आगे अपनी माँ को याद करते हुए कहते हैं कि अब माँ भी हमारे बीच नहीं रही | माँ के स्वर्गवास हो जाने के पश्चात् अब यमराज की वो दिशा भी नहीं रही, जो माँ जानती थी | कवि को हर तरफ आलीशान महल नजर आता है, जहाँ यमराज की दहकती हुई आँखें दिखाई देती हैं | अर्थात् कवि को अब चारों ओर पूँजीपतियों का वास दिखाई देता है, जो निरन्तर साधारण या आम जनता का शोषण करने में जुटे हुए हैं | 


यमराज की दिशा पाठ का सारांश 


प्रस्तुत पाठ या कविता यमराज की दिशा कवि चंद्रकांत देवताले जी के द्वारा रचित है | इस कविता में कवि देवताले जी ने सभ्यता के विकास की खतरनाक दशा और दिशा की ओर संकेत करते हुए कहते हैं कि जीवन-विरोधी शक्तियों का हर दिशा में फैलाव होता जा रहा है | जीवन के हर दुःख-दर्द के बीच जीती माँ को जिस अपशकुन का हमेशा भय लगा रहता था अब वह सिर्फ दक्षिण दिशा का हिस्सा ही नहीं है, बल्कि सर्वव्यापक है |

कवि देवताले जी हम सभी को भावी विकराल चुनौतियों के समक्ष खड़ा होने का और उसे दूर फेंकने का मौन आह्वान करते हुए कहते हैं कि शनै-शनैः चारों ओर हिंसा, विध्वंस और मृत्यु के चिह्न फैलते ही जा रहे हैं | इनसे हमें एकता के सूत्र में बंधकर लड़ना होगा और इन्हें पराजित करना होगा | तभी एक आदर्श समाज का सपना हम साकार कर पाएँगे | कवि की माँ का ईश्वर के प्रति गहरा विश्वास और लगाव था | वह हमेशा दक्षिण की ओर पैर करके सोने के लिए मना करती थी | जब कवि बचपन में पूछता था कि यमराज का निवास स्थान कहाँ है ? तो उसकी माँ हमेशा दक्षिण की ओर संकेत करती थी | तब से कवि दक्षिण की ओर पैर करके कभी नहीं सोया |  कवि की माँ अब जीवित नहीं है | परन्तु, कवि के अनुसार, आज जिधर भी पैर करो, उधर दक्षिण दिशा हो जाती है | अर्थात्, आज चारों ओर विध्वंस और हिंसा का साम्राज्य फैल गया है तथा निरंतर मज़बूत होता जा रहा है...||  




यमराज की दिशा का प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नही हुई ? 

उत्तर- कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल इसलिए नहीं हुई, क्योंकि कवि की माँ ने उन्हें बताया था कि दक्षिण दिशा में यमराज का निवास स्थान होता है | अर्थात् वह मृत्यु की दिशा है | कवि की माँ ने यह भी बताया था कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके कभी सोना नहीं चाहिए | वरना यमराज गुस्सा हो जाएंगे | माँ की बातों का पालन कवि ने जीवन भर किया, इसलिए उन्हें दक्षिण दिशा को पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई | 

प्रश्न-2  कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था ?

उत्तर - कवि अपनी माँ के कहे अनुसार जीवन भर दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोए थे, क्योंकि उन्हें भय था कि यह मृत्यु की दिशा है | इसी कारण से दक्षिण दिशा को लाँघना कवि के लिए संभव नहीं था | 

प्रश्न-3 कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है ? 

उत्तर- कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा है | दक्षिण दिशा से तात्पर्य मृत्यु या काल की दिशा से है  | वर्तमान में हमारा जीवन कहीं सुरक्षित नहीं है | हर तरफ हिंसा, आतंक, असंतोष, विध्वंसक हथियारों का खुलेआम उपयोग होना आदि मानव सभ्यता को अत्यधिक नुकसान पहुँचा रहा है | मानो मौत हर जगह हमें निगलने के लिए घात लगाकर बैठी है | जीवन-विरोधी शक्तियों का हर दिशा में फैलाव होने को ही कवि ने कहा है कि हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है | 

प्रश्न-4 भाव स्पष्ट कीजिए --- 

सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं

उत्तर- इन पंक्तियों से तात्पर्य यह है कि आज मानव कहीं भी सुरक्षित नहीं है | हर तरफ हिंसा, आतंक, असंतोष ने यमराज के रूप में पूरी दुनिया में अपनी हुकूमत का ऐलान कर दिया है | आज यमराज मानव रूप में ही मानव को मौत के गाल में ढकेलने को तैयार हैं | ऐसा कोई भी स्थान नहीं रहा, जहाँ अपने आलीशान महलों में बैठकर मानव रूपी यमराज आम लोगों का शोषण न करते हों | 

प्रश्न-5 कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं ?

उत्तर- ईश्वर के भय से लोगों में अनैतिक चीज़ों का समावेश नहीं हो पाता तथा संबंधित व्यक्ति बुराईयों से बचा रहता है | इसलिए कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है | 


यमराज की दिशा कविता का शब्दार्थ 



• दहकती -        जलती, सुलगती हुई आग 
• विराजना -      आसीन होना, बड़े ओहदे पर बैठना 
• क्रुद्ध -            नाराज़ करना, गुस्सा दिलाना   
 • लाँघना -        पार करना, आर-पार होना 
• फ़ायदा -         लाभ, आय, वृद्धि 
• आलीशान -     भव्य, शानदार 
• बरदाश्त -       सहन करना 
• यमराज -        मौत का देवता | 



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