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शेखीबाज मक्खी
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शेखीबाज़ मक्खी का सारांश
शेखीबाज मक्खी कहानी में लेखक योगेश जोशी ने लिखा है कि एक जंगल में एक शेर भोजन करके आराम से सो रहा था। वह कई दिनों से नहाया नहीं था। मक्खी उडती हुई आई और उसे परेशान करके कान के भिन्न भिन्न
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शेखीबाज मक्खी की कहानी |
मक्खी शेर को हरा कर घमंड में चूर हो गयी। उसे रास्ते में हाथी मिला। हाथी को उसने प्रणाम करने को कहा तो हाथी ने सोचा कि मैं किस पागल से बहस करूँ और अपना वक्त बर्बाद करूँ। उसने सूंढ़ उठाकर मक्खी को प्रणाम किया और आगे बढ़ गया। लोमड़ी यह सब दूर से देख रही थी। मक्खी ने उसे भी प्रणाम करने को कहा तो वह प्रणाम कर बोली कि आप धन्य हो। लेकिन मकड़ी तो आपको गाली दे रही है। आप उसकी खबर ले लो।
यह सुनकर मक्खी बोली कि मैं छुटकी बजाकर मकड़ी का काम तमाम कर देती हूँ। और वह मकड़ी की ओर झपटी और मकड़ी के बनाये जाल में फँस गयी। वह जितनी बाहर निकलने का प्रयास करती ,उतना ही फँसती जाती। इस प्रकार मक्खी थककर हार गयी। यह देखकर लोमड़ी मुस्कराती हुई आगे बढ़ गयी।
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शेखीबाज़ मक्खी के प्रश्न उत्तर
कैसी लगी कहानी ?
कक्षा में साथियों के साथ बातचीत करो।
प्र. तुम्हें कहानी में कौन सबसे अच्छा लगा? क्यों?
उ. मुझे कहानी में सबसे अच्छा हाथी लगा ,क्योंकि वह मक्खी से बहस कर अपना वक्त बर्बाद नहीं किया और आगे बढ़ गया। हमें अपने जीवन में भी बेकार लोगों से बहस करके अपना समय नहीं ख़राब करना चाहिए। इस प्रकार हाथी ने सही काम किया।
प्र.मक्खी मकड़ी के जाल में फँस गई थी। फिर क्या हुआ होगा? कहानी आगे बढ़ाओ।
उ. मक्खी ,मकड़ी के जाल में फँस गयी थी। वह बार बार प्रयत्न करके भी आगे नहीं निकल पायी। जितनी वह कोशिस करती ,उतना ही और फँसती जाती। यह बात जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी और सब जानवर मक्खी की हंसी उड़ाने लगे। बन्दर ने कहा - अब लो मज़ा ,तुम तो राजा बनती थी। मक्खी रोने लगी और हाथी से कही - हाथी दादा तुम मकड़ी से फ़रियाद करो। जिससे मेरी जान बच पाए। यह सुनकर हाथी का दिल पिघल गया। उसके कहने पर मकड़ी ने अपने जाल हटा लिए और मक्खी की जान बख्स दी। मक्खी बहुत खुश हुई और कसम खायी कि अब वह कभी शेखी नहीं बघारेगी।
कहानी का नाम
प्र. अगर कहानी का नाम मक्खी को ध्यान में न रखकर लोमड़ी और शेर को ध्यान में रखकर लिखा जाता तो उसके क्या-क्या नाम हो सकते थे ?
उ. यदि कहानी को मक्खी को ध्यान में न रखकर लोमड़ी को ध्यान में रखा जाता तो कहानी का नाम समझदार लोमड़ी या चलाक लोमड़ी होता। शेर को ध्यान में रखकर कहानी का नाम होता तो आलसी शेर या बदबूदार शेर रखा जाता।
प्र. अब तुम कहानी के लिए एक और नया शीर्षक सोचो। यह शीर्षक कहानी के किसी पात्र पर नहीं होना चाहिए। (कहानी की किसी घटना के बारे में शीर्षक हो सकता है।)
उ. कहानी का शीर्षक बुद्धि से ही विजय पायी जाती या हमें घमंड नहीं करना चाहिए आदि शीर्षक हो सकते हैं।
शेर की जगह तुम ...
प्र. मक्खी ने जब शेर को जगाया तो वह आग बबूला हो गया। तुम्हें जब कोई गहरी नींद से जगाता है तो तुम क्या करते हो?
उ. जब मुझे कोई नींद से जगाता है तो मैं भी गुस्सा हो जाता हूँ और कहता हूँ कि मुझे अभी सोने दो। मेरी नींद पूरी नहीं हुई है।
प्र. मक्खी उड़ाते-उड़ाते शेर ऊब गया था। तुम क्या करते-करते ऊब जाते हो?
उ. जब मैं ऊब जाता हूँ तो मैं अपने दोस्तों के साथ लुड़ों खेलता हूँ और साथ ही बाहर कोई खेल खेलने जाता हूँ ,जिससे मेरी ऊब मिट सके।
प्र. मान लो तुम शेर हो। मक्खी ने तुम्हारे साथ जो कुछ भी किया वह लोमड़ी को बताओ।
उ. यह मैं शेर की जगह होता तो लोमड़ी से कहता कि लोमड़ी बहन इस शेखीबाज मक्खी ने मुझे बहुत परेशान कर दिया है। मैं इसे हरा नहीं पाया और मुझे इस समय बहुत नींद आ रही है। तुम ही कोई तरकीब निकालकर इस शेखीबाज मक्खी की शेखी उतारो। यदि यह पूरे जंगल में जाकर बता देगी कि मैं इससे हार गया हूँ तो मेरी इज्जत मिटटी में मिल जायेगी। अतः मेरी इज्जत बचाना तुम्हारे हाथ में है। तुम मुझे बचाओ।
प्र. शेर तो भोजन करके आराम कर रहा था। तुम खाना खा कर क्या करते हो?
उ. मैं निम्नलिखित काम करता हूँ -
अक्सर - मैं रात को भोजन करके अक्सर सोने चला जाता हूँ।
कभी कभी - मैं कभी कभी भोजन करके अपनी बहन के साथ लूडो खेलता हूँ।
प्र. शेर ने भोजन में क्या खाया होगा? तुम क्या-क्या खाते हो?
उ. शेर ने भोजन में हिरण का शिकार करके उसका माँस खाया होगा। जबकि मैं दाल ,सब्जी ,चावल और रोटी खाता हूँ।
शेखीबाज़ मक्खी के शब्द अर्थ कठिन शब्द
जंगल - वन
जवाब - उत्तर
सूंढ़ - हाथी का मुँह
भोजन - खाना
लड़ना - झगड़ा
फँसती - चंगुल में आना
पंजा - शेर की हथेली
स्नान - नहाना
घमंड - अपने ऊपर अभिमान करना
मुश्किल - कठिन
प्रणाम - नमस्कार
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