चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती - त्रिलोचन चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती champa kale kale akshar nahi chinti चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती Champa kale kale akshar nhi chinti class 11 Champa kale kale akshar nhi chinti kavita Class 11 aroh chapters champa kale kale akshar nhi chinti kavita Champa kale kale akshar nhi chinhati class 11 hindi Champa kale kale achchhar nhi cheenhati चंपा काले काले अक्षर नही चीन्हती चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती NCERT CBSE Class 11 hindi चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती NCERT Solutions for Class 11 Hindi चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता की व्याख्या
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती - त्रिलोचन
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती champa kale kale akshar nahi chinti चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती Champa kale kale akshar nhi chinti class 11 Champa kale kale akshar nhi chinti kavita Class 11 aroh chapters champa kale kale akshar nhi chinti kavita Champa kale kale akshar nhi chinhati class 11 hindi Champa kale kale achchhar nhi cheenhati चंपा काले काले अक्षर नही चीन्हती चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती NCERT CBSE Class 11 hindi चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती NCERT Solutions for Class 11 Hindi
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता की व्याख्या
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती
मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है
खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है
उसे बड़ा अचरज होता है :
इन काले चीन्हों से कैसे ये सब स्वर
निकला करते हैं
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिशील कवि 'त्रिलोचन' जी के द्वारा रचित कविता 'चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती' से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि ने पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकतापूर्ण तरीके से अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है | कवि के द्वारा गाँव में साक्षरता के प्रति उदासीनता को चंपा के माध्यम से मुखरित किया गया है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि चंपा नामक लड़की की निरक्षरता के बारे में बताते हुए कहते हैं कि चंपा काले-काले अक्षरों को नहीं पहचानती अर्थात् वह उन काले अक्षरों से बिल्कुल अनभिज्ञ है | कवि कहते हैं कि जब मैं पढ़ने लगता हूँ, तो चंपा वहाँ आ जाती है और वह खड़ी-खड़ी चुपचाप मेरे द्वारा बोले या पढ़े जा रहे शब्दों को सुना करती है | आगे कवि कहते हैं कि चंपा को इस बात से बहुत आश्चर्य होता है कि इन काले अक्षरों या चीन्हों से कैसे स्वर या ध्वनियाँ निकला करती हैं ?
(2)- चंपा सुंदर की लड़की है
सुंदर ग्वाला है : गायें-भैंसें रखता है
चंपा चौपायों को लेकर
चरवाही करने जाती है
चंपा अच्छी है
चंचल है
न ट ख ट भी है
कभी कभी ऊधम करती है
कभी कभी वह कलम चुरा देती है
जैसे तैसे उसे ढूँढ़ कर जब लाता हूँ
पाता हूँ --- अब कागज़ गायब
परेशान फिर हो जाता हूँ
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिशील कवि 'त्रिलोचन' जी के द्वारा रचित कविता 'चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती' से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि ने पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकतापूर्ण तरीके से अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है | कवि के द्वारा गाँव में साक्षरता के प्रति उदासीनता को चंपा के माध्यम से मुखरित किया गया है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि चंपा के व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए कहते हैं कि वह सुंदर नामक ग्वाले की लड़की है, जो गायें-भैंसें रखता है | चंपा अपने पिता के सभी पशुओं को हर दिन चराने के लिए ले जाती है | आगे कवि कहते हैं कि चंपा अच्छी लड़की है | वह चंचल भी है और साथ में नटखट भी | वह कभी-कभी शरारत भी करती है | कभी तो वह मेरी कलम चुरा लेती है | आगे कवि कहते हैं कि जब मैं उसे जैसे तैसे उसे ढूँढ़ कर लाता हूँ, तो देखता हूँ कि इस बार मेरा कागज़ गायब हो गया है | चंपा के इन शरारतों से मैं पुनः परेशान हो जाता हूँ |
(3)- चंपा कहती है :
तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भर
क्या यह काम बहुत अच्छा है
यह सुनकर मैं हँस देता हूँ
फिर चंपा चुप हो जाती है
उस दिन चंपा आई, मैंने कहा कि
चंपा, तुम भी पढ़ लो
हारे गाढे़ काम सरेगा
गाँधी बाबा की इच्छा है --
सब जन पढ़ना-लिखना सीखें
चंपा ने यह कहा कि
मैं तो नहीं पढ़ूँगी
तुम तो कहते थे गाँधी बाबा अच्छे हैं
वे पढ़ने लिखने की कैसे बात कहेंगे
मैं तो नहीं पढ़ूँगी
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिशील कवि त्रिलोचन जी के द्वारा रचित कविता चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि ने पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकतापूर्ण तरीके से
त्रिलोचन |
(4)- मैंने कहा कि चंपा, पढ़ लेना अच्छा है
ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी,
कुछ दिन बालम संग साथ रह
चला जाएगा जब कलकत्ता
बड़ी दूर है वह कलकत्ता
कैसे उसे सँदेसा दोगी
कैसे उसके पत्र पढ़ोगी
चंपा पढ़ लेना अच्छा है !
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिशील कवि त्रिलोचन जी के द्वारा रचित कविता चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि ने पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकतापूर्ण तरीके से अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है | कवि के द्वारा गाँव में साक्षरता के प्रति उदासीनता को चंपा के माध्यम से मुखरित किया गया है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि चंपा को पढ़ने की सलाह दे रहे हैं | आगे कवि शिक्षा के महत्व पर बात करते हुए कहते हैं कि देख चंपा ! एक दिन तुम्हारी शादी होगी और तुम अपने पति के घर यानी ससुराल जाओगी | जब वहाँ तुम्हारा पति कुछ दिन साथ रहकर नौकरी के लिए कलकत्ता चला जाएगा | ये कलकत्ता बहुत दूर है चंपा | आगे कवि चंपा को समझाते हुए कहते हैं कि ऐसे में तुम उसे अपने बारे में कैसे बताओगी ? कैसे उसे सँदेसा दोगी ? तुम उसके पत्रों को कैसे पढ़ पाओगी चंपा ? इसलिए कहता हूँ चंपा कि पढ़ लेना अच्छा है !
(5)- चंपा बोली : तुम कितने झूठे हो, देखा,
हाय राम, तुम पढ़-लिख कर इतने झूठे हो
मैं तो ब्याह कभी न करूँगी
और कहीं जो ब्याह हो गया
तो मैं अपने बालम को सँग साथ रखूँगी
कलकत्ता मैं कभी न जाने दूँगी
कलकत्ते पर बजर गिरे |
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिशील कवि त्रिलोचन जी के द्वारा रचित कविता चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि ने पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकतापूर्ण तरीके से अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है | कवि के द्वारा गाँव में साक्षरता के प्रति उदासीनता को चंपा के माध्यम से मुखरित किया गया है | जब कवि के द्वारा चंपा को पढ़ने की सलाह दी गई, तब वह कवि पर गुस्सा का भाव जताते हुए कहती है कि तुम बहुत झूठ बोलते हो | हाय राम ! तुम पढ़-लिखकर भी झूठ बोलते हो | कवि को संबोधित करते हुए आगे चंपा कहती है कि मैं तो शादी कभी नहीं करूँगी और यदि शादी हो भी गई तो मैं अपने पति (बालम) को हमेशा साथ रखूँगी | उसे कभी कलकत्ता नहीं जाने दूँगी | अर्थात् वह अपने पति का शोषण नहीं होने देगी | परिवारों को दूर करने वाले शहर कलकत्ते पर बजर (वज्र) गिरे | वह अपने पति को उन सब चीजों से दूर रखेगी |
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता का सारांश
प्रस्तुत पाठ या कविता चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती कवि त्रिलोचन जी के द्वारा रचित है| उक्त शीर्षक नामक कविता 'धरती' संग्रह में संकलित है | यह कविता पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकता से अभिव्यक्त करती है | प्रस्तुत कविता में 'अक्षरों' के लिए 'काले-काले' विशेषण का प्रयोग किया गया है, जो एक ओर शिक्षा-व्यवस्था के अंतर्विरोधों को उजागर करता है, तो दूसरी ओर उस दारुण यथार्थ से भी हमारा परिचय कराता है, जहाँ आर्थिक मज़बूरियों के चलते घर टूटते हैं | काव्य नायिका चंपा अनजाने ही उस शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है, जहाँ भविष्य को लेकर उसके मन में अनजान ख़तरा है | वह कहती है 'कलकत्ते पर बजर गिरे' | कलकत्ते पर वज्र गिरने की कामना, जीवन के खुरदरे यथार्थ के प्रति चंपा के संघर्ष और जीवट को प्रकट करती है...||
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे ?
उत्तर- चंपा ने ऐसा इसलिए कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे, क्योंकि कलकत्ता जो भी पैसे या धन कमाने के उद्देश्य से जाता है, वह वहाँ के चकाचौंध की तरफ़ आकर्षित हो जाता है |फलस्वरूप, वह वापस लौटकर नहीं आता | चंपा के गाँव में कई औरतों ऐसी हैं, जो इस वियोग का दुःख सहन कर चुकी हैं |
वैसे बजर से तात्पर्य है आकाशीय बिजली गिरना अर्थात् नष्ट होना | इसलिए चंपा गुस्से में कहती है कि कलकत्ता पर बजर गिरे |
प्रश्न-2 चंपा को इसपर क्यों विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी ?
उत्तर- चुँकि चंपा के गाँव में शिक्षा अर्थात् पढ़ाई-लिखाई को लेकर नकारात्मक बातें की जाती थी | शिक्षा हासिल करना अच्छा नहीं समझा जाता था | चंपा के परिवेश का ही असर था कि वह भी पढ़ाई-लिखाई के विरोध में थी | जबकि चंपा के अनुसार गाँधी जी तो अच्छे आदमी थे | इसलिए चंपा को यकीन नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी |
प्रश्न-3 कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, कवि ने चंपा की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है ---
• चंपा ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी लड़की थी |
• चंपा को पढ़ना-लिखना नहीं आता था |
• चंपा चंचल और नटखट लड़की थी |
• चंपा बहुत शरारती भी थी |
• चंपा के मन में गाँधी जी के प्रति सम्मान था |
प्रश्न-4 आपके विचार से चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूंगी ?
उत्तर- कहते हैं व्यक्ति पर उसके परिवेश का असर पड़ता है | ऐसा हो सकता है कि चंपा जिस गाँव में रहती होगी, वहाँ लड़कियों का पढ़ना-लिखना अच्छा नहीं समझा जाता होगा या उन्हें पढ़ाई करने पर रोक लगा दिया गया होगा | शायद यही बात चंपा के मन में घर कर गई होगी कि पढ़े-लिखे लोग अच्छे नहीं होते | इसलिए उसने कहा होगा की वह नहीं पढ़ेगी |
प्रश्न-5 यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती, तो कवि से कैसे बातें करती ?
उत्तर- यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती, तो कवि से सभ्य और जिज्ञासा भरी बातें करती | चंपा को पढ़ाई-लिखाई और उससे संबंधित सामाग्रियों का ज्ञान होता | वह कवि को उस समय परेशान नहीं करती, जब वे पढ़ रहे होते |
प्रश्न-6 इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है ?
उत्तर- प्रस्तुत कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों का सरल और नि:स्वार्थ व्यक्तित्व को उजागर करने का प्रयास किया गया है | उन्हें पढ़ाई-लिखाई के महत्व से बिल्कुल अनजान रखा गया है | उन्हें अनेक प्रकार की परंपराओं की बेड़ियों में कैद करके रख दिया जाता है, जिसे वह पूरी निष्ठा के साथ निभाती हैं | भले ही इसके लिए उन्हें अपने पति से दूर ही क्यों न रहना पड़े | कवि ने इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की इन्हीं विडंबनात्मक स्थितियों का वर्णन करने का प्रयास किया है |
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता के कठिन शब्द शब्दार्थ
• चरवाही - पशु चराने का काम-काज
• चंचल - चुलबुला
• नटखट - शरारती
• ऊधम - तंग करने वाली हरकतें या बदमाशी
• गायब - गुम हो जाना, विलुप्त
• कागद - कागज़
• अच्छर - अक्षर
• चीन्हती - पहचानती, जानना
• अचरज - हैरानी, आश्चर्य
• चौपाया - चार पैरों वाले पशु
• गोदना - लिखते रहना
• हारे गाढ़े काम सरेगा - कठिनाई में काम आएगा
• ब्याह - शादी, विवाह
• संग - साथ
• संदेसा - संदेश, पैगाम
• बजर गिरे - वज्र गिरे, भारी विपत्ति आना
• गौने जाना - ससुराल जाना
• बालम - पति, शौहर |
Question answer ke sath Anya mahatvpurn question bht dalen
जवाब देंहटाएं