आत्मा का ताप सैयद हैदर रजा Aatma ka Taap आत्मा का ताप सैयद हैदर रजा NCERT Hindi class 11 आत्मा का ताप आत्मा का ताप कहानी आत्मा का ताप प्रश्न उत्तर आत्मा का ताप के प्रश्न उत्तर आत्मा का ताप का सारांश aatma ka taap ke lekhak kaun hai aatma ka taap class 11 solutions aatma ka taap class 11 question answer Aatma kaTaap आत्मा का ताप सैयद हैदर रजा Syed Raza Haider Hindi class 11 aatma ka taap class 11 ncert solutions aatma ka taap class 11 aatma ka taap class 11th aatma ka tap class 11 hindi aatma ka tap class 11 ncert solutions aatma ka taap class 11 hindi aatma ka taap class 11th ncert solutions Aatma ka taap class-11 hindi aaroh Aatma ka taap summary 11th class hindi aaroh
आत्मा का ताप सैयद हैदर रजा
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आत्मा का ताप का सारांश aatma ka taap class 11 summary
प्रस्तुत पाठ आत्मा का ताप सैयद हैदर रजा की आत्मकथा से उदृत है। इसका अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद , मधु बी जोशी ने किया है इसमें हैदर रजा ने चित्रकला के क्षेत्र में अपने आरंभिक संघर्षों और सफलताओं के बारे में बताया है। एक कलाकार का जीवन - संघर्ष और कला - संघर्ष, उसकी सर्जनात्मक बेचैनी, अपनी रचना में सर्वस्व झोंक देने का उसका जुनून - ये सारी चीजें इसमें बहुत रोचक व सहज शैली में उभरकर सामने आई हैं।
सैयद हैदर रजा बचपन से ही प्रतिभावान थे। चूंकि उनके पिता रिटायर हो चुके थे, इसलिए उन्हें खुद के लिए नौकरी ढूंढनी थी। वे गोंदिया में ड्राइंग के अध्यापक बन गए। महीने भर के अंदर ही उन्हें बंबई के जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट में अध्ययन करने के लिए मध्य प्रांत की सरकारी छात्रवृति मिल गई। लेकिन देर हो जाने के कारण उन्हें दाखिला नहीं मिल पाया और अगर मिल भी जाता तो उपस्थिति का प्रतिशत वे पूरा नहीं कर पाते। उनसे छात्रवृति वापस ले ली गई। सरकार ने उन्हें ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश की। हैदर साहब बंबई में ही रहकर पढ़ाई करना चाहते थे। उन्हें शहर, वहां का वातावरण, गैलरियां और शहरों में अपने पहले मित्र पसंद आए। उन्हें एक्सप्रेस ब्लॉक स्टूडियो में डिजाइनर की नौकरी मिली। उनके कड़ी मेहनत से एक साल के अंदर ही उनके मालिक श्री जलील और उनके मैनेजर हुसैन ने उन्हें मुख्य डिजाइनर बना दिया। सुबह दस से साम के छह बजे तक काम करने के बाद वे पड़ाई के लिए जाया करते और रात होते ही अपने भाई के परिचित, एक टैक्सी ड्राइवर के घर सोने पहुंच जाते जो रात को ही टैक्सी चलाया करते थे। एक दिन राल्फ़ की टैक्सी में एक हत्या की वारदात हो गई थी जिसके बारे में जलील साहब को बताने पर आर्ट डिपार्टमेंट में उन्हें कमरा मिल गया। वे देर रात तक गलियों के चित्र या स्केच बनाते रहते। परिणाम यह हुआ कि चार वर्ष में, 1948 में बॉम्बे आर्ट्स सोसायटी का स्वर्ण पदक मिला। इस सम्मान को पाने वाले वे सबसे कम आयु के कलाकार थे। दो वर्ष बाद उन्हें फ्रांस सरकार की छात्रवृत्ति मिल गई।
उनके दो चित्र 1943 में आर्ट्स सोसायटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में प्रदर्शित हुई। उन्हें वहां आमंत्रित नहीं किया गया परन्तु कला समीक्षक रुडोल्फ वॉन लेडेन उनकी बहुत प्रशंसा की। उनके दोनों चित्र 40-40 रूपये में बिक गए। उनके काफी प्रशंसक बन गए। उनका काम दिन प्रतिदिन निखरता चला गया। एक एक करके पहले उनके माता फिर उनके पिता का देहांत हो गया।
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सैयद हैदर रजा |
1948 में वे श्रीनगर गए और चित्र बनाने में लग गए। वे फैसला कर चुके थे कि अब भारत में ही रहेंगे। उनके पास कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री का आदेश पत्र था जिसमें उन्हें कहीं भी आने जाने की अनुमति दी गई थी और हर संभव सहायता करने को कहा गया था।
कश्मीर में उनकी मुलाकात प्रख्यात फ्रेंच फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए- ब्रेसां से हुई जिनसे वे काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा - चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। चित्र भी इमारत की तरह बनाया जाता है- आधार, नींव, दीवारें, बीम, छत और तब जाकर वह टिकता है। बंबई लौटकर वह फ्रेंच पेंटिग सीखने लगा।
1950 में फ्रेंच दूतावास सांस्कृतिक सचिव से वार्तालाप के दौरान जब उन्होंने आत्मविश्वास से सारे सवालों के जवाब दिए वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने रज़ा साहब को एक साल की बजाय दो साल की छात्रवृत्ति दे दी।
वे अपने देश के युवाओं को अक्सर प्रेरित किया करते थे और कहा करते थे तुम्हे सब कुछ मिल सकता है बस तुम्हे सच्चे मन से मेहनत करनी होगी। चित्रकला कोई व्यवसाय नहीं बल्कि अंतरात्मा की पुकार है। तुम लोगो को अच्छे परिणाम के लिए अपना सर्वस्व लगाना पड़ेगा...||
आत्मा का ताप पाठ का उद्देश्य शिक्षा
अगर आपको सफलता प्राप्त करनी है तो आपको उसके लिए, कड़ी मेहनत और कभी हार ना मानने की जिद अपने अंदर पैदा करनी होगी। निरंतर कड़ी मेहनत से आप हर वो चीज हासिल कर सकते हैं, जिसके सपने आप देखा करते हैं। हमेशा कुछ नया सीखने की चाह, कामयाबी हासिल करने का एक बेहतर विकल्प है।
आत्मा का ताप के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 रजा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की ?
उत्तर- रज़ा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश इसलिए नहीं स्वीकार की, क्योंकि उन्हें एक्सप्रेस ब्लॉक स्टूडियो में डिजाइनर की नौकरी मिल गई थी |
प्रश्न-2 बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रजा ने क्या-क्या संघर्ष किए ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, वे सुबह दस बजे से शाम के छह बजे तक नौकरी किया करते थे | तत्पश्चात्, अध्ययन के लिए मोहन आर्ट क्लब जाते और रात में अपने भाई के परिचित हो कि टैक्सी चलाते थे, के यहां सोने पहुंच जाते। जब आर्ट डिपार्टमेंट में उन्हें कमरा मिला तो वे फर्श पर सोते रात के ग्यारह-बारह बजे तक गलियों के चित्र व तरह तरह के स्केच बनाते रहते थे |
प्रश्न-3 भले ही 1947 और 1948 में बहुत सी घटनाएं घटी हों, मेरे लिए वे कठिन बरस थे --- रजा ने ऐसा क्यूं कहा ?
उत्तर- भले ही 1947 और 1948 में बहुत सी घटनाएं घटी हों, मेरे लिए वे कठिन बरस थे --- रजा ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि इसी वक्त, पहले तो उनकी मम्मी की मृत्यु हो गई, कुछ समय तक पिता साथ थे फिर 1948 में उनकी भी मृत्यु हो गई। विभाजन की त्रासदी के बावजूद भारत स्वतंत्र हो चुका था। एक तरफ उत्साह था तो दूसरी तरफ उदासी। उनके जीवन में अचानक जिम्मेदारियों का बोझ आ गया।
प्रश्न-4 रजा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार कौन थे ?
उत्तर- रजा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार थे - सेज़ां, वॉन गॉग, गोगां पिकासो, मतीस, शागाल और ब्रॉक।
प्रश्न-5 तुम्हारे चित्र में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। चित्र इमारत की तरह ही बनाया जाता है - आधार, नींव, दीवारें, बीम, छत; और तब जाकर वह टिकता है- यह बात
(क)- किसने, किस संदर्भ में कही ?
(ख)- रज़ा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- (क)- फ्रेंच फोटोग्राफर ने रजा से कहा - तुम प्रतिभाशाली हो, लेकिन प्रतिभाशाली चित्रकारों को लेकर मैं संदेहशील हूं।तुम्हारे चित्र में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। चित्र इमारत की तरह ही बनाया जाता है - आधार, नींव, दीवारें, बीम, छत; और तब जाकर वह टिकता है। उन्होंने रज़ा को सेज़ां का काम देखने को कहा।
(ख)- फ्रेंच फोटोग्राफर की बातों से रज़ा काफी प्रभावित हुए। इससे उनकी रूचि फ्रेंच पेंटिंग में बढ़ने लगी। बंबई लौटकर वे फ्रेंच पेंटिंग सीखने लगे।
प्रश्न-6 रज़ा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तो क्या तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते ? तर्क सहित लिखिए |
उत्तर- इंसान अपनी काबिलियत, मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से दुनिया के मस्तिष्क पटल पर अपना अमिट छाप छोड़ जाता है | रज़ा की संघर्ष की घड़ियों में जलील साहब ने उनकी बहुत सहायता की थी, लेकिन यह कहना उचित नहीं होगा कि यदि उनका सहारा नहीं मिलता, तो रज़ा एक जाने-माने चित्रकार न बन पाते | कला किसी के सहारे की मोहताज नहीं हुआ करती | यह सच है कि कभी-कभी आर्थिक तंगी के कारण प्रतिभा को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिल पाता है | शायद रजा अकोला में ड्राइंग के अध्यापक बन कर ही रह जाते | फिर भी यदि उन्हें जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता, तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते |
प्रश्न-7 चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है --- इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए |
उत्तर- चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है --- यह कथन लेखक एस.एच.रजा ने वर्तमान में हो रहे चित्रकला के व्यवसायीकरण को ध्यान में रखते हुए कही है | उन्होंने ये बातें ख़ास तौर पर युवा कलाकारों को संबोधित किया है | वे अपना सर्वस्व देकर चित्रकला के लिए समर्पित होते हैं, जबकि बाजार में उनके चित्रों की नीलामी की जाती है | चित्रकला किसी भी कलाकार की अंतरात्मा की आवाज़ होती है | इसे व्यवसाय प्रधान नहीं बनाना चाहिए | यदि इसके व्यवसायीकरण पर रोक लगा दिया जाए, तो निश्चित ही चित्रकला का भविष्य उज्जवल है |
प्रश्न-8 जब तक मैं मुंबई पहुँचा, तब तक जे.जे. स्कूल में दाखिला बंद हो चुका था --- इस वाक्य को हम दूसरे तरीके से भी कह सकते हैं | मेरे बंबई पहुँचने से पहले जे.जे, स्कूल में दाखिला बंद हो चुका था | नीचे दिए गए वाक्यों को दूसरे तरीके से लिखिए ---
(क) जब तक मैं प्लेटफ़ॉर्म पहुँचती तब तक गाड़ी जा चुकी थी |
(ख) जब तक डॉक्टर हवेली पहुँचता तब तक सेठ जी की मृत्यु हो चुकी थी |
(ग) जब तक रोहित दरवाजा बंद करता तब तक उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे |
(घ) जब तक रुचि कैनवास हटाती तब तक बारिश शुरू हो चुकी थी |
उत्तर- वाक्यों को दूसरे तरीके से -
(क) मेरे प्लेटफॉर्म पहुँचने से पहले ही गाड़ी जा चुकी थी |
(ख) डॉक्टर के हवेली पहुँचने से पहले ही सेठ जी की मृत्यु हो चुकी थी |
(ग) रोहित के दरवाजा बंद करने से पहले उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे |
(घ) रुचि के कैनवास हटाने से पहले ही बारिश शुरू हो चुकी थी |
प्रश्न-9 आत्मा का ताप पाठ में कई शब्द ऐसे आए हैं जिनमें ऑ का इस्तेमाल हुआ है, जैसे --- ऑफ़ ब्लॉक नॉर्मल | नीचे दिए गए शब्दों में यदि ऑ का इस्तेमाल किया जाए तो शब्द के अर्थ में क्या परिवर्तन आएगा ? दोनों शब्दों का वाक्य-प्रयोग करते हुए अर्थ के अंतर को स्पष्ट कीजिए ---
हाल, काफ़ी, बाल
उत्तर- शब्दों का वाक्य-प्रयोग करते हुए अर्थ के अंतर को स्पष्ट -
• हाल - (दशा, स्थिति) - मरीज़ अभी किस हाल में है ?
• हॉल - (बडा कमरा) - सभी सामान हॉल में रख दो |
• काफ़ी - (पर्याप्त) - बस दो रोटी काफी है |
• कॉफी - (एक पेय पदार्थ) - मुझे कॉफी पीना पसंद नहीं है |
• बाल - (सिर के बाल) - मेरे बाल बहुत काले हैं |
• बॉल - (गेंद) - अमायरा को बॉल से खेलने दो |
आत्मा का ताप पाठ के कठिन शब्द शब्दार्थ
• इमारत - भवन
• गलीज - गंदा, अपवित्र
• चित्त - मन्न
• वारदात - दुर्घटना
• संदिग्ध - संदेहयुक्त |
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