Kirmich Ki Gend किरमिच की गेंद

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Kirmich Ki Gend किरमिच की गेंद


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किरमिच की गेंद का सारांश

किरमिच की गेंद पाठ या कहानी लेखिका शांताकुमारी जैन के द्वारा लिखित है | इस कहानी में बच्चों के मनोभावों को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है | इस कहानी के अनुसार, गर्मी की छुट्टियाँ गतिमान थीं | दोपहर का समय था | दिनेश घर में बैठकर कहानी पढ़ रहा था | तभी घर के पीछे वाले बगीचे में कोई वस्तु धम से गिरी | दिनेश आवाज़ से पहचान लिया कि वह वस्तु क्या हो सकती है | वह जल्दी से उठकर बगीचे की ओर भागा | दिनेश को भागते देख उसकी माँ मशीन चलाते-चलाते बोलीं --- " अरे अरे, बेटा कहाँ जा रहा है ? बाहर लू चल रही है |" पर वह रुका नहीं | पैरों में बिना चप्पल पहने वह दौड़ पड़ा | जून का महीना था | धरती तवे की तरह जल रही थी | 

बगीचे में भिंडियों के ऊँचे-ऊँचे पौधे और सीताफल की घनी बेल फैली हुई थी | वहाँ दिनेश ने भिंडियों के पौधों
किरमिच की गेंद
किरमिच की गेंद
को उलट-पलटकर सीताफल की बेल छान मारी | पर उसे कुछ भी नहीं मिला | वहीं घूँस ने गड्ढे बना रखे थे | ढूँढ़ते-ढूढ़ते जब अचानक उसकी नज़र घूँस के गड्ढे पर गई, तब वहाँ उसे एक नई चमचमाती किरमिच की गेंद दिखाई दी | वह गेंद को उठा लिया | गेंद बिल्कुल नई थी, जैसे उसे आज ही कोई बाजार से खरीदा हो | दिनेश ने उलट-पलटकर देखा तो सभी घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ बंद थे | छत की मुंडेर से लेकर नीचे तक तेज़ धूप चिलचिला रही थी | दिनेश सोच रहा था कि आखिर कौन खरीद सकता है नई गेंद | वह अपने दोस्त सुधीर, अनिल, अरविन्द, आनन्द, दीपक सभी का नाम मन में दोहराया | गेंद को इस दोपहरी में नीचे कौन फेंकेगा ? वह मन में सोचे जा रहा था | अंतत: दिनेश को लगा कि हो सकता है यह गेंद बाहर से आई हो | इतने में दिनेश की माँ आवाज़ लगाई ---

" अरे दिनेश, तू सुनेगा नहीं ? सब अपने-अपने घरों में सो रहे हैं और तू धूप में घूम रहा है |" 

माँ की आवाज़ सुनकर दिनेश गेंद लेकर अंदर आ गया और ठंडे फर्श पर बिछी चटाई पर लेटकर वह सोचने लगा --- भले ही यह गेंद मोहल्ले में से किसी की न हो, पर ईमानदारी इसी में है कि एकबार सबसे पूछ लिया जाए | 

गर्मी की छुट्टियाँ थीं | बच्चों ने खेलने की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक क्लब बनाया हुआ था | उस क्लब में सभी के लिए बल्ले थे और गेंद खरीदने के लिए आपस में चन्दा इकट्ठा कर लिया करते थे | शाम को सारे बच्चे इक्ट्ठा हुए | दिनेश ने सबसे पूछा --- मुझे एक गेंद मिली है | अगर तुममें से किसी की गेंद खो गई हो, तो वह गेंद की पहचान बताकर गेंद मुझसे ले सकता है | इसपर अनिल चार महीने पहले अपनी गेंद खोने की बात कही, तो दिनेश बोला --- फिर ये तुम्हारी नहीं हो सकती है | तभी सुधीर गेंद पर अपना अधिकार जताते हुए कहा कि वह मेरी होगी | पर वह भी ठोस प्रमाण बताने में असफल रहा | इतने में दीपक कूद पड़ा | वह अपना मतलब सिद्ध करने तथा अवसर पड़ने पर सभी को मित्र बना लेने में चतुर था | गेंद की बात सुनते ही वह बोला गेंद मेरी है | दिनेश अच्छी तरह जानता था कि गेंद तीनों में से किसी की नहीं है | वह जानता था कि गेंद दीपक के पास चली गई तो ये तीनों मिलकर खेलेंगे | तभी दिनेश ने कहा --- " अच्छा मैं गेंद ला रहा हूँ | परन्तु जब तक पक्का सबूत नहीं मिलेगा, मैं किसी को दूँगा नहीं |" 

गेंद देखते ही दीपक बोल पड़ा --- " यही मेरी है,  यही है मेरी गेंद | यह लाल रंग का निशान मेरी ही गेंद पर था |" बच्चे आपस में ही गेंद को लेकर बहस कर रहे थे | तभी दिनेश बोला --- " अब चुप भी रहो, झगड़ा बाद में कर लेंगे | अपने-अपने बल्ले ले आओ, पहले खेल लें |" 

पाँच मिनट के अंदर ही खेल आरंभ हो गया | दिनेश बल्लेबाजी कर रहा था | अभी दो-चार बार ही खेला था कि वह चमकदार गेंद जोर से उछली और दरवाज़ा पार कर सड़क पर जाते हुए एक स्कूटर में बनी सामान रखने की जालीदार टोकरी में जा गिरी |  स्कूटर वाले को शायद पता भी नहीं चला और स्कूटर के साथ गेंद भी चली गई |बच्चे चिल्लाते हुए स्कूटर के पीछे भागे पर निबंध जल्दी ही सब रुक गए | वे समझ गए कि स्कूटर के पीछे भागना बेकार है | पल भर के लिए सभी ने एक-दूसरे की ओर देखा और फिर सभी ठहाका मारकर हँस पड़े...|| 

किरमिच की गेंद कहानी का उद्देश्य 


किरमिच की गेंद कहानी का उद्देश्य यह है कि हमें आपस में झगड़ने के बजाय मिलजुलकर रहना और खेलना चाहिए | किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए | क्योंकि झूठ कभी नहीं टिकती | 


किरमिच की गेंद के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 दीपक ने गेंद को अपना बताने के लिए उसके बारे में कौन-कौन सी बातें बनाई ? 

उत्तर- दीपक के द्वारा गेंद अपना बताने के लिए निम्नलिखित बातें बनाई गई -

• उसने अपनी गेंद पाँच महीने पहले खो जाने की बात कही | 
• फिर उसने कहा कि मेरी गेंद पर लाल रंग का निशान था, जो इसमें भी है | 
• वह बोल पड़ा कि वह अपने पापा से भी कहलवा  सकता है कि यह गेंद उसकी है | 
• अंत में जब गेंद को धरती पर मारा गया, तो उसने कहा मेरी गेंद के टप्पे से भी ऐसी ही आवाज़ आती  थी |  

प्रश्न-2 दिनेश की माँ मशीन चलाते-चलाते बोलीं, “बेटा, कहाँ जा रहे हो ?”

• दिनेश की माँ कौन-सी मशीन चला रही होंगी ?
• तुमने इस मशीन को कहाँ-कहाँ देखा है ? 

उत्तर- • मेरे अनुमान से दिनेश की माँ सिलाई की मशीन चला रही होंगी | 

• मैंने इस मशीन को बहुतायत जगहों पर देखा है |कपड़े की दुकानों में, दर्जी के दुकानों में, बहुत से घरों में आदि | 

प्रश्न-3 दिनेश ने सारी सीताफल की बेल छान मारी | 

• दिनेश क्या खोज रहा था ?
• दिनेश को कैसे पता चला होगा कि क्यारी में वही चीज़ गिरी है ?

उत्तर- • जब दिनेश घर में बैठकर कहानी पढ़ रहा था |तभी घर के पीछे वाले बगीचे में कोई वस्तु धम से गिरी | दिनेश आवाज़ से पहचान लिया कि वह   वस्तु क्या हो सकती है | वह जल्दी से उठकर बगीचे की ओर भागा और उस धम से गिरी चीज़ को खोजने लगा | 

• सम्भवतः दिनेश अनुमान से समझ गया होगा कि क्यारी में वही चीज़ गिरी है | 


प्रश्न-4 दिनेश अच्छी तरह जानता था कि गेंद दीपक की नहीं है | 

• दिनेश को यह बात कैसे पता चली कि गेंद दीपक की हो ही नहीं सकती ?

• दीपक बार-बार गेंद को अपनी क्यों बता रहा होगा | 

उत्तर- • दीपक के अनुसार उसकी गेंद पाँच महीने पहले खो गई थी | जबकि दिनेश के पास नई चमचमाती
हुई गेंद थी, जो पुरानी लग ही नहीं रही थी | इसलिए दिनेश को पूरा विश्वास था कि गेंद दीपक की हो ही नहीं सकती | 

• वास्तव में दीपक की अपनी गेंद कहीं खो गई थी|वह दिनेश के पास वाली गेंद को किसी भी प्रकार से लेना चाह रहा था | इसलिए दीपक बार-बार गेंद को अपनी बता रहा होगा | 


प्रश्न-5 अगर दीपक और दिनेश गेंद के बारे में फैसला करवाने तुम्हारे पास आते, तो तुम गेंद किसे देतीं ? यह भी बताओ कि तुम यह फैसला किन बातों को ध्यान में रखकर करतीं ?

उत्तर- अगर दीपक और दिनेश गेंद के बारे में फैसला करवाने मेरे पास आते, तो मैं गेंद दिनेश को देती | क्योंकि गेंद दिनेश को मिली थी | जबकि दीपक झूठ बोल रहा था कि गेंद उसकी है | गेंद बिल्कुल नई थी और दीपक के अनुसार उसकी गेंद पाँच महीने पहले खोई थी | 



किरमिच की गेंद का शब्दार्थ


• चिक -          बाँस से बना एक प्रकार का परदा 
• क्यारी -         मेड़ों में बनाए गए छोटे-छोटे आयताकार भाग | 
• वृक्ष -            पेड़ 
• बेल -            लता, बिना तने का पौधा 
• चतुर -           होशियार, अक्लमंद, 
• सहारा लेना -   मदद लेना, सहायता लेना 
• सबूत -          प्रमाण 
• वास्तव -        सचमुच, हकीकत 
• आज़माना -    जाँचना, परखना 
• गुट -             समूह, दल | 

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