Pani Re Pani पानी रे पानी

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पानी रे पानी पाठ का सारांश

पानी रे पानी पाठ या लेख में लेखक अनुपम मिश्र जी के द्वारा पानी की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है | प्रस्तुत लेख के माध्यम से लेखक कहना चाहते हैं कि पानी का हम सिर्फ इस्तेमाल करना जानते हैं | परन्तु, शायद ही कभी पानी बारे में सोचते होंगे कि यह कहाँ से आता है ? कहाँ चला जाता है ? आगे लेखक बताते हुए यह स्मरण कराते हैं कि भूगोल की किताब में जलचक्र के बारे में बताया जा चुका है | हम पढ़ भी चुके हैं | 

पानी रे पानी
पानी रे पानी
हमारे घरों, स्कूलों, दफ्तरों, कारखानों आदि में नलों के माध्यम से पानी आता है | पर समस्या यह है कि इन नलों में अब हर समय पानी नहीं आता | कभी देर रात में आता है, तो कभी सुबह-सुबह | पानी की आवश्यकता इतना ज्यादा है कि लोग अपनी मीठी नींद तोड़कर बाल्टियाँ, बर्तन, घड़े आदि लेकर नलों पर इकट्ठा होने को विवश हैं | पानी की परेशानी से बचने के लिए अब ज्यादातर लोग अपने घरों में ही पाइप लगाकर पानी खींचने लगे हैं | सबको पानी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है | देश के बड़े-बड़े शहरों में भी लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं | देश के कई हिस्सों में तो गर्मी में अकाल जैसी स्थिति बन जाती है और बरसात में कई इलाके बाढ़ में डूब जाते हैं | यह बाढ़ न गाँवों को छोड़ती है न मुंबई जैसे बड़े शहरों को |

आगे लेखक एक सटीक दृष्टांत पेश करते हुए कहते हैं कि हम गुल्लक में पैसा जमा करते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके | ठीक उसी प्रकार हम पानी को धरती की गुल्लक में जमा कर सकते हैं | हमारे गाँव-शहर में जो छोटे-बड़े तालाब, झील आदि हैं, वे धरती की गुल्लक में पानी भरने का काम करते हैं | इनमें जमा पानी ज़मीन के नीचे छिपे जल के भंडार में धीरे-धीरे रिसकर, छनकर जा मिलता है | इससे हमारा भूजल भंडार समृद्ध होता है | पानी का यह खजाना हमें दिखता नहीं, लेकिन इसी खजाने से हम बरसात का मौसम बीत जाने के बाद पूरे साल भर तक पानी का इस्तेमाल सकते हैं | 

परन्तु, आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं | ज़मीन के महत्व को दरकिनार करके हम अपने तालाबों को कचरे से पाटकर समतल बना दिए हैं | ताकि उस पर मकान, बाज़ार, स्टेडियम आदि का अस्तित्व दिखाई दे | हमारी इसी भूल के कारण हमें आज पानी की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है | गर्मी के दिनों में सूखे नल मिलते हैं और बरसात में डूबी बस्तियाँ | 

अगर हमें इन समस्याओं से बचना है, तो अपने आसपास के जलस्रोतों की, तालाबों की और नदियों आदि की रखवाली अच्छे ढंग से करनी पड़ेगी | आज हमें जरूरत है, जलचक्र को ठीक से समझने की, अपने भूजल भंडार को सुरक्षित रखने की और अपने गुल्लक भरते रहने की | तभी हम पानी की कमी अर्थात् समस्याओं से छुटकारा पा सकेंगे...|| 


पानी रे पानी पाठ का उद्देश्य 

पानी रे पानी पाठ में अनुपम मिश्र जी ने बताया है कि पानी की फिजूलखर्ची से हमें बचना चाहिए और भविष्य निधि के रूप में बरसात के पानी का भंडारण करके रखना हमारी पहली प्राथमिकता होना चाहिए | "जल है तो जीवन है" - इसकी सार्थकता को पूरा करना हमारा कर्तव्य है | 


पानी रे पानी के प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 अपने घर के नल के पाइप में मोटर लगवाना दूसरों का हक़ छीनने के बराबर है | लेखक ऐसा क्यों मानते हैं ?

उत्तर- अपने घर के नल के पाइप में मोटर लगवाना दूसरों का हक़ छीनने के बराबर है | लेखक ऐसा इसलिए मानते हैं, क्योंकि जहाँ एक ओर मोटर लगवाने वाले घर के हिस्से ज्यादा से ज्यादा पानी चला जाता है | वहीं दूसरी ओर, दूसरों को पानी की कमी हो जाती है | 

प्रश्न-2 बड़ी संख्या में इमारतें बनने से बाढ़ और अकाल का खतरा कैसे पैदा होता है ?

उत्तर- बड़ी संख्या में इमारतें बनाने के लिए मनुष्य को बड़ी संख्या में ज़मीन चाहिए होती है, जिसके लिए या तो जंगलों की कटाई सम्भव है या फिर जलाशयों का भराव | वनों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता जा रहा है | परिणाम स्वरूप, बाढ़ और अकाल का खतरा पैदा हो गया है | 

प्रश्न-3 धरती की गुल्लक किन-किन साधनों से भरती है ? 

उत्तर- नदी-नालों, तालाबों, झीलों इत्यादि साधनों से धरती की गुल्लक भरती है | 

प्रश्न-4 पाठ में पानी के संकट के किस प्रमुख कारणों की बात की गई है ?

उत्तर-  प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पानी के संकट के लिए जिन प्रमुख कारणों की बात की गई है, वे हैं नदी-नालों तथा तलाबों को कूड़े-कचरे से भरना | 

प्रश्न-5 जितना उपलब्ध है, उससे कहीं ज्यादा खर्च करने से पानी का संकट उत्पन्न होता है | क्या यही बात हम बिजली के संकट के बारे में भी कह सकते हैं ?

उत्तर-  जितना उपलब्ध है, उससे कहीं ज्यादा खर्च करने से पानी का संकट उत्पन्न होता है | जी हाँ, यही बात हम बिजली के संकट के बारे में भी कह सकते हैं | क्योंकि किसी भी वस्तु की उपलब्धता से ज्यादा उपयोग, भविष्य में उसकी कमी का प्रमुख कारण बन सकता है | 


पानी रे पानी पाठ का शब्दार्थ 

• बेवक़्त -       असमय
• तू-तू मैं-मैं -   झगड़ा, तकरार
• अकाल -      अशुभ समय, भुखमरी (दुर्भिक्ष)
• हक -          अधिकार 
• थम जाना -   रुक जाना
• विशाल -      बहुत बड़ा
• समृद्ध -       धनी


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