टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi

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टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi television essay in hindi टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi टेलीविजन दर्शन मनोरंजन का एक अद्भुत साधन है। बच्चे, बूढ़े, युवा सभी बैठे एक साथ अपना मनोरंजन टेलीविजन-दर्शन से कर लेते हैं। एक व्यक्ति दिन के काम से जब बेहद थक जाता है तो वह अपने कमरे में जाकर टेलीविजन सैट खोल देता है और संगीत व नृत्य में डूब जाता है या समाचार व टिप्पणियों के माध्यम से अपने सामान्य ज्ञान में वृद्धि करता है। इस प्रकार टेलीविजन-दर्शन से प्रशिक्षण व मनोरंजन दोनों की प्राप्ति होती है।

टेलीविजन पर निबंध 
Essay on Television in Hindi 


टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi television essay in hindi टेलीविजन दर्शन मनोरंजन का  एक अद्भुत साधन है। बच्चे, बूढ़े, युवा सभी बैठे एक साथ अपना मनोरंजन टेलीविजन-दर्शन से कर लेते हैं। एक व्यक्ति दिन के काम से जब बेहद थक जाता है तो वह अपने कमरे में जाकर टेलीविजन सैट खोल देता है और संगीत व नृत्य में डूब जाता है या समाचार व टिप्पणियों के माध्यम से अपने सामान्य ज्ञान में वृद्धि करता है। इस प्रकार टेलीविजन-दर्शन से प्रशिक्षण व मनोरंजन दोनों की प्राप्ति होती है।

टेलीविजन कार्यक्रमों की शुरूआत भारत में लगभग तीन दशक पहले हई है. इसलिये देश में टेलीविजन का विस्तार अभी पूरी तरह नहीं हो पाया है। वैसे प्रयत्न लगातार चल रहे हैं और काफी सफलता भी मिल चुकी है। आम जनता टेलीविजन कार्यक्रम टेलि-क्लबों में देखती है और बच्चे स्कूल में टेलीविजन सैट पर अपना पाठ कानों से सुनने के साथ-साथ आंखों से देखते भी हैं इस प्रकार वे उन पाठों को बहुत अच्छी तरह समझ जाते हैं। 

शिक्षा में टेलीविजन की भूमिका

टेलीविजन कार्यक्रम स्कूलों में बहुत लोकप्रिय हो चुके हैं एक योग्य शिक्षक हजारों विद्यार्थियों को एक साथ सम्बोधित करता है और इस प्रकार रोचक ढंग से पाठ भी पढ़ाता है। प्रयोगशाला में प्रायोगिक कार्य करके
टेलीविजन
टेलीविजन
दिखाए जाते हैं और उनसे विज्ञान के छात्र लाभान्वित होते हैं। कुछ पाठ ऐसे होते हैं जिन्हें स्कूल की कक्षा में नहीं पढ़ाया जा सकता है, किन्तु टी० वी० के माध्यम से बहुत प्रभावोत्पादक बन जाते हैं और विद्याथा उन्हें सुगमता तथा सफलता से ग्रहण कर लेते हैं। टेलीविजन पर पढ़ाए जाने वाले पाठ विद्यार्थियों को निर्देश भी देते हैं और मनोरंजन भी प्रदान करते हैं। कभी-कभी टेलीविजन पर बच्चों को कुछ फिल्में भी दिखाई जाती हैं जो उनकी पढ़ाई की दृष्टि से उपयोगी होती हैं। ऐसी फिल्मों का भी दोहरा प्रभाव होता है-शिक्षण और मनोरंजन का। 

टेलीविजन की जानकारी

भारत के महानगरों में बहुत बड़ी संख्या में टेलि-क्लब हैं जहां बच्चे आर पर सम्मिलित रूप से टेलीविजन पर फिल्म सम्बन्धी और सामान्य कार्यक्रम देखते हैं। पुरुषों के मनोरंजन के लिए वयस्क रुचि के ऐसे कार्यक्रम का चुनाव किया जाता है बच्चों के लिए भी समान रूप से रोचक और साथ-साथ उपयोगी भी हों। इन  कार्यक्रमों में नैतिक शिक्षा, नृत्य-गान, नाटक, चित्र व विभिन्न विषयों पर वार्तालाप को लिया जाता है। काफी बड़ी संख्या में लोग इन कार्यक्रमों को देखते हैं। टेलीविजन सैटों की कीमतें अब पहले से बहत कम हो गई हैं। औसत आदमी की आय कर से सेट की कीमतें भी गिर गई हैं। यही नहीं, गरीब और वेतनभोगी लोग आसान या पर वार्ताओं आदि की आय के हिसाब लोग आसान किस्तों हर दूसरे-तीसरे घर में पर भी टी० वी० सेट खरीद सकते हैं, इसीलिए धीरे-धीरे प्रायः हर दूसरे घर में  टी०वी० सैट झलक जाता है और बच्चे उनके घर बैठे हाते हैं। 

सभी महत्वपूर्ण त्यौहारों तथा राष्ट्रीय महत्व के दिनों पर टेलीविजन कार्यक्रम दिखाए जाते हैं जो रोचक और जनोपयोगी होने के साथ-साथ विशेष से किसी-न-किसी रूप में सम्बन्धित हों. इसलिये १५ अगस्त व २६ जनवरी की झांकियां व इण्डिया गेट की परेड आदि हमें दिखाई जाती है .

शैक्षिक टेलीविजन कार्यक्रम

रेडियो व टेलीविजन के कार्यक्रमों की प्रसार-क्षमता को बढ़ाने के लिये संचार उपग्रहों का प्रयोग किया जा रहा है। भारत में भी अपनी टेलीविजन प्रणाली को और अधिक विकसित करने के प्रयास कर रहा है। अधिक से अधिक लोगों तक टेलीविजन को पहुंचाने के इरादे से कई  जगहों पर नए स्टूडियो खोले जा रहे हैं। 

निष्कर्ष

14 मार्च, 1995 से दूरदर्शन के अन्तर्राष्ट्रीय चैन का प्रसारण आरम्भ हुआ। टेलीविजन कार्यक्रम हमें वह सब कुछ उपलब्ध कराते हैं, जिनकी हमें जरूरत है। इनसे हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है, शिक्षा मिलती है, मनोरंजन होता है तथा और भी बहुत से कुछ-अप्रत्यक्ष फायदे होते हैं। इसलिये धीरे-धीरे पूरे देश में टी० वी० की लोकप्रियता बढ़ती ही चली जा रही है।, 



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