भारत में आरक्षण का अंत

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भारत में आरक्षण का अंत आज हमारा देश, हमारे अपने संविधान के अनुसार अपना कानून चला रहा है । जिसकी बदौलत हम हर क्षेत्र में अपने कामों को उसके नियमों के अनुसार कर रहे हैं और आगे बढ रहे हैं । हमारा देश निरन्‍तर प्रगति पथ पर चल रहा है । इसका कारण हमारे देश के कर्मठ, ईमानदार व बुद्धिजीवी वर्ग है ।

भारत में आरक्षण का अंत


आज हमारा देश, हमारे अपने संविधान के अनुसार अपना कानून चला रहा है । जिसकी बदौलत हम हर क्षेत्र में अपने कामों को उसके नियमों के अनुसार कर रहे हैं और आगे बढ रहे हैं । हमारा देश निरन्‍तर प्रगति पथ पर चल रहा है । इसका कारण हमारे देश के कर्मठ, ईमानदार व बुद्धिजीवी वर्ग है । चाहे वह अध्‍यापक हो, वैज्ञानिक हो, राजनीतिज्ञ हो, डॉक्‍टर हो, इंजीनियर हो या कोई मजदूर । इन सभी की बदौलत हमारा देश प्रगति कर  रहा है । इन सब में, मैं सबसे पहले एक अध्‍यापक का सम्‍मान करना उचित समझु्ंगी जो इन सबको अपनी नींव पर खडा करता है और उसको मंजिल प्रदान करता है ।

उसके बावजूद एक मजदूर को, क्‍योंकि मजदूर का कार्य सिर्फ मजदूरी करना जो सिर्फ सुबह व शाम की चिंता में
आरक्षण का अंत
अपना निरंतर कार्य तलासने लगता है । वह कभी भी अकर्मण्‍य होकर बैठना नहीं चाहता । निरंतर कर्म को पूजा के रूप में स्‍वीकार करता है  और मजदूरी की तलाश में निकल पडता है उसकी इसी मजदूरी की बदौलत हर पूंजीपति वर्ग धनी होता जा रहा है । अगर वह मजदूर मजदूरी करना छोड दे तो पूंजीपति वर्ग वहीं पर रूक जाएगा । मजदूर तो उच्‍च वर्ग के सहारे की लाठी का काम करता है । उसका जीवन सरल व सुगम बनाता है और उसके कार्य को सफल करने में सबसे बडा योगदान देता है । अत: समाज का कोई भी व्‍यक्ति अकेला सफल नहीं होता । सफलता के लिए उसको समाज के हर व्‍यक्ति व हर वर्ग की आवश्‍यकता होती है । जब व्‍यक्ति को इन सबका साथ मिलता है तभी वह कामयाब होता है । कोई व्‍यक्ति अपने आप को मैं सफल हो गया नहीं कह सकता क्‍योंकि सफलता अकेले प्राप्‍त हो ही नहीं सकती । जब समाज, परिवार का हर व्‍यक्ति उसका सहयोग करता है त‍ब वह सफल हो पाता है । इसलिए यह कहना उचित होगा कि -

मैं सफ‍ल हो गया
यह कहना सरल है
लेकिन खुद अकेले
कोई सफल नहीं हो सकता ।
उसके पीछे कितनों का योगदान रहा
यह कहना भी जरूरी होगा ।  
आज घर-घर मोदीजी का नारा है
मोदी सबकी आशा है
विश्‍वास है, हौसला है
मोदी जी को सबको समान रखना होगा ।
ऐसा नियम बनाना होगा जिसमें आरक्षण का अन्‍त हो ।

हो गए 71 साल अब गणतंत्र हुए हमको, कब तक आरक्षण रूपी लाठी को पकडे रहना है । अब समाज के हर वर्ग ने अपंगता छोडनी होगी । नहीं आरक्षण रूपी लाठी का सहारा लेना होगा । अब पूरे देश में समानता का दर्जा देना होगा । एक और अनुच्‍छेद इसमें जोडकर यह लिखना होगा --  “नहीं आरक्षण कहीं होगा ।” पूरे देश में पूर्ण आजादी, पूर्ण समानता को प्रकट करना होगा । हर मेहनत वाले को उसका फल दिलाना होगा । यही 2020 के भारत का सपना साकार करना होगा । तभी सार्थक नमो-नमो का नारा होगा । हर गरीब बेसहारे को जीने का अधिकार मिले, बस यही कर्तव्‍य अपना आगे बढाना होगा । 


- बिमला पाण्‍डेय ,
पाण्‍डेगाँव,जी0आई0सी0रोड
पिथौरागढ, उत्‍तराखण्‍ड


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