प्यारी घरेलू गौरैया की कहानी

SHARE:

प्यारी घरेलू गौरैया की कहानी प्यारी घरेलू गौरैया की कहानी पता नहीं आज वह कहां खो गयी जिसे बचपन में अकसर नीले आसमान में झुण्ड के रूप में उड़ते देखता था। घर आंगन में फुदकने वाली वह नन्ही चिड़िया की आवाज़ अब शायद ही किसी को सुनाई देती है। मीठी आवाज़ के साथ दिल को सुकून देने वाली इस चिड़िया का नाम गौरैया है।

प्यारी घरेलू गौरैया की कहानी


प्यारी घरेलू गौरैया की कहानी पता नहीं आज वह कहां खो गयी जिसे बचपन में अकसर नीले आसमान में झुण्ड के रूप में उड़ते देखता था। घर आंगन में फुदकने वाली वह नन्ही चिड़िया की आवाज़ अब शायद ही किसी को सुनाई देती है। मीठी आवाज़ के साथ दिल को सुकून देने वाली इस चिड़िया का नाम गौरैया है। घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) के नाम से जानी जाती है। एशिया और यूरोप में इनकी संख्या सबसे अधिक हुआ करती थी, आज हम इन्हें देख पा रहे है लेकिन हमारी अगली पीढ़ी शायद ही इन्हें देख या इनके बारे में सुन पायेगी। गौरैया की मुख्य 6 प्रजातियां देखने को मिलती है जो हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंउ स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेट सी स्पैरो व ट्री स्पैरों के नाम से जाने जाती है। लकिन इनमें सबसे अधिक हाउस स्पैरो देखने को मिलती है जिसे घरेलू गौरैया कहा जाता है। अधिकांश शहरों में उड़ान भरने वाली यह चिड़िया आज बहुत देशों से विलुप्त हो गयी है जो जहां बची भी हैं वहां भी यह दुर्लभ सी हो गयी हैं।

गौरैया एक बहुत छोटा पक्षी है जिसका वजन 25 से 40 ग्राम और लम्बाई 15 से 18 सेमी होती है। सामान्यतः 38
प्यारी घरेलू गौरैया की कहानी
प्यारी घरेलू गौरैया की कहानी
किलोमीटर प्रति घण्टे की गति से उड़ने वाले इस पक्षी को 50 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ़्तार से उड़ते भी देखा गया है। नर गौरैया की गर्दन पर काली पटटी व पीठ का रंग तम्बाकू जैसा होता है जबकि मादा की पीठ पर पटटी भूरे रंग की होती है। इनका जीवन सरल घर बनाने की जिम्मेदारी नर की व बच्चों की जिम्मेदारी मादा की होती है। मादा हर साल 4 से 5 अण्डे देती है जिनमें से 12 से 15 दिन बाद बच्चों का जन्म होता है। लेकिन अधिकांश बच्चें मनुष्य की भेंट चढ़ जाते है। इनकी एक महत्वपूर्ण क्षमता होती है यह आकाश में उड़ने के साथ-साथ पानी के भीतर तैरने की क्षमता भी रखते है। सामान्यतः यह मांसाहारी प्रजाति होती है परन्तु मानव संग रहने से फल भोगी भी हो गये हैं। जिसका एक बहुत बड़ा खामियाजा इस प्रजाति को भरना पड़ा। मनुष्यों से नजदीकी इनके विनाश का कारण बनी है। फसलों के बीज खाने की आदत से फसलों को होने वाले बड़े नुकसान को रोकने के लिए सरकार द्वारा लाखों गौरैयों को मारने का अभियान चलाया गया। लेकिन जो सोचा गया उसके विपरित हुआ। फसलों को खाने वाले कीडों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गयी जिससे आकाल की स्थिति बन गयी।

कहते है बचपन नादानी का दौर होता है। हर किसी के जीवन में जिसमें अकसर गलतियां होना स्वाभाविक होता है इसका एक उदाहरण है निशानेबाज़ी। इस कला का उपयोग हर कोई करता है। इस कला में यह नन्हीं चिड़िया सर्वाधिक शिकार होती पायी गयी है। इनकी घटती संख्या को देखते हुए 2010 से हर वर्ष 20 मार्च को दुनिया में विश्व गौरैया दिवस मनाने की शुरुआत की गई। गौरैया संरक्षण व गौरैया बचाओ अभियान के तहत वर्ष 2012 में इसे दिल्ली और वर्ष 2013 में इसे बिहार का राजकीय पक्षी घोषित किया गया। इन प्यारी चिड़ियों को पुराने मकानों की छतों की बल्लियों में अपना घर बनाकर रहते हुए देखा गया है लेकिन आज आधुनिक सुविधाओं के लिए हम लोगों ने अपने घरों को कंक्रीट के मकानों में तबदील कर अपना आसरा तो आधुनिक कर लिया लेकिन इनका आशियाना उजाड़ दिया।

मोबाइल फोन, टॉवरों से निकलने वाली रेडियेशन बच्चों की मृत्यु के कारण बन रहे है साथ ही हमारे द्वारा पाले जाने वाले जानवर इनका शिकार करते है। यह आज हम सबके लिए एक बहुत बड़ा सवाल बन गया है कि यदि इस नन्हीं चिड़ियों के विनाश के सारे कारण हम मनुष्य हैं तो क्यों न कुछ ऐसा कार्य करे जिससे इन्हें दुबारा जीवन देने में सहायक हो और इनकी संख्या अधिक से अधिक बढ सके। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस संसार में प्रकृति द्वारा प्रदत्त सभी जीव जंतुओं का वातावरण को संतुलित बनाये रखने में कोई न कोई भूमिका होती है। इनमें से किसी का भी विलुप्त होना इस धरती के जीवन चक्र के लिए खतरनाक संकेत हो सकता है। इस छोटे से पक्षी का भी इस प्रकृति में योगदान है जिसे बचाना हम सब का कर्तव्य है। (चरखा फीचर्स)


- नरेन्द्र सिंह बिष्ट
नैनीताल, उत्तराखण्ड 

COMMENTS

Leave a Reply: 1
  1. गौरैया संरक्षण दिवस (मार्च २० )"
    -------------------------------------
    चिड़िया रानी आ जा
    थपकी दे-दे कर तू
    बाबू को सुताय जा
    आ -आकर सुताय जा | चिड़िया --
    *
    बाबू - दुलराय जा
    सुन्दर गाना गा जा
    सुगम नींद दिलाय जा
    चिड़िया रानी आ जा | चिड़िया --
    *
    चिड़िया रानी तू मस्तानी
    बच्चों की तू है दीवानी
    चिड़िया गाती और सुनाती
    नींद में बाबू को लाती | चिड़िया --
    *
    जब बाबू मेरा न सोता
    उलझन में वह कहीं रोता
    वह जहां भी होती आती
    आती और उसे सुलाती | चिड़िया --
    *
    मानव जहां -जहां जाता
    गौरैया भी साथ निभाती
    घास बीज खाने में पाती
    हानिकारक कीटाणु खाती | चिड़िया --
    *
    गौरैया जब कभी घर आती
    शुभ- सन्देश थी वह हमें सुनाती
    चुज्जे चीं -चीं -चीं शोर मचाते औ
    इंसानों की सच्ची दोस्त कहती | चिड़िया --
    *
    जिससे मानव स्वास्थ्य और सुन्दर
    वातावरण साफ-सुथरा रहता
    'मंगल' कहता बीस मार्च आने वाला
    गौरैया संरक्षण दिवस मनाने वाला | |
    -सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका