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भारतीय नव वर्ष
हिंदू नववर्ष हिंदू नव वर्ष कब मनाया जाता है हिन्दू नव वर्ष 2020 कब है भारतीय नव वर्ष भारतीय नव वर्ष कब है भारतीय नव वर्ष कब मनाया जाता है भारतीय नव वर्ष कब आता है 2020 hindu nav varsh hindu nav varsh 2020 kab hai - यह हमारा प्रमाद और अपनी संस्कृति एवं धर्म के प्रति अज्ञान ही है कि हम पहली जनवरी को तो सभी को नए वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं ,परन्तु इस ओर ध्यान तक नहीं देते हैं कि हमारा अपना नववर्ष किस दिन से प्रारंभ हो रहा है। होली के एक पखवाड़े बाद चैत्र मास की पूर्णिमा के दूसरे दिन अर्थात चैत्र शुक्ला प्रतिपदा को प्रारंभ होता है हमारा नया संवत।
अन्य अनेक विशेषताओं के समान ही हमारे संवत की सबसे बड़ी विशेषता यह भी है कि हमारा नववर्ष किसी मास के प्रथम दिवस से नहीं ,बल्कि चैत्र मास के ठीक मध्य में पड़ने वाली अमावस्या के दुसरे दिन से प्रारंभ होता है। इस प्रकार चैत्र मास के प्रथम पक्ष के पंद्रह दिन पुराने संवत का अंतिम पखवाड़ा होता है तो द्वितीय अर्थात शुक्ल पक्ष नवीन वर्ष का प्रथम पखवाड़ा। आज के दिन से ही देवी के नवरात्रे प्रारंभ होते हैं और हम नौ दिन तक देवी की विशेष पूजा आराधना करते भी हैं ,परन्तु नव वर्ष को उस रूप में नहीं मनाते ,जिस रूप में हमको इसे मनाना चाहिए।
भारतीय नव वर्ष मनाने की विधि
ब्रह्म पुराण के अनुसार आज के दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी।यह कारण है कि आज के दिन ब्रह्मा जी के पूजा आराधना करने का शास्त्रीय विधान है।प्रातः काल स्नान से निवृत होकर भूमि को शुद्ध एवं पवित्र करने के बाद वहां पर लकड़ी की बनी हुई चौकी बिछाएँ। चौकी पर बालू अर्थात रेत की वेदी बनाकर उस पर नया सफ़ेद कपड़ा बिछाएँ। इस कपडें पर हल्दी या केसर से रंगे हुए अक्षत से अष्टदल कमल बनाना चाहिए।फिर उस पर "ऊँ ब्रह्मणे नमः" मन्त्र से ब्रह्मा जी का आवाहन कर पुष्प ,धूप ,दीप ,नैवेद्य से उनका पूजन करना चाहिए। आज के दिन नए वस्त्र धारण करने ,घर को सजाने ,नीम के कोमल पत्ते खाने ,ब्राह्मणों को भोजन कराने और प्याऊ की स्थापना कराने का भी विशेष विधान है। इसके साथ ही ईश्वर से अब तक किये गए पापों के लिए क्षमा मांगे और भगवान से प्रार्थना करें कि नवीन वर्ष में वह हमें आधिकारिक शुभ कार्य करने के प्रेरणा और शक्ति प्रदान करें।
नव वर्ष का पंचांग
पूरे वर्ष परिवार सुखशांति तथा धन धान्य से परिपूर्ण रहे ,इसके लिए आवश्यक है कि हम नववर्ष के दिन शोक विषाद से रहित होकर आनंदपूर्वक उल्लासमय वातावरण में आज का दिन बिताएं। हम हिन्दू हैं ,अतः हमें चाहिए कि नववर्ष के दिन अपने घरों के दरवाजों पर आम और अशोक के पत्तों की वंदनवारें लगाएँ और घरों को सजाएँ। नव वर्ष के स्वागत में मकानों के ऊपर गेरुए रंग की धर्म ध्वजायें भी हमें फह्रानी चाहिए।ब्राह्मणों ,गुरुजनों और अपने से बड़ों को प्रणाम करके उनसे आशीर्वाद तो हमें लेने ही चाहिए।नव वर्ष का पंचांग सुनने का भी विशिष्ट धार्मिक महत्व है।इसके लिए उचित तो यही है कि नए वर्ष का पंचांग अथवा जंत्री पहले ही घर लाकर रख ली जाए और उसे आज के दिन स्वयं पढ़ा जाए अथवा कोई पंडित बुलाकर उससे सुना जाए।
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