गोदान में धनिया का चरित्र चित्रण

SHARE:

गोदान में धनिया का चरित्र चित्रण गोदान में धनिया का चरित्र चित्रण character of dhaniya in godan गोदान में स्त्री पात्र का चरित्र चित्रण धनिया का चरित्र-चित्रण गोदान के नारी पात्र character sketch of dhania in godan in hindi godan me dhaniya character sketch of dhania in godan in english write a brief character sketch of dhania

गोदान में धनिया का चरित्र चित्रण


गोदान में धनिया का चरित्र चित्रण character of dhaniya in godan गोदान में स्त्री पात्र का चरित्र चित्रण धनिया का चरित्र-चित्रण गोदान के नारी पात्र character sketch of dhania in godan in hindi godan me dhaniya character sketch of dhania in godan in english write a brief character sketch of dhania - उपन्यासकार प्रेमचंद अपने पात्रों के चरित्र निर्माण में अत्यधिक सतर्क और सिद्ध लेखक थे .उनके चित्त में पात्रों के व्यक्तिगत विकास की एक निश्चित योजना होती थी जिसकी पुष्टि गोदान के पात्रों को देखने से होती है । इस उपन्यास के प्रमुख पात्र होरी, धनिया, मेहता, मालती और रायसाहब हैं। चरित्र-चित्रण में पात्रों के गुण और दोष दोनों ही स्वाभाविक रूप से आते हैं। उसी से वह अधिक सच्चा और स्वाभाविक लगता है। धनिया का नारी चरित्र-चित्रण अत्यन्त स्वाभाविक और सूझ-बूझ से भरा हुआ है। प्रेमचन्द ने धनिया के रूप में ग्राम्य नारी का वास्तविक स्वरूप सामने रखा है। गोदान में धनिया का ही चरित्र-चित्रण प्रधान है। वह इसलिए कि कथाकार का उद्देश्य ग्राम्य परिवेश को प्रमुखता देना रहा है। उन्होंने धनिया के चरित्र को पूरी व्यापकता और परिपूर्णता के साथ सामने रखने का प्रयास किया है तथा इसमें उन्हें सफलता भी मिली है। धनिया के चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं -

प्रधान नारी पात्र और नायिका 

उपन्यास के ऐसे कुछ कथा-खण्डों को छोड़कर जिसमें नगर और उसके बुद्धिजीवी समुदाय की ही चर्चा है, धनिया पूरी रचना में व्याप्त है। उपन्यास का प्रारम्भ और अन्त भी उसकी उपस्थिति में हुआ है और जिन घटनाओं को कथाकार विशेष महत्त्व देता है, उनसे धनिया का सीधा सम्बन्ध है।

धनिया-होरी की शीतल छाया

गोदान के समीक्षकों ने धनिया की जिन दो विशेषताओं की सबसे अधिक चर्चा की है उनमें से पहला-होरी के प्रति उसका समर्पण जो सभी सम-विषम, अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों में अडिग रहता है एवं दूसरी यह कि धनिया होरी. की शीतल छाया है। कथा-समीक्षक गोपालकृष्ण कौल ने धनिया के चरित्र पर आश्रित होकर कहा है-"धनिया, होरी की शीतल छाया है, वह चाहे प्रसन्न हो या अप्रसन्न, होरी से चाहे उसका मत मिलता हो या न मिलता हो, पर हर स्थिति में वह भारतीय पत्नी का आदर्श प्रस्तुत करती है।" 


हृदय से कोमल तथा वाणी से कठोर 

गोदान में धनिया
गोदान में धनिया
धनिया ऊपर से चाहे जितना कठोर बोलती हो, पर उसका हृदय बहुत कोमल है।वह परिस्थितियों से संघर्ष करते-करते टूट जाती है और कर्कशतापूर्ण बातें करती है किन्तु वह बात हृदय से नहीं होती है, वह केवल ऊपर से ही रहती है।गोदान पर सबसे पहला समीक्षा-ग्रन्थ प्रस्तुत करने वाले डॉ. शिवनारायण श्रीवास्तव ने धनिया के बारे में लिखा है कि- "वह ऊपर से कठोर है लेकिन हृदय से बहुत कोमल है। प्रेमचंद के नारी पात्रों में वह अन्यतम है। उसके बराबर न कोई परिश्रम करने वाली है और न खरी बात करने वाली ही।" इस प्रकार देखा जाये तो धनिया जो कुछ कहती है सत्य और स्पष्ट कहती है। वह  है उसके परिश्रम की बराबरी करने वाला और कोई इस उपन्यास में नहीं है। अत: वह कठोर वाणी के साथ कठोर परिश्रमी भी है।

प्रगतिशील विचारों से युक्त 

धनिया अनपढ़ और दरिद्र है, परन्तु प्रगतिशील विचार उसके अन्दर व्याप्त हैं।वह एक जागरूक गृहिणी है साथ ही वह व्यवहार कुशल रमणी भी है। उसका हृदय विशाल तथा उदार है।वह गरीबी की मार हमेशा खाती है, किन्तु उसके ममत्व का अन्त नहीं होता है। वह मनुष्य से अधिक प्यार करती है।वह जिस कार्य को सही समझती है उसे कर डालती है, उसके लिए उसे कोई परवाह नहीं रहती है। वह अधिक समझदार है तथा अपना कार्य बड़ी समझदारी के साथ सम्पन्न करती है।होरी उसे महत्त्व नहीं देता है वह हमेशा उसको पीछे रखता है, किन्तु वह धैर्यपूर्वक अपने कर्म को करती है। वह अपने प्रगतिशील आचरणों से होरी की अनेक दुर्बलताओं को छिपा लेती है, क्योंकि उसे होरी से अटूट प्रेम है और वे दोनों प्रेम के पुजारी हैं। उसे समाज, बिरादरी, नियम-कानून किसी बात का कोई डर नहीं है। वह अपने विचारों को महत्त्व देती है और वह भी बहुत ही आदरपूर्वक।

साहसी और स्वाभिमानिनी

धनिया की एक बहुत बडी विशेषता है कि वह नीच और नीचता को कभी क्षमा करना नहीं जानती है। ऐसे अवसर पर वह आवेश को दबाकर संयम, काम लेना कायरता मानती है। होरी के कसम खाने पर वह आग बबूला हो जाती है, उसके अन्दर आग के शोले दहकने लगते हैं और वह अपने आपको रोक नहीं पाती है और कहती है कि- "सबेरा होते ही थाने न पहुँचाऊँ तो अपने असल बाप की नहीं। यह हत्यारा भाई कहलाने योग्य है। यही भाई का काम है। यह बैरी है, पक्का बैरी और बैरी को मारने में पाप नहीं, छोड़ने में पाप है।" उसकी यह बात सुनकर होरी के क्रोध का ठिकाना न रहा और वह लाल-लाल आँखें दिखाता है। इस अवसर पर धनिया पुन: होरी के क्रोध की भर्त्सना करती हुई कहती है "अनर्थ नहीं अनर्थ का बाप हो जाये मैं बिना लाला को बड़े घर भिजवाये मानूँगी नहीं। तीन साल चक्की पिसवाऊँगी, तीन साल।वहाँ से छूटेंगे तो हत्या लगेगी, तीरथ करना पड़ेगा, भोज देना पड़ेगा और इस धोखे में न रहें लाला, गवाही दिलवाऊँगी तुमसे, बेटे के सिर पर हाथ रखवाकर।" इससे स्पष्ट होता है कि धनिया के व्यक्तित्व में साहस और स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा है।

आत्म-प्रशंसा 

धनिया आत्म-प्रशंसा की भूखी है। भोला जब उसके घर आता है तो वह सबको एक-एक काम सौंपती है, जिससे एक मुखिया की तरह उसका स्वागत होता है। जब होरी उससे बताता है कि भोला तुम्हारी प्रशंसा कर रहा था, तो वह खुशी से झूम उठती है। वह अत्यन्त प्रसन्न हो जाती है, क्योंकि यही प्रशंसा सुनने के लिए उसके कान उत्सुक थे। भोला के आने पर अपनी प्रशंसा सुनने की उत्सुकता बढ़ जाती है। वह उसके लिए अच्छी व्यवस्था करती है। धनिया द्वार पर किवाड़ की आड़ में खड़ी अपने कानों में अपना बखान सुनने के लिए अधीर हो रही थी, तभी भोला ने चिलम हाथ में लेते हुए कहा कि- “अच्छी घरनी घर में आय जाये तो समझ लो कि लक्ष्मी आ गयी। वही जानती है छोटे-बड़े का आदर-सत्कार कैसे करना चाहिए।" इस बात को सुनकर धनिया के हृदय में उल्लास का कम्पन हो रहा था। उसे अनेक प्रकार की चिन्ता थी। निराशा से उसकी उम्मीदों ने विराम ले ली थीं, अभाव से उसकी आत्मा आहत हो । चुकी थी, परन्तु भोला के इन शब्दों से एक कोमल और शीतल स्पर्श का अनुभव उसे होने लगा था। उसका रोम-रोम खिल उठा था। इस प्रकार, धनिया के चरित्र की एक यह विशेषता है जो उसके भावुक हृदय का परिचय देती है।

इस प्रकार,गोदान उपन्यास में धनिया इस रूप में चित्रित हुई है कि कोई भी सहृदय और विचारशील पाठक उसके स्वभाव की कठोरता की चिन्ता किये बिना उसके प्रति श्रद्धा से भर जाता है।यह कहने में तनिक भी अतिशयोक्ति नहीं है कि कथाकार प्रेमचन्द ने ग्राम्य-क्षेत्र से और उस क्षेत्र के निचले वर्ग से अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने वाली एक ऐसी शक्ति को धनिया के रूप में प्रकट कर दिया है, जो उसकी नारी जागृति सम्बन्धी अभिलाषा की परिचायिका है। इस प्रकार लेखक ने धनिया के चरित्र-चित्रण को जहाँ जैसा आवश्यक समझा वहाँ वैसा परिलक्षित कर दिया है। 

COMMENTS

Leave a Reply: 3
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका