वाहन प्रदूषण पर निबंध

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वाहन प्रदूषण पर निबंध


वाहन प्रदूषण पर निबंध वाहन प्रदूषण समस्या व उपाय यातायात प्रदूषण Essay on Traffic Pollution traffic problems and solutions essay - मानव ने पहिये की मामूली शुरुवात से लेकर यातायात के इतने सारे माध्यमों का अविष्कार किया है कि वह लगभग भूल ही गया कि ईश्वर ने उसे दो पैर दिए हैं ,जिनसे वह चल सकता है। अनेकों प्रकार ,डिज़ाइन,उच्च शक्तिवाले और स्वचालित वाहनों से हमारे शहर की सड़कें -गलियां इस कदर पट गयी हैं कि पैदल चलने वालों के लिए कोई जगह ही नहीं बची है। मैं उनमें एक हूँ जिन्हें प्रतिदिन कुछ मील तक पैदल चलने का शौक है। मेरा मानना हैं कि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। किन्तु शहर का नागरिक होने के नाते इस शौक को बरक़रार रख पाना मेरे लिए लगातार कठिन होता जा रहा है। शायद मुझे अपना यह शौक छोड़ देना होगा अथवा गाँव देहात में चले जाना होगा।

ट्रैफिक जाम की स्थिति 

गाँव में मैं कम से कम ताज़ी हवा में साँस ले सकूँगा और मीलों तक पैदल चल सकूँगा। मैं अपनी साइकिल पर खूब सवारी भी कर सकूँगा क्योंकि मुझे कारों और स्कूटरों की टक्कर लगने का खतरा नहीं रहेगा।

वाहन प्रदूषण
वाहन प्रदूषण
ट्रैफिक पुलिस चाहे तो ऐसी व्यवस्था कर सकती हैं जिससे ट्रक और लोरी जैसे भारी वाहन अलग सड़कों से होकर जाए ताकि शहर की मुख्य सड़कों पर भीड़ भीड़ कम हो। किन्तु ऐसा न करके उन्हें अपनी इच्छानुसार वाहन चलाने दिया जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि कामकाज के व्यस्त समय में और स्कूल के समय के दौरान ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो जाता है। एक बार मैं ऐसे ही ट्रैफिक जाम में बुरी तरह से फंस गया था और किसी तरह से अपनी ट्रेन पकड़ पाया था।

शोर शराबे और प्रदूषण

यातायात यानी ट्रैफिक जाम के बढ़ने से वाहनों द्वारा छोड़े गए धुएं से वातावरण में धुंध सी बनी जाती है। ऐसा दिन कबी आएगा जब लोग यह महसूस करेंगे कि कम दूरी तय करने के लिए कार से जाने की अपेक्षा पैदा जाना अच्छा होता है क्योंकि यह उनकी अपनी सेहत के लिए और दूसरों लोगों की सेहत के लिए भी अच्छा होता है। यह नहीं वे पेट्रोलियम जैसे बहुमूल्य ईधन की भी बचत करेंगे। किन्तु ऐसी कई बातें जो वयस्क हो चुके लोग समझना नहीं चाहते हैं। वे उन इलाकों में भी लगातार हॉर्न बजाते रहते हैं जहाँ स्कूल और अस्पताल स्थित होते हैं। यदि आप घर किसी व्यस्त सड़क के पास है तो यातायात का शोर आपने लिए किसी कंटक या उपद्रव से कम नहीं हैं। किन्तु तब इस अत्यंत शोर शराबे और प्रदुषण से भरे शहर में मुझे कोई एक शांत कोना कहाँ मिलेगा ? मुझे इसका जबाब नहीं मिल पाता है। 


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