भारत में विदेशी मीडिया Foreign Media In India

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भारत में विदेशी मीडिया bharat me videshi media भारत में विदेशी मीडिया भारत ने आर्थिक सुधार कार्यक्रम को स्वीकारा है। सी एन एन, स्टार टी०वी० तथा बी०बी०सी० विश्व सेवा लगभग सभी नगरीय केन्द्रों में दिन-प्रतिदिन देखे जाने वाले कार्यक्रमों के अंग बन गए हैं। उनके कार्यक्रमों ने लोकप्रियता प्राप्त की है तथा प्रायः स्वदेश के कार्यक्रमों की अपेक्षा अधिक पसन्द किए जाते हैं।

भारत में विदेशी मीडिया


भारत में विदेशी मीडिया भारत ने आर्थिक सुधार कार्यक्रम को स्वीकारा है। परिणामतः, विदेशी कम्पनियाँ तथा संगठन भारतीय दृश्य में अपनी उपस्थिति को प्रकट कर रहे हैं। इसके अंतर्गत मीडिया की बारी भी आ गयी है। 

विदेशी इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए द्वार खुल गये हैं। सी एन एन, स्टार टी०वी० तथा बी०बी०सी० विश्व सेवा लगभग सभी नगरीय केन्द्रों में दिन-प्रतिदिन देखे जाने वाले कार्यक्रमों के अंग बन गए हैं। उनके कार्यक्रमों ने लोकप्रियता प्राप्त की है तथा प्रायः स्वदेश के कार्यक्रमों की अपेक्षा अधिक पसन्द किए जाते हैं। सामान्यतया, विदेशी मीडिया के कार्यरत होने को खतरनाक अनधिकार प्रवेश माना गया है। इस बात का भय है कि यह भारतीय समाज के प्रत्येक पक्ष को खतरे में डाल देगा। यह भारत की सार्वभौमिकता को और अन्त में उसके स्वाधीन स्तर को खतरा सिद्ध होगा। प्रश्न यह है कि क्या ये भय सत्य हैं। मीडिया की शक्ति वास्तव में सशक्त है तथा इसमें किसी को सन्देह नहीं है। पर प्रश्न यह है कि क्या विदेशी मीडिया इस शक्ति को भारतीय जनता की आशाओं तथा आकांक्षाओं के विरुद्ध सफलतापूर्वक प्रयुक्त कर सकेगा। 

मीडिया का महत्त्व 

संचार के साधन के रूप में मीडिया सम्पूर्ण देश में लोगों के लिए सूचना व मनोरंजन का विस्तृत स्रोत है। इसमें विचारों को ढालने तथा राय का निर्माण करने की महान योग्यता निहित है।मानव मस्तिष्क पर यह जो विभिन्न प्रभाव छोड़ता है वे लोगों की जीवन शैली को तथा विचार करने के तरीके को प्रभावित करते हैं .

भारतीय समाज की प्रकृति एवं उसकी चुनौतियाँ 

भारतीय समाज इस प्रकार समाज है जिसमें परम्परागत सामाजिक सांस्कृतिक स्तर गहन रूप से निहित है। इस का भय है कि विदेशी मीडिया भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक जीवन  को अस्त-व्यस्त कर देगा। भारत की परम्परा को चुनौती दे दी जाएगी। 
भारत में विदेशी मीडिया

समाज का निर्माण विभिन्न प्रजातीय व सांस्कृतिक समूहों से हुआ है। यदि इसका परम्परागत मूल या जड़ों को विदेशी मल्यों व आदर्शों से चुनौती मिल गयी तब उसका परिणाम केवल अव्यवस्था, दुर्व्यवस्था व विखण्डन ही होगा। ऐसा समय होगा जब विदेशी मीडिया को मुक्त रूप से भारत में कार्य करने की अनुमति  प्रदान कर दी जाएगी। 

विदेशी मीडिया के लाभ  

विदेशी मीडिया के निम्नलिखित लाभ भी हैं - 
  • वास्तव में, विदेशी इलेक्ट्रोनिक मीडिया की उपस्थिति के कारण हमारे दूरदर्शन तथा रेडियो कार्यक्रम अत्यधिक उन्नत हुए हैं। प्रतियोगिता ने पूर्णतया घरेलू या स्वदेशी प्रतिष्ठानों को जनता की रुचियों व चिन्ताओं के प्रति अधिक मनोयोगी बनाया है। 
  • यह कहा जाता है कि विदेशी मीडिया कम्पनियों के पास अधिक वित्तीय स्रोत, श्रेष्ठतर तकनीकी व प्रबन्धन निपुणता है। अतः वे अनेक स्वदेशी प्रतिष्ठानों को व्यापार से निष्कासित कर देगी। पर हमें यह विस्मृत नहीं करना चाहिए कि उदारीकरण कार्यक्रम ने अनिपुण स्वदेशी कम्पनियों तथा उत्पादनकर्ताओं को पहले से ही कठिनाई में डाल दिया है। उन्हें चाहिए कि वे अपने प्राविधिक स्रोतों को उन्नत करें तथा प्रबन्धन  की गुणवत्ता को सुधारें ताकि वे उच्च स्तर की प्राप्ति कर सकें। 
  • पुनः धन ही विशेष रूप से प्रिन्ट मीडिया में पूर्णरूपेण शासन नहीं करता। औद्योगिक समूहों के द्वारा अनेक समाचार-पत्र इस आशा से निकाले गए कि धन उन्हें सफलता प्रदान करेगा पर उन्हें विस्मृत कर दिया गया है। 

विदेशी मीडिया की कार्यप्रणाली 

विदेशी मीडिया की उपस्थिति के सम्बन्ध में प्रश्न यह है कि ये मीडिया समूह किस प्रकार कार्य करेंगे तथा उन्हें किन नियन्त्रणों के अधीन रखा जाएगा। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 19 में सभी को स्वतंत्रता व सूचना प्राप्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है। विदेशी मीडिया के साथ भी समस्त मामलों में स्वदेशी मीडिया के समान व्यवहार किया जाना है। 

जनमानस का लाभ 

विदेशी समूहों से यह माँग की जाती है कि वे विदेश की अखण्डता तथा सम्प्रभुता को सम्मान प्रदान करेंगे तथा राष्ट्र के कानून के अनुसार कार्य करेंगे। देश को राजनीतिक या आर्थिक रूप से अपंग बनाने का कोई भी इरादा या सांस्कृतिक साम्राज्यवाद द्वारा देश को अन्तर्राष्ट्रीय शक्तियों की योजनाओं का दास बनाने का प्रयास सहन नहीं किया जाएगा। 


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