पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी

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पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी padmavat malik muhammad jayasi पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखा गया एक प्रबंध काव्य है। यह सूफियों की मनसवी शैली में रचित एक प्रबंध काव्य है।चित्तौड़ के राजा रत्नसेन और सिंहल की राजकुमारी पद्मावती की प्रेम कथा को दर्शाया गया है। सूफियों की हिंदी प्रेमगाथाओं की परंपरा में जायसी का यह ग्रन्थ सबसे महत्वाकांक्षी है।

पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी


पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी padmavat malik muhammad jayasi पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखा गया एक प्रबंध काव्य है। यह सूफियों की मनसवी शैली में रचित एक प्रबंध काव्य है। यह ग्रन्थ ५७ खण्डों में लिखा गया है।इसमें चित्तौड़ के राजा रत्नसेन और सिंहल की राजकुमारी पद्मावती की प्रेम कथा को दर्शाया गया है।सूफियों की हिंदी प्रेमगाथाओं की परंपरा में जायसी का यह ग्रन्थ सबसे महत्वाकांक्षी है। 

पद्मावत की कथावस्तु

हिरामन तोते से जब राजा रत्नसेन पद्मावती के सौन्दर्य की प्रशंसा सुनता है तो राजा व्याकुल हो जाता है। उसके बाद वह अपनी रानी नागमती और राज पाट को छोड़कर योगी के वेश में सिंहलदीप को प्रस्थान कर देता है। सिंहल पहुँचने पर हिरामन के माध्यम से एक शिव मंदिर में पद्मावती से भेंट होती है। अंत में शिव जी कृपा से पद्मावती को प्राप्त कर लेता है। संघर्ष के बाद पद्मावती के पिता गन्धर्वसेन फिर दोनों का विवाह कर देते हैं। 
पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी
पद्मावत मलिक मोहम्मद जायसी

चित्तौड़ लौटने पर वे अपने दरबार में राघवचेतन नामक पंडित से वाद विवाद में उलझ जाता है। राजा क्रोध कर उसको देश से निकालने की आज्ञा दे देता है। राघवचेतन अब अलाउद्दीन से मिल जाता है और पद्मावती के रूप की प्रशंसा कर उसको आक्रमण करने को भड़काता है। युद्ध में रत्नसेन मारा जाता है,राजा का शव चित्तौड़ आता है,दोनों रानीं नागमती और पद्मावती ,पति के शव के साथ चिता में कूद पड़ती है। अलाउदीन ,चित्तौड़ पहुँचता है, परन्तु उसे वहा राख की ढेर ही मिलती है।

पद्मावत का महाकाव्यत्व 

इस कहानी का पूर्वार्द्ध काल्पनिक और उत्तरार्द्ध ऐतिहासिक है। जायसी ने दोनों का मिश्रण किया है। लौकिक प्रेम के आधार पर कवि ने आध्यात्मिक प्रेम को दर्शाया है। इसमें कवि की रहस्यवादी प्रवृत्ति उभरकर सामने आई है। इसमें परमात्मा को प्रिया के रूप में दर्शाया है और संसार के सब रूपों को उसकी छाया के रूप में उद्भासित किया गया है। कवि ने मेघ और सागर के जल के अंतर के सामान ही आत्मा परमात्मा के बीच का अंतर बतलाया है। 

पद्मावत की भाषा 

पद्मावत की भाषा ठेठ अवधी है। अवध की प्रचलित लोकवाणी होने से इसमें एक निराला माधुर्य है। पद्मावत की शैली मसनवी है। चौपाई नामक छंद का प्रयोग किया गया है। सब कुछ मिलकर पद्मावत प्रेमगाथा परंपरा का एक अद्वितीय  काव्य है। 

COMMENTS

Leave a Reply: 3
  1. Kya padmavat book jo malik Muhammad ne likhi hai vah abhi rakhi hogi aur wo kisi ko mil sakati hai

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    उत्तर
    1. Bahut hi acha sawal
      Unki kitab lagbhag 1800 me likhi gaye thi ab woh nahi hai
      Per jo log ya jo vidwan us kitab ko padh chuke hai wah phir se us kitab ko likhe hai
      Vaise to unki kitab muhavaron me likhi gaye hai per hindi me thi

      हटाएं
  2. भो श्री वाले वो रत्न सेन और गन्धर्व सेन नहि। रतन सिंह है और गन्धर्व सिंह है।

    जवाब देंहटाएं
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