नाथ साहित्य नाथ साहित्य की विशेषताएँ प्रवृत्तियाँ नाथ साहित्य की प्रवृत्तियाँ नाथ साहित्य के प्रमुख कवि nath sahitya ki visheshtaye नाथ साहित्य का प्रमुख कवि कौन है nath sampraday ke pravartak kaun hai सिद्ध साहित्य की विशेषताएँ नाथ साहित्य का प्रमुख कवि कौन है nath sampraday ki utpatti नौ नाथ के नाम गोरखनाथ साहित्य
नाथ साहित्य
नाथ साहित्य नाथ साहित्य की प्रवृत्तियाँ नाथ साहित्य के प्रमुख कवि nath sahitya ki visheshtaye नाथ साहित्य का प्रमुख कवि कौन है nath sampraday ke pravartak kaun hai सिद्ध साहित्य की विशेषताएँ नाथ साहित्य का प्रमुख कवि कौन है nath sampraday ki utpatti नौ नाथ के नाम गोरखनाथ साहित्य - हिंदी साहित्य के आदिकाल के प्रारम्भ में ब्रजयान की सहज साधना नाथ संप्रदाय के रूप में विकसित हुई। यह संप्रदाय सिद्ध के महासुखवाद के विरोध के रूप में मुखरित हुई।नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक मत्स्येन्द्रनाथ के शिष्य गोरखनाथ माने जाते हैं।योगिओं की इस शाखा में अश्लीलता और नग्नता नहीं आई। स्त्रियों का आगमन तो हुआ पर केवल परीक्षा के लिए।इसमें हठयोग की प्रधानता रही। व्राह्य आडम्बरों का विरोध कर अंत साधना का प्रचार करना इस साधना का मूल उद्देश्य रहा।यह योग ईश्वरवाद पर अवलंबित है।नाथ संप्रदाय के सिद्धांत ग्रंथों में ईश्वरोंपासना के वाह्र विधानों के प्रति उपेक्षा प्रकट की गयी। घट के भीतर ही ईश्वर को प्राप्त करने पर जोर दिया गया है।वेदशास्त्र का अध्ययन व्यर्थ ठहराकर विद्वानों के प्रति अश्रद्धा प्रकट की गयी है।तीर्थाटन आदि निष्फल कहे गए हैं।राहुल सांकृत्यायन ने नाथ पंथ को सिद्धों की परंपरा का ही विकसित रूप माना है।भगवान शिव के उपासक नाथों के द्वारा जो साहित्य रचा गया, वही नाथ साहित्य कहलाता है।
इस प्रकार हम देखते है कि इस सिद्धांत का प्रतिपादन करने वाला साहित्य भक्तिमार्ग की ज्ञानाश्रयी शाखा के अधिक निकट है। नाद और बिंदु शब्दों की व्याख्या से तथा परमात्मा की अनिवर्चनियता की उक्ति से यह मत और स्पष्ट हो गया है। इसकी भाषा का उदाहरण देखने पर भी यही सिद्ध होता है कि कबीर के सिद्धांतों का आदि स्वरुप नाथ संप्रदाय ही है -
गोरख आया .
आँगन आँगन अलख जगाया, गोरख आया !
जागो हे जननी के जाये, गोरख आया !
भीतर आके धूम मचाया, गोरख आया !
आदशबाद मृदँग बजाया, गोरख आया !
जटाजूट जागी झटकाया,गोरख आया !
नजर सधी अरु, बिखरी माया,गोरख आया !
नौ नाथ के नाम
नौ नाथों के नाम निम्नलिखित हैं -
- मच्छेंद्रनाथ
- गोरखनाथ
- जालंधरनाथ
- नागेश नाथ
- भारतीनाथ
- चर्पटीनाथ
- कनीफनाथ
- गेहनीनाथ
- रेवननाथ
नाथ साहित्य की विशेषताएँ
नाथ साहित्य की संक्षेप में विशेषताएं निम्नलिखित है -
- योग मार्ग का प्रचार करना।
- शैवों और शाक्तों के नाथ पंथ को स्वीकार करना।
- यह सिद्ध युग और भक्तिकाल के संत युग के बीच एक कड़ी का काम करता है।
- साधना नैतिकता ,गुरु महत्व ,संयम ,ब्रह्मचर्य आदि पर प्रकाश डाला गया है।
- हठयोग के द्वारा ईश्वर प्राप्ति को लक्ष्य बनाया गया है।
- समाधी को नाथों ने शिव और शक्ति का सम्मिलित रूप माना गया है।
- शक्ति की साधना पर अधिक जोर दिया गया है।
- सहज समाधिस्थ होकर मोक्ष मिल सकता है।
- कुंडली जागरण द्वारा शिव अर्थात भगवान प्राप्ति संभव है।
- गुरु की कृपा से ही समाधि प्राप्त की जा सकती है।
- एकेश्वरवाद में विश्वास
- नाथ साहित्य की भाषा में पश्चिम हिंदी की बोलियों के मिश्रित रूप में थी।
विडियो के रूप में देखें -
thanks a lot...
जवाब देंहटाएंमूल्यवान जानकारी के लिए आभार
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