भारतेन्दु मंडल के कवि

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भारतेन्दु मंडल भारतेन्दु मंडल भारतेंदु मंडल के कवि कौन है भारतेंदु मंडल के कवि हैं भारतेंदु युग के कवि और उनकी रचनाएँ भारतेंदु युगीन कविता भारतेंदु युग के दो लेखकों के नाम लिखिए bhartendu mandal भारतेंदु हिंदी साहित्य के जनक थे।साहित्यकारों की बहुमंडली हिंदी साहित्य के इतिहास में भारतेंदु मंडल के नाम से प्रसिद्ध है।

भारतेन्दु मंडल 


भारतेन्दु मंडल भारतेंदु मंडल के कवि कौन है भारतेंदु मंडल के कवि हैं भारतेंदु युग के कवि और उनकी रचनाएँ भारतेंदु युगीन कविता भारतेंदु युग के दो लेखकों के नाम लिखिए bhartendu mandal भारतेंदु हिंदी साहित्य के जनक थे। भारतेंदु हरिश्चंद स्वयं ही कवि नहीं थे ,बल्कि वे उस समय की एक केन्द्रीय ज्योति थे ,जिसके चारों ओर अन्य कविगण मंडल बांधकर घूमा करते थे। साहित्य सर्जना के कार्य एवं मार्गदर्शन में साहित्यकारों की एक मंडली कार्यरत थी। उन्होंने कवियों को दान और भाव ,दोनों से प्रोत्साहन दिया। साहित्यकारों की बहुमंडली हिंदी साहित्य के इतिहास में भारतेंदु मंडल के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंडल में निम्नलिखित साहित्यकारों के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं - 

प्रताप नारायण मिश्र 

प्रताप नारायण मिश्र जी , भारतेंदु मंडल के प्रसिद्ध कवि और निबंधकार थे।आपका जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिला के बैजेगाँव में हुआ था। ये पैतृक व्यवसाय ज्योतिष को छोड़कर साहित्य सेवा कार्य में तत्पर हुए। ये स्वभाव के विनोदप्रिय थे और गूढ़ विषय को भी हास्यपूर्ण बनाने में आप बहुत पटु थे। इनकी साहित्य रचना का क्षेत्र कविता ,निबंध और नाटक है। इनकी मन की लहर ,प्रेमपुष्पावली ,श्रृंगार विलास ,लोकोक्ति शतक रचनाएं हैं। उनकी प्रताप लहरी प्रतिनिधि कविताओं का संकलन है। इनकी भाषा परिमार्जित ब्रजवासी ही रही है। इनकी रचनाओं में जाति प्रेम और देश प्रेम की झांकी मिलती है। आपने देश सेवा पर आंसू बहाने के अतिरिक्त बुढ़ापा ,गोरक्षा ,हर गंगा ,हिंदी ,हिन्दू ,हिंदुस्तान आदि विषयों पर कविताएँ लिखी। 

बालकृष्ण भट्ट  

आपने हिंदी प्रदीप अखबार संवत १९३१ में निकाला ,जिसमें निबंध बहुत मनोरंजक निकलते थे तथा गंभीर अध्ययन और पांडित्य का परिचय मिलता है। इनके लेखों में शब्दों का अर्थ गाम्भीर्य अधिक है। इनका हास्य व्यंग मिश्र जी की अपेक्षा अधिक शिष्ट ,संयत और साहित्यिक होता था। इन्होने अपनी भाषा में बोलचाल के शब्दों के साथ ही साथ मुहावरेदार भाषा का खूब प्रयोग किया है। इनकी भाषा में उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग दिखाई पड़ता है। उनमें संस्कृत के उद्धरणों का भी यत्र -तंत्र समावेश रहता था। इनके वाक्य भी प्रायः बड़े बड़े होते थे।इनकी भाषा में पूर्वी प्रयोग भी प्रायः मिलते हैं। बाल विवाह ,राजा और प्रजा ,कृषकों की दुखावास्था ,देश सेवा महत्व ,स्त्रियाँ और उनकी शिक्षा ,महिला स्वतंत्रता आदि निबंध है। नव दंपत्ति स्वयंबर इनके द्वारा लिखित चर्चित नाटक है। इनकी भाषा में उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग दिखाई पड़ता है। 

बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन  

आप भारतेंदु मंडल के प्रसिद्ध कवि ,निबंधकार और नाटककार रहे हैं। आप भाषा के महान शिल्पी हैं। इनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग अधिक हुआ है।बोलचाल की भाषा से कुछ चुभते हुए शब्द ले आते थे और वाक्य लम्बे होते हुए भी संतुलित हैं। आपकी पहले नागरी नीरद ,फिर बाद में आनंद कादम्बिनी नाम ही साहित्यिक पत्रिका सफलतापूर्वक निकलती रही। नाट्य रचना के क्षेत्र में इनका चर्चित नाटक - भारत सौभाग्य है। इन्होने गदाधर सिंह स्वर अनुवादित बंगविजेता और लाला श्री निवासदास कृत संयोगिता स्वयंबर की बड़ी विचारपूर्वक आलोचना लिखी हैं। 

अम्बिकादत्त व्यास  

ये संस्कृत हिंदी के अच्छे विद्वान थे और सनातन धर्म के उपदेशक थे। इनके धर्म सम्बन्धी व्याख्यानों की धूम रहा करती थी। पियूष प्रवाह पत्रिका के संपादक के रूप में आपने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया हैं। इनकी रचित काव्य कृतियाँ हैं - पावस पचासा ,हो हो होरी ,सुकवि सतसई ललित ब्रजभाषा में हैं। इन्होने खड़ीबोली में कंस वध प्रबंध काव्य लिखा हैं। अवतार मीमांसा ,गद्यकाव्य मीमांसा आदि कई गद्य ग्रन्थ लिखे।इन्होने बिहारी बिहार एक प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखा है ,जिसमें बिहारी के दोहों का कुण्डलियाँ छंद भाव में भाव विस्तार किया हैं। इन्होने गो संकट ,भारत सौभाग्य नाटक भी लिखा हैं। 

राधा चरण गोस्वामी  

आप हिंदी के साथ संस्कृत के भी अच्छे विद्वान थे। ये ब्रजभाषा के कवि और खड़ीबोली के गद्य लेखक थे। आप पुराने ढंग के होते हुए भी बड़े स्वतंत्र विचार के थे। आप वैष्णव होकर भी बड़े उदार विचारों के व्यक्ति थे। हिन्दुओं के मरते समय गोदान करने की प्रथा पर व्यंग करने में नहीं चुके। इन्होने अमर सिंह राठौर ,सुदामा नाटक ,सती चन्द्रावली आदि मौलिक नाटक लिखे हैं। इन्होने भारतेंदु नामक एक पत्रिका भी निकाली थी। आपकी रचनाओं का विषय पुराण ,इतिहास तथा राजनीति रहा है। 


ठाकुर जगमोहन सिंह  

इनकी कविता स्वतंत्र ढंग की थी। इनकी कविता देश प्रेम की ओर न जाकर प्रकृति प्रेम सम्बन्धी हैं। इन्होने नए ढंग से प्रकृति चित्रण की नींव डाली। प्रकृति सौन्दर्य और श्रृंगार वर्णन की अवतारणा आपकी मुख्य काव्य कृतियाँ हैं। इनकी काव्य रचनाएं हैं - श्यामालता ,देवयानी ,श्याम सरोजनी ,प्रेम सम्पत्ति लता। श्यामा स्वप्न आप द्वारा रचित एक चर्चित उपन्यास हैं। इनके द्वारा अनुदित ऋतूसंहार और मेघदूत भी ब्रजभाषा की सरस कृतियाँ हैं। 

उपयुक्त साहित्यकारों के अतिरिक्त भारतेंदु मंडल में ये अन्य साहित्यकार भी शामिल थे - बापू तीजराम ,राधाकृष्ण दास ,काशी प्रसाद खत्री ,सुधाकर द्विवेदी ,केशवराम भट्ट एवं मोहनलाल पंड्या आदि प्रमुख रचनाकार थे। 


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