कठपुतली भवानी प्रसाद मिश्र

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कठपुतली भवानी प्रसाद मिश्र कठपुतली कविता का सारांश कठपुतली कविता की व्याख्या Kathputli Poem Meaning in Hindi ncert class 7 hindi chapter 4 question answer कठपुतली कविता भवानीप्रसाद मिश्र जी द्वारा लिखी गयी एक हृदयस्पर्शी कविता है।

कठपुतली भवानी प्रसाद मिश्र


कठपुतली कविता का सारांश कठपुतली कविता की व्याख्या Kathputli Poem Meaning in Hindi ncert class 7 hindi chapter 4 question answer कठपुतली कविता भवानीप्रसाद मिश्र जी द्वारा लिखी गयी एक हृदयस्पर्शी कविता है। प्रस्तुत कविता में हमेशा से दूसरों के ईशारों पर नचाने वाली कठपुतली को भी अपनी पराधीनता का जीवन पर क्रोध आता है। वह कहती है कि मैं धागे पर नाचनेवाली क्यों हूँ। इन धागों को तोड़ देना चाहिए।वह स्वयं आत्मनिर्भर जीवन जीना चाहती है।अतः वह आजाद होना चाहती है और अपनी इच्छानुसार जीना चाहती है।उसकी बात सुनकर अन्य कठपुतलियाँ भी पराधीनता के जीवन से मुक्त होना चाहती है।वह कहती है कि बहुत दिन हुए अपनी इच्छानुसार कार्य किये हुए।अतः अब आजादी मिलनी ही चाहिये।इस बात पर पहली कठपुतली सोचने लगी कि उसके मन में स्वतंत्रता की चाह कैसे जगी।आजाद रहना सबको प्रिय है ,लेकिन कठपुतलियों का निर्माण ही धागों के सहारों मालिक के ईशारों पर नाचना है।अतः वह अपना मूलभूत स्वभाव कैसे छोड़ सकती है।इस बात को लेकर वह चिंतातुर हो गयी।पहली कठपुतली पर सबकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है ,तो वह सोचकर समझकर कदम उठाना जरुरी समझती है। 
कठपुतली
कठपुतली


कठपुतली भवानी प्रसाद मिश्र प्रश्न अभ्यास कविता से 


प्र.१. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?

उ.१. कठपुतली को उसके मालिक ने धागों से बांधकर अपने इशारों से नचा रहा था।वह अपनी गुलामी से मुक्त होना चाहती है। उसे रोज रोज मालिक के ईशारों पर नाचना पसंद नहीं है। वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है। यही कारण है कि कठपुतली को अपने जीवन पर गुस्सा आया। 

प्र.२. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?

उ.२. कठपुतली को मालिक अपने इशारों पर नाचने के लिए बनाता है। वह धागों के सहारे उनमें जीवन दान देता है। कठपुतली का स्वयं व्यक्तिगत जीवन नहीं है। वह पराधीनता जीवन जीने के लिए अभिशप्त है। वह सिर्फ स्वतंत्रता का स्वप्न देख सकती है ,स्वतंत्र नहीं हो सकती है। यही कारण है कि वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकती है। 

प्र.३. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?

उ.३. सभी कठपुतलियाँ सह जीवन यापन करती है। उन्हें स्वयं भी पराधीना रहना पसंद नहीं है। वह अपना स्वछंद जीवन यापन करना चाहती है। यही कारण है कि जब पहली कठपुतली आजाद होने की बात करती है ,तो सभी उसका साथ देने की बात करती हैं।  

प्र.४. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-‘ये धागे/क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/इन्हें तोड़ दो;/मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’-तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-‘ये कैसी इच्छा/मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-
• उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।
• उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
• वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
•वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।

उ.४ - कविता में धागे से बंधी हुई कठपुतलियाँ पराधीन है। इन्हें दूसरों के इशारों पर नाचने से दुःख होता है। परतंत्रता के दुःख से बाहर निकालने के लिए एक कठपुतलियाँ विद्रोह कर देती है।वह स्वतंत्र जीवन जीना चाहती है। सभी कठपुतलियाँ उसकी स्वतंत्र होने की इच्छा पर सहमती जताती है। लेकिन ,जब पहली कठपुतली पर सबकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है ,तो वह सोच समझकर ही कदम उठाना जरुरी समझती है। 


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