विश्व में हिंदी का स्थान

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विश्व में हिंदी का स्थान विश्व में हिंदी का स्थान विश्व में हिंदी की क्या स्थिति है vishv me hindi ka sthan विश्व में हिंदी की वर्तमान स्थिति विश्व की भाषा के रूप में हिंदी विश्व की भाषा बनने के सभी गुण हिंदी में विद्वमान है। जो अंग्रेजी के गुलामी के प्रभाव में रहकर मानते है कि, हिंदी विज्ञान एवं तकनीकी की भाषा बनने में काफी जटिल है।

विश्व में हिंदी का स्थान


विश्व में हिंदी का स्थान विश्व में हिंदी की क्या स्थिति है vishv me hindi ka sthan विश्व में हिंदी की वर्तमान स्थिति - राष्ट्र शरीर है तो धर्म उसकी आत्मा और भाषा उसकी सांस्कृतिक संवाहक।बिना अपनी मातृभाषा के कोई भी संस्कृति मूक होकर मृतप्राय हो जाती है। किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसके संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर एक देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति है। जिसके छांव में उस देश के लोग पले बड़े होते है यदि कोई देश अपनी मूल भाषा को छोड़कर दुसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है उसे सांस्कृतिक रूप से पराधीन ही माना जाता है। क्योकि बचपन से आप जिस भाषा से संस्कारित होते है, वही भाषा आपके मानसिक विस्तार की सीमा तय करती है।

भाषा भावों और विचारों की संवाहक होती है। भाषा का स्वरुप देश, काल, परिवेश और स्थान के अनुरुप निरंतर परिवर्तित होते रहता है। तभी तो कहते है-

कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वानी

हिंदी शब्द की व्युत्पत्ति

संस्कृत हिंदी की जननी भाषा है। हिंदी को संस्कृत की बड़ी बेटी होने का गर्व प्रदान है। 'हिंदी' शब्द का संबंध 'संस्कृत' 'सिंधु' से माना जाता है। सिंधु-सिंध नदी को कहते है, और उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिंधु कहा गया है। यह सिंधु शब्द ही ईरानी भाषा में जाकर 'हिंदी', 'हिन्दू' और फिर 'हिन्द' हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिकांश भागो से परिचित होते गए, और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होते गया।

प्रोफेसर महावीर शरण जैन ने अपने " हिंदी एवं उर्दू का अद्वैत " शीर्षक आलेख में हिंदी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी। 'स्' को 'ह्' रूप में बोला जाता था। जैसे संस्कृत के 'असुर' शब्द को वहाँ 'अहुर' कहा जाता था। 

हिंदी भाषा परिवार

हिन्दी हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार परिवार के अन्दर आती है। ये हिन्द ईरानी शाखा की हिन्द आर्य उपशाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है। हिन्द-आर्य भाषाएँ वो भाषाएँ हैं जो संस्कृत से उत्पन्न हुई हैं। उर्दू, कश्मीरी, बंगाली, उड़िया, पंजाबी, रोमानी, मराठी नेपाली जैसी भाषाएँ भी हिन्द-आर्य भाषाएँ हैं।

हिन्दी भारत में सम्पर्क भाषा के रूप में एक सशक्त और सरल रूप में समझी जानेवाली भाषा है। हिंदी का कभी-कभी नौ भारतीय राज्यों के संदर्भ में भी उपयोग किया जाता है, जिनकी आधिकारिक भाषा हिंदी है और हिंदी भाषी बहुमत है, अर्थात् बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली।इसके इतर हिंदी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न संदर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।
'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिंदवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिंदुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि।

भारत के अलावा अन्य देशों में हिंदी  का स्थान

चीनी भाषा के बाद पूरे विश्व स्तर पर सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी, अपने ही देश में वैमनस्य की शिकार हो गयी। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी
हिन्दी
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लोग हिंदी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात की जनता भी हिन्दी बोलती है।फरवरी 2019 में अबू धाबी में हिन्दी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली। बिडम्बना ये है किचीनी भाषा के बाद पूरे विश्व स्तर पर सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी, अपने ही देश में वैमनस्य की शिकार हो गयी।

2001 की भारतीय जनगणना में भारत में 42 करोड़ 20 लाख लोगों ने हिंदी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिंदी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 8,63,077, मॉरीशस में 6,85, 170, दक्षिण अफ्रीका में 8,90,292, यमन में 2,32,760, युगांडा में 1,47,000, सिंगापुर में 5,000,नेपाल में 8 लाख,जर्मनी में 30,000 हैं। न्यूजीलैंड में हिंदी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में 14 करोड़ 10 लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिंदी के काफी समान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिंदी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिंदी, विभिन्न भारतीय राज्यों की 14 आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग 1अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है।

राजभाषा के रूप में हिंदी

भारत के संविधान में देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है (अनुच्छेद 343(1) हिंदी की गिनती भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल पच्चीस भाषाओं में की जाती है। भारतीय संविधान में व्यवस्था है कि केंद्र सरकार की पत्राचार की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यह विचार किया गया था कि 1965 तक हिंदी पूर्णतः केंद्र सरकार के कामकाज की भाषा बन जाएगी (अनुच्छेद 344 (2) और अनुच्छेद 351 में वर्णित निदेशों के अनुसार), साथ में राज्य सरकारें अपनी पंसद की भाषा में कामकाज संचालित करने के लिए स्वतंत्र होंगी। लेकिन राजभाषा अधिनियम (1963) को पारित करके यह व्यवस्था की गई कि सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग भी अनिश्चित काल के लिए जारी रखा जाए। अतः अब भी सरकारी दस्तावेजों, न्यायालयों आदि में अंग्रेजी का इस्तेमाल होता है। हालांकि, हिंदी के विस्तार के संबंध में संवैधानिक निर्देश बरकरार रखा गया।

राज्य स्तर पर हिंदी भारत के निम्नलिखित राज्यों की राजभाषा है: बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली। ये प्रत्येक राज्य अपनी सह-राजभाषा भी बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में यह भाषा उर्दू है। इसी प्रकार कई राज्यों में हिंदी को भी सह-राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।

विश्व की भाषा के रूप में हिंदी 

विश्व की भाषा बनने के सभी गुण हिंदी में विद्वमान है। जो अंग्रेजी के गुलामी के प्रभाव में रहकर मानते है कि, हिंदी विज्ञान एवं तकनीकी की भाषा बनने में काफी जटिल है। और इस तरह के उदाहरण प्रस्तुत कर हिंदी की राह में अवरोध खड़ी करने में कोई कसर नही छोड़ते। बिडम्बना ये है कि आज अपने ही देश में, बहुभाषी देश होने के कारण हिंदी विद्वेष के चलते उपेक्षित है। अंग्रेजी बोलने व पढ़ने वाले एक विशाल तथाकथित अभिजात्य समूह, हिंदी बोलने वाले और पढ़ने वाले को, ज्ञान व बुद्धिमत्ता के स्तर पर कम आंकता है और हिंदी के प्रति हेय दृष्टिकोण रखता है। यही वजह है कि इतनी समृद्ध और वैज्ञानिक भाषा होते हुए भी हिंदी, राष्ट्रभाष के दर्जे से मरहूम रह गयी। अपने देश की सरकारी कामकाजी भाषा बनने के गौरव से कोशो दूर है।

जबकि देखा जाय तो वर्तमान परिदृश्य में बीसवीं शती के अंतिम दो दशकों में हिन्दी का अंतरराष्ट्रीय विकास बहुत तेजी से हुआ है।हिंदी एशिया के व्यापारिक जगत् में धीरे-धीरे अपना स्वरूप बिंबित कर भविष्य की अग्रणी भाषा के रूप में स्वयं को स्थापित कर रही है। वेब, विज्ञापन, संगीत, सिनेमा और बाजार के क्षेत्र में हिन्दी की मांग जिस तेजी से बढ़ी है वैसी किसी और भाषा में नहीं। विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों तथा सैकड़ों छोटे-बड़े केंद्रों में विश्वविद्यालय स्तर से लेकर शोध स्तर तक हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हुई है। विदेशों में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिन्दी में प्रकाशित हो रही हैं। यूएई के 'हम एफ-एम' सहित अनेक देश हिन्दी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें #बीबीसी, #जर्मनी के डॉयचे वेले, #जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिन्दी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

दिसम्बर 2016 में विश्व आर्थिक मंच ने10 सर्वाधिक शक्तिशाली भाषाओं की जो सूची जारी की है उसमें हिन्दी भी एक है।इसी प्रकार 'कोर लैंग्वेजेज' नामक साइट ने 'दस सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषाओं' में हिन्दी को स्थान दिया था। के-इण्टरनेशनल ने वर्ष 2017 के लिये सीखने योग्य सर्वाधिक उपयुक्त नौ भाषाओं में हिन्दी को स्थान दिया है।
हिन्दी का एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने और विश्व हिन्दी सम्मेलनों के आयोजन को संस्थागत व्यवस्था प्रदान करने के उद्देश्य से 11फरवरी 2008को विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना की गयी थी। संयुक्त राष्ट्र रेडियो अपना प्रसारण हिन्दी में भी करना आरम्भ किया है। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाये जाने के लिए भारत सरकार प्रयत्नशील है। अगस्त 2018 से संयुक्त राष्ट्र ने साप्ताहिक हिन्दी समाचार बुलेटिन आरम्भ किया है।

-प्रतिमा त्रिपाठी
राँची झारखण्ड

साभार - विकिपीडिया एवं अन्य स्रोत

COMMENTS

Leave a Reply: 4
  1. जय हिन्द का नारा है ,विश्व हमारा है
    पूरा जगत दुलारा है ,संतों ने पुकारा है !

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  2. हिंदी कुंज.कॉम धन्यवाद।उपयोगी सामग्री के लिए।प्रतिमा त्रिपाठी जी को विशेष धन्यवाद

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