समर और शिरीष एक दूसरे के विरोधी चरित्र हैं

SHARE:

समर और शिरीष एक दूसरे के विरोधी चरित्र हैं समर अपने जीवन और संबंधों में कहीं भी नहीं खरा उतरता है। उसका चरित्र अत्यंत अस्थिर है। उसे असफल पति कहें या स्वार्थ ग्रस्त बेटा ,उसके लिए सब उचित है। परन्तु शिरीष में मजबूती और स्थिरता है। वह प्रगतिशील युग का प्रतिनिधित्व करता है।

समर और शिरीष एक दूसरे के विरोधी चरित्र हैं


समर और शिरीष एक दूसरे के विरोधी चरित्र हैं .सारा आकाश उपन्यास में समर नायक है।उपन्यास की सम्पूर्ण कथा का केंद्र विन्दु है। कथा में निहित घात प्रतिघात ,उत्कर्ष -अपकर्ष का वाहक भी वही है।समर महत्वाकांक्षी व स्वप्नदर्शी है।इसी भावना से प्रेरित होकर वह विवाह नहीं करना चाहता है। उसका विश्वास है कि स्त्री प्रगति के मार्ग में बाधक है।वह एक ओर राणाप्रताप और शिवाजी बनने का स्वप्न देखता है और दूसरी ओर अपनी पत्नी की सुन्दरता का।प्रूफ रोडरी की नौकरी पाने पर उसके सपने और ऊँचे हो जाते हैं।अच्छे डिवीजन से एम० ए० करके प्रोफेसर बनने का उसका अपना सपना निकट दिखायी देता है। कभी वह कहता है मेरा भविष्य मेरे हाथों में है।" 

दूसरी ओर शिरीष प्रगतिशील विचारों का है।उसमें यथार्थवादी दृष्टि है इसी दृष्टि से रुढ़ियों, मिथ्याचारों और धर्माडम्बरों का वह विरोध करता है. वह राजनीति, धर्मनीति को अपनी दृष्टि से देखता और उस पर अपना विचार करता है।वह सुविधापरस्त नीति पर प्रहार करने से भी नहीं चूकता है।शिरीष समर की तरह न स्वप्नद्रष्टा है न गगन बिहारी। 

भावुकता -

समर अत्यन्त भावुक है। वह स्वयं कहता है- "मैं बहुत भावुक हैं। कमजोर हैं। भावों तथा कमजोरियों के तुफान में बड़ी जल्दी बहक जाता हूँ और उस समय कोई किनारा मझे नहीं मिल पाता है।" देश-प्रेम में आजीवन कुँवारा
समर और शिरीष
रहना, पत्नी के विषय में सोचना और पिता के समक्ष फूट-फूट कर रोना भावुकता ही तो है। कभी वह पत्नी को पीटता है और कभी कहता है कि भगवान मुझे दण्ड दो।मैने निरीह अबला पर घोर अत्याचार किये हैं। उसे नारकीय यातनायें दी जाती रही हैं और मैं चुपचाप देखता रहा। इसी भावुकता के कारण उसमें दृढ़ निश्चय का अभाव है। किसी बात पर चिन्तन मनन करके वह ठोस निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पाता। 

परन्तु शिरीष दृद निश्चियी और परिपक्व विचारशील प्राणी है। उसका चिन्तन और विचार मौलिक है। यही कारण है कि उसके निकट सम्पर्क में जो कोई आता है उसके प्रति आकर्षित हो उठता है। समर भी पहली मुलाकात में प्रभावित होकर उसका चित्र बन जाता है कि देश के असंख्य नवयुवकों को दिशाहीन बनाया जा रहा है। आजादी के पूर्व इन असंख्य युवकों ने देश की खशहाली का जो स्वप्न देखा था आजादी के बाद सब बदल गया सुविधा भोगी राजनीतिज्ञों ने सब कुछ अपने अनुकूल  कर लिया। फलतः गरीबी का दुःख बढ़ता गया और असहाय जनता पीड़ा से कराहती रही। 

स्पष्टवादिता- 

शिरीष जी स्पष्टवादी है। उससे जो भी जहाँ भी मिलता है, बिना किसी औपचारिकता के स्पष्ट और दो टूक बातें करने लगते हैं। वह प्रथम मुलाकात में ही समर से अपने घर की कमजोरियों का उल्लेख कर बैठता है। समर इसके विपरीत है। वह परिवार में एक घुटन का स्थिति जीता है। पत्नी के प्रति सहज होकर भी अपनी स्थिति परिवार में स्पष्ट नहीं करता है। यह उसकी सबसे बड़ी दुर्बलता है। इसी कारण कहा गया है कि सारा उपन्यास की ट्रेजडी समर का दुर्बलताओं की देन है। 

प्रगतिशीलता-

शिरीष प्रगतिशील और समर आदर्शशील है। दोनों की दृष्टियों में व्यापक अन्तर है। प्रगतिशीलता के कारण शिरीष के विचार भी अत्यन्त उत्तेजक हैं। वह राजनीतिक अष्टाचार से अधिक सामाजिक रुढियों और अत्याचारों से क्षब्ध है। वह मध्य वगीय समाज और उनकी मानसिकता से बुरी तरह प्रभावित है। जब कि समर की स्थिति इससे भिन्न है। वह समाज के बीच सुविधा भोगी बनकर जीना चाहता है। वह इन्हें निर्मूल नहीं करना चाहता। जबकि शिरीष इन्हें ध्वस्त करना चाहता है। शिरीष सामाजिक नियमों को व्यक्ति विकास में बाधक मानता है। 

संयुक्त परिवार व्यवस्था सम्बन्धी विचार- 

इस सम्बन्ध में दोनों के विचार भिन्न हैं। शिरीष मानता है कि संयुक्त परिवार व्यवस्था में नारी की दशा और दयनीय हो जाती है। वह कहता है कि अगर आप जिन्दा रहना चाहते हैं और चाहते हैं कि आपकी पत्नी भी जीवित रहे तो एक मात्र रास्ता है कि संयुक्त परिवार व्यवस्था को हम तोड़ दें। समर संयुक्त परिवार परिवार व्यवस्था का एक अंग बनकर जीता है और अनेक कष्ट भोगता है। 

समर अपने जीवन और संबंधों में कहीं भी नहीं खरा उतरता है। उसका चरित्र अत्यंत अस्थिर है। उसे असफल पति कहें या स्वार्थ ग्रस्त बेटा ,उसके लिए सब उचित है। परन्तु शिरीष में मजबूती और स्थिरता है। वह प्रगतिशील युग का प्रतिनिधित्व करता है। 


COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका