अकबरी लोटा

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अकबरी लोटा Akbari Lota अकबरी लोटा कहानी NCERT solutions for Class 8 Hindi Akbari Lota Class Chapter 14 Akbari Lota अकबरी लोटा कहानी का सारांश Summary on akbari lota in hindi अकबरी लोटा अन्नपूर्णानन्द वर्मा जी द्वारा लिखी गयी एक रोचक कथा है।

अकबरी लोटा Akbari Lota


अकबरी लोटा कहानी  NCERT solutions for Class 8 Hindi Akbari Lota Class Chapter 14 Akbari Lota अकबरी लोटा कहानी का सारांश Summary on akbari lota in hindi 

अकबरी लोटा कहानी का सारांश

अकबरी लोटा अन्नपूर्णानन्द वर्मा जी द्वारा लिखी गयी एक रोचक कथा है। लाला झाऊलाल एक खाते पीते परिवार के व्यक्ति थे। काशी के ठठेरी बाज़ार में मकान था। नीचे के दुकानों से उन्हें एक सौ मासिक आमदनी हो जाया करती थी। एक दिन पत्नी ने एकाएक ढाई सौ रुपये की माँग कर दी। लाला जी ने मुँह बनाया ओ पत्नी ने अपने भाई से मांग लेने की बात की। इस बात से वे तिलमिला गए। उन्होंने एक सप्ताह के अन्दर रुपये देने का वादा किया।  

इस घटना को हुए चार दिन बीत जाने पर भी लाला जी रुपयों का प्रबंध न कर सके। उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न था। रुपयों को न देने पर ही उनकी साख गिर जाती। पांचवें दिन उन्होंने अपनी व्यथा पंडित बिलवासी मिश्र को बताई ,जिन्होंने किसी प्रकार रुपयों का प्रबंध करने की बात कही। आज रुपयों को देने का अंतिम दिन था। लाला जी बहुत परेशान हो गए थे। चिंतामग्न होकर पानी मंगाया। पत्नी ने एक बेढंगे से लोटे में पानी दिया ,जिसे वे देखना भी
अकबरी लोटा
अकबरी लोटा
पसंद नहीं करते थे। अचानक उनके हाथ से लोटा छूट गया। वह तेज़ गति से गिरता हुआ ,किसी अंग्रेज को नहलाकर उसके पैरों में जोर से गिरा।जिससे अंग्रेज के पैर का अंगूठा चोटिल हो गया। वह बहुत ही गालियाँ बकता हुआ ,भीड़ के साथ लाला झाऊलाल के घर में घुसा। इस समय भीड़ को चीरते हुए बिलवासी मिश्र हाज़िर हुए। उन्होंने अंग्रेज को छोड़कर बाकी भीड़ को भगाया। बिलवासी मिश्र जी ने अंग्रेज को आदर के साथ कुर्सी पर बैठाया। साथ ही लाला के प्रति अशिष्टता जाहिर की। बिलवासी जी ने लोटे के प्रति लालसा दिखाई। अंग्रेज को लोटा एतिहासिक बताया। लोटा अतिहसिक होने के कारण साथ ही अकबरी लोटा है। यही वही लोटा है ,जिसमें हुमायूँ ने सिंध में किसी ब्राह्मण के हाथ से पानी दिया था। फिर अकबर ने ब्राह्मण का पता लगाकर उससे लोटा लिया और बदले में ब्राह्मण को दस सोने के लोटे दान में दिए। सन ५७ तक इसे साही घराने में होने का पता है। इसके बाद यह लापता हो गया। संसार भर में मुजियम वाले इस लोटे की चाह में है।

इतनी सारी प्रशंसा सुनकर अंग्रेज को लालच आ गया। लेकिन बिलवासी मिश्र जी पचास रुपये की बाजी लगायी। जिस पर अंग्रेज भी पैसे का दाँव लगाते गया।अंत में पांच सौ की बोली लगाते हुए अंग्रेज लोटे को खरीद लिया। उसने बताया कि वह अपने पड़ोसी मेजर डगलस को ले जाकर दिखलायेगा ,जो की जहाँगीरी अंडा ले गया।अतः वह डगलस से एक पुश्त आगे की वस्तु ले जा रहा है।  

बिलवासी मिश्र ने लाला को रूपये संभाल कर रखने को रखे। लाला द्वारा रूपये के प्रबंध के सम्बन्ध में प्रश्न करने पर ईश्वर जाने के बात कहकर घर चल दिए। रात में बिलवासी मिश्र ने पत्नी के गले में बंधी चाभी लेकर चुपचाप ढाई सौ रुपये आलमारी में रख दिए। अंत में रात में निश्चिंत होकर सो गए। यह बात पत्नी नहीं जान सकी।  

अकबरी लोटा question answer प्रश्न अभ्यास कहानी की बात 

प्र.१."लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।"
लाला झाऊलाल को बेढ़ंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।

उ.लाला झाऊलाल को लोटा बिलकुल पसंद नहीं था।इसका कारण इसकी बनावट थी।पत्नी द्वारा इसी लोटे में पानी दिए के बाद भी वे चुप रहे। वे अपनी पत्नी का बहुत सम्मान करते थे। यही कारण है कि पत्नी द्वारा ढाई सौ रुपये मांगे जाने पर उसे एक सप्ताह के अन्दर देने का वादा कर बैठे। यदि वे लोटे में पानी पीने से इनकार करते तो शायद उन्हें बाल्टी में भोजन मिलता। 

प्र.२. "लाला झाऊलाल ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।" आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन कौन सी बातें समझ ली होंगी?

उ.लाला जाऊलाल फ़ौरन स्थिति को ताड़ लिया। उनके हाथ से लोटा टूटने के बाद एक दुकान के सायबान से टकराया। वहां से टकराकर उस दुकान पर खड़े अंग्रेज को भिगो दिया और उसके पैर पर गिर उसके अंगूठे को लहूलुहान कर दिया।  

प्र.३. अंग्रेज के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इनकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए।

उ. पंडित बिलवासी मिश्र समस्या का समाधान करने वाले व्यक्ति थे। लोटा अंग्रेज पर गिरने पर वह बहुत क्रोधित हो गया। उन्होंने झाऊलाल को पहचानने से इनकार कर दिया जिससे अंग्रेज को शक न हो। इससे अंग्रेज का क्रोध शांत हो जाता है। यदि बिलवासी अंग्रेज मिश्र ऐसा न करते तो अंग्रेज लाला जी को पुलिस के हवाले कर देता।  

प्र.४. बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए।

उ. बिलवासी मिश्र मित्रों की हर स्थिति में मदद करने वाले थे। लाला जाऊलाल द्वारा ढाई सौ मांगे जाने पर वह पत्नी के सो जाने पर उसके गले में बंधी जंजीर में लगी चाभी से आलमारी में चोरी से रुपये निकाल लिए। बिलवासी जी ने अपनी बुद्धिमता से ५०० रुपयों का प्रबंध अंग्रेज द्वारा लालाजी के लिए करवा दिया। अतः रुपये चुपचाप रात में उसी तरह उन्होंने आलमारी मे रखवा दिया।  

प्र.५. आपके विचार से अंग्रेज ने यह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।

उ. जिस अंग्रेज के पैर पर वह लोटा गिरा ,उसे ऐतिहासिक चीज़ों के संग्रह करने का शौक था। जिस समय यह लोटा गिरा वह दूकान से पीतल की कुछ पुरानी मूर्तियाँ खरीद रहा था। साथ ही उस अंग्रेज की अपने पड़ोसी मेजर डगलस से होड़ रहती है। वह पिछले वर्ष जहाँगीरी अंडा ले गया था। यदि अंग्रेज लोटा खरीद लेता है ,तो यह पुश्त पुराना होगा। इस तरह यह लोटा उस अंडे का बाप हुआ। यही विचार करके उस अंग्रेज ने उस लोटे की खरीद लिया। 


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