Bhagwan Ke Dakiye भगवान के डाकिए

SHARE:

Bhagwan Ke Dakiye भगवान के डाकिए bhagwan ke dakiye ncert solutions bhagwan ke dakiye class 8 summary in hindi bhagwan ke dakiye kavita ka bhavarth bhagwan ke dakiye anuman aur kalpana bhagwan ke dakiye class 8 question answer writer of bhagwan ke dakiye bhagwan ke dakiye lesson plan kavi ne pakshi aur badal ko bhagwan ke dakiye kyu bataya hai spasht kijiye summary of the poem भगवान के डाकिए भगवान के डाकिए का सार भगवान के डाकिए प्रश्न उत्तर भगवान के डाकिए कविता का संदेश भगवान के डाकिए कविता का सार भगवान के डाकिए पोएम समरी इन हिंदी भगवान के डाकिए पोएम मीनिंग भगवान के डाकिए क्वेश्चन आंसर

Bhagwan Ke Dakiye भगवान के डाकिए

bhagwan ke dakiye ncert solutions bhagwan ke dakiye class 8 summary in hindi bhagwan ke dakiye kavita ka bhavarth bhagwan ke dakiye anuman aur kalpana bhagwan ke dakiye class 8 question answer writer of bhagwan ke dakiye bhagwan ke dakiye lesson plan kavi ne pakshi aur badal ko bhagwan ke dakiye kyu bataya hai spasht kijiye summary of the poem भगवान के डाकिए भगवान के डाकिए का सार भगवान के डाकिए प्रश्न उत्तर भगवान के डाकिए कविता का संदेश भगवान के डाकिए कविता का सार भगवान के डाकिए पोएम समरी इन हिंदी भगवान के डाकिए पोएम मीनिंग भगवान के डाकिए क्वेश्चन आंसर

Bhagwan Ke Dakiye Poem Explanation कविता की व्याख्या 

पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं
जो एक महादेश से
दूसरें महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि दिनकर जी ने बताया है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिये है। जिस प्रकार साधारणत: डाकिये किसी व्यक्ति का भेजा हुआ सन्देश दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते ,उसी तरह बादल और पक्षी भी एक एक महादेश का सन्देश दूसरे महादेश तक पहुँचातें है। मनुष्य अपनी संकीर्ण विचारों के कारण भगवान की भेजी हुई चिट्ठियाँ समझ नहीं पाता है ,लेकिन पेड़ ,पौधे ,पानी और पहाड़ उनके संदेशों को समझ पाते है और पूरे धरती को ईश्वर के भेजे हुए संदेशों को सुनाते है।  

हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।

व्याख्या -  कवि के अनुसार मनुष्य बहुत ही क्षुद्र प्रकृति का होता है और वह अपनी छोटी सीमाओं में रहकर काम करता है। इसके विपरीत धरती पर व्याप्त फूलों की महक हवा में तैरती हुई ,पक्षियों के पंखों पर सवार होकर एक देश से दूसरे देश पर फैलता रहता है। एक देश का भाप ,दूसरे देश में जाकर पानी बनकर बरसात करवाता है। इंसानों की तरह बादल एक सीमा में बंधें नहीं रहते हैं और न ही अपने पराये का भेदभाव ही रखते हैं। पेड़ ,पानी ,बादल और पहाड़ पूरी धरती को अपना घर समझते है और किसी भी प्रकार की संकीर्णता में न रहने का सन्देश देते है।  

Bhagwan Ke Dakiye Poem Summary भगवान के डाकिए का सार / कविता का संदेश

भगवान के डाकिये में कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने पाठकों को प्राकृतिक उपादानों के माध्यम से प्रेम
भगवान के डाकिए
भगवान के डाकिए 
,समानता ,विश्व बंधुत्व ,एकता और भाई चारा का सन्देश दिया है। कवि पक्षी और बादल को भगवान् का डाकिया माना है ,जो बिना सीमाओं को माने हुए एक देश से दूसरे देश तक भगवान का सन्देश सुनाते रहते है। उनके सन्देश को साधारणत: मनुष्य नहीं समझ पाते है। पक्षी और बादल धरती के ही अंश है ,वे मनुष्यों की तरह भेद भाव नहीं बरतते है। 

पक्षी अपने पंखों द्वारा एक देश के फूलों की सुगंध और पानी को दूसरे देश तक पहुँचाते है। मनुष्य तो केवल अनुमान लगाते रह जाते है ,जबकि धरती का भाप एक देश से दूसरे देश में जाकर बरसात के रूप में बरस जाता है। इन प्राकृतिक उपादानों के लिए एक सम्पूर्ण धरती अपना ही परिवार है। ये मनुष्य की तरह संकीर्ण विचारों के नहीं होते है। ये ईश्वर का सन्देश समस्त धरती पर प्रचार करते फिरते हैं। देशों की सीमाएँ सिर्फ मनुष्यों के लिए है ,भगवान के डाकिये पक्षी ,बादल ,पेड़ और पानी के लिए नहीं है। उनके लिए समस्त जगत अपना परिवार है।  

Bhagwan Ke Dakiye Poem Questions Anwers प्रश्न अभ्यास कविता से 

प्र.१. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।

उ. कवि ने प्रस्तुत कविता भगवान के डाकिये में पक्षी और बादल को भगवान का डाकिया माना है। मानव अपनी संकुचित सीमा में बंधा रहा है। उसके लिए दूसरे देश दुश्मन के समान है। वह ईश्वर का भेजा हुआ सन्देश नहीं समझ पाता। इसके विपरीत पक्षी और बादल किसी सीमा में नहीं रहते है। वह भगवान का सन्देश पूरी धरती तक पहुंचाते है।  

प्र.२ पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।

उ.पक्षी और बादल ,पेड़ पानी आदि ही ईश्वर के भेजे सन्देश को पढ़ पाते है। मनुष्य अपनी संकीर्णता के कारण इन संदेशों को समझ नहीं पाता है।  

प्र.३. किन पंक्तियों का क्या भाव है-

क. पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।

उ. पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।

ख. प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।

उ. वह सौरभ हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।

प्र.४. पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेडे़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?

उ. पानी और पहाड़ ही ईश्वर के सन्देश को समझ पाते है। भाप और धरती की सुगंध को किसी सीमा में बाँधा नहीं जा सकता है। पूरी धरती पर भाई चारा ,शान्ति और अपना पराया का भेदभाव नहीं करना चाहिए। सभी प्राणी मात्र का हित देखना चाहिए। परोपकार की भावना से काम करना चाहिए। यह सन्देश मनुष्य नहीं समझ पाता है। वह राष्ट्र ,धर्म ,जाति ,लिंग आदि सीमाओं से बंधा रहता है। वह पक्षी और बादल की तरह सम्पूर्ण विश्व के लिए कार्य नहीं करता है।  

प्र.५. “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है’’- कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

उ. धरती के लिए ,उस पर रहने वाले सभी प्राणी एक समान है। वह अपना पराया का भेदभाव नहीं करती है। एक देश की धरती की सुगंध दूसरे देश में बेरोकटोक आसानी से पहुँच जाती है। यह सुगंध पहुँचाना ही सम्पूर्ण धरती को एक परिवार मानने जैसा है। पूरी धरती को ही प्रेम ,एकता और भाई चारे का सन्देश देना भगवान के डाकिये का लक्ष्य है। 


COMMENTS

Leave a Reply: 7
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका