Lakh Ki Chudiyan लाख की चूड़ियाँ

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Lakh Ki Chudiyan लाख की चूड़ियाँ


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Lakh Ki Chudiyan लाख की चूड़ियाँ पाठ का सार Summary

लाख की चूड़ियाँ कामतानाथ की प्रसिद्ध कहानी हैजिसमें लेखक ने शहरीकरण और अद्योघोगिक विकास से गाँव के कुटीर उद्योगों की पीड़ा का वर्णन किया है। लेखक बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में अपने मामा के घर जाया करता था। उसमें मामा के गाँव में सबसे ज्यादा बदलू मामा अच्छे लगते थे। अन्य बच्चों की तरह वह भी उसे बदलू काका कहकर पुकारते थे। बदलू जाति के मनिहार थे। जिसके पुस्तैनी पेशा चूड़ियाँ बनाने का था। बदलू का मकान ऊँचे पर बना था। मकान के सामने एक पुराना नीम का पेड़ था। उसी के नीचे बैठकर बदलू अपना काम किया करता था। बगल में भट्टी दहकती रहती जिसमें पिघला कर लाख को सलाख के सामान पतला कर चूड़ी का आकार दिया करता था। चूड़ी का आकार देकर बेलननुमा मुंगरियाँ पर रखकर गोल और चिकना बनाता और उन्हें रंग चढ़ाकर बेचा करता। बदलू एक ऊँचे मचिये पर बैठकर अपना काम किया करता था। दो पहर में लेखक का समय बदलू के पास ही बीता करता। बदलू बहुत सुन्दर चूड़ियाँ बनाया करता था। उसकी बनाई हुई चूड़ियों की खपत भी बहुत थी।  

गाँव की सभी स्त्रियाँ उसकी बनाई हुई चूड़ियाँ पहनती तथा पास वाले गाँव में भी उसकी अच्छी मांग थी। बदलू
लाख की चूड़ियाँ
लाख की चूड़ियाँ
स्वभाव से तो सीधा था ,लेकिन शादी व्याह के अवसर पर जिद पकड़ लेता लेता। कपडें ,अनाज ,पगड़ी और रुपये लेकर ही छोड़ता। बदलू कांच की चूड़ियाँ देखकर चिढ़ जाता और दो चार बाँतें सुना ही देता।बदलू लेखक की अच्छी खातिरदारी करता। गाय का दूध और आम के फसल के समय वह आम खिलाता। लेखक को लाख की एक दो गोलियाँ दे देता।

लेखक कुछ वर्षों तक मामा के गाँव नहीं गया। उसके पिता की बदली किसी अन्य शहर में हो गयी। लेखक आठ -दस वर्षों बाद मामा के गाँव में गया। मामा के गाँव में सभी औरतों की कलाइयों पर कांच की चूड़ियों को देखा। एक दिन बरसात में मामा की लड़की फिसलकर गिर गयी ,जिससे कांच की चूड़ी कलाई में घुस गयी।लेखक को मरहम पट्टी करानी पड़ी।सहसा उसे बदलू मामा की याद आई। 

बदलू मामा के घर जाने पर वह लेखक को पहचान नहीं पाया। बदलू ने अपना काम बंद कर दिया है। गाँव में कांच की चूड़ियाँ का प्रचार हो चूका है। बदलू को खाँसी की शिकायत थी। मशीनीकरण के युग में कारीगरों के रोजगार छिन गए है। बदलू ,लेखक की आवाभगत करना नहीं भूलता। वह उसे आम खिलाता है ,लेकिन मँहगाई के मार के कारण उसे गाय बेचनी पड़ी है। बदलू नए युग में भी हार नहीं मानी है। उसका व्यक्तित्व काँच की चूड़ियाँ जैसा न थी कि आसानी से टूट जाए। 


Lakh Ki Chudiyan Question Answers प्रश्न अभ्यास कहानी से 

प्र.१. बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?

उ. लेखक हर साल गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा के घर जाया करता था। उसे मामा के गाँव में बदलू मामा पसंद थे ,जो कि लाख की चूड़ियाँ बनाया करते थे। वह लेखक को लाख की गोलियां दिया करता था। अन्य सभी लड़के बदलू को बदलू काका बुलाते थे। अतः वह भी उसे बदलू काका कहकर बुलाने लगा।  

प्र.२. वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?

उ. प्राचीन समय में वस्तु विनिमय की पद्धति प्रचलित थे। इसमें व्यक्ति को जिस वस्तु की आवश्यकता होती थी ,वह पैसे के बदले आपस में वस्तुओं का लेन देन करते थे। यदि किसी व्यक्ति को आलू की आवश्यकता है ,तो विक्रेता को चावल देकर आवश्यक वस्तु खरीद सकता है। वर्तमान समय में यह पद्धति अव्यावहारिक होने के कारण चलन से बाहर हो गयी है।  

प्र.३. ‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।’-इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?

उ. मशीनी युग में ग्रामीण भारत के कुशल कारीगरों को बेरोजगार कर दिया है। अब हाथों का स्थान मशीनों ने लिया है। मशीनें कम समय में ज्यादा काम करती है। उनकी उत्पादकता भी अधिक है। समय बदलने से नए -नए अविष्कार सामने आ रहे हैं। मशीनें अधिक मनुष्यों का काम स्वयं कर रही है। ऐसी परिश्थिति में बदलू मामा जैसे लोग बेरोजगार हो जा रहे हैं।  

प्र.४. बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।

उ. बदलू नए समय के मशीनी युग में बेरोजगार हो चुका है। लोग अब लाख की चूड़ियों के बजाय काँच की चूड़ियों को पसंद कर रहे हैं। भले ही काँच की चूड़ियों में सुन्दरता व चमक नहीं है। पुस्तैनी पेशा के अतिरिक्त अन्य रोजगार न जानने के कारण बदलू मामा असहाय हो गए हैं। यह व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।  

प्र.५. मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?

उ. मशीनी युग के कारण बदलू बेरोजगार हो गया है। गरीबी का जीवन यापन कर रहा है। उसे गाय बेचना पड़ा है, स्वयं दमा की बीमारी का शिकार हो चुका है। गाँव में उसकी पहले जो इज्जत थी ,वह अब नहीं रही। यही कारण है कि जमींदार अब लाख की चूड़ियों के बदले १० पैसे दे रहा है। कुल मिलाकर मशीनीकरण ने बदलू जैसे कुशल कारीगर को बेरोजगार और असहाय बना दिया है। 


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