ट्रैमोंटाना - गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़

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ट्रैमोंटाना उसकी दु:खद मृत्यु से पहले मैंने उसे केवल एक बार बोकैसियो में देखा । वह बार्सीलोना का मशहूर क्लब था । सुबह के दो बज रहे थे और युवा स्वीडन-वासियों का एक दल उसके पीछे पड़ा था ।

ट्रैमोंटाना


उसकी दु:खद मृत्यु से पहले मैंने उसे केवल एक बार बोकैसियो में देखा । वह बार्सीलोना का मशहूर क्लब था । सुबह के दो बज रहे थे और युवा स्वीडन-वासियों का एक दल उसके पीछे पड़ा था । वे उसे कैडेक्वेस में हो रही पार्टी को समाप्त करने के लिए अपने साथ ले जाना चाहते थे । वे कुल ग्यारह स्वीडन-वासी थे और उन्हें अलग-अलग पहचानना मुश्किल था क्योंकि वे सभी औरतें और मर्द एक जैसे दिखते थे । वे सभी ख़ूबसूरत थे , उनकी कमर पतली थी और बाल सुनहले और लम्बे थे । उसकी उम्र बीस वर्ष से अधिक नहीं होगी । उसके सिर पर नीले-काले घुँघराले बाल थे , और उसकी त्वचा उन कैरेबियाई लोगों की तरह चिकनी और पीली थी जिनकी माँ ने उन्हें पेड़ों की छाया तले चलना सिखाया था । उसकी आँखें अरब लोगों जैसी थीं और यह बात स्वीडन की लड़कियों और कुछ लड़कों को भी उसका दीवाना बना देने के लिए पर्याप्त थी । उन्होंने उसे शराबख़ाने की मेज़ पर बैठा रखा था , जैसे वह तरह-तरह की आवाज़ें निकाल सकने वाले किसी पेटबोले की कठपुतली हो । वे उसे तालियाँ बजा-बजा कर प्रेम-गीत सुना रहे थे और साथ ही उसे अपने साथ चलने के लिए मना रहे थे । भयभीत हो कर वह उन्हें साथ नहीं चल सकने की अपनी वजहें बताने का प्रयास कर रहा था । किसी ने हस्तक्षेप किया और चिल्लाया कि उन्हें उसे अकेला छोड़ देना चाहिए । इस पर हँसते रहने से कमजोर पड़ गए एक स्वीडन-वासी ने उसका सामना किया ।
“ वह हमारा है , “ स्वीडन-वासी चिल्लाया । “ वह हमें कचरे के डब्बे में मिला था ! “
मैं पलाऊ दे ला म्यूज़िका के संगीत समारोह में डेविड ओएस्त्रैख़ की अंतिम संगीत-रचना को सुनने के बाद , कुछ ही समय पहले वहाँ पहुँचा था । मेरे साथ मित्रों की एक टोली भी थी । मुझे स्वीडन-वासियों का अविश्वास बेहद अरुचिकर लगा । ऐसा इसलिए था क्योंकि उनके साथ न जाने की लड़के की वजहें बेहद पावन थीं । वह कडैक्वेस में रहता था जहाँ वह एक फ़ैशनप्रिय शराबख़ाने में ऐंटिलियाई गीत गाने का काम करता था । पिछली गर्मियों तक सब कुछ सही रहा लेकिन उसके बाद वह ट्रैमोंटाना का शिकार बन गया । दूसरे दिन वह किसी तरह बचकर भाग सका और उसने क़सम खाई कि चाहे वहाँ ट्रैमोंटाना हो या न हो , वह वहाँ फिर कभी नहीं लोटेगा । उसे यह तय लगा कि यदि वह वहाँ वापस गया तो मृत्यु वहाँ उसकी प्रतीक्षा कर रही होगी । यह एक कैरेबियाई निश्चितता थी । गर्मी से पीड़ित तथा उस समय की कैटालोनियाई शराब के नशे में धुत्त उन तर्कणावादी स्कैंडेनेवियाई लोगों का वह समूह इसे नहीं समझ सकता था क्योंकि वह शराब उन सब के दिलों में जंगली इरादों के बीज बो रही थी ।
मैं उसे बाक़ी लोगों से बेहतर जानता था । कैडेक्वेस कोस्टा ब्रेवा इलाक़े का सबसे ख़ूबसूरत और सबसे अधिक संरक्षित शहर था । आंशिक रूप से यह इस तथ्य की वजह से था कि वहाँ आने वाला सँकरा राजमार्ग एक अगाध गर्त्त के किनारे बल खाता हुआ मुड़ता था और वहाँ पचास किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक की गति से गाड़ी चलाने के लिए चालक को बेहद सुस्थिर होने की ज़रूरत थी । पुराने मकान ऊँचे नहीं थे और भूमध्यसागर के मछुआरों के गाँवों की पारम्परिक शैली में सफ़ेद रंग में रंगे हुए थे । नए मकानों को प्रसिद्ध वास्तुकारों ने बनाया था जो मूल सामंजस्य का सम्मान करते थे ।
ग्रीष्म ऋतु में , जब गर्मी सड़क के उस पार स्थित अफ़्रीका के रेगिस्तानों की ओर से आती हुई प्रतीत होती थी , कैडेक्वेस एक नारकीय कोलाहल में परिवर्तित हो जाता था । ऐसा इसलिए होता था क्योंकि तीन महीनों तक यूरोप के सभी कोनों से आने वाले पर्यटक स्थानीय लोगों के साथ धक्कम-पेल करते हुए नज़र आते थे । और तो और ,
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उस जन्नत के नियंत्रण के लिए कई क़िस्मत वाले विदेशी वहाँ कम क़ीमत पर बढ़िया मकान ख़रीदने में सफल हो जाते थे । लेकिन वसंत और पतझड़ के दौरान , जब कैडेक्वेस सर्वाधिक आकर्षक नज़र आता था , कोई भी ट्रैमोंटाना की डरावनी सोच से बचकर नहीं भाग सकता था । ट्रैमोंटाना उन दिनों ज़मीन पर बहने वाली एक रूखी और तीक्ष्ण हवा थी जो अपने साथ पागलपन के बीज लिए चलती थी । इसका शिकार हुए स्थानीय लोगों और इससे सबक़ सीख चुके कुछ लेखकों का तो यही मानना था ।
जब पंद्रह वर्ष पहले ट्रैमोंटाना से हमारा सामना हुआ , उससे पहले तक मैं उस शहर का सबसे निष्ठावान् पर्यटक था । एक रविवार दोपहर के भोजन के बाद आराम करने के समय मुझे उस हवा के आने का पूर्वाभास हो गया । यानी क्या होने वाला था , मुझे इसका पूर्वबोध हो गया था , किंतु इसे समझाया नहीं जा सकता था । मेरी हिम्मत जवाब दे गई । मैं अकारण ही उदास महसूस करने लगा , और मुझे ऐसा लगा जैसे दस वर्ष से कम आयु के मेरे दोनों बच्चे पूरे मकान में मेरे पीछे-पीछे चलते हुए विद्वेषी निगाहों से मुझे घूर रहे हों । कुछ ही देर बाद दरबान औज़ारों के बक्से और तार के साथ वहाँ आया ताकि वह खिड़कियों और दरवाज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके । वह मुझे खिन्न देखकर हैरान नहीं हुआ ।
“ यह ट्रैमोंटाना की वजह से हुआ है । वह एक घंटे से भी कम समय में यहाँ पहुँच जाएगी । “ उसने कहा ।
वह एक बहुत ही बूढ़ा आदमी था , एक भूतपूर्व नाविक जिसके पास समुद्री यात्राओं के समय की बरसाती , टोपी और चिलम मौजूद थी । पूरे विश्व में समुद्री यात्राओं के दौरान लगातार खारे पानी के सम्पर्क में आने की वजह से उसकी त्वचा झुलस गई थी । अपने ख़ाली समय में वह कई युद्धों में हार का सामना करने वाले अनुभवी पूर्व-सैनिकों के साथ चौराहे पर गेंद से बोतलों को गिराने का खेल खेलता था । वह समुद्र-तट के पास मौजूद शराबखानों में पर्यटकों के साथ शराब भी पिया करता था । कैटालोनिया के तोपख़ाने में काम करने के अपने अनुभव की बदौलत वह विदेशी पर्यटकों से अनजान भाषा की बाधा के बिना बातचीत कर लेता था । उसे पूरी धरती के सभी बंदरगाहों को जानने की अपनी क्षमता पर गर्व था किंतु वह किसी भी अंदरूनी शहर को नहीं जानता था । “ फ़्रांस में स्थित पेरिस को भी मैं नहीं जानता हूँ , हालाँकि वह एक बेहद प्रसिद्ध शहर है , “ वह कहा करता । जो वाहन पानी में नहीं तैरते थे , उन पर उसे बिल्कुल भरोसा नहीं था ।
पिछले कुछ वर्षों में उसकी उम्र बहुत तेज़ी से ढली थी , और वह दोबारा सड़क पर नहीं गया था । वह अपना अधिकांश समय दरबान के लिए नियत कमरे में बिताता था । उसकी मनोवृत्ति में एकाकीपन था और उसने अपना पूरा जीवन इसी तरह बिताया था । वह चूल्हे पर एक कड़ाही में अपना खाना स्वयं बनाता था , लेकिन हमें अपने सुविख्यात लज़ीज़ भोजन से प्रसन्न कर देने के लिए उसे बस यही चाहिए था । सुबह तड़के ही वह हर मंज़िल पर मौजूद किरायेदारों की देखभाल करने के लिए निकल पड़ता और वह मेल-मिलाप कराने और सहायता करने वाले उन सबसे बढ़िया लोगों में से एक था जिनसे मैं आज तक मिला था । उसके व्यक्तित्व में कैटालोनियाई लोगों की तरह अनजाने में की गई उदारता और रूखी कोमलता का बढ़िया समावेश था । वह बहुत कम बोलता था , लेकिन उसकी शैली स्प्ष्ट और प्रासंगिक थी । जब उसके पास करने के लिए और कुछ नहीं होता तो वह घंटों वे प्रपत्र भरता रहता जो फ़ुटबॉल के खेल के नतीजों की भविष्यवाणी करते , हालाँकि वह उन प्रपत्रों को कभी-कभार ही डाक से कहीं भेजता ।
उस दिन जब वह विपत्तियों का पूर्वानुमान करके दरवाज़ों और खिड़कियों को सुरक्षित बना रहा था , तब उसने हमसे ट्रैमोंटाना के बारे में इस तरह से बात की गोया वह कोई घृणित महिला हो , किंतु जिसके बिना उसका अपना जीवन भी निरर्थक हो जाएगा । मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि एक नाविक ज़मीन पर बहने वाली हवा के प्रति इतना सम्मान रखता है ।
“ यह पुरानी चीज़ों में से एक है , “ उसने कहा । उसे देखकर ऐसा लगता था जैसे उसका वर्ष दिनों और महीनों के बीतने पर निर्भर नहीं करता था बल्कि ट्रैमोंटाना कितनी बार बहती थी , इस बात पर निर्भर करता था । “ पिछले साल , दूसरे ट्रैमोंटाना के बहने के तीन दिन बाद मैं आन्त्र-शोथ की वजह से बीमार पड़ गया , “ उसने एक बार मुझे बताया था । शायद इस बात से उसके इस यक़ीन का पता चलता था कि हर ट्रैमोंटाना के बहने के बाद आप की उम्र कई वर्ष ढल जाती थी । ट्रैमोंटाना के बारे में उसकी सनक इतनी ज़्यादा थी कि वह हममें भी ऐसी चाहत भर देता कि हम भी ट्रैमोंटाना को जानें , गोया वह कोई विनाशक और सम्मोहक आगंतुक हो ।
हमें ज़्यादा देर प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी । दरबान के जाते ही हमें सीटी के बजने की आवाज़ सुनाई दी जो हर पल तीव्र और प्रचंड होती चली गई , और अंत में किसी भूकम्प की गड़गड़ाहट में घुल-मिल गई । फिर उस हवा का बहना शुरू हुआ । हवा के सबसे पहले झोंके थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद आए । फिर वे निरंतर आने लगे और अंत में वह प्रचंड हवा जैसे स्थायी हो गई । वह अचल हवा बिना रुके और बिना किसी राहत के उस वेग और क्रूरता से बहती रही जो अलौकिक लग रही थी । कैरेबियाई प्रथा के विपरीत हमारे मकान का प्रवेश-द्वार पहाड़ों की तरफ़ था । शायद ऐसा पुराने फ़ैशन के उन कैटालोनियाई लोगों की अभिरुचि की वजह से था जो समुद्र से प्रेम तो करते हैं पर समुद्र को देखने की परवाह नहीं करते । और इसलिए वह प्रचंड हवा हमारे मकान से सीधी टकराई और हमें डराने लगी कि वह खिड़कियों को कस कर बाँधने वाली रस्सियों को उखाड़ फेंकेगी । 
जिस बात ने मुझमें सबसे अधिक जिज्ञासा उत्पन्न की वह यह थी कि सुनहले सूर्य और निर्भीक आकाश वाला मौसम अब भी ख़ूबसूरत बना हुआ था । मौसम के सौंदर्य का यह आलम था कि मैंने बच्चों को बाहर सड़क पर ले जाने का फ़ैसला किया ताकि वे समुद्र का नजारा देख सकें । आख़िर वे बच्चे मेक्सिको के भूकम्पों और कैरेबिया के समुद्री तूफ़ानों के अनुभव के बीच बड़े हो रहे थे । इसलिए एक और प्रचंड हवा से ज़्यादा चिंतित होने की ज़रूरत नहीं थी । हम पंजों के बल चलते हुए दरबान के कमरे के सामने से गुज़रे । हमने उसे खिड़की के बाहर चल रही तीव्र हवा को महसूस करते हुए , खाने की प्लेट के सम्मुख स्तंभित देखा । वह हमें बाहर जाते हुए नहीं देख पाया ।
जब तक हम मकान के पिछली ओर रहे , हम आराम से चलते रहे , लेकिन जैसे ही हम मकान के सामने की ओर के खुले कोने की तरफ़ पहुँचे , हमें बिजली के एक खम्भे को कस कर पकड़ना पड़ा ताकि हम उस प्रचंड हवा के वेग से उड़ न जाएँ । हम उस खम्भे को पकड़ कर वहीं खड़े रहे । हैरानी की बात यह थी कि उस महाप्रलय के बीच समुद्र साफ़ और अचल बना रहा । हम कुछ देर तक वहीं फँसे रहे । तब जा कर दरबान कुछ पड़ोसियों के साथ वहाँ आया और वे हमें उस प्रचंड हवा से बचा कर मकान के भीतर ले आए । और तब अंत में हमने यह मान लिया कि ऐसी विकट परिस्थिति में एकमात्र विवेकपूर्ण विकल्प यही था कि हम तब तक घर के भीतर ही रहें , जब तक ईश्वर कुछ और न चाहे । और किसी को यह ज़रा भी अनुमान नहीं था कि वैसा कब होगा ।
दो दिनों के अंत में हमें ऐसा लगने लगा जैसे वह डरावनी हवा कोई प्राकृतिक घटना नहीं थी बल्कि कोई व्यक्तिगत अपमान था , जिसका निशाना किसी ने जानबूझकर केवल हमें ही बनाया था । हमारी मानसिक दशा से चिंतित दरबान कई बार हमसे मिलने आया , और हर बार वह हमारे लिए उस मौसम में मिलने वाले फल और बच्चों के लिए टॉफ़ियाँ लेकर आया । मंगलवार के दिन दोपहर के भोजन में उसने हमें रसोई की कड़ाही में बनाए गए लज़ीज़ कैटालोनियाई व्यंजनों की दावत दी , जहाँ ख़रगोश और घोंघों का माँस उपलब्ध था । यह संत्रास के माहौल में दी गई दावत थी ।
बुधवार के दिन उस प्रचंड हवा के वेग के साथ बहते रहने के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं हुआ । वह मेरे जीवन का सबसे लम्बा दिन था । किंतु वह ज़रूर सुबह के उजाले से पहले का अँधेरा रहा होगा । अर्द्ध-रात्रि के बाद हम सभी लगभग एक ही समय में जग गए क्योंकि हम सब एक ऐसी परम नीरवता से अभिभूत हो गए थे जिसे केवल मृत्यु का सन्नाटा कहा जा सकता था । पहाड़ों की ओर मौजूद पेड़ों पर एक भी पत्ता नहीं हिल रहा था । और इसलिए दरबान के कमरे की बत्ती जलने से पहले ही हम सब बाहर सड़क पर निकल 
आए । हमने सुबह का उजाला होने से पहले के सितारों भरे आकाश और स्फुर-दीप्त समुद्र को देखने का भरपूर आनंद लिया । हालाँकि अभी सुबह के पाँच भी नहीं बजे थे , पर कई पर्यटक उस पथरीले समुद्र-तट पर राहत और छुटकारे की भावना से जश्न मना रहे थे । तीन दिनों की तपस्या के बाद पाल वाली नावों की फिर से सजावट की जा रही थी ।
जब हम बाहर गए तो हमने इस तथ्य की ओर कोई ध्यान नहीं दिया कि दरबान के कमरे में अँधेरा था । लेकिन जब हम वापस मकान पर लौटे तो हवा भी समुद्र की तरह स्फुर-दीप्त लग रही थी और दरबान के कमरे में अब भी अँधेरा था । मुझे यह अजीब लगा और मैंने उसके दरवाज़े पर दो बार दस्तक दी , और क्योंकि कोई उत्तर नहीं आया , इसलिए मैंने धक्का दे कर दरवाज़े को खोला । मेरा ख़्याल है कि बच्चों ने उसे मुझसे पहले देखा और वे डर के मारे चीख़ पड़े । बूढ़ा दरबान कमरे के बीच में छत की शहतीर से लटक कर जैसे ट्रैमोंटाना के अंतिम झोंके से झूल रहा था । विख्यात नाविक का उसका प्रतीक-चिह्न उसके समुद्री-यात्रा वाले जैकेट की मुड़ी पर लगा हुआ था ।
अपनी छुट्टियों के बीच में ही पूर्वाभासी गृह-विरह से ग्रसित हम लोगों ने वहाँ फिर कभी नहीं लौटने का अटल संकल्प लिया , और हमने वह गाँव नियत समय से पहले ही छोड़ दिया । पर्यटक सड़क पर लौट आए थे और चौक पर संगीत का कार्यक्रम शुरू हो गया था , हालाँकि अनुभवी पूर्व-सैनिक अब भी एक-दूसरे के विरुद्ध गेंद से बोतलों को गिराने का खेल खेलने से क़तरा रहे थे । तटवर्ती शराबख़ाने की धूल भरी खिड़कियों में से हमें अपने कुछ उन मित्रों की झलक दिखी जो उस प्रचंड हवा के प्रहार से बच गए थे और ट्रैमोंटाना के बाद की चमकीली बहार में अपना जीवन फिर से शुरू कर रहे थे । लेकिन अब वह सब कुछ अतीत का हिस्सा था ।
इसलिए भोर से पहले के उन उदास घंटों में जब वह लड़का कैडेक्वेस लौटने से इंकार कर रहा था क्योंकि उसे यक़ीन था कि वहाँ उसकी मृत्यु हो जाएगी , तो उसके इस भय को मुझसे बेहतर और कोई नहीं समझ सकता था । लेकिन उन स्वीडन-वासियों को रोकने का कोई तरीक़ा नहीं था । वे उस लड़के को घसीटते हुए अपने साथ ले गए । उनका यूरोपीय इरादा ज़बर्दस्ती उसके अफ़्रीकी अंधविश्वासों का इलाज करने का था । समर्थकों और विरोधियों के दो धड़ों में बँटे दर्शकों की तालियों और ‘ छी-छी ‘ के बीच वे उसे धक्के देते रहे और ठोकरें मारते रहे । वे उसे शराबियों से भरी एक गाड़ी में डाल कर उस देर रात में कैडेक्वेस की लम्बी यात्रा पर निकल पड़े ।
अगली सुबह मैं फ़ोन की बजती घंटी सुन कर अर्द्ध-निद्रावस्था में उठा । कल रात जब मैं पार्टी के बाद घर आया तो मैं कमरे के पर्दे खींच कर बंद करना भूल गया था । इसलिए मुझे समय का अंदाज़ा नहीं था , लेकिन शयन-कक्ष गर्मियों की चमकीली धूप से भरा हुआ था । शुरू में मैं फ़ोन पर आ रही चिंतातुर आवाज़ को नहीं पहचान पाया , लेकिन संदेश ने मुझे झकझोर कर नींद से पूरी तरह जगा दिया ।
“ क्या तुम्हें वह लड़का याद है जिसे वे सब कल रात पकड़ कर कैडेक्वेस ले गए थे ? “
मुझे इसके आगे एक भी शब्द और सुनने की इच्छा नहीं हुई । किंतु जो बताया गया , वह मेरी कल्पना से भी कहीं अधिक नाटकीय था । लड़का इस बात से बेहद भयभीत था कि उसका कैडेक्वेस लौटना अब पूरी तरह तय था । उन पागल स्वीडन-वासियों की एक पल की लापरवाही का फ़ायदा उठाते हुए , तथा अपनी अनिवार्य मृत्यु से बचने के प्रयास में लड़का चलती गाड़ी से रास्ते में पड़ने वाले अगाध गर्त्त में कूद गया ।
( जनवरी , 1982 )

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—- मूल लेखक : गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़
—- अनुवाद : सुशांत सुप्रिय


प्रेषक : सुशांत सुप्रिय
A-5001 ,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम् ,
ग़ाज़ियाबाद - 201014
( उ.प्र. )
मो : 8512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com

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ट्रैमोंटाना - गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़
ट्रैमोंटाना उसकी दु:खद मृत्यु से पहले मैंने उसे केवल एक बार बोकैसियो में देखा । वह बार्सीलोना का मशहूर क्लब था । सुबह के दो बज रहे थे और युवा स्वीडन-वासियों का एक दल उसके पीछे पड़ा था ।
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