मछुआरों की भूल एक बार कुछ मछुआरें मछली पकड़ने समुद्र की ओर गए .सुबह से शाम हो गयी ,किन्तु एक भी मछली उनके हाथ नहीं लगी . निराश होकर मछुआरे लौट आये .अब वे एक अनुभवी बूढ़े मछुआरे के पास गए .उस बूढ़े का नाम कारेल था . मछुआरे मछुआरे मछुआरों ने अपनी दुःख भरी कहानी सुनाकर उससे सलाह माँगी.
मछुआरों की भूल
एक बार कुछ मछुआरें मछली पकड़ने समुद्र की ओर गए .सुबह से शाम हो गयी ,किन्तु एक भी मछली उनके हाथ नहीं लगी .
निराश होकर मछुआरे लौट आये .अब वे एक अनुभवी बूढ़े मछुआरे के पास गए .उस बूढ़े का नाम कारेल था .
![]() |
मछुआरे |
मछुआरों की बात सुनकर कारेल ने एक रुमाल उन लोगों को दिया .बोला - "इसे रखो .इसमें अलग - अलग स्थानों पर तीन गाँठे मैंने लगायी हैं .पहली गाँठ खोलोगे ,तो तुम्हारी नाव समुद्र में दूर तक चली जायेगी .दूसरी गाँठ खोलोगे ,तो असंख्य मछलियाँ तुम्हारे जाल में फसेंगी .किन्तु तीसरी गाँठ भूलकर भी कभी मत खोलना .अन्यथा तुम लोग विप्पति में पड़ जाओगे .
कारेल का रुमाल -
दूसरे दिन मछुवारे कारेल का रुमाल लेकर नाव खेते ,मछलियाँ पकड़ने समुद्र में गए . कारेल के कहे अनुसार मछुवारे ने रुमाल की पहली गाँठ खोली .इनकी नाव समुद्र में काफी दूर तक निकल गयी .दूसरी गाँठ खोलने के बाद मछुआरों ने समुद्र में अपना विशाल जाल फैलाया .कुछ ही देर में जाल असंख्य मछलियों से भरकर इतना भारी हो गया की उन्हें जाल को खींचने में कष्ट होने लगा .
रुमाल की तीसरी गाँठ-
बहुत मुश्किल से मछुआरों ने जाल को खींचने में सफलता पायी .जाल में बहुत मछलियाँ देखकर मछुआरों में मुखिया का लालच और बढ़ .वह कारेल की चेतावनी को भूल गया .चिल्लाकर बोला - जाल फिर से डालो ,रुमाल की तीसरी गाँठ भी खोल दो ."
मछुआरों ने अपने सरदार की बात मानकर जाल समुद्र में फेंक दिया .फिर रुमाल की तीसरी गाँठ भी खोल दी .रुमाल की तीसरी गाँठ खोलते ही नाव एक जगह ठहर गयी .अब वह न तो आगे बढ़ रही थी और न पीछे .तभी समुद्र में भयंकर तूफ़ान उठा .नाव हिचकौले खाने लगी .फिर मूसलाधार बारिश भी होने लगी .मछुआरों में चीख पुकार मच गयी ,मगर कौन सुनता उनकी .इसी बीच रात भी घिरने लगी .अँधेरे होते ही उनकी नाव समुद्र में इधर उधर भटकने लगी .नाव में भरी मछलियाँ वापस समुद्र में गिर गई.
सुबह मछुआरों ने अपनी नाव को एक अपरचित तट पर खड़ा पाया .वे सभी भयभीत बने नाव से उतरे .कुछ आगे बढ़े की ठिठके गए .सामने से एक वृद्ध व्यक्ति आ रहा था .मछुआरों ने गिडगिडा कर उससे कहा - 'बाबा ,हम मुसीबत में फंस गए .हमारी मदद कीजिये .
फिर मछुआरों ने अपनी सारी आपबीती बूढ़े को सुना दी .
किंवदंती -
मछुआरों की बात सुनकर बुढा बोला - "तुमने कारेल की आज्ञा भंग की ,इसीलिए तुम पर विप्पति आई .समुद्र की विप्पतियाँ से बचाने के लिए ही कारेल ने रुमाल में तीसरी गाँठ बाँधी थी .लाओ ,मैं वह गाँठ फिर बाँध देता हूँ .ठीक उत्तर दिशा में बढ़ते चले जाना .तुम लोग अपने घर पहुँच जाओगे .किन्तु रुमाल की तीसरी गाँठ मत खोलना .बूढ़े ने रुमाल में तीसरी गाँठ बांधकर मछुआरों को दे दी .
मछुआरे खाली हाथ घर वापस लौट आये .इस घटना को सैकड़ों वर्ष बीत गए हैं मगर आज भी मछुआरों के मुंह से यह कहानी सुनी जाती है .
कहानी से शिक्षा -
- बड़े बूढ़ों की बात माननी चाहिए .
- अपनी जरुरत से ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए .
व्वाहहहहह
जवाब देंहटाएंप्रेरणास्पद
सादर