भूषण का जीवन परिचय

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भूषण का जीवन परिचय भूषण का जीवन परिचय भूषण का जीवन परिचय इन हिंदी कवि भूषण का जीवन परिचय बताइए Kavi Bhushan - रीतिकालीन कवियों में कविवर भूषण अप्रिय तथा अद्वितीय हैं .इन्होने राष्ट्रीयता ,देशानुराग ,हिन्दू धर्म ,जाती रक्षा आदि भावों को अपनाकर इन भावों की रक्षा करने वाले राजाओं - महाराजाओं का यशोगान किया है .

भूषण का जीवन परिचय 


भूषण का जीवन परिचय भूषण का जीवन परिचय इन हिंदी कवि भूषण का जीवन परिचय बताइए Kavi Bhushan - रीतिकालीन कवियों में कविवर भूषण अप्रिय तथा अद्वितीय हैं .इन्होने राष्ट्रीयता ,देशानुराग ,हिन्दू धर्म ,जाती रक्षा आदि भावों को अपनाकर इन भावों की रक्षा करने वाले राजाओं - महाराजाओं का यशोगान किया है . कविताओं के माध्यम से इन्होने जातीय एकता का भाव भरा है .यही कारण है की भूषण के समक्ष उस समय का कोई कवी टिक नहीं पाया .वह अपने समय के बेजोड़ कवि हैं .इनका साहित्य महाराज शिवाजी और क्षत्रसाल का जीवन साहित्य ही नहीं हैं ,यह सम्पूर्ण हिन्दू जनता का गौरव साहित्य हैं .

महाकवि भूषण का जीवन परिचय - 

इनके जीवन काल तथा जन्म स्थान के सम्बन्ध में विद्वानों में बड़ा भ्रम है .किसी ने इनका जन्मकाल संवत १६६२
कविवर भूषण
कविवर भूषण
माना है तो किसी ने १६९२ में . मिश्र बन्धुओं ने इनका जन्मकाल संवत १६७२ बताते हैं .आचार्य शुक्ल जी इनका जन्मकाल १६१३ तथा मृत्यु संवत १७१५ बताते हैं . इस आधार पर भूषण महाराज शिवाजी के समकालीन सिद्ध होते हैं . इनके अनुसार इनका जन्म १७३७ विक्रम के पश्चात १७३८ में आषाढ़ वदी १ रविवार के दिन हुआ था .शिवराज भूषण इनका जन्म स्थान कानपुर का तिकामपुर ग्राम माना जा चुका है .आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र इनका बचपन का नाम घनश्याम और भागीरथ प्रसाद दीक्षित इनका नाम मतिराम बताते हैं .भूषण की उपाधि चित्रकूट नरेश ह्रदय राम से प्राप्त हुई जैसा की लिखा गया है -

“कुल सुंलक चित्रकूट पति साहस सील समुद्र । कवि भूषण पदवी दई, हृदय राम सुत रूद्र।”

उनके बड़े भाई का चिंतामणि त्रिपाठी और पिता का नाम रत्नाकर त्रिपाठी था .किसी भी ग्रन्थ में इन्होने अपना परिचय नहीं दिया .अतः प्रमाणिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है .

आश्रयदाता - 

महाकवि भूषण महाराज शिवाजी तथा छत्रसाल के दरबार तक ही सिमित नहीं थे .इनके एक छंद से स्पष्ट है कि भूषण ने मोरग ,कुमायु ,श्रीनगर ,रीवां ,जयपुर ,जोधपुर ,आदिलशाह आदि दरबारों में आश्रय प्राप्त किया था .इस प्रकार हम पाते हैं कि इनका कार्य क्षेत्र बड़ा व्यापक है .

भाषा शैली व काव्य कला - 

महाकवि भूषण रीतिकाल के कवि होकर भी रीति साहित्य से मुक्त हैं . रीतिकालीन श्रृंगारिक भावों के समर्थक नहीं थे .भूषण की भाषा ब्रज भाषा हैं पर वह शुद्ध ब्रज भाषा नहीं हैं .उसमें ओज है पर वह अधिकतर उबड़ खाबड़ है .भूषण ने वीर रस को अपनी कविता का मुख्य आधार बनाकर रीतिकाल में अपना स्थान बना लिया है .उस समय देश के अधिकाँश भागों में मुसलमानों का शासन था .हिन्दू गौरव तथा हिन्दू धर्म नष्ट होता जा रहा था .हिंदुत्व के रक्षकों का गुण गान करने पर भी भूषण को राष्ट्रीय कवि ही मानना चाहिए क्योंकि इनके समय में राष्ट्रीयता और आत्मीयता अभिन्न थी .महाकवि भूषण ने हिन्दू जनता में जातीय गौरव का मन्त्र फूंका ,उनमें नवीन शक्ति और चेतना का बीज बोया .

महाकवि भूषण की रचनाएं - 

महाकवि भूषण रचित तीन पुस्तकें उपलब्ध हैं -
१. शिवराज भूषण ,
२. शिवा बावनी,
३ छत्रसालदशक .

इनके अतिरिक्त इनके कई फुटकर छंद में बताएं जाते हैं .


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