जल प्रलय पर निबंध

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जल प्रलय पर निबंध Essay on Flood in Hindi! जल प्रलय पर निबंध Essay on Flood in Hindi जल प्रकृति का वह तरल पदार्थ है जो मनुष्य के लिए जीवन स्वरुप हैं क्योंकि न तो जल के बिना जीवन की रचना ही संभव है और न ही जीवन उसके बिना रह सकता है .मनुष्य के अलावा धरती के अन्य सभी छोटे बड़े जीव ,पेड़ पौधे और वनस्पतियां आदि सभी का जीवन जल है

जल प्रलय पर निबंध 
Essay on Flood in Hindi


जल प्रलय पर निबंध Essay on Flood in Hindi जल प्रकृति का वह तरल पदार्थ है जो मनुष्य के लिए जीवन स्वरुप हैं क्योंकि न तो जल के बिना जीवन की रचना ही संभव है और न ही जीवन उसके बिना रह सकता है .मनुष्य के अलावा धरती के अन्य सभी छोटे बड़े जीव ,पेड़ पौधे और वनस्पतियां आदि सभी का जीवन जल है
जल प्रलय
जल प्रलय 
और जल ही नहीं होता या उसका अभाव होता तो समस्त जगत की मृत्यु भी निश्चित होती .परन्तु यही जीवन देने वाला जल जब बाढ़ का रूप धारण कर लेता है तो प्रकृति का एक क्रूर परिहास बनकर रह जाता है .

जल प्रलय का कारण - 

जल प्रलय आने के प्रायः दो ही कारण होते हैं -एक तो वर्षा का आवश्यकता से अधिक होना तथा दूसरा कारण है कभी किसी समय नदी का बाढ़ के कारण रास्ता बदलना या बाँध की दिवार का टूटना ये दोनों कारण ही चारों ओर जल प्रलय का भयंकर दृश्य उपस्थित कर दिया करते हैं दोनों ही स्थितियों में जन हानि तथा खलिहानों ,पशु धन और मकानों आदि के नाश के रूप में धन हानि हुआ करती है .कई बार तो उस भयावह ,करुण दृश्य का स्मरण करते हुए रोंगटे खड़े हो जाते हैं जब जल प्रलय में डूब रहे मनुष्य और पशु आदि को देखना पड़ता है . 

भीषण बाढ़ का दृश्य - 

भीषण बाढ़ का ऐसा ही एक भयावह दृश्य मुझे देखने को मिला .उस दृश्य को सोचकर शरीर में कंप कंपी सी हो जाती है .बरसात का मौसम था .चारों ओर घनघोर वर्षा हो रही थी .कई दिनों से लगातार वर्षा होने के कारण नदी नालों में पानी लबालब भर गया था .ताजेवाला हौज़ से यमुना में लगातार पानी छोड़ा जा रहा था .जब पानी की निकासी का कोई रास्ता नहीं रहा तो पानी लोगों के घरों में भरने लगा .हम लोग यह सोचकर सो गए कि वर्षा थमने पर संभवत पानी कम हो जाएगा .लेकिन ऐसा नही हुआ .

अविस्मरणीय घटना - 

आधी रात तक पानी हमारे क्षेत्र के सभी घरों में घुटनों तक भर गया .बिजली जलाकर जब हमने देखा तो रात का वह दृश्य बड़ा ही भयावह था .गंध मारता पानी तथा जल जीवों ,साँपों आदि के साथ हमारे चारों ओर विद्यमान था .हम स्वयं को बचाने के लिए छत पर चढ़े लेकिन ऐसा लगा की पानी भी हमारा पीछा कर रहा है जीवन की सुरक्षा और संभावनाएं घटती जा रही थी .औरतें बच्चों को गोदी में उठाये एक दूसरे की तरफ निरीह आँखों से देख रही थी .कुछ समय बाद नावों में सवार होकर कुछ स्वयं सेवक आये थे वे हमें वहां से निकालकर ले गए .तब कहीं जाकर हमने चैन की सांस ली .वह जल प्रलय का दृश्य आज तक भी भुलाये नहीं भूलता है . 


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