जीवन में दुखों का आनंद कैसे लें ?

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जीवन में दुखों का आनंद कैसे लें Ways to Live a Joyful Life जीवन के कष्ट का सामना करने के अधिक उपयुक्त हो जाते हैं .कष्ट हमें वीर बनाते हैं .यह हमारी परीक्षा है दंड नहीं .

जीवन में दुखों का आनंद कैसे लें Ways to Live a Joyful Life



कोई भी व्यक्ति विपन्नता के कटु अनुभवों का रसास्वादन करना नहीं चाहता .जीवन के मधुर फलों के सामने .यह हम पर किसी भी रूप में आ आ सकता है जैसे की रोग ,क्षति ,दुर्घटना या दुःख . 

भाग्य को न कोसे - 

जीवन
तनाव के इन दिनों में हम भाग्य तथा सर्वशक्तिमान ईश्वर को कोसते हैं .इस क्रिया में हम पुनः संघर्ष करने की इच्छा तथा क्षति की पूर्ति की इच्छा को खो बैठते हैं .हम यह भूल जाते हैं कि इस घोर कष्ट के दिन के बाद हमारी पुनः प्राप्ति की प्रक्रिया में हमारे कष्ट पीछे रह जायेंगे .हम उस अच्छाई को देखने में असफल हो जाते हैं जिसका उद्भव विपन्नता से हुआ है क्योंकि हम चित्र के एक ही पक्ष को देखने पर बल देते हैं .हम दूसरे दृष्टिकोण को देखने में असमर्थ रहते हैं . 

शांतिपूर्ण विचार करें - 

सर्वशक्तिमान के द्वारा निर्मित यंत्र में हम शुद्र नगण्य भाग हैं .हम इतने छोटे हैं कि हम ईश्वर के विधान या कार्य का निर्णय नहीं कर सकते हैं .हमारी स्थिति विशाल विभागीय भंडार में एक छुद्र कीट के समान है .इसीलिए हम इसकी सामग्री के ओर छोर को ज्ञात करने में असमर्थ रहते हैं .इसीलिए हम शिकायते करते रहते हैं तथा यह पर की दयापूर्ण ईश्वर के आस्तित्व ही में संदेह करने लगते हैं .हम अपने आन में यह महसूस करते हैं कि ईश्वर अन्यायी तथा निर्दयी है .तथापि हम शांतिपूर्ण विचार करें तथा अवलोकन करें .हमें अन्धकारपूर्ण प्रतीत होने वाली सुरंग के किनारे पर प्रकाश दृष्टिगोचर हो सकेगा .इन भावों को निम्न पंक्तियों में व्यक्ति किया जा सकता है - 

ईश्वर के समबन्ध में निर्णय क्षीण इन्द्रिय से न करो ,
बल्कि उसकी कृपा के लिए उस पर आस्था रखो ,क्रुद्ध भाग्य के पीछे 
वह मुस्कराता चेहरा छिपाए रखता है ,उसका उद्देश्य शीघ्र ही परिपक्व होगा ,
प्रत्येक क्षण प्रकट करते हुए ,
कली का स्वाद कडुवा हो सकता है ,
पर पुष्प मधुर होगा . 

दुःख जीवन का वरदान है - 

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विपन्नता ,वास्तव के छुद्र वेश में वरदान है .यह हमारे ह्रदय ,आत्मा व मष्तिष्क को मजबूत तथा पूर्णतया तैयारियों युक्त या तत्पर बनाती हैं .चरित्र सशक्त बनता है .इस प्रक्रिया में हम जीवन के कष्ट का सामना करने के अधिक उपयुक्त हो जाते हैं .कष्ट हमें वीर बनाते हैं .यह हमारी परीक्षा है दंड नहीं .कष्टों का निर्माण किसी व्यक्ति का ऐसी पृष्टभूमि में साहस का परीक्षण हेतु हुआ है .वास्तव में विपन्नता एक परीक्षण ,परीक्षा तथा अपना वास्तविक महत्व को सिद्ध करने का अवसर है . 


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