कृष्ण भक्ति शाखा की विशेषता krishna bhakti shakha ki visheshta कृष्ण भक्ति शाखा की विशेषता krishna bhakti shakha ki visheshta कृष्णाश्रयी शाखा कृष्ण भक्ति शाखा के कवि कृष्ण भक्ति शाखा की प्रवृत्तियाँ श्री कृष्ण भक्ति धारा के कवियों का वर्ण्य विषय कृष्ण विषय की लीलाओं का वर्णन रहा है .कुछ कवियों ने इनकी बाल्यावस्था को चुना है और कुछ ने यौवन हो .बाल्यकाल की चपलता में गोपी ,ग्वालबाल और यौवन की ललिता में गोपियों की रास लीलाओं का चित्रांकन है .
कृष्ण भक्ति शाखा की विशेषता
krishna bhakti shakha ki visheshta
कृष्ण भक्ति शाखा की विशेषता krishna bhakti shakha ki visheshta कृष्णाश्रयी शाखा कृष्ण भक्ति शाखा के कवि कृष्ण भक्ति शाखा की प्रवृत्तियाँ - ८ वीं शदी में दक्षिण भारत में श्रीकृष्ण भक्ति का अत्यधिक प्रचार - प्रसार था .प्राचीन संस्कृत काव्यों में भी श्रीकृष्ण सम्बन्धी कथाएँ मिलती हैं .जयदेव के गीत गोविन्द तथा विद्यापति की पदावली में राधाकृष्ण का श्रृंगारिक वर्णन है .इनका प्रभाव हिंदी साहित्य पर पड़ा. इस क्रम में हिंदी कृष्ण काव्य का सृजन हुआ .कुछ लोग हिंदी में कृष्ण काव्य का प्रारंभ विद्यापति से मानते हैं परन्तु सही अर्थों में कृष्ण काव्य का प्रचार १५ वीं शताब्दीं में बल्लभाचार्य के माध्यम से हुआ .अनेक वैष्णव कवि उनके शिष्य हुए .उनके शिष्य विट्ठलदास ने इस परंपरा को कायम रखा .इसी परंपरा में दीक्षित अष्टछाप कवियों में सूरदास का मुख्य विषय श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करना है .इस भक्ति में वात्सल्य ,सरल एवं माधुर्य भावों की प्रधानता है .सम्पूर्ण कृष्णकाव्य ब्रजभाषा में लिखा गया है .इनमें श्रृंगार रस तथा वात्सल्य रस की प्रधानता है .
कृष्ण भक्ति शाखा की विशेषता -
भक्तिकाल में श्रीकृष्ण भक्ति साहित्य की प्रमुख विशेषताएं व प्रवृतियाँ संक्षेप में निम्नलिखित हैं -
- श्री कृष्ण भक्ति धारा के कवियों का वर्ण्य विषय कृष्ण विषय की लीलाओं का वर्णन रहा है .कुछ कवियों ने इनकी बाल्यावस्था को चुना है और कुछ ने यौवन हो .बाल्यकाल की चपलता में गोपी ,ग्वालबाल और यौवन की ललिता में गोपियों की रास लीलाओं का चित्रांकन है .
- अधिकांश कवियों ने श्रीकृष्ण की मूल कथा को श्रीमद्भागवत से लिया है .
- इस शाखा के कवियों ने मुक्तक काव्य में रचना की है . इनकी रचना गेय मुक्तक पदों में हुई है .
- श्रीकृष्ण काव्य मूलतः वात्सल्य ,श्रृंगार और शांतरस में लिखा गया है .श्रृंगार में संयोग और वियोग दोनों पक्ष है .
- इन कवियों की भक्ति सखा भाव और दास्यभाव की है .कहीं कहीं दैन्य भावना भी दिखाई पड़ती है .
- इस शाखा की रचनाएँ ब्रजभाषा में लिखी गयी हैं .
- इस धारा का काव्य संगीतात्मकता से ओतप्रोत हैं .
- इस धारा के कवियों ने राधा और कृष्ण को श्रृंगार रस का आश्रय और आलंबन रूप में ग्रहण किया जिसका आगे चलकर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा .
श्रीकृष्ण भक्ति साहित्य के प्रमुख कवि -
भक्तिकाल में श्रीकृष्ण भक्ति साहित्य के प्रमुख कवियों में सूरदास ,कुंभनदास,परमानन्द दास ,कृष्ण दास ,नंददास ,चतुर्भुज दास ,गोविन्द स्वामी और छीतस्वामी आदि प्रमुख कवि हैं .
विडियो के रूप में देखें -
कृष्ण काव्य के विषय में हमें ज्ञान प्राप्त होती है। धन्यवाद।
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