सुरेश बाबु ने अपना मुँह दूसरी तरफ इस तरह घुमा लिया मानो उन्हें उस लड़की की बात सुनाई नहीं दी . सुरेश बाबु किसी निजी विद्यालय में अंग्रेजी पढाते थे। उनके बोलने से लेकर चालढाल व कपड़ो तक में अंग्रेजियत झलकती थी
हकीकत
सुरेश बाबु ने अपना मुँह दूसरी तरफ इस तरह घुमा लिया मानो उन्हें उस लड़की की बात सुनाई नहीं दी .
![]() |
भीख |
सुरेश बाबु किसी निजी विद्यालय में अंग्रेजी पढाते थे। उनके बोलने से लेकर चालढाल व कपड़ो तक में अंग्रेजियत झलकती थी।देखने में थोड़े खडूस प्रतीत होते थे, किन्तु जब भी कभी कोई सामाजिक बुराई का या स्त्रियों के हक आदि का मुद्दा कक्षा में उठता तो अपने विषय को छोड़कर उस मुद्दे पर बात करने लग जाते।बेचारे बच्चे भी उनकी इस आदत से खफ़ा थे क्योंकि वार्षिक परीक्षा नजदीक थी और अंग्रेजी का पाठ्यक्रम अभी अधूरा था।
हमेशा की तरह एक दिन वो कस्बे में घटी एक घटना पर बोल रहे थे।घटना थी, किसी १० दिन की मासूम लड़की को मंदिर की सीढियों पर छोड़कर जाने की उस दिन सुरेश बाबु पूरे जोश में थे।वो कह रहे थे, की हमारे देश में आज भी स्त्रियों के प्रति यह सोच रखी जाती है।तभी हमारे देश का लिंगानुपात सिर्फ ९४० है।ऐसे लोगो को तो जींदा जला देना चाहिए। उनके इस विषय पर लगभग आधा कालांश जा चुका था। कक्षा की सबसे होशियार लड़की निशा से बोले बगेर नहीं रहा गया। वो आज सुरेश बाबु को उनकी ही भाषा में जवाब देना चाहती थी।उसने सुरेश बाबु से पूछा,``सर मैं आपसे एक सवाल पुछू?``
सुरेश बाबु:- हाँ! पूछो क्या पूछना चाहती हो?
`सर अगर सयोंग से वो लड़की जो मंदिर की सीढियों पर पुजारी को मिली, अगर वो आपको मिली होती तो आप क्या करते?
निशा के इस सवाल से सभी ५२ बच्चों का ध्यान सुरेश बाबू के जवाब पर था.अब सुरेश बाबु भी कहाँ अपनी नाक नीची रखने वाले थे,उन्होंने झट से कह दिया ``अगर वह लड़की मुझे मिली होती तो मैं उसे गोद ले लेता और उसे उच्च शिक्षा देता।उसे इस काबिल बनाता की उसकी नजरों में ऐसी छोटी सोच वाले समाज की जगह कुछ नहीं होती। सुरेश बाबु के इस जवाब से पूरी कक्षा के विद्यार्थी ताली बजाने लगे और एक घंटी के साथ कालांश समाप्त हो गया।
अगले कुछ दिन इसी तरह बीते।एक दिन सुरेश बाबु के बचपन की दोस्त उनसे मिलने उनके यहाँ आ रही थी। सुरेश बाबु उसे लेने रेलवे स्टेशन गए।भीड़-भाड के बीच उनकी दोस्त सीमा गाड़ी से नीचे उतरी। दोनों दोस्तों ने एक दूसरे की तरफ मुस्कुराया और चाय पीने बैठ गए। सुरेश बाबु ने जैसे ही चाय का कप खाली किया उनके सामने ७-८ साल की फटे पुराने कपडे पहने एक लड़की थी।उसने सुरेश बाबु के सामने पैसे मांगने के लिए हाथ फैलाया और कहा,ओ बाबु! भगवान आपकी जोड़ी सलामत रखे।आप यूँही मुस्कुराते रहे। दस रूपये दे दो न दे दो बाबु भगवान आपका भला करेगा।लेकिन सुरेश बाबु ने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया मानो वो ये जता रहे हो कि उस लड़की की आवाज उनके कानो तक नहीं पहुँच रही।लड़की ने पुन: अपनी बात दोहराई किन्तु सुरेश बाबु के कानो पर जूं तक नहीं रेंगी।बेचारी लड़की ने भीख मांगने के लिए अपने कदम आगे की तरफ बढा लिए.
-राजेन्द्र कुमार शास्त्री ( गुरु )
सम्पर्क सूत्र - rk399304@gmail.com
मोबाइल - 9672272740
COMMENTS