अहोई अष्टमी पूजा विधि और व्रत कथा

SHARE:

अहोई अष्टमी पूजा विधि और व्रत कथा Ahoi Ashtami puja Vidhi and vrat katha अहोई अष्टमी पूजा विधि और व्रत कथा, Ahoi Ashtami puja Vidhi and vrat katha, Ahoi Ashtami fast story, How to do puja on Ahoi Ashtami, Importance of Ahoi Ashtami fast, why is Ahoi Ashtami celebrated

अहोई अष्टमी पूजा विधि और व्रत कथा
 Ahoi Ashtami puja Vidhi and vrat katha


अहोई अष्टमी पूजा विधि और व्रत कथा, Ahoi Ashtami puja Vidhi and vrat katha, Ahoi Ashtami Vrat Mahatva Katha Puja Vidhi In hindi Ahoi Ashtami fast story, How to do puja on Ahoi Ashtami, Importance of Ahoi Ashtami fast, why is Ahoi Ashtami celebrated - अहोई अष्टमी व्रत अहोई अष्टमी का व्रत सन्तान की उन्नति, प्रगति और दीर्घायु के लिए होता है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। जिस दिन (वार) की दीपावली होती है, उससे ठीक एक सप्ताह पूर्व उसी दिन (वार) को अहोई अष्टमी पड़ती है।

अहोई अष्टमी व्रत की पूजन विधि

व्रत करने वाली स्त्री को इस दिन उपवास रखना चाहिए। सायंकाल दीवार पर अष्ट कोष्ठक की अहोई की पुतली रंग भरकर बनाएं । पुतली के पास सेई व सेई के बच्चे भी बनाएं। चाहें तो बनाबनाया चार्ट बाजार से खरीद सकती
अहोई माता
अहोई माता 
हैं। | सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर अहोई माता की पूजा प्रारम्भ करने से पूर्व जमीन को साफ करें। फिर चौक पूरकर, एक लोटे में जल भरकर एक पटरे पर कलश की तरह रखकर पूजा करें।

पूजा के लिए माताएं पहले से चांदी का एक अहोई या स्याऊ और चांदी के दो मोती बनवाकर  डोरी में डलवा लें। फिर रोली, चावल व दूध-भात से अहोई का पूजन करें। जल से भरे लोटे पर स्वास्तिक बना लें। एक कटोरी में हलवा तथा सामर्थ्यानुसार रुपए का बायना निकालकर रख लें और हाथ में सात दाने गेहूं लेकर कथा सुनें । कथा सुनने के बाद अहोई की माला गले में पहन लें और जो बायुना निकाला था, उसे सासूजी का चरण स्पर्श कर उन्हें दे दें। | इसके बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर भोजन करें। दीपावली के पश्चात् किसी शुभ दिन अहोई को गले से उतारकर उसका गुड़ से भोग लगाएं और जल के छींटे देकर आदर सहित स्वच्छ स्थान पर रख दें। जितने बेटे अविवाहित हों, उतनी बार 1-1 तथा जितने बेटों का विवाह हो गया हो, उतनी बार 2-2 चांदी के दाने अहोई में डालती जाएं। ऐसा करने से अहोई देवी प्रसन होकर बेटों की दीर्घायु करके घर में मंगल करती हैं। इस दिन ब्राह्मणों को पेठा दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।


अहोई व्रत कथा 

प्राचीन समय की बात है। किसी स्त्री के सात पुत्रों का भरा-पूरा परिवार था। ३ कार्तिक मास में दीपावली से पूर्व वह अपने मकान की लिपाई-पुताई के लिए मिट्टी लाने जंगल में गई। स्त्री एक जगह से मिट्टी खोदने लगी। वहां सेई की मांद थी। अचानक उसकी कुदाली सेई के बच्चे को लग गई और वह तुरंत मर गया। यह देख स्त्री दया और करुणा से भर गई । किन्तु अब क्या हो सकता था, वह पश्चाताप करती हुई मिट्टी लेकर घर चली गई। | कुछ दिनों बाद उसका बड़ा लड़का मर गया, फिर दूसरा लड़का भी। इस तरह जल्दी ही उसके सातों लड़के चल बसे। स्त्री बहुत दुखी रहने लगी। एक दिन वह रोती | हुई पास-पड़ोस की बड़ी-बूढ़ियों के पास गई और बोली-"मैंने जान-बूझकर तो कभी कोई पाप नहीं किया। हां, एक बार मिट्टी खोदते हुए अनजाने में सेई के बच्चे को कुदाली लग गई थी। तब से सालभर भी पूरा नहीं हुआ, मेरे सातों पुत्र मर गए।

उन स्त्रियों ने उसे धैर्य बंधाते हुए कहा-"तुमने लोगों के सामने अपना अपराध स्वीकार कर जो पश्चाताप किया है, इससे तुम्हारा आधा पाप धुल गया। अब तुम उसी अष्टमी को भगवती के पास सेई और उसके बच्चों के चित्र बनाकर उनकी पूजा करो। ईश्वर की कृपा से तुम्हारा सारा पाप धुल जाएगा और तुम्हें फिर पहले की तरह पुत्र प्राप्त होंगे।उस स्त्री ने आगामी कार्तिक कृष्ण अष्टमी को व्रत किया और लगातार उसी भांति व्रत-पूजन करती रही। भगवती की कृपा से उसे फिर सात पुत्र प्राप्त हुए। तभी से इस व्रत की परम्परा चल पड़ी।


अहोई की दूसरी कथा 

प्राचीन समय की बात है। दतिया नामक नगर में चन्द्रभान नाम का एक साहूकार रहता था। उसकी पत्नी का नाम चन्द्रिका था। चन्द्रिका बहुत गुणवान, शील सौंदर्यपूर्ण, चरित्रवान और पतिव्रता स्त्री थी। उनके कई संतानें हुई, लेकिन वे अल्पकाल में ही चल बसीं। संतानों के इस प्रकार मर जाने से दोनों बहुत दुखी रहते थे। पतिपली सोचा करते थे कि मरने के बाद हमारी धन-सम्पत्ति का वारिस कौन होगा। | एक दिन धन आदि का मोह त्याग दोनों ने जंगल में वास करने का निश्चय किया। अगले दिन घर-बार भगवान के भरोसे छोड़ वे वन को चल पड़े। चलतेचलते कई दिनों बाद दोनों बदरिकाश्रम के समीप एक शीतल कुंड पर पहुंचे। कुंड के निकट अन-जल त्याग कर दोनों ने मरने का निश्चय किया। इस प्रकार बैठे

बैठे उन्हें सात दिन हो गए। सातवें दिन आकाशवाणी हुई- "तुम लोग अपने प्राण | मत त्यागो। यह दुःख तुम्हें पूर्वजन्म के पापों के कारण हुआ है। यदि चन्द्रिका अहोई |अष्टमी का व्रत रखे तो अहोई देवी प्रसन्न होंगी और वरदान देने आएंगी। तब तुम उनसे अपने पुत्रों की दीर्घायु मांगना।"

इसके बाद दोनों घर वापस आ गए। अष्टमी के दिन चन्द्रिका ने विधि-विधान से श्रद्धापूर्वक व्रत किया। रात्रि को पति-पत्नी ने स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए। उसी समय उन्हें अहोई देवी ने दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। तब चन्द्रिका ने वर मांगा | कि 'मेरे बच्चे कम आयु में ही देवलोक को चले जाते हैं। उन्हें दीर्घायु होने का वरदान दे दें।' अहोई देवी ने 'तथास्तु' कहा और अन्तर्धान हो गईं। कुछ दिनों बाद चन्द्रिका को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जो बहुत विद्वान, प्रतापी और दीर्घायु हुआ।

अहोई व्रत का उजमन या उद्यापन

जिस स्त्री के बेटा अथवा बेटे का विवाह हुआ हो, उसे अहोई माता का उजमन | करना चाहिए। एक थाल में चार-चार पूड़ियां सात जगह रखें। फिर उन पर थोड़ा थोड़ा हलवा रख दें। थाल में एक तीयल (साड़ी, ब्लाउज) और सामथ्र्यानुसार रुपए। रखकर, थाल के चारों ओर हाथ फेरकर सासूजी के चरण स्पर्श करें तथा उसे सादर उन्हें दे दें। सासूजी तीयल व रुपए स्वयं रख लें एवं हलवा-पूरी प्रसाद के रूप में बांट दें। हलवापूरी का बायना बहन-बेटी के यहां भी भेजना चाहिए। 



श्री अहोई माता जी की आरती 

जय अहोई माता जय अहोई माता. 
अहोई माता
अहोई माता
तुमको निसदिन ध्यावत हरी विष्णु धाता..
ब्रम्हाणी रुद्राणी कमला तू ही है जग दाता.
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता..
तू ही है पाताल बसंती तू ही है सुख दाता.
कर्म प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता..
जिस घर थारो वास वही में गुण आता.
कर न सके सोई कर ले मन नहीं घबराता..
तुम बिन सुख न होवे पुत्र न कोई पता.
खान पान का वैभव तुम बिन नहीं आता..
शुभ गुण सुन्दर युक्ता क्षीर निधि जाता.
रतन चतुर्दश तोंकू कोई नहीं पाता..
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता.
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता..





विडियो के रूप में देखें - 






COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका