निर्गुण काव्य की विशेषता

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निर्गुण काव्य की विशेषता
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ज्ञानाश्रयी शाखा की विशेषताएँ  nirgun kavya dhara ke kavi nirgun bhakti dhara in hindi nirgun kavya dhara ki visheshta nirgun dhara nirgun bhakti in hindi nirgun shakha ke kavi sant kavya dhara ki visheshta sagun bhakti dhara ज्ञानमार्गी शाखा के कवि निर्गुण भक्ति धारा के कवि निर्गुण भक्ति के कवि सगुण भक्ति के कवि निर्गुण काव्य की विशेषता निर्गुण भक्ति धारा के कवि सगुण और निर्गुण भक्ति धारा निर्गुण भक्ति काव्य के प्रमुख कवि निर्गुण भक्ति ka arth सगुण भक्ति धारा निर्गुण काव्य की विशेषता निर्गुण भक्ति का अर्थ सगुण भक्ति धारा के कवि - भक्तिकाल में काव्य की दो प्रधान धाराएँ प्रचलित हुई - निर्गुण काव्यधारा और सगुण काव्यधारा .निर्गुण काव्यधारा की भी दो शाखाएं बनी - ज्ञानाश्रयी शाखा और प्रेमाश्रयी शाखा .ज्ञानाश्रयी शाखा को संतों ने पोषित किया और नतीजा यह हुआ कि काव्य की यह धारा जन - जन में जीवन को पवित्र बनाने वाली सिद्ध हुई . डॉ.श्यामसुंदर दास का मत है - संत कवियों में अपनी निर्गुण भक्ति द्वारा जनता के ह्रदय में अपूर्व आशा उत्पन्न की .उसे कुछ अधिक समय तक विप्पति की अथाह जलराशि के ऊपर बने रहने की उत्तेजना दी .संत कवियों ने समाज में फैले हुए विभिन्न आडम्बरों ,रुढियों ,अंध विश्वासों आदि का पर्दाफाश किया और जनता के सच्चे एवं अच्छे मार्ग की ओर अग्रसर किया . 
ज्ञानाश्रयी शाखा या संत काव्यधारा में हम निम्नलिखित विशेषताएँ या प्रवृत्तियों को देख सकते हैं - 

१. निजी धार्मिक सिद्धांतों का अभाव - 

संत साहित्य में निजी सिद्धांतों का अभाव है .ब्रह्म ,जीव ,माया ,संसार आदि के सम्बन्ध में इन कवियों ने जिन बातों का वर्णन किया है ,वे पूर्ववर्ती आचार्यो और कवियों की देन है . 

२. आचार पक्ष की प्रधानता -

संत कवियों ने अपने काव्यों में असंयम ,अनाचार और आडम्बर का विरोध किया है .इनमे खानपान ,अचार -विचार ,शुद्धता और सदाचार को विशेष महत्व दिया गया है .इनकी सहज साधना और सहज आचारों को पालन करने की साधना है .इन्ही आचारों के आधार पर अनेक पंथ बने हैं .आज भारत में नानक ,कवीर पंथ ,दादू पंथ आदि बने हैं .इनमें मौलिक एकता है .

३. गुरु के प्रति श्रद्धा - 

संत कवियों ने अपनी रचनाओं में गुरु को सबसे ऊँचा स्थान दिया है .इन्होने ईश्वर प्राप्ति हेतु सद्गुरु को आवश्यक बताया है .सद्गुरु अनंत प्रकार से शिष्य का उपकार करता है .वह अपनी अध्यात्मिक शक्ति के सहारे जीव को ब्रह्म का अलौकिक दर्शन कराता हगे . 

४.निम्न जाति के कवि - 

निर्गुण काव्यधारा के अधिकांश कवि निम्न जाति में उत्पन्न हुए . समाज के निचले स्तर की गिरी जातियों में जन्म लेने के कारण इन्हें उंच नीच सम्बन्धी कटु अनुभव था .इन कवियों में कबीर जुलाहा ,रैदास चमार ,सेन नाई ,दादू धुनिया ,सदन कसाई ,नाभा दास डोम के घर में जन्मे थे . 

५. सामाजिक कुरीतियों के विरोधी - 

इन कवियों ने एक स्वर से जाति पाति उंच नीच आदि कुरूतियों का व्यापक पैमाने पर विरोध किया है .समाज के निचले स्तर से आने के कारण इन कवियों के लिए ज्ञान प्राप्ति के दरवाजे बंद थे .ज्ञान की प्यास बुझाने हेतु इन कवियों ने अनेक दरवाजे खटखटाया किन्तु कोई भी पंडित या महात्मा इन्हें शिक्षा देने के लिए तैयार न था .

६. शिक्षा की कमी - 

संत कवि अधिक पढ़े - लिखे नहीं थे . कबीर के सम्बन्ध में तो यहाँ तक कहा जाता है - 

मसि कागद छूयो नहीं, कलम गही नहिं हाथ। 
चारिक जुग को महातम, मुखहिं जनाई बात।।
इसका परिणाम यह हुआ है कि इन कवियों के ज्ञान का भण्डार पंडितों ,महात्माओं ,संतों तथा स्थान भ्रमण की देन है .इनके काव्य में मन की गुनी ,कान की सुनी और आँख की देखि बातों की चर्चा है . 

७. काव्य रूप -

निर्गुण धारा का समस्त साहित्य मुक्तक रूप में लिखा गया है .इनमें प्रबंध का अभाव है .अधिकाँश रचनाएँ दोहे और पद में लिखी गयी है .इन कवियों में अक्कह्द पन और मस्तमौला स्वभाव के अनुकूल पद और दोहे स्वछंद होते थे . 

८. भाषा - 

संत कवियों की भाषा खिचड़ी या सधुक्कड़ी है .ये एक स्थान से दूसरे स्थान तक भटक - भटक कर स्थान - स्थान की भाषा ग्रहण करते थे .इस कारण इनका भाषा भंडार विविधता से भरा था .इन सधुक्कड़ी भाषा अनगढ़ और अपरिमार्जित है .कहीं - कहीं गूढ़ ज्ञान के कारण भाषा क्लिष्ट हो गयी है .किन्तु यह सत्य है कि इन कवियों का भाषा पर जबरदस्त अधिकार है . 


निर्गुण भक्ति धारा के कवि / प्रमुख कवि - 

ज्ञानाश्रयी शाखा की संत काव्यधारा में रामानंद का नाम सर्वोपरि है .संत मत के प्रचार का श्रेय इन्ही को है . इनके शिष्य कबीर ने ज्ञानाश्रयी शाखा को अमर बना दिया . निम्नवर्ग में उत्पन्न साधक रैदास भी इसी मार्ग के शिष्य थे .नानक पंथ के प्रवर्तक गुरुनानक देव भी इसी मार्ग के अनुयायी बने .इसके अतिरिक्त दादू दयाल ,हरिदास ,लालदास ,मलूकदास ,धर्मदास ,सुन्दरदास आदि के नाम उल्लेखनीय है . 


विडियो के रूप में देखें - 



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