देश पहले

SHARE:

मनोहर ने ठान लिया कि वह पालकों का शोषण नहीं होने देगा दूसरे दिन उसने पालकों को इकठ्ठा करके उस निजी स्कूल के सामने धरना दिया। स्कूल प्रबंधन ने उसे बहुत लालच दिया की वह उसके बच्चे की पूरी फीस माफ़ कर देंगे साथ ही उसे अच्छे अंको से पास करवा देंगे लेकिन मनोहर ने स्पष्ट कह दिया कि जब तक प्रवंधन समस्त पालकों के लिए नियमानुसार फीस का निर्धारण नहीं करता तब तक उसका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा ,आखिर तीन दिन के बाद उच्च शिक्षा अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद स्कूल ने नियमानुसार फीस का निर्धारण किया साथ ही स्कूल से किताबें एवं अन्य सामग्री खरीदने की बाध्यता समाप्त की।

एक वादा - देश पहले 


मनोहर अस्पताल में पड़ा सुधीर का इंतजार कर रहा था सुधीर फौजी अफसर बन कर प्रशिक्षण में था। मनोहर की हालत काफी गंभीर थी एक एक कर  मनोहर को अपने जीवन के सारे लम्हे याद आ रहे थे। मनोहर के पिता बहुत खुश थे क्योंकि आसपास के गांव में सिर्फ वही सीमा पर लड़ने गया था ,हालाँकि माँ ने दबे स्वर में विरोध किया था लेकिन पिता ने माँ को डांटते हुए समझाया था "तू शेर की माँ है या गीदड़ की मेरा मनोहर देश की सेवा में जा रहा है हंस कर विदा कर उसको " मनोहर हज़ारों की भीड़ में भी अलग ही दिखाई देता था ।
पिता ने सीमा पर जाते हुए मनोहर से  कहा था "सुन बेटा एक फौजी का व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली होता है। उसे बहुत ज्यादा अनुशासनप्रिय होना चाहिए। फौजी नियमों के पक्के होते हैं और समय पर अपने लक्ष्य को पूरा करने की क्षमता रखते हैं और यह उनकी आदत में शुमार होता है।इसलिए तुम  निडर और निर्भीक बनो देश हित में अपने प्राण निछावर करने से पीछे मत हटना। 
पिता के ये शब्द मनोहर के लिए गीता के समान थे उन्होंने कहा था "तुम सेना में सिर्फ रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से ही भर्ती नहीं हुए हो अपितु जीवन में कुछ कर दिखाने के जोश-जुनून, कर्तव्य पालन और उससे भी बढ़कर देश की अस्मिता की रक्षा करने की दृढ़ इच्छा तुम्हारे मन में होनी चाहिए। देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत मातृभूमि पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर भारतीय सेना की दशकों पुरानी परंपरा का निर्वहन तुम्हे अपने प्राण चुका कर करना है।" 
सैनिक 
सेना में प्रशिक्षण के दौरान उसको समझाया गया था कि देश की खातिर मर मिटने का ये जज्बा, चुनौतीभरी जीवनशैली, अनुशासन से ओतप्रोत पल 
एक प्रभावी व्यक्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।  और ऐसा तभी संभव होता है जब निरंतरता और नौकरी की सुरक्षा का आश्‍वासन बना रहें। सेना को संरचित किया गया है ताकि सुनिश्चित किया जा सकें कि इसके कर्मी, निर्बाध गरिमा के साथ काम करते हैं।
मनोहर ने सेना में अपनी बहादुरी के परचम लहरा दिए जम्मू कश्मीर में सबसे खतरनाक अभियानों में उसने अपनी दिलेरी और बहादुरी से आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना से लोहा लिया। सरकार ने उसे बहादुरी के लिए अशोक चक्र एवं अन्य वीरता पुरुष्कारों से नवाजा इसी मध्य उसकी शादी हुई एवं सुधीर का जन्म हुआ। माता पिता की मृत्यु के बाद एवं अपना कमीशन अवधि पूरा करने के बाद मनोहर ने फौज से  रिटायरमेंट ले लिया एवं अपने परिवार के साथ जबलपुर में शिफ्ट हो गया। 
मनोहर ने हमेशा अनुशासित जीवन जिया था अतः उसे ये सिविलियन जीवन बहुत कष्टमय प्रतीत हो रहा था और कभी कभी तो जब वह अन्याय होते देखता तो अपना आपा खो देता और अन्याय करने वाले से लड़ बैठता था। उसकी पत्नी सुमित्रा उसको बहुत समझाती की अब आप फौज में नहीं हो कुछ सिविलियन तौर तरीकों में ढल जाओ किन्तु मनोहर अपने आदर्शों पर अडिग था। वह कहता "जो बदल जाये वो फौजी नहीं। "
सरकार ने मनोहर को शहर में  एक प्लाट दिया था उस पर मनोहर एक मकान  बनाना चाह रहा था इसकी अनुमति के लिए उसने नगर निगम में आवेदन दिया था किन्तु तीन माह होने के बाद भी अधिकारी और बाबू उसे टरका देते थे ,मनोहर बहुत परेशान था उसके दोस्त जो संख्या में बहुत कम थे उन्होंने उसे समझाया की कुछ ले दे कर मामला सुलटा लो जल्दी अनुमति मिल जाएगी किन्तु मनोहर अडिग था कि मैंने हमेशा सत्य पर आधारित जिंदगी को जिया है मैं भ्रस्टाचार को बढ़ावा नहीं दे सकता। 
आखिर एक दिन गुस्सा में वह नगर निगम के कार्यालय में अधिकारिओं से लड़ बैठा फलस्वरूप उसके आवेदन पर कई आपत्तियां लगा दी गईं मसलन उस जगह का डायवर्सन नहीं हैं उस जगह मकान  के निर्माण की अनुमति नहीं हैं आदि अदि। मनोहर खून का घूँट पीकर रह गया वह सोच रहा था की सैनिक सीमा पर अपने जान की बाजी लगा कर इन भ्रष्टाचरियों की रक्षा क्यों करता है। उसे अपने सेनाध्यक्ष का वो भाषण याद आ रहा था जिसमे उन्होंने कहा था "सेवानिवृत्ति के बाद भी सेना के अधिकारी, देश के सबसे सम्‍मानजनक नागरिकों में से एक होते हैं। यह, उनमें अंत‍निर्हित आचार संहिता और नैतिक मूल्‍यों को जोड़ता है जो उन्‍हे समाज में एक विशेष सामाजिक आला पाने के लिए उन्‍हे सक्षम बनाता है। जब तक वह अधिक स्‍वस्‍थ और फिट है, तब तक उसके लिए एक दूसरे कैरियर या समानांतर में अन्‍य कार्यों को करने का विकल्‍प संभव है। उसका करो या मरो वाला रवैया और मानसिक चपलता सुनिश्चित करती है कि वह कभी उम्रदराज़ नहीं होने वाला, लेकिन उसे समाज में एक महत्‍वपूर्ण सदस्‍य बने रहना होगा और अपना सहयोग देते रहना होगा।"
मनोहर ने ठान लिया कि वह इस भ्रष्ट सिस्टम से लड़ेगा और इसे बदलेगा वह अनुमति लेकर नगर निगम के बाहर धरने पर बैठ गया उसके साथ ही अन्य पीड़ित व्यक्ति भी धरने पर बैठे धीरे धीरे वह धरना आमरण अनशन में बदल गया। चार दिन बाद आमरण करने वाले दो व्यक्तियों की हालत गंभीर हो गई मनोहर तो फौजी था उसपर उतना असर नहीं हुआ किन्तु उसके साथ जो पीड़ित थे उनका स्वास्थ्य ख़राब होने लगा मिडिया ने भी ये खबर उछाली तो शहर के जितने भी राजनेता और पीड़ित थे वो सभी एकत्रित होकर अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे बात सेना के अधिकारीयों और मंत्रियों तक गई ,मनोहर पर आमरण अनशन छोड़ने का दबाब भी बनाया गया किन्तु मनोहर अडिग रहा एवं आखिर में प्रश्न को झुकना पड़ा और उन्होंने निगम कमिश्नर की कहा की कल ही सभी पीड़ित व्यक्तियों की सुनवाई कर उन्हें अनुमति प्रदान की जावे। अगले ही दिन कमिश्नर ने धरना स्थल पर ही सभी हितग्राहियों को माकन की अनुमति प्रदान कर जूस पिला कर सब का अनशन तुड़वाया। 
इस छोटी सी जीत ने मनोहर के मन में आत्मविश्वास भर दिया की अगर व्यक्ति मन में ठान ले तो वह भ्रष्टाचार से लड़ सकता है। 

मनोहर ने निश्चय किया कि वह अपना बाकी का जीवन समाजोपयोगी कार्यों में समर्पित करेगा। एक बार गर्मी की दोपहर में उसने देखा कि गायों का एक समूह बिना पानी के सड़कों पर प्यासा भटक रहा है तथा उस मोहल्ला में एक भी पेड़ नहीं है जिसके नीचे वो गायों का समूह धुप से बच कर खड़ाहो सके मनोहर ने निश्चय किया की वह अपने पूरे मोहल्ले में पेड़ लगाएगा एवं उनकी देखभाल करेगा। 
सुबह उठ कर वह बाजार में नर्सरी गया एवं वहां से कुछ पौधे ले आया एवं लुहार की दुकान से उसने कुछ ट्री गार्ड बनवाये और हर दिन सुबह वह मोहल्ले की सड़कों पर गड्डा करता एवं पौधा रोपण करता धीरे धीरे मोहल्ले के नौजवान एवं बच्चे उसकी इस मुहीम से जुड़े एवं कुछ ही महीनों में पूरे मोहल्ले में चरों और हरे हरे पौधे लहराने लगे। हर दिन मनोहर सुबह बाल्टी लेकर निकल जाता एवं समस्त  पौधों में पानी डालता एवं उनकी देखभाल करता था। 

मनोहर के माता पिता नहीं थे उसे उनकी बहुत याद आती थी अतः वह रविवार को वृद्धाश्रम जाकर वहां के बुजुर्ग लोगों के साथ बैठ कर उनके  सुख दुःख बांटता था। जिन वृद्धों के सन्तानो ने उन्हें वृद्धाश्रम में अकारण रखा था उनसे संपर्क साधकर उन्हें समझाता अनुनय विनय कर उन्हें अपने साथ घर रखने की सलाह देता एवं उनके न मानने पर अदालत से स्वयं के खर्चे पर उन वृद्धों को उनके अधिकार दिलाता। 
 एक फौजी हमेशा देश के बारे में पहले सोचता है मनोहर अपने बेटे प्रवेश के लिए शहर के एक अच्छे निजी स्कूल में गया पहले तो उसे मनाकर दिया गया बाद में जब उसने बताया की हर स्कूल में फौजियों के बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य है तो बहुत आनाकानी के पश्चात उसके बेटे सुधीर को प्रवेश देने को सशर्त तैयार हुए जिसमे स्कूल की फीस के आलावा उसी स्कूल से किताबें ,ड्रेस जूते और न जाने क्या क्या खरीदने पड़ेंगे। 
"लेकिन ये तो ज्यादती है "मनोहर ने प्रबंधक  से कहा। 
" तो मत लीजिये प्रवेश एक तो आपने हमारी बहुमूल्य सीट खा ली "प्रबंधक ने चिढ़ते हुए कहा। 
"खा ली से आपका क्या तात्पर्य है वो मेरा अधिकार है "मनोहर ने गुस्से में कहा। 
"इतना खर्च तो आपको लगेगा पढ़ाना हो तो पढ़ाओ वर्ना .. "प्रबंधक ने गुस्से में कहा। 
"क्या आप मनमानी करेंगे एक फौजी जिसने सारे जीवन देश की सेवा की उससे जब आप लूट खसोट कर रहें हैं तो आम आदमी की आप क्या हालत करते होंगे " मनोहर ने अपने गुस्से पर काबू करते हुए लेकिन तेज स्वर में कहा। 
"आप को आम आदमी से क्या लेना देना और आप फौज़  में हो तो कोई भगवान नहीं हो "प्रबंधक का रुखा व्यवहार जारी रहा। 
"नहीं आप इस तरह से पालकों को नहीं लूट सकते " मनोहर ने गुस्से में कहा। 
"आप बाहर जा सकते हैं "प्रबंधक ने बाहर की और इशारा करके कहा। 

मनोहर ने ठान लिया कि वह पालकों का शोषण नहीं होने देगा दूसरे दिन उसने पालकों को इकठ्ठा करके उस निजी स्कूल के सामने धरना दिया। स्कूल प्रबंधन ने उसे बहुत लालच दिया की वह उसके बच्चे की पूरी फीस माफ़ कर देंगे साथ ही उसे अच्छे अंको से पास करवा देंगे लेकिन मनोहर ने स्पष्ट कह दिया कि जब तक प्रवंधन समस्त पालकों के लिए  नियमानुसार फीस का निर्धारण नहीं करता तब तक उसका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा ,आखिर तीन दिन के बाद उच्च शिक्षा अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद स्कूल ने नियमानुसार फीस का निर्धारण किया साथ ही स्कूल से किताबें एवं अन्य सामग्री खरीदने की बाध्यता समाप्त की। मनोहर के मन में एक आत्म संतोष हो गया की वह आज भी एक लड़ाई लड़ रहा है भले ही वह सीमा की लड़ाई नहीं हैं किन्तु सीमा के भीतर भ्रष्ट  तंत्र से लड़ना ज्यादा मुश्किल है। 
उसने निश्चय कर  लिया था कि वह अपने एकलौते बेटे सुधीर को सेना में जरूर भेजेगा। उसने  अपने बेटे सुधीर से वादा लिया था कि वह अपने देश की सेवा करने सेना में जरूर जायेगा। उच्च शिक्षा प्राप्ति के बाद सुधीर का चयन सेना में एक अधिकारी के रूप में हुआ। 
सुधीर के प्रशिक्षण के दौरान ही मनोहर को हार्ट अटैक आया बहुत कोशिशो के बाद भी मनोहर को बचाया नहीं जा सका। मरने से पहले उसने अपने बेटे सुधीर को पास बुलाया वर्दी में सजे-धजे फौजी अफसर बेटे सुधीर को देख कर मनोहर का सीना गर्व से तन गया। फौजी वर्दी में सजा सुधीर मनोहर को अपना ही प्रतिरूप लगा आज से 30 साल पहले जब फौज में चयन हुआ था। मनोहर ने उसके सर पर हाथ रख कर कहा "बेटा देश  सर्वोपरि है उसके बाद कोई और है सीमा पर कभी भी पीठ मत दिखाना गोली खाना तो अपने सीने पर खाना।"
"पिताजी आप से वादा करता हूँ मेरी आखरी साँस सिर्फ देश की सेवा करते हुए ही निकलेगी ..... अभी सुधीर अपना वाक्य पूरा ही नहीं कर पाया था कि मनोहर इस संसार से विदा हो चुका था लेकिन उसके मुंह पर एक शहीद का तेज था जो कह रहा था की उसके जीवन का एक एक क्षण देश के काम आया। 


(सेवानिवृत सैनिक पर लघु कहानी )
- सुशील शर्मा 

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,35,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1413,कहानी लेखन हिंदी,13,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,30,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,72,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,174,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,24,प्रेमचंद,40,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,19,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,11,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,12,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,5,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,118,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,53,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,28,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,222,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,70,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,15,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,352,हिंदी लेख,504,हिंदी व्यंग्य लेख,4,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,86,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,344,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,102,hindi stories,656,hindi-gadya-sahitya,7,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,14,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,40,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: देश पहले
देश पहले
मनोहर ने ठान लिया कि वह पालकों का शोषण नहीं होने देगा दूसरे दिन उसने पालकों को इकठ्ठा करके उस निजी स्कूल के सामने धरना दिया। स्कूल प्रबंधन ने उसे बहुत लालच दिया की वह उसके बच्चे की पूरी फीस माफ़ कर देंगे साथ ही उसे अच्छे अंको से पास करवा देंगे लेकिन मनोहर ने स्पष्ट कह दिया कि जब तक प्रवंधन समस्त पालकों के लिए नियमानुसार फीस का निर्धारण नहीं करता तब तक उसका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा ,आखिर तीन दिन के बाद उच्च शिक्षा अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद स्कूल ने नियमानुसार फीस का निर्धारण किया साथ ही स्कूल से किताबें एवं अन्य सामग्री खरीदने की बाध्यता समाप्त की।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhB9WoWk6svdkM1q70hre0XW8ak_zLBTkosEW09I3NZ8hP4aoM2-s5cBZpTsKx3458FB6SNx9gEcCVJAileHBXbv2Sxlu0OFxnnU52aAWGLwSuVL5zXZ59FbSPbEFLZTsRM6fRHHfEVKbIE/s320/india.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhB9WoWk6svdkM1q70hre0XW8ak_zLBTkosEW09I3NZ8hP4aoM2-s5cBZpTsKx3458FB6SNx9gEcCVJAileHBXbv2Sxlu0OFxnnU52aAWGLwSuVL5zXZ59FbSPbEFLZTsRM6fRHHfEVKbIE/s72-c/india.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2018/07/desh-pahle-story.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2018/07/desh-pahle-story.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका