अपना काम स्वयं करो apna kaam swayam karo एक किसान के पास एक गाय और एक घोडा था .वे दोनों एक साथ जंगल में चरते थे .किसान के पड़ोस में के धोबी रहता था .धोबी के पास एक गधा और एक बकरी थी .धोबी भी उन्हें जंगल में चरने को छोड़ देता था .एक साथ चरने से चारो पशुओं में मित्रता हो गयी .वे साथ ही जंगल में आते और एक साथ जंगल से चले जाते .
अपना काम स्वयं करो
apna kaam swayam karo
एक किसान के पास एक गाय और एक घोडा था .वे दोनों एक साथ जंगल में चरते थे .किसान के पड़ोस में के धोबी रहता था .धोबी के पास एक गधा और एक बकरी थी .धोबी भी उन्हें जंगल में चरने को छोड़ देता था .एक साथ चरने से चारो पशुओं में मित्रता हो गयी .वे साथ ही जंगल में आते और एक साथ जंगल से चले जाते .![]() |
खरगोश |
खरगोश उन चारों के पास बार - बार आने लगा . वह उनके सामने उछलता ,कूदता और उनके साथ ही चरता था .धीरे - धीरे चारों के साथ उसकी मित्रता हो गयी .अब खरगोश बड़ा प्रसन्न हुआ .उसने समझा कि कुत्तों का भय दूर गया .
एक दिन एक कुत्ता उस जंगल में आया और खरगोश के पीछे दौड़ा .खरगोश भागा - भागा गाय के पास गया और बोला - "गोमाता ! यह कुत्ता बहुत दुष्ट है .यह मुझे मारने आया है .तुम इसे अपने सीगों से मारो . "
गाय ने कहा - "भाई खरगोश ! तुम बहुत देरी से आये . मेरे घर लौटने का समय हो गया है .मेरा बछड़ा भूखा होगा और बार - बार मुझे पुकारता होगा .मुझे घर जाने की जल्दी है .तुम घोड़े के पास जाओ .
खरगोश दौड़ता हुआ घोड़े के पास गया और बोला - "भाई घोड़े ! मैं तुम्हारा मित्र हूँ . हम दोनों साथ ही चरते हैं .आज यह दुष्ट कुत्ता मेरे पीछा पड़ा है .तुम मुझे पीठ पर बैठाकर दूर ले चलो . "
घोड़े ने कहा - " तुम्हारी बात तो ठीक है ,किन्तु मुझे बैठना आता नहीं . मैं तो खड़े - खड़े ही सोता हूँ .तुम मेरी पीठ पर चढ़ोगे कैसे ? आज कल मेरे सुम बढ़ गए हैं .मैं न तो तेज़ दौड़ सकता हूँ और न पैर फटकार सकता हूँ .धोड़े के पास से निराश होकर खरगोश गधे के पास गया .उसने गधे से कहा - "मित्र गधे ! तुम इस पाजी कुत्ते पर एक दुलत्ती झाड़ दो तो मेरे प्राण बच जाएँ .
गधा बोला - " मैं नित्य गाय और घोड़े के साथ घर लौटता हूँ .वे दोनों जा रहे हैं .यदि मैं उनके साथ न जाकर पीछे रह जाऊं तो मेरा स्वामी धोबी डंडा लेकर दौड़ा आएगा और पीटते पीटते मेरा कचूमर निकाल देगा .मैं अब यहाँ ठहर नहीं सकता . "
अंत में खरगोश बकरी के पास गया .बकरी ने उसे देखते ही कहा - "खरगोश भाई ! कृपा करके इधर मत आओ .तुम्हारे पीछे कुत्ता दौड़ता चला आ रहा है .मैं उससे बहुत डरती हूँ .
सब ओर से निराश होकर खरगोश वहाँ से भागा .भागते - भागते वह जाकर एक झाडी में छिप गया .कुत्ते ने बहुत खोजा ,किन्तु उसे खरगोश का पता नहीं मिला .जब कुत्ता लौट गया ,जब खरगोश का पता नहीं मिला .जब कुत्ता लौट गया ,जब खरगोश झाडी में से निकला .उसने चारों ओर देखा और संतोष की साँस ली ,फिर वह बोला - "दूसरों का भरोसा करना सदा धोखा देता है .अपनी सहायता अपने - आप ही करनी चाहिए .
कहानी से शिक्षा -
- दूसरों का भरोसा करना सदा धोखा देता है
- अपनी सहायता अपने - आप ही करनी चाहिए
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