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बाल श्रम की समस्या के समाधान हेतु पत्र
Letter to editor on child labour in hindi
सेवा में ,
संपादक महोदय ,
दैनिक जागरण ,
लखनऊ - ७५
विषय - बालश्रम समस्या के समाधान हेतु पत्र
महोदय ,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान बालश्रम की समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ .सरकार ने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए काफी प्रयासरत है ,लेकिन वह इनके वास्तविक समाधान की ओर ध्यान नहीं देती है .आज भी सड़कों के किनारे काफी संख्या में नाबालिक बच्चे दुकानों ,फुटपाथों तथा कारखानों में काम करवाया जाता है .
बालश्रम का व्यापक विस्तार भारत के अनियमित क्षेत्रों की पहचान बन चुका है। भारत में काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय श्रम संघटन के एक आकलन के अनुसार यहां कम से कम 9 करोड़ बाल श्रमिक हैं, हालांकि कुछ गैर-सरकारी संस्थाएं बाल श्रमिकों की संख्या इससे अधिक बता रही हैं।भारत में तो बाल श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा खतरनाक कार्यों में भी लिप्त है। इन बच्चों को कुछ पैसा देकर इनके मालिक इनसे जरूरत से ज्यादा कार्य करवाते हैं। कम पैसे में ये बच्चे अधिक कार्य करते हैं तथा अन्याय के खिलाफ आवाज भी नहीं उठाते यही कारण है कि इन कारखानों के मालिक बच्चों के शोषण का कोई भी अवसर नहीं गंवाते। इसी कारण बाल श्रम निषेध व विनिमयन कानून जो यह कहता है कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वे कार्य जो उनके जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर हों न दिए जाएं, कागज पर ही प्रभावी दिखाई देता है। इस कानून कि सार्थकता तभी पूर्ण होगी जब कारखानों, ईंट केभट्टों पर तथा घरेलू नौकर के रूप में बंधुआ मजदूर बने बच्चों को विषम परिस्थितियों से निकाल कर उन्हें एक सहज व स्वस्थ बचपन लौटाया जा सके।
सरकार ने बालश्रम के सम्बन्ध में जो क़ानून बनाया है ,उससे ही केवल बालश्रम की समस्या का समाधान नहीं हो सकता है . इसीलिए मैं अपने पत्र के माध्यम से सरकार तक यह बात पहुँचाना चाहता हूँ कि वह इस सम्बन्ध के कड़े कानून बनवाये और साथ की गैरसरकारी संगठनों को भी बालश्रम की समस्या के समाधान के लिए सम्मिलित करें .स्वयंसेवकों को भी शामिल करके मुहीम में तेज़ी लायी जा सकती है ,जिससे बालश्रम की समस्या जड़ से समाप्त हो .
सधन्यवाद
भवदीय
रजनीश सिंह
१२५, विकासनगर,
लखनऊ - ७५
दिनांकः १६/०५/२०१८
बहोत ही अच्छा पत्र
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