धर्मनिरपेक्षता पर निबंध

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धर्मनिरपेक्षता पर निबंध


विश्व के इतिहास में ऐसा भी एक समय था जब लोग धर्म के नाम पर लड़ाई किया करते थे .यूरोप में जब ईसाईयत का प्रचार हुआ तो रोमन लोगों ने ईसाईयों पर जुल्म ढाए. इंग्लॅण्ड में कैथोलिक संप्रदाय के लोगों को प्रोटेस्टेंट लोगों के हाथों अत्याचार सहने पड़े तो कई स्थानों पर प्रोटेस्टेंट लोगों को रोमन समुदाय के लोगों का उत्पीडन झेलना पड़ा .बहुत से लोगों ने अपनी जन्मभूमि त्याग दी और धार्मिक स्वतंत्रता पाने के लिए अमेरिका चले गए .

धर्म एक वैयक्तिक  विषय - 

ईश्वर की आराधना को धर्म माना जाता है . यह अत्यंत वैयक्तिक  विषय है . हमें अपने पूर्वजों से धार्मिक आस्थाएँ
धर्मनिरपेक्षता
धर्मनिरपेक्षता
और विश्वास विरासत में प्राप्त होते हैं . अध्यात्मिक लोगों ने धर्म के बारे में उपदेश दिए हैं . कोई व्यक्ति किस तरह की मान्यताएं में विश्वास रखना चाहता है और कौन सी पूजा आराधना पद्धति का अनुकरण करना चाहता हैं यह पूरी तरह से उसकी इच्छा पर निर्भर करता है .किसी को भी यहाँ तक कि जो सत्ता में होते हैं अर्थात राज्य ,ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं हैं.इसी भावना के आधार पर धर्मनिरपेक्षवाद की अवधारणा का जन्म हुआ .

भारत में साम्प्रदायिकता - 

भारत में भी धर्म के नाम पर साम्प्रदायिकता हिंसा की घटनाएं हुई है.किन्तु एक राष्ट्र के रूप में हमारा इतिहास धार्मिक सहनशीलता का रहा है.चन्द्रगुप्त जैसे प्राचीन हिन्दू राह और मुग़ल राजवंश का सम्राट अकबर अपनी धार्मिक सहिशुनता  के लिए प्रसिद्ध थे .

भारत धर्मनिरपेक्ष राज्य है - 

आधुनिक भारत धर्मनिरपेक्ष राज्य है . इस देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता  का अधिकार प्राप्त है . यह भारत के नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार है . कोई भी व्यक्ति धार्मिक स्वतंत्र में हस्तक्षेप किये बिना अपने धर्म का प्रचार कर सकता है . राज्य किसी भी धर्म विशेष का प्रचार कर सकता है .राज्य किसी भी धर्म विशेष का समर्थन नहीं करता है .ऐसे देश में जहाँ लोग अनेक धर्मो को मानते हो वहां धर्मनिरपेक्षवाद आवश्यक है . भारत के संविधान की प्रस्तावना  में इस बात को कहा गया है -

हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

हमारे पूर्वजों में यह सद्विवेक था इसीलिए उन्होंने इस सिधांत को संविधान में शामिल किया था .आज हम जिस सांप्रदायिक सद्भाव के वातावरण में रह रहे हैं यह उनकी दूरदर्शिता  का ही फल है . भारतीय संविधान द्वारा भारत 'धर्मनिरपेक्ष देश' घोषित किया गया है। भारतीय संविधान की पूर्वपीठिका में 'सेक्युलर' शब्द 42वें संविधान संशोधन द्वारा सन 1976 में जोड़ा गया।आज की युवा पीढ़ी जाति, वंश और धार्मिक अंतरों को अधिक महत्व नहीं देती है . यह प्रगति की निशानी है . 

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COMMENTS

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  1. समाज की पृष्ठभूमि


    समाज उस भावना को लेकर जीवन यापन करता है कि समाज के सभी लोग एक साथ मिलकर के आगे बढे , देखा जाता है ,की सभी लोग प्रातः जल्दी उठते है साथ में सुबह से ही अपने अपने काम में जुट जाते हे, इस प्रकार समाज का समरसता पूर्ण जीवन हमें प्रेरणा देता है ।

    जब एक अधिकारी बनता हे तब भी उसमे संपूर्ण समाज के दायित्व का निर्वहन होता है ।
    क्युकी अधिकारी जब अपने बचपन से जब पढ़ाई करता है तब समाज के सभी लोगों का जैसे कोई कारखाने में कागज बनाता है तो कोई पैन बनाता है कोई उसके लिए खाना बनाता है तो कोई उसके शिक्षण संस्थान में सफाई कर्मी के रूप में कार्य करता है इस प्रकार संपूर्ण समाज के प्रत्येक प्रतिभागी व्यक्ति का उस अधिकारी जीवन से जुड़ाव बना रहता है इस प्रकार एक अधिकारी को बनने, तक संपूर्ण समाज अपनी भूमिका निभाता है

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  2. समाज की पृष्ठभूमि


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  3. I am searching the essay " SAHITYA AUR SAMAJ written by Dr. Rajendara prasad

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