संस्कृति है क्या ? - रामधारी सिंह दिनकर Sanskriti kya Hai by Ramdhari Singh Dinkar ISC HINDI FOR XI & XII SANSKRITI KYA HAI?संस्कृति क्या है?रामधारी सिंह दिनकर संस्कृति का मतलब संस्कृति का महत्व संस्कृति के प्रकार संस्कृति की परिभाषा संस्कृति शब्द का अर्थ संस्कृति और सभ्यता सभ्यता क्या है भारतीय संस्कृति का अर्थ
संस्कृति है क्या ? - रामधारी सिंह दिनकर
Sanskriti kya Hai by Ramdhari Singh Dinkar
संस्कृति क्या है? पाठ का सार sanskriti kya hai by ramdhari singh dinkar summary - संस्कृति क्या है? निबंध रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध निबंध है। प्रस्तुत निबंध में आपने संस्कृति की विशेषता ,सभ्यता और संस्कृति में अन्तर का बड़ा ही सुन्दर विवेचन किया है। लेखक के अनुसार संस्कृति के निर्माण में कलात्मक अभिरुचि का महान योगदान होता है। लेखक का मानना है कि संस्कृति को किसी परिभाषा में बाँधा नहीं जा सकता है क्योंकि यह जन्म जात होने के कारण सबमें व्याप्त होती है। संस्कृति और सभ्यता में अन्तर है। सभ्यता स्थूल होती है और समय समय पर व्यक्ति द्वारा अर्जित की जाती है। प्रायः जितने भौतिक साधन है ,उनका सम्बन्ध सभ्तया से है जबकि हमारी रूचि ,जीवन यापन का ढंग ,व्यवहार ,पहनावा आदि का सम्बन्ध संस्कृति ही होता है ,ऐसा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि अच्छी पोशाक पहनने वाला साफ़ सुथरा दिखने वाला व्यक्ति स्वभाव से पशुवत हो सकता है और यह भी नहीं कहा जा सकता है कि हर सुसंस्कृत आदमी सभ्य हो। मगर सामज में बहुत से ऐसे लोग हैं जिनकी पोशाक बेढंगी होती है ,जिनका रहन -सहन बड़ा ही सरल होता है परन्तु वे स्वभाव से सदाचारी एवं विनयी होते हैं। वे दूसरों के दुःख से दुखी हैं तथा दूसरों के कष्ट निवारण हेतु स्वयं मुशीबत उठाने को भी तैयार रहते हैं।
लेखक के अनुसार हमारे प्राचीन ऋषि और मुनि जंगलों में रहते थे ,पत्तों पर खाते थे ,मिट्टी के वर्तनों में रसोई बनाते थे लेकिन अपनी मौलिक और विशिष्ट गुणों के कारण सुसंस्कृत कहे जाते हैं। यद्पि उनकी दिनचर्या सभ्यता की यूरपोई परिभाषा के अनुसार नहीं है। आज छोटा नागपुर के अधिवासियों की है। आज के तथाकथित सभ्यता के उपकरण न होते हुए भी अपन मानवीय गुणों के कारण उन्हें संस्कृत कहा जा सकता है। वास्तव में पाश्चात्य सभ्यता के अनुसार जो दिखावा है वह सभ्यता का पर्याय नहीं है।
लेखक के अनुसार सभ्यता और संस्कृति में समबन्ध है। दोनों समय समय पर एक दुसरे को प्रभैत करते हैं। उदाहरण के लिए घर का निर्माण सभ्तया को परिचारय है परन्तु घर के नक़्शे का निर्माण सांस्कृतिक रूचि की भावना को अभिव्यक्त करती हैं। इस प्रकार सभ्तया और संस्कृति का परस्पर निरंतर गतिशील रहता है।
लेखक के अनुसार संस्कृति और प्रकृति में अन्तर है। प्रकृति मनुष्य की जन्मजात विशेषता है। ईर्ष्या ,क्रोध ,लोभ ,द्वेष ,कामवासना सभी जन्म जात वृत्तियाँ हैं। इन सभी वृतियों पर अगर रोक न लगाया जाय तो आदमी और जानवर में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।लेखक के अनुसार संस्कृति सभ्यता की तुलना में सूक्ष्म है। सभ्यता के अंदर वह वैसे ही समायी रहती है जैसे फूलों के अंदर उनका सुगंध या दूध के अंदर छुपा हुआ मख्खन। कोई व्यक्ति एकाएक धन कमाकर धनवान बन सकता है। लेकिन धन के सदुपयोग और उसके खर्च के तौर तरीके उसे तभी मालुम होगा जबकि वह सुसंकृत होगा। ऊँचा पद पाकर भी व्यक्ति को बिनयशील होना चाहिए ,नहीं तो अपने भद्दे आचरण के कारण वह समाज में हंसी का पात्र बन जाएगा।
आदिकाल आज तक की हमारी शासन प्रणाली पूजा अर्चना ,भवन निर्माण ,संगीत ,पोसाक ,आभूषण ,तीज त्यौहार ,शादी ,श्राद्ध ,दोस्ती ,दुश्मनी सब में हमारी संस्कृति का ही प्रभाव पूर्ण या आंशिक रूप में है। संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उसमें विनिमय का गुण है। दो भिन्न संस्कृति वाले जब आपस में मिलते हैं तो वे एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। आज की भारतीय संस्कृति पर मुग़ल कालीन तथा अंग्रेजी संस्कृति का प्रभाव सहज ही देखा जा सकता हैं।आज भारतीय साहित्य कला , रहन -सहन ,पोशाक ,खान - पान इनसे पूर्ण प्रभावित है। संसार में शायद ही ,ऐसा को देश हो जी यह दावा कर सके कि उस पर ऐसा कोई देश हो जो यह दावा कर सके कि उस पर किसी अन्य देश की संस्कृति का प्रभाव नहीं पड़ा है। इस प्रकार विश्व की कोई भी जाति यह दावा नहीं कर सकती है। कि वह अन्य किसी जाती कि संस्कृति से प्रभावित नै है।
संस्कृति अपने विनिमय गुण के कारण हमेशा बदलती रहती है। लेखक का कहना है कि सांस्कृतिक दृष्टि से वह देश और जाती अधिकाधिक महान और शक्तिशाली होती है जिसने विश्व के अधिकाँश जातियों की संस्किरियों को अपने भीतर आत्मसात करके समनवय को उत्पन्न किया है। इस प्रकार जो जाति जितनी अधिक समनवय किस शक्ति रखती है ,वह उतनी ही शक्तिशाली मानी जाती है। भारतीय संस्कृति में समनवय की इसी विशेष प्रवृति यह महान है। अनेकता में एकता संस्कृति की विश्ष्ट है।
संस्कृति क्या है? का उद्देश्य -
संस्कृति हमारे जीवन के अन्तर में व्याप्त है। जिस प्रकार फूल के अंदर सुगंध छिपा रहता है ,उसी प्रकार संस्कृति का स्वरुप है। संस्कृति अनुभूति की जा सकती है ,इसे परिभाषित करना कठिन है। सभ्यता वाह्य उपकरण है जैसे मोटर ,हवाई जहाज़ ,पोशाक आदि।इसके ठीक विपरीत संस्कृति एक ज्यादा आंतरिक गुण है जो सभ्यता के उपकरणों के निर्माण एवं प्रयोग धर्मिता में सहायक है। अच्छी पोशाक पहनने वाला ,वैबह्वपूर्ण जीवन जीने वाला व्यक्ति स्वभाव से लम्पट एवं धूर्त हो सकता है। कभी -कभी पशुवत व्वहार कर सकता है। इसके ठीक विपरीत सड़ी - गली बसितयों में रहने वाला व्यक्ति विनयी ,नम्र एवं समाज सेवी होत्र है तथा दूसरों का दुःख दूर करने के िये वह खुद मुसीबत उठाने के लिए तैयार रहता है। प्राचीनकाल में ऋषि -मुनि जंगलों में रहते हैं। वे कुटी में निवास करते हैं तथा मेहनती होते थे। अपना सारा काम स्वयं करते थे। मिटटी के बर्तनों में खाना बनाते थे और पत्तों पर खाते थे। वे जंगली पशुओं से तथा पेड़ पौधों से घनिष्ठ लगाव रखते थे। सभ्यता एवं संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं। जिस प्रकार मानव शरीर में ,आत्मा से शरीर का सम्बन्ध है वैसे ही ये दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं। जैसे घर बनाना सभ्तया है परन्तु घर बनाने की अभिरुचि ,उसका नक्शा ,उसका खाका तैयार करना संस्कृति है। इस प्रकार दोनों परस्पर एक दूसरे को प्रभावित करते हुए निरंतर गतिशील रहते हैं।
जब भी दो देश वाणिज्य ,व्यापार अथवा शत्रुता या मित्रता के कारण परस्पर मिलते हैं ,तब उनकी संस्कृतियाँ एक दूसरे प्रभावित करने लगती हैं।यदि भारत का यूरोप से संपर्क न हुआ होता तो हम आधुनिक जागरण से शीघ्र प्रभावित न होते और देश पर विज्ञान का प्रभाव देर से पड़ता। अपनी विशेष भौगोलिक परिस्थिति में और विशेष ऐतिहासिक परंपरा के भीतर से मनुष्य के सर्वोत्तम को प्रकाशित करने के लिए इस देश के लोगों ने भी कुछ प्रयत्न किये हैं ,जितने अंश में वह प्रयत्न संसार के अन्य मनुष्य के प्रयत्नों का अविरोधी है ,उतने अंश में वह उनका पूरक भी है। भिन्न भिन्न देशों और भिन्न -भिन्न जातियों के अनुभूत और साक्षात अन्य अविरोधी धर्मों की भाँती वह मनुष्य की जय यात्रा में सहायक है। वह मनुष्य के सर्वोत्तम को जितने अंश प्रकाशित और अग्रसर कर सका है ,उतने ही अंश में वह सार्थक और महान है। यही भारतीय संस्कृति है।
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जवाब देंहटाएंVery nice👌
जवाब देंहटाएंUpstart shabd ka prayog kinke liye Kiya gya hai
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