जिन्दा दिखना जरुरी है 

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ज़िंदा होना सिर्फ साँस लेना नहीं बल्कि सांसों को स्वीकार करना हैं। जिंदा सिर्फ दिल का धड़कना नहीं बल्कि दूसरों के दिलों को धड़काना है। ज़िन्दगी जीवित होना नहीं बल्कि मौत को मात देना है। जीवित होना आसान है, वास्तव में जिन्दा रहना मुश्किल है. सौ वर्ष जीवित रहने से अच्छा एक पल जिन्दा रहना है। जीवित रहना मज़बूरी है लेकिन जिन्दा रहना जरुरी है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक का जीवन ही जिंदगी हैं। प्रत्येक क्षण को जीना ही जीवन है।

जिन्दा दिखना जरुरी है 


इस विषय पर मुझे एक संस्कृत श्लोक याद आ रहा है 
येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ॥

जिन मनुष्यों में न विद्या का निवास है, न मेहनत का भाव, न दान की इच्छा, और न ज्ञान का प्रभाव, न गुणों की अभिव्यक्ति और न धर्म पर चलने का संकल्प, वे मनुष्य नहीं, वे मनुष्य रूप में जानवर ही धरती पर विचरते हैं। 
जीवित होने का अर्थ है कि आपकी जीवनशक्ति काम कर रही है, इसलिए आपके सभी अंग और तंत्र काम कर रहें हैं। जिसका मतलब है कि आप बस जीवित हैं। लेकिन जीवित होने का सही अर्थ है कि आप अपने लक्ष्य और उद्देश्य के साथ एक सार्थक जीवन जी रहे हैं।
जिन्दा दिखना जरुरी है
जीवित रहने के लिए सांस लेना है। ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाइऑक्साइड को साँस के द्वारा बाहर करना ही जीवन है। यह ये काम सभी प्राणी कर रहे हैं ये प्राकृतिक है और हमारे लिए आसान काम है।ये जिन्दा रहने की एक प्रक्रिया है। जीवित रहने के बजाय 'जीवन जीना हमारे लिए एक चुनौती है। लेकिन इस तरह जिंदा रहना कोई उपलब्धि नहीं है अपने शरीर को स्वस्थ रखने और काम करने के लिए आवश्यक  सांस लेने, पैदल चलना, खाना ,सोना ,शारीरिक भूख मिटाना  के लिए कोई बड़ी बात नहीं है हम सभी इसे करते हैं। ज़िन्दगी और जीवित रहने के बीच बहुत बड़ा अंतर है जीवित रहने के लिए सिर्फ साँस लेना ,भोजन और पानी जरुरी है जबकि जिंदगी जीने के लिए अपने लक्ष्य उदेश्यों को निर्धारित कर उनको प्राप्त करना जरुरी है।  
हम कोशिकाओं से बने हैं कोशिकायें प्रजनन और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है और और ये सभी बातें हमारी परिभाषा के अनुसार कोशिकाओं को जीवित सिद्ध करती हैं। लेकिन अगर आप इसके बारे में सोचते हैं, तो क्या यह तथ्य है कि हम मृत पदार्थों से निर्मित ईश्वर की एक कृति हैं या कहें रोबोट हैं जो कुछ समय गति करते हैं और फिर उन्ही मृत पदार्थों में बदल जाते हैं जिन से हम बने हैं।  क्या भविष्य में रोबोट वास्तव में उन चीजों का अनुभव करने में सक्षम होंगे जो हम करते हैं? हालांकि वे अत्यधिक बुद्धिमान हो सकते हैं, मुझे यकीन है कि हम इसे एक बहुत अलग तरीके से जीने में सक्षम होंगे।
जीवन जीने का मतलब है एक निरंतर दृढ कार्य में लगे रहना। हम जिसके लिए बने हैं या हमें जिस उदेश्य से ईश्वर ने अद्वितीय, रचनात्मक कृति बनाया है। उसको प्राप्त करना ही जिन्दा होना है। हमारा जीवन एक पेंटिंग की तरह जो फीका और धूमिल पड़ता जाता है और इसकी कीमत पहचानना मुश्किल हो जाती है। , हमारा जीवन धुंधला हो जाता है । हम जीवित तो रहते हैं, पर जिसके लिए बनाये गए है उससे हम बहुत दूर रह जाते हैं। हम निराश और निराश हो जाते हैं क्योंकि हम वहां नहीं जा पाते  जहां पर हम को जाना चाहिए होता है। ऐसा लगता है कि वहाँ एक अभेद्य दीवार है जिसे  हम नहीं तोड़ सकते हैं और हम निराश और मोहभंग की स्थिति का शिकार हो जाते हैं।
हमें कई समस्याएं  जैसे  मोटापे, क्रोध, रिश्ते संबंधी संघर्ष या दूरी, अवसाद, चिंता  ठहराव या असफलता, घेरे हुए हैं। इन समस्याओं के चलते कार्य करने पर या अन्य ऐसे कई अन्य मुद्दों पर हमें खुद में जो परिवर्तन करना चाहिए वो परिवर्तन करना असंभव लगता है। हमें जीवन में आवश्यक कौशल और ज्ञान मिलते हैं जिस कारन हम सभी अपनी परिस्थितियों के अनुसार अपना जीवन जीते हैं, लेकिन उसके बाद भी हम अभी भी परिवर्तन करने के लिएखुद को असहाय महसूस करते हैं। हमारे पास अनुभवों की प्रेरणा भी होती है लेकिन फिर भी हम जिंदगी में बदलाव को तैयार नहीं होते और कुछ असफलताओं के बाद हम जीवन को भगवान के भरोसे छोड़ देते हैं।जो जीवित चीज मनुष्य को रोबोट से अलग करती है वो है  प्यार, खुशी, कला का सृजन, नए लोगों के साथ संबंधों का सृजन और दूसरों को खुश करने में सक्षम मनुष्यता। ये ऐसी चीजें हैं जो हमें जिंदा रहने के बजाय जीवित करते हैं। ये वे चीज़ हैं जो हमें कोशिकाओं और रोबोटों से अलग कर देते हैं ... कम से कम अब तक तो यही सोच है। 
जीवन जीना वास्तव में कुछ पूरी तरह से अलग है जीवन हमेशा मृत्यु के करीब होगा।सिर्फ सांसे लेकर जीवन जीना मतलब  एक नीरस जीवन जीना है, एक ऐसा जीवन जो आनंद के बिना है , मित्र, परिवार या कोई भी आपके लिए महत्वपूर्ण नहीं है या ; आप दुनिया की परवाह नहीं करते हैं और दुनिया आपकी परवाह नहीं करती है, इत्यादि का माइंड सेट रखना है जबकि जिंदादिली का जीवन  आपके जीवन के हर पल का आनंद लेना है; हर रोज जीवित रहें और जीवन को ऐसे जियें जैसे पृथ्वी पर यह आपका आखिरी दिन है  यात्रा करना, पार्टी करना, मित्र बनाना, देखभाल करना, प्यार करना, अपने और / या दूसरों के लिए खुश रहना, आदि, आदि और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की हम अपने अस्तित्व के प्रति सजग रहें। 

ज़िंदा होना सिर्फ साँस लेना नहीं बल्कि सांसों को स्वीकार करना हैं। 
जिंदा सिर्फ दिल का धड़कना नहीं बल्कि दूसरों के दिलों को धड़काना है। 
ज़िन्दगी जीवित होना नहीं बल्कि मौत को मात देना है।  
जीवित होना आसान है, वास्तव में जिन्दा रहना मुश्किल है.
सौ वर्ष जीवित रहने से अच्छा एक पल जिन्दा रहना है। 
जीवित रहना मज़बूरी है लेकिन जिन्दा रहना जरुरी है। 
सूर्योदय से सूर्यास्त तक का जीवन ही जिंदगी हैं। 
प्रत्येक क्षण को जीना ही जीवन है।


- सुशील शर्मा 

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