आषाढ़ का एक दिन नाटक का नामकरण

SHARE:

आषाढ़ का एक दिन नाटक का नामकरण ashad ka ek din analysis आषाढ़ का एक दिन नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक प्रसिद्ध हिंदी नाटक है।आषाढ़ का एक दिन नाटक का नामकरण कथावस्तु के आधार पर है।सारी कथावस्तु आषाढ़ के एक दिन में सिमट कर आ गयी है।

आषाढ़ का एक दिन नाटक का नामकरण 

आषाढ़ का एक दिन नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक प्रसिद्ध हिंदी नाटक है।आषाढ़ का एक दिन नाटक का नामकरण कथावस्तु के आधार पर है।सारी कथावस्तु आषाढ़ के एक दिन में सिमट कर आ गयी है।
कथानक का प्रारम्भ और अंत दोनों ही आषाढ़ के एक दिन से होते हैं।

कथानक का प्रारम्भ आषाढ़ के प्रथम दिन होता है।मेघ गर्जन और वर्षा का स्वर सुनाई पड़ता है।  रंगमंच पर मल्लिका प्रवेश करते ही अपनी माँ अम्बिका से कहती है - 
"आषाढ़ का पहला दिन और ऐसी. वर्षा माँ। . ऐसी धारासार वर्षा दूर-दूर तक की उपत्यकाएँ भीग गयी।और मैं. भी तो ! देखो ना माँ, कैसी भीग गयी हूँ।”

मल्लिका के वस्त्र गीले है ,यहीं से माँ और पुत्री के वार्तालाप से कथा का प्रारम्भ हो जाता है ,समस्त प्रथम अंक में आषाढ़ के प्रथम दिन का वातावरण छाया रहता है। अंक के अंत में कालिदास उज्जयनी को प्रस्थान करते हैं।  इस समय भी वर्षा का वातावरण है। वर्षा और मेघ गर्जन का स्वर सुनाई पड़ता है।

तीसरे अंक का दृश्य भी आषाढ़ के प्रथम दिवस की वर्षा का है।  मेघ - गर्जन का शब्द सुनाई पड़ता है। सर और वस्त्रों से पानी निचोड़ते हुए मातुल प्रवेश करता है।  वह मल्लिका से कहता है -

"यह आषाढ़ की वर्षा मेरे लिए काल हो रही है।"

इसी प्रकार कालिदास राजपद छोड़कर कश्मीर से मल्लिका के घर आते हैं. इस समय भी आषाढ़ का प्रथम दिवस है। बिजली कौंध रही है और मेघ गर्जना कर रहे हैं।  कालिदास भी भीग रहे हैं और उनके पैर भी  कीचड़ में सने  हुए है। इसी प्रकार कालिदास विरक्त होकर मल्लिका के यहाँ से जाने को होते हैं। इस समय भी आषाढ़ के प्रथम दिवस का दृश्य उपस्थित  हैं।

बिजली चमकती है और मेघ गर्जन सुनाई पड़ता है।कालिदास एक बार चारों ओर देखता है ,फिर झरोख़े के पास चला जाता है। फिर वर्षा पड़ने लगती है।
कालिदास के चले जाने पर बिजली बार - बार चमकती है और मेघ गर्जन सुनाई पड़ता है।

उपयुक्त विवेचन से स्पष्ट है कि आलोच्य नाटक का सारा कथानक आषाढ़ का एक दिन में सिमट कर आ गया है। अतः कथावस्तु की दृष्टि से आलोच्य नाटक का नामकरण सफल एवं आकर्षक है। नाटक के नामकरण विशेष महत्व है।हमारे यहाँ नाटकों के नामकरण प्रायः कथा के नायक के नाम के आधार पर हमारे यहाँ अधिकाँश नाटकों के नामकरण हुए हैं।इसी प्रकार नामकरण समस्त कथावस्तु को अपने में समेटे होते हैं।नाटक का नाम ऐसा हो ,जो व्यंजन हो ,कथावस्तु को अपने में समेटे हो ,उद्देश्य को स्पष्ट करता हो।इस प्रकार आषाढ़ का एक दिन नाटक का नामकरण बहुत ही सफ़ल और आकर्षक है।  

COMMENTS

Leave a Reply: 3
  1. Aapke en kosiso ke wajah sehum sab log apke aabhari hai. Hum aasa karte hai aap aise hi aage sabka margdarshan kare padhai mai. Aap sabhi ki kosis se lakho bachoo ka bhavisya ujjwal ho raha hai aur aage bhi aap aise hi karya kare taaki bachoo mai hindi ke prati rujhaan bane rahe .

    जवाब देंहटाएं
  2. छात्रों और हिंदी के अध्येताओं के लिए बहुत ही उपयोगी जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
    बहुत बहुत आभार आपका 🙏🏻🙏🏻

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका