मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के। आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।मेघ आये कविता का केन्द्रीय भाव / मूल भाव प्रस्तुत कविता मेघ आये में कवि सर्व्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने मेघों का मानवीकरण द्वारा प्रकृति के विविध रूपों का बहुत सुन्दर चित्रण किया है .
मेघ आए कविता
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
व्याख्या - कवि कहते है की आकाश में बादल घिर आये है . बादलों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई मेहमान बन -संवर कर ,सज धजकर ग्राम आताहै .शहर से आने वालेमेहमान को देखकर लोगों में प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है .बादल भी दामाद की तरह एक वर्ष बाद आये है .बादलों को देखकर लोग प्रसन्न हो जाते है .बादलों सेपहले उनके आने की सूचना देने वाली पुरवाई चल पड़ती हैजो नाचती गाती है .उस नाच गाने को देखने के लिए गलियों में खिड़की -दरवाजे खुलने लगते है . लोग मेघ रूप दामाद को देखना चाहता है . मेघ के आने से हवा अत्यंत प्रसन्न हो गयी है और प्रकृति में उत्साह का वातावरण है .
२. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बांकीचितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
व्याख्या - मेघरूपी मेहमान बादल के रूप में आते है . मेहमान के आने पर जिस प्रकार लोग झुकर प्रणाम करते है और फिर गर्दन उच्कार ,झंकार देखते है उसी तरह बादल के आने पर पेड़ हवा के वेग से झुके और डोलने लगे .ऐसा लगता है जैसे अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए कुछ ग्रामीण अतिथि को देख रहे है . धीरे -धीरे हवा आंधी में बादल गयी और धुल उड़ने लगी .धुल का गुबार देखकर ऐसा लगता है ,जैसे कोई ग्राम की युवती किसी अनजाने व्यक्ति को देखकर अपना लहगा समेटकर भागी चली जा रही है .बादलों का घिरना नदी के लिए भी अच्छा समाचार है ,वह भी रुक कर देखने लगी है . कहने का अर्थ या है की जिस पर शहर के मेहमान गौण में सज -धज कर संवर कर आते है ,ठीक उसी प्रकार मेघ भी मानों बन थान कर अतिथि के रूप आये हो .
३. बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
व्याख्या - कवि कहते है कि जिस प्रकार मेहमान के आने पर घर के बड़े -बुगुर्ग उनका स्वागत करते है ,उनका अभिवादन करते है तथा घर की बहुवें किवाड़ या दरवाजे की ओट में से उनसे स्नेह भरे स्किय्कत करती है ,उसी प्रकार मेघों के मेहमान के रूप में आने पर बूढ़े पीपल ने अभिवादन किया .हवा के झोंकों से लता लहरा रही है ,मानों मेघों से शिकायत कर रही हो कि आप बहुत दिनों के बाद आये हो . पोखर -तालाब हर्ष से झूम रहे है ,मानों मेहमान के स्वागत के लिए परात भर के पानी लाया हो .मेघों के आने पर प्रकृति में हर्ष एवं आनंद है .
४. क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
व्याख्या - आकाश में बादल छा गए है . क्षितिज पर गहरे बादलों में बिजली चमकी और वर्षा प्रारंभ हो गयी .झर -झर वर्षा होने लगी .इस भाव को कवि ने मेहमान और उसकी पत्नी के मिलन के रूप में चित्रित किया है . पति -पत्नी जब मिले तो दोनों के मन की गाँठ खुल गयी . सारी भेद दुभिदा दूर हो गयी .अब वियोग का बाँध टूट गया . इसी प्रकार मेहमान के आने के बाद की खुसी और मिलन के आँसू के रूप में वर्षा का वर्णन किया गया है .
मेघ आए कविता का सारांश / मूल भाव
प्रस्तुत कविता मेघ आये में कवि सर्व्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने मेघों का मानवीकरण द्वारा प्रकृति के विविध रूपों का बहुत सुन्दर चित्रण किया है . ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर जो उल्लास का वातावरण बनता है ,उसी उल्लास को मेघरूपी मेहमान के रूप दिखाया गयी है . बरसात के दिनों में बादल उमड़ -उमड़ कर आसमान में छा जाते है .धुल उडती है .बादल नीचे क्षितिज पर झुक आते है .बिजली चमकती और बादल बरसने लगते है . कवि ने बादलों को मेहमान के रूप में दिखाया है . यहाँ कविता में मेघों के साथ -साथ ,अमराइयों ,लताओं ,नदियों एवं पेड़ों का भी मानवीकरण किया गया है .
मेघ आए कविता के प्रश्न उत्तर
प्र.१. मेघ को कविता में किस रूप में दर्शाया गया है ?
उ. मेघ को कविता में मेहमान के रूप में दिखाया गया है .जिस प्रकार शहर से कोई अतिथि सज -धज कर बरसों बाद अपने ग्राम को वापस आता है ,उसी प्रकार मेघ भी बन -संवर आते है .
प्र.२.बूढ़े पीपल ने किसकी जुहार की और क्यों ?
उ.बूढ़े पीपल ने घर के बड़े -बूढ़े के सामान मेघ रूपी पाहून का स्वागत किया . हवा के कारण उसकी डालियाँ झुक जाती है जिससे ऐसा प्रतीत होता है मानों वह झुककर स्वागत कर रहा है .
प्र ३.पाहून के आने पर गाँव में क्या हलचल हुई ?
उ .पाहून का अर्थ होता है -मेहमान .यहाँ मेघों को पाहून कहा गया है . पाहून के आनेसे गाँव में हर्ष और उल्लास की लहर दौड़ जाती है .हर घर की खिड़कियाँ और दरवाजे खुलने लगते है . यहाँ भी गाँव के वातावरण में कुछ ऐसा ही परिवर्तन दिखाई पड़ता है .
प्र.४. ताल किसका प्रतिक है ? उसने प्रसन्न होकर क्या किया ?
उ . ताल पाहून के साले के रूप में दिखाया गया है . ताल ने प्रसन्न होकर मेघ के पैर धोये .मेघों के आने पर पोखर -तालाब हर्ष से झूम रहे है . मेघों के आने पर प्रकृति में हर्ष एवं आनंद है .
प्रश्न-5 बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए |
उत्तर- बादलों के आगमन की खबर हवा नाचती-गाती हुई लोगों तक पहुँचाती है | बादलों के आगमन की खबर सुनते ही लोग अपने-अपने घरों के खिड़की-दरवाजे खोलकर उसे देखने लगते हैं | तेज आँधी के कारण झुके पेड़ भी अपनी गर्दन उचकाकर देखने का प्रयास करते हैं | आँधी के कारण धूल उड़ती है और नदी भी मेघ को देखने का प्रयास करती है | वयोवृद्ध सदस्य होने के चलते बूढ़ा पीपल आगे बढ़कर मेघ का आदर व स्वागत करता है | आसमान में बिजली चमकने लगती है | तालाब पानी से लबालब हो जाते हैं | अत: प्रेमिका और प्रियतम का मिलन हो जाता है | वर्षा की बूँदे धरती पर पड़ के कृषकों को खुशियों से भर देते हैं |
प्रश्न- 6 निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं ?
• धूल
• पेड़
• नदी
• लता
• ताल
उत्तर- प्रतीक निम्नलिखित है -
• धूल - स्त्री
• पेड़- नगरवासी
• नदी - स्त्री
• लता - मेघ की नायिका
• ताल - सेवक |
प्रश्न-7 लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों ?
उत्तर- लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट से छिपकर देखा था | क्योंकि वह मेघ की प्रतीक्षा में व्याकुल हुई जा रही थी और जब मेघ उसके सामने आ गया तो वह संकोच के कारण उसके सामने नहीं आ पाई थी |
प्रश्न- 8 मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है ?
उत्तर- प्रस्तुत कविता में मेघ की तुलना दामाद से की गई है | आमतौर पर देखा जाता है कि दामाद बहुत दिनों बाद अपने ससुराल आया करते हैं, तो लोगों में उन्हें देखने का अलग ही उत्साह रहता है तथा उनके आने की चर्चा पूरे गाँव में फैल जाती है | ठीक उसी प्रकार गाँव में मेघ की भी प्रतीक्षा की जाती है | क्योंकि मेघ भी बहुत समय बाद धरती पर दस्तक देते हैं | चुँकि मेहमान जब घर पर पधारते हैं, तो वे बन-ठनकर, सज-सँवर कर आते हैं | इसलिए कवि सक्सेना जी ने मेघों के किरदार में सजीवता भरने के उद्देश्य से मेघों के 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात कही है |
प्रश्न- 9 कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है ? पता लगाइए |
उत्तर- आमतौर पर देखा जाए तो पीपल का वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में अधिक आयु का होता है | हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार इस वृक्ष की पूजा भी की जाती है | अत: यह वृक्ष, अन्य वृक्षों में वयोवृद्ध तथा पूजनीय होने के नाते कवि के द्वारा बड़ा-बुजुर्ग मान लिया गया है |
प्रश्न- 10 "क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की" --- भाव स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, लता रूपी नायिका को भ्रम था कि उसका मेघ रूपी प्रियतम अब नहीं आएगा | परन्तु, नायिका के प्रियतम के आगमन से नायिका का सारा भ्रम टूट जाता है | तत्पश्चात्, नायिका अपने प्रियतम से क्षमा माँग लेती है और दोनों का मिलन हो जाता है |
प्रश्न-11 कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए |
उत्तर- मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त -
• सुधि लेना --- खबर लेना --- मैं अपने दोस्तों की सुध लेती रहती हूँ |
• बन-ठन के --- सज-धजकर --- वह हमेशा बन-ठनकर रहती है |
• बाँध टूटना --- धैर्य खो देना --- नौकरी न मिलने की वजह से राजू के धैर्य का बाँध टूट गया और वो आत्महत्या कर लिया |
• गाँठ खुलना --- समस्या का हल निकलना या सुलझना --- एक-दूसरे से बातें करके समस्या का गाँठ खोला जा सकता है |
प्रश्न- 12 कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए |
उत्तर- मानवीकरण अलंकार :---
• "बोली अकुलाई लता" --- यहाँ लता का एक स्त्री के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के" --- यहाँ मेघ का दामाद या मेहमान के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "धूल भागी घाघरा उठाए" --- यहाँ धूल का एक स्त्री के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की" --- यहाँ पीपल का गाँव के पुराने और सबसे बुजुर्ग वृक्ष के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "आगे-आगे नाचती बयार चली" --- यहाँ बयार अर्थात् हवा का स्त्री के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए" --- यहाँ पेड़ का एक नगरवासी के रूप में मानवीकरण हुआ है |
रूपक अलंकार :---
• "बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके" --- यहाँ
झर-झर मिलन के अश्रु द्वारा बारिश के पानी के रूप में प्रयोग हुआ है |
• "दामिनी दमकी" --- यहाँ दामिनी दमकी का बिजली के चमकने के रूपक द्वारा प्रयोग हुआ है |
• "क्षितिज अटारी" --- यहाँ क्षितिज का अटारी के रूपक द्वारा प्रयोग हुआ है |
• जुहार करना - आदरपूर्वक नमस्कार करना
• दामिनी दमकी - बिजली चमकने का प्रतीकात्मक भाव, मन का आभा से चमक उठना
• बाँकी चितवन - तिरछी नजर निहारना
• मेघ - बादल
• अटारी - छत या घर का ऊपरी हिस्सा
• गाँठ खुलना - गुत्थी सुलझना
• हरसाया - प्रसन्नतापूर्वक
• घाघरा - स्त्रीयों के एक प्रकार का परिधान, जो कमर से नीचे पहना जाता है |
विडियो के रूप में देखें :-
प्रश्न-5 बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए |
उत्तर- बादलों के आगमन की खबर हवा नाचती-गाती हुई लोगों तक पहुँचाती है | बादलों के आगमन की खबर सुनते ही लोग अपने-अपने घरों के खिड़की-दरवाजे खोलकर उसे देखने लगते हैं | तेज आँधी के कारण झुके पेड़ भी अपनी गर्दन उचकाकर देखने का प्रयास करते हैं | आँधी के कारण धूल उड़ती है और नदी भी मेघ को देखने का प्रयास करती है | वयोवृद्ध सदस्य होने के चलते बूढ़ा पीपल आगे बढ़कर मेघ का आदर व स्वागत करता है | आसमान में बिजली चमकने लगती है | तालाब पानी से लबालब हो जाते हैं | अत: प्रेमिका और प्रियतम का मिलन हो जाता है | वर्षा की बूँदे धरती पर पड़ के कृषकों को खुशियों से भर देते हैं |
प्रश्न- 6 निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं ?
• धूल
• पेड़
• नदी
• लता
• ताल
उत्तर- प्रतीक निम्नलिखित है -
• धूल - स्त्री
• पेड़- नगरवासी
• नदी - स्त्री
• लता - मेघ की नायिका
• ताल - सेवक |
प्रश्न-7 लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों ?
उत्तर- लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट से छिपकर देखा था | क्योंकि वह मेघ की प्रतीक्षा में व्याकुल हुई जा रही थी और जब मेघ उसके सामने आ गया तो वह संकोच के कारण उसके सामने नहीं आ पाई थी |
प्रश्न- 8 मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है ?
उत्तर- प्रस्तुत कविता में मेघ की तुलना दामाद से की गई है | आमतौर पर देखा जाता है कि दामाद बहुत दिनों बाद अपने ससुराल आया करते हैं, तो लोगों में उन्हें देखने का अलग ही उत्साह रहता है तथा उनके आने की चर्चा पूरे गाँव में फैल जाती है | ठीक उसी प्रकार गाँव में मेघ की भी प्रतीक्षा की जाती है | क्योंकि मेघ भी बहुत समय बाद धरती पर दस्तक देते हैं | चुँकि मेहमान जब घर पर पधारते हैं, तो वे बन-ठनकर, सज-सँवर कर आते हैं | इसलिए कवि सक्सेना जी ने मेघों के किरदार में सजीवता भरने के उद्देश्य से मेघों के 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात कही है |
प्रश्न- 9 कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है ? पता लगाइए |
उत्तर- आमतौर पर देखा जाए तो पीपल का वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में अधिक आयु का होता है | हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार इस वृक्ष की पूजा भी की जाती है | अत: यह वृक्ष, अन्य वृक्षों में वयोवृद्ध तथा पूजनीय होने के नाते कवि के द्वारा बड़ा-बुजुर्ग मान लिया गया है |
प्रश्न- 10 "क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की" --- भाव स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, लता रूपी नायिका को भ्रम था कि उसका मेघ रूपी प्रियतम अब नहीं आएगा | परन्तु, नायिका के प्रियतम के आगमन से नायिका का सारा भ्रम टूट जाता है | तत्पश्चात्, नायिका अपने प्रियतम से क्षमा माँग लेती है और दोनों का मिलन हो जाता है |
प्रश्न-11 कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए |
उत्तर- मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त -
• सुधि लेना --- खबर लेना --- मैं अपने दोस्तों की सुध लेती रहती हूँ |
• बन-ठन के --- सज-धजकर --- वह हमेशा बन-ठनकर रहती है |
• बाँध टूटना --- धैर्य खो देना --- नौकरी न मिलने की वजह से राजू के धैर्य का बाँध टूट गया और वो आत्महत्या कर लिया |
• गाँठ खुलना --- समस्या का हल निकलना या सुलझना --- एक-दूसरे से बातें करके समस्या का गाँठ खोला जा सकता है |
प्रश्न- 12 कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए |
उत्तर- मानवीकरण अलंकार :---
• "बोली अकुलाई लता" --- यहाँ लता का एक स्त्री के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के" --- यहाँ मेघ का दामाद या मेहमान के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "धूल भागी घाघरा उठाए" --- यहाँ धूल का एक स्त्री के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की" --- यहाँ पीपल का गाँव के पुराने और सबसे बुजुर्ग वृक्ष के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "आगे-आगे नाचती बयार चली" --- यहाँ बयार अर्थात् हवा का स्त्री के रूप में मानवीकरण हुआ है |
• "पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए" --- यहाँ पेड़ का एक नगरवासी के रूप में मानवीकरण हुआ है |
रूपक अलंकार :---
• "बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके" --- यहाँ
झर-झर मिलन के अश्रु द्वारा बारिश के पानी के रूप में प्रयोग हुआ है |
• "दामिनी दमकी" --- यहाँ दामिनी दमकी का बिजली के चमकने के रूपक द्वारा प्रयोग हुआ है |
• "क्षितिज अटारी" --- यहाँ क्षितिज का अटारी के रूपक द्वारा प्रयोग हुआ है |
मेघ आए कविता का शब्दार्थ
• जुहार करना - आदरपूर्वक नमस्कार करना
• दामिनी दमकी - बिजली चमकने का प्रतीकात्मक भाव, मन का आभा से चमक उठना
• बाँकी चितवन - तिरछी नजर निहारना
• मेघ - बादल
• अटारी - छत या घर का ऊपरी हिस्सा
• गाँठ खुलना - गुत्थी सुलझना
• हरसाया - प्रसन्नतापूर्वक
• घाघरा - स्त्रीयों के एक प्रकार का परिधान, जो कमर से नीचे पहना जाता है |
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Helped a lot
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जवाब देंहटाएंMujhe is kavita ka ghrahkarya mila hai megh aae kavita me kavi ne bharatiya sanskriti kis prakar darshai hai Chitra bhi banaiye
जवाब देंहटाएंKrapya iska Chitra bana dijiye
Nice
जवाब देंहटाएंgood efforts
जवाब देंहटाएंमेघ आए कविता को आपने बखूबी समझाया है धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं👍 nice
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