आज़ादी का ये कैसा मतलब तुमने जाना है। सिर्फ अपनी स्वार्थसिद्धि को ही तुमने आज़ादी माना है। भारत की इस आज़ादी में कितनों ने मृत्यु वरण किया। कितनों ने अपना घर छोड़ा कितनों ने जीवन मरण किया। अनगिनत अनाम शहीद हुए आज़ादी के मतवाले थे। भारत माता की पुकार पर वो कब रुकने वाले थे।
आज़ादी
आज़ादी का ये कैसामतलब तुमने जाना है।
सिर्फ अपनी स्वार्थसिद्धि
को ही तुमने आज़ादी माना है।
भारत की इस आज़ादी में
कितनों ने मृत्यु वरण किया।
कितनों ने अपना घर छोड़ा
कितनों ने जीवन मरण किया।
अनगिनत अनाम शहीद
हुए आज़ादी के मतवाले थे।
भारत माता की पुकार
पर वो कब रुकने वाले थे।
संघर्षो की आज़ादी को
हमने यूं बदनाम किया।
राजनीति को सिर पे चढ़ा
कर हमनें ओछा काम किया।
आज़ादी का मतलब क्या
गाली की अभिव्यक्ति है।
आज़ादी का मतलब क्या
पाक की अंधभक्ति है।
आज़ादी का मतलब क्या
जे एन यू के प्यारे हैं।
आज़ादी का मतलब
क्या देशद्रोह के नारे हैं।
आज़ादी का मतलब क्या
पाक परस्ती होना है।
आज़ादी का मतलब क्या
कश्मीर को खोना है।
आज़ादी का मतलब क्या
कश्मीर के पत्थर हैं।
आज़ादी का मतलब क्या
विस्फोटों के उत्तर हैं।
आज़ादी का मतलब क्या
शिशुओं की सिसकारी हैं
आज़ादी का मतलब
क्या बच्चों की बेगारी है।
आज़ादी का मतलब क्या
तुष्टिकरण की नीति है।
आज़ादी का मतलब क्या
एक जाति वर्ग से प्रीति है।
आज़ादी का मतलब
गांधी का एक सपना है।
आज़ादी का मतलब
ये प्यारा भारत अपना है।
आज़ादी का मतलब
शास्त्री की खुद्दारी है।
आज़ादी का मतलब
कलाम की ईमानदारी है।
आज़ादी का मतलब
नेहरू का नेतृत्व है।
आज़ादी का मतलब
वल्लभ भाई का व्यक्तित्व है।
आज़ादी का मतलब
वीर सुभाष का मान है।
आज़ादी का मतलब
भगतसिंह का बलिदान है।
आओ हम सब मिलकर
एक नया विचार करें।
सबको साथ मे लेकर हम
सपनों को साकार करें।
स्वस्थ और विकसित भारत
का सपना सच करना होगा।
आज़ादी को अक्षुण्य बनाने
मिलजुल कर रहना होगा।
आगे बढ़ो
कल का दिन किसने देखा है।आज अभी की बात करो।
ओछी सोचों को त्यागो मन से
सत्य को आत्मसात करो।
जिन घड़ियों में हँस सकते हैं
क्यों तड़पें संताप करें।
सुख दुःख तो है आना जाना।
कष्टों में क्यों विलाप करें।
जीवन के दृष्टी कोणों को
आज नया आयाम मिले।
सोच सकारात्मक हो तो
मन को पूर्णविराम मिले
हिम्मत कभी न हारो मन की।
स्वयं पर अटूट विश्वास रखो।
मंजिल खुद पहुंचेगी तुम तक।
मन में सोच कुछ खास रखो।
सोच हमारी सही दिशा पर।
संकल्पों का संग रथ हो।
दृढ़ निश्चय कर लक्ष्य को भेदो।
चाहे कितना कठिन पथ हो।
जीवन में ऐसे उछलो कि
आसमान को छेद सको ।
मन की गहराई में डुबो तो
अंतरतम को भेद सको।
इतना फैलो कायनात में
जैसे सूरज की रोशनाई हो।
इतने मधुर बनो जीवन में
हर दिल की शहनाई हो।
जैसी सोच रखोगे मन में
वैसा ही वापिस पाओगे।
पर उपकार को जीवन दोगे
तुम ईश्वर बन जाओगे।
तुम ऊर्जा के शक्तिपुंज हो
अपनी शक्ति को पहचानो
सदभावों को उत्सर्जित कर
सबको तुम अपना मानो।
- सुशील शर्मा
आजादी
जवाब देंहटाएंमन को छू लेने वाली झकझोर कविता पढी बार बार पढी
धन्यवाद