दीपदान एकांकी का सारांश उद्देश्य चरित्र चित्रण प्रश्न उत्तर

SHARE:

दीपदान एकांकी का सारांश दीपदान नाटक का सारांश दीपदान एकांकी का उद्देश्य रामकुमार वर्मा एकांकी रचनावली दीपदान का सारांश दीपदान एकांकी pdf दीपदान रामकुमार वर्मा दीपदान एकांकी की समीक्षा deepdan ekanki summary in hindi ekanki sanchay guide download deepdan summary deepdan drama in hindi ekanki in hindi pdf deepdan summary in hindi ekanki sanchay workbook answers ekanki sanchay guide pdf

दीपदान एकांकी का सारांश उद्देश्य चरित्र चित्रण प्रश्न उत्तर


दीपदान एकांकी प्रसिद्ध हिंदी लेखक डॉ रामकुमार वर्मा द्वारा रचित एक एकांकी है। यह नाटक 16वीं शताब्दी के चित्तौड़ दुर्ग की पृष्ठभूमि पर आधारित है।

कहानी मेवाड़ की वीर महिला पन्ना धाय के त्याग और बलिदान को दर्शाती है। पन्ना धाय महाराणा सांगा के छोटे पुत्र कुंवर उदय सिंह की धाय माँ थीं। अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण के समय वह अपने प्राणों की बाजी लगाकर कुंवर उदय सिंह को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देती हैं।

नाटक में पन्ना धाय के कर्तव्यनिष्ठा, मातृभक्ति और राष्ट्रप्रेम को मार्मिक रूप से चित्रित किया गया है।

दीपदान एकांकी का सारांश

दीपदान डॉ.रामकुमार वर्मा का ऐतिहासिक एकांकी हैं जिसमें त्याग ,बलिदान ,देशभक्ति ,कर्तव्यनिष्ठकी आदर्शमय वेगवती धरा प्रवाहित हुई हैं । डॉ. राम कुमार वर्मा द्वारा लिखित एकांकी चित्तौड़ की ऐतिहासिक घटना पर आधारित है। महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई पृथ्वीसिंह का दासी पुत्र बनवीर चित्तौड़ की गद्दी पर बैठना चाहता था। उसके हृदय में निष्कंटक राज्य करने की इच्छा प्रबल हो जाती है। वह रात में सोये हुए विक्रमादित्य की हत्या कर देता है तथा राज्य के उत्तराधिकारी राणा सांगा के छोटे पुत्र कुंवर उदयसिंह की हत्या की तैयारी करता है ।
 
इसके लिए बनवीर मयूर पक्ष नामक कुण्ड में दीपदान के उत्सव का आयोजन असमय ही करता है। पन्ना धाय उदयसिंह की संरक्षिका है। वह बनवीर के इस षड्यन्त्र को भाँप जाती है और बालक उदयसिंह को उत्सव में जाने से रोक देती है। इससे बालक उदयसिंह रूठकर बिना खाये ही जमीन पर सो जाता है। कुछ रात बीत जाने पर जब पन्ना धाय अन्तःपुर की परिचारिका (दासी) सामली से विक्रमादित्य की मृत्यु का समाचार सुनती है तब वह बहुत दुःखी होती है और उसका सन्देह पुष्ट हो जाता है।
 
पन्ना उदयसिंह के प्राण बचाने की चिन्ता में व्यग्र हो जाती है और इस समारोह का लाभ उठाकर दरबार के जूठे पत्तल फेंकने वाले कीरत नाम के बारी से सहायता लेकर कुँवर उदयसिंह को जूठे पत्तलों में छिपाकर महल से बाहर भिजवा देती है और अपने पुत्र चन्दन को बिना कुछ खिलाये कुँवर उदयसिंह के स्थान पर सुला देती है।
 
थोड़ी देर बाद ही बनवीर हाथ में नंगी तलवार लिये उदयसिंह के कक्ष में प्रवेश करता है। इधर-उधर की बात पूछने के बाद वह पन्नाधाय को जागीर देने का लालच देता है और पन्ना को अपने षड्यन्त्र में शामिल करना चाहता है।किन्तु पन्ना उसकी बातों पर ध्यान न देकर अपने कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहती है और अन्त में बनवीर को फटकार देती है।

इसके बाद क्रुद्ध होकर बनवीर बालक उदयसिंह को खोजता है और पन्ना धाय साहस के साथ तलवार उठाकर बनवीर पर आक्रमण करती है किन्तु वह व्यर्थ हो जाता है। इस पर बनवीर दौड़कर पलंग पर सोये हुए चन्दन को उदय सिंह समझकर पन्ना की आँखों के सामने तलवार से उसे मौत के घाट उतार देता है। इस प्रकार बनवीर के इस क्रूर काण्ड और पन्नाधाय के अपूर्व त्याग और बलिदान के साथ इस एकांकी की कथावस्तु समाप्त हो जाती है।

 

दीपदान एकांकी की समीक्षा

दीपदान एकांकी राष्ट्रीयता से ओतप्रोत है। इसमें अपना कर्त्तव्य पालन करते हुए सर्वोच्च त्याग की भावना और कर्त्तव्यनिष्ठा को दर्शाया गया है। दीपदान एकांकी की कथावस्तु पन्ना धाय के त्याग व बलिदान पर केन्द्रित है। महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई का दासी पुत्र बनवीर चित्तौड़ का शासक बनना चाहता था । उसकी राह का सबसे बड़ा काँटा महाराणा संग्राम सिंह के बेटे महाराणा विक्रमादित्य और कुँवर उदयसिंह थे। अपने रास्ते की बाधाओं को हटाने के लिए बनवीर दीपदान महोत्सव का आयोजन करता है जिससे कि सभी का ध्यान उसकी ओर से हट जाये और वह विक्रमादित्य और उदयसिंह की हत्या कर सके। 

कथावस्तु की दृष्टि से पन्ना धाय अपने राष्ट्र के प्रति पूरी तरह ईमानदार है। वह उदयसिंह की धाय माँ है। असमय दीपदान के आयोजन से पन्ना सतर्क हो जाती है। उत्सव के आयोजन वाले दिन जब पन्ना को यह पता चलता है कि बनवीर ने महाराणा विक्रमादित्य की हत्या कर दी और वह उदयसिंह को भी मारने के लिए आएगा तब पन्ना अपनी सूझबूझ और वफादारी का परिचय देते हुए कीरतबारी की पत्तल की टोकरी में कुँवर को छिपाकर महल से बाहर भेज देती है। वह कुँवर के स्थान पर अपने बेटे चन्दन को सुलाकर उसका मुख ढक देती है। बनवीर आता है और कुँवर उदयसिंह के धोखे में चन्दन की हत्या कर देता है। पन्ना अपने मुख से उफ् तक नहीं कहती। एकांकी का कथानक रोचक एवं प्रवाहपूर्ण है।
 
चरित्र-चित्रण की दृष्टि से एकांकी महत्वपूर्ण है। पन्ना इस एकांकी की केन्द्रीय पात्र है। वह अपने खून से अधिक अपने नमक को महत्त्व देती है। वह कर्त्तव्यनिष्ठता, साहस, वीरता, बुद्धिमानी एवं त्याग की प्रतिमूर्ति है। बनवीर एकांकी का दूसरा महत्वपूर्ण पात्र है। वास्तव में वह एकांकी का खलनायक है। वह महाराणा संग्राम सिंह के छोटे भाई का दासी पुत्र है। बनवीर धूर्त, षड्यन्त्रकारी एवं क्रूर हैं। वह महाराणा विक्रमादित्य की हत्या कर देता है और कुँवर उदयसिंह के धोखे में वह पन्ना धाय के पुत्र चन्दन की भी निर्ममतापूर्वक हत्या कर देता है। सामली अन्तःपुर की परिचारिका है तथा कर्तव्यनिष्ठ है। वही राजमहल में होने वाले षड्यन्त्र की सूचना पन्ना को देती है। कीरत बारी महल की जूठी पत्तल उठाने वाला है। वह राष्ट्र भक्ति का परिचय देते हुए चतुराई से कुँवर उदयसिंह को अपनी टोकरी में छिपाकर महल से बाहर ले जाता है। चरित्र-चित्रण की दृष्टि से एकांकी सफल एकांकी है।

एकांकी का देशकाल 1536 ई. का है। यह ऐतिहासिक एकांकी है। इसलिए इसमें मध्ययुगीन राजपूती वातावरण का अंकन, राजमहलों के षड्यन्त्र आदि का चित्रण सफलतापूर्वक हुआ है। एकांकी के संवाद प्रवाहपूर्ण, कथानक को आगे बढ़ाने वाले एवं रोचक हैं। एकांकी ऐतिहासिक होते हुए भी इसमें अभिनेयता के समस्त गुण विद्यमान हैं।
 
एकांकी की भाषा-शैली संस्कृतनिष्ठ शब्दावली से युक्त, प्रभावशाली भाषा-शैली है। एकांकी कला के तत्वों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि दीपदान एकांकी पूर्णतः सफल एकांकी है। 


दीपदान एकांकी में पन्ना धाय का चरित्र चित्रण 

दीपदान एकांकी में पन्ना धाय का चरित्र भारतीय नारीत्व के आदर्श स्वरूप का प्रतीक है। उनकी मातृभक्ति, वीरता, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा पाठकों को प्रेरणा देती है।इसमें ममता ,करुणा ,त्याग ,कर्तव्यनिष्ठ तथा देश प्रेम का भाव कूट -कूट कर भरा हुआ है ।पन्ना में कर्तव्यपरायणता का उच्च भाव है .वह अपने कर्तव्य के प्रति सतत जागरूक है . जब क्रूर बनवीर राज्य लिप्सा के वशीभूत होकर उदय सिंह की हत्या का षड्यंत्र रचता है तो उसकी कर्तव्यनिष्ठ जाग उठती है .वह उदय सिंह की धाय है . अतः उसकी रक्षा उसका प्रथम कर्तव्य है . वह बड़े से बड़े प्रलोभन से भी विचलित नहीं होती है . अपने कर्तव्य की पूर्ति में वह अपने पुत्र चन्दन की बलि चढ़ा देती है  . पन्ना धाय के चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएँ दृष्टिगत होती हैं - 
  • राजभक्ति- पन्ना धाय मे अद्वितीय राजभक्ति है . राजघराने के सभी लोग भूल जाते है कि उदय सिंह राज्य का वास्तविक उत्तराधिकारी है परन्तु उसकी राजभक्ति सदैव सजग रहती है .वह राणा संगा का नमक खाकर उसे धोखा नहीं दे सकती है । 
  • साहसी- पन्ना धीर,साहसी तथा निर्भीक राजपूत वीरांगना है .वह उदय सिंह को नृत्य प्रेमी न बना कर युद्ध प्रेमी देखना चाहती है ।  
  • अपूर्व त्याग - अपूर्व त्याग पन्ना का त्याग भारतीय इसिहास का अपूर्व त्याग है। अपने पुत्र का बलिदान अपनी इच्छा से कर वह अपने स्वामी के पुत्र की रक्षा करना चाहती है । 
  • विवेक और दूरदर्शिता - पन्ना में विवेक और दूरदर्शिता है .वह भारतीय इतिहास का अपूर्व त्याग है . अपने पुत्र का बलिदान अपनी इच्छा से कर वह अपने स्वामी के पुत्र की रक्षा करना चाह्हती हो ।  
वास्तव में पन्ना एक कर्तव्यनिष्ठ,विवेकशील ,देश प्रेमी ,राजभक्ति आदि गुणों से युक्त भारतीय नारी है । उसके उज्ज्वल चरित्र में कहीं कोई दोष या कलंक नहीं है । 

दीपदान एकांकी के पात्र बनवीर का चरित्र चित्रण

बनवीर बनवीर 'दीपदान' एकांकी का खल पात्र है। वह चित्तौड़ के महाराणा संग्राम सिंह के भाई पृथ्वी सिंह का दासीपुत्र है। निष्कटंक राज्य करने के उद्देश्य से वह राणा सांगा के चौदह वर्षीय कुँवर उदय सिंह का वध करने का षड्यन्त्र करता है। बनवीर में अत्यन्त निर्दयता भरी हुई है। अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु वह छोटे कुँवर का वध करने से भी नहीं हिचकता। पन्ना धाय के अनुनय-विनय करने पर भी बनवीर का हृदय द्रवित नहीं होता। बनवीर राजद्रोही होते हुए भी एक कुशल कूटनीतिज्ञ है। निष्कंटक राज्य करने के लिए वह राजपुरुषों से मिलकर दीपदान का आयोजन करवाता है और उदयसिंह के वध का षड्यन्त्र रचता है। बनवीर अत्यन्त कायर है। उसमें खुलेआम विरोध करने की हिम्मत नहीं है। वह रात में उदयसिंह को सोते समय मारने जाता है। पन्ना धाय जैसी स्त्री पर आक्रमण करता है। यही उसकी कायरता का प्रमाण है। 

दीपदान एकांकी के आधार पर सोना का चरित्र चित्रण

सोना एकांकी की दूसरी प्रमुख स्त्री पात्र है। इसके माध्यम से कथा को गति प्रदान की गयी है। वह रूपवती युवती है। उसके पिता रावल रूपसिंह हैं और वह कुँवर उदयसिंह की बालसखा भी है। सोना राजमहल के शिष्टाचार से परिचित है और बोलने में भी निपुण है। उसके शिष्टाचार एवं वाक्पटुता का उस समय आभास होता है जब वह उदयसिंह को दीपदान महोत्सव में ले जाने के लिए आती है। महल में प्रवेश कर वह पन्नाधाय को प्रणाम करती है और उनसे उदयसिंह के विषय में पूछती है। तब पन्ना कहती है कि वह थक गये हैं और सोना चाहते हैं। तभी सोना अपनी वाक्पटुता के कारण पन्ना धाय को उत्तर देती है कि सोना चाहते हैं तो मैं भी तो सोना हूँ। राजमहल से सम्बन्धित होते हुए भी सोना को वहाँ चलने वाले षड्यन्त्रों का ज्ञान नहीं हो पाता। सोना दिग्भ्रमित सी प्रतीत होती है। एक और तो वह कुँवर उदयसिंह को चाहती है और दूसरी ओर बनवीर के प्रलोभन में आ जाती है।
 

सामली का चरित्र चित्रण

एकांकी में सामली अन्त:पुर की परिचारिका है। उसकी उम्र लगभग अट्ठाईस वर्ष है। सामली पन्ना धाय को बताती है कि कुँवर जी का जीवन संकट में है: लोगों ने बनवीर को कहते सुना है कि वह कुँवर उदयसिंह को भी सिंहासन का उत्तराधिकारी समझकर जीवित नहीं रहने देगा। सामली राष्ट्रभक्त है। वह पन्ना को राजमहल में होने वाले षड्यन्त्र की सूचना देते हुए यह कहती है कि बनवीर कुँवर उदयसिंह को मारने के लिए यहाँ आयेगा इसलिए कुँवर की रक्षा कीजिए। सामली समझदार, निर्भीक एवं कर्त्तव्यनिष्ठ नारी है।
 

कीरत बारी का चरित्र चित्रण

कीरत बारी राजदरबार में जूठी पत्तल उठाने वाला व्यक्ति था । उसकी उम्र लगभग चालीस वर्ष थी। वह कुँवर उदय सिंह को बहुत प्रेम करता था और उनके लिए जान न्यौछावर करने को तैयार था। कीरत राष्ट्रभक्त है। जब पन्नाधाय कुँवर को बचाने के लिए कीरत को यह उपाय बताती है कि तुम अपनी टोकरी में जूठी पत्तलों के नीचे कुँवर को छिपाकर राजमहल से बाहर चले जाना तब कीरत इस बात को सहज ही मान लेता है। 

दीपदान एकांकी शीर्षक की सार्थकता 

दीपदान शब्द एक साथ दोहरे अभिप्राय को प्रकाशित करता है. इसका बाहरी अर्थ स्थूल और आन्तरिक अर्थ भावात्मक तथा प्रतीकात्मक है . इसमें नयापन का भाव है .एकांकी का आरंभ दीपदान के उत्सव से होता है . यह एक उत्सव का प्रतिक है .इसमें किशोरियाँ दीप जलाकर रात्री के समय उन्हें जल में प्रवाहित करती तथा नित्य करती है. यह बड़ा आकर्षक दृश्य होता है ।

दीपदान का आंतरिक अर्थ सांकेतिक तथा प्रतीकात्मक है .इस अर्थ में दीप जीवन का पर्याय बन गया है .इस रूप में पन्ना अपने पुत्र का दान करके कुँवर उदय सिंह के प्राणों की रक्षा करती है .जहाँ सम्पूर्ण चितौड़ उमंगित होकर तुलजा भवानी की समक्ष दीपदान कर रहा है वहीँ धय माँ अपने साहस और त्याग का परिचय देती है .वह अपने चन्दन को मात्र्व भूमि के लिए दान कर देती है .वह कहती है कि - "आज मैंने भी दीपदान किया है . दीपदान अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तेरा दिया है" .एकांकी के अंत में बनवीर भी कहता है - "यही है मेरे मार्ग का कंटक ।आज मेरे नगर में स्त्रियों ने दीपदान किया है .मैं भी यमराज को इस दीपक का दान करूँगा .यमराज लो ,इस दीपक को ,यह मेरा दीपदान है ।"

इस प्रकार एकांकीकार की दृष्टि दीपदान शीर्षक पर केन्द्रित है .अतः यह शीर्षक उचित तथा सार्थक है ।'दीपदान' एकांकी का शीर्षक कथावस्तु और उसके उद्देश्य के अनुकूल है। यदि बनवीर षड्यन्त्र रचने के लिए दीपदान का उत्सव मनाता है तो पन्नाधाय उसके षड्यन्त्र को विफल करने के लिए अपने कुलदीपक चन्दन का ही बलिदान कर देती है। पन्ना का सर्वोच्च बलिदान ही सच्चा 'दीपदान' है।
 

दीपदान एकांकी का उद्देश्य

दीपदान एकांकी का मूल उद्देश्य मेवाड़ के इतिहास की अमर पात्र के उत्सर्ग का प्रकाशन है।महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु के उपरांत दासी पुत्र बनवीर चित्तौड की सत्ता प्राप्त करने का प्रयास करता है । अपने उद्देश्य की पूर्ति में वह उदय सिंह की हत्या की योजना बनाता है .उदय सिंह की रक्षा हेतु धाय पन्ना अपने पुत्र चन्दन को उसकी पलंग पर सुला देती है ।मदांध बनवीर चन्दन की हत्या कर देता है । इस प्रकार राजवंश की रक्षा में पन्ना अपने कुलदीपक का उत्सर्ग कर देती है ।

रामकुमार वर्मा जी का मुख्य उद्देश्य एकांकी के माध्यम से पन्नाधाय के देराप्रेम और राष्ट्रहित के लिए अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक हितों के बलिदान तथा त्याग को दिखलाना है। त्याग और बलिदान मनुष्य को महानता की ऊँचाइयों पर ले जाते हैं और दूसरी ओर स्वार्थ एवं महत्वाकांक्षा में अन्धा व्यक्ति बनवीर की भाँति नीच कर्म में संलग्न होकर अपयश का भागी बनता है। इस तथ्य को स्पष्ट करना ही 'दीपदान' एकांकी का मुख्य उद्देश्य है।
 
इस एकांकी के माध्यम से एकांकीकार ने राजप्रेम ,देश प्रेम और कर्तव्यपरायणता को जगाया है ।एक नारी के माध्यम से यह उत्सर्ग और अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है. दीपदान एकांकी के माध्यम से भारत के अतीत गौरव का गान रहा है . वह अपने चरित्र से सिद्ध करती है कि स्वामिभक्ति के समक्ष स्वार्थ का कोई महत्व नहीं है .वह कहती है कि - "महाराणा का नमक मेरे रक्त से भी महान है .नमक से रक्त बनता है ,रक्त से नमक नहीं .''

नाटककार नाटक के उद्देश्य की रक्षा में सतत जागरूक है ।पन्ना का चरित्रांकन एकांकी का प्राण है .दुनिया की कोई भी वस्तु उसे पथ -विचलित नहीं करती है ।वह सच्चे अर्थ में दीपदान करती हो ।यही दीपदान एकांकी का उद्देश्य है ।

दीपदान एकांकी की मूल संवेदना

दीपदान एकांकी ऐतिहासिक एकांकी है। दीपदान एकांकी की मूल संवेदना त्याग, मातृत्व और बलिदान है।इस एकांकी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने कर्त्तव्यों की पूर्ति के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। अगर इसके लिए सर्वोच्च बलिदान भी देना पड़े तो भी हँसते हुए दे देना चाहिए। इस एकांकी से राष्ट्र के प्रति समर्पण और सर्वोच्च बलिदान की प्रेरणा भी मिलती है।


दीपदान एकांकी के प्रश्न उत्तर 


प्र. सोना कौन है ?

उ. सोना रावल स्वरुप की बेटी है।  वह सोलह वर्ष की है और बहुत खूबसूरत  है।  वह कुंवर उदयसिंह के साथ खेलती है।  वह बनवीर के प्रभावित है और दीपदान के उत्सव में नाच गान करती है।

प्रश्न. कुँवर कौन है? और वे किसके बिना जीवित नहीं रहेंगे और क्यों ? 

उत्तर- कुँवर स्वर्गीय महाराणा के छोटे पुत्र कुँवर उदयसिंह हैं। वे पन्नाधाय के बिना जीवित नहीं रहेंगे क्योंकि पन्नाधाय से वे बहुत स्नेह रखते हैं और उसे अपने पास न पाकर अनजान जगह में वे परेशान होकर खाना-पीना भी छोड़ देंगे। उन्हें केवल पन्नाधाय ही मना व समझा सकती थी ।

प्रश्न. पन्नाधाय कुँवर सिंह के प्रति हमेशा चिन्तित क्यों रहती है? समझाइए । 

उत्तर- पन्ना धाय ,कुँवर उदयसिंह की सुरक्षा के प्रति सदैव सतर्क और चिन्तित इसलिए रहती थी क्योंकि वह न केवल कुँवर की धाय थी अपितु संरक्षिका भी थी तथा बनवीर कुँवर को राजसिंहासन के मार्ग में बाधा मानता था। अतः कुँवर को किसी भी प्रकार अपने रास्ते से हटाकर निष्कंटक राज करना चाहता था।

प्र. कुंवर उदय सिंह के नामकरण के पीछे क्या कारण हैं ?

उ. कुंवर उदय सिंह का जन्म चित्तौड़ राजवंश के सूर्य के उदय के समान हुआ था।  इसीलिए उनका नाम कुंवर उदय सिंह रखा गया।

प्र. महाराणा सांगा कहा के शासक थे। उनके भाई का क्या नाम था ?

उ. महाराणा सांगा चित्तौड़ के शासक थे। उनके भाई का नाम पृथ्वीराज था।

प्र. सोना उदयसिंह के प्रति पन्ना के स्नेह के बारे के क्या कहती है ?

उ. सोना, उदयसिंह के प्रति पन्ना के स्नेह के बारे में कहती हैं कि तुमने उदय के सामने तो अपने पुत्र चन्दन को भी भूला दिया। तुम्हारे ममतामयी स्वरुप में उदय ऐसे समाये हैं कि जैसे वही एक मात्र इष्ट हैं।

प्र. पन्ना ,उदय सिंह को क्यों दीपदान उत्सव में जाने से रोक रही थी ?

उ. पन्ना धाय को लगता है कि अचानक आयोजित होने वाले इस उत्सव के प्रति कुछ शंका थी। हो सकता है कि बनवीर कुंवर उदय सिंह पर हमला करे.

प्र. पन्ना ने कुंवर उदय सिंह को बचाने के लिए किरत को क्या उपाय बताया ?

उ. पन्ना ने कुंवर उदय सिंह को बचने के लिए किरत को बताया कि यदि वह अपनी जूठी पत्तलों की टोकरी में कुंवर को छिपाकर महल से बाहर ले जाएगा तो कुंवर के प्राण बच सकते हैं।

प्र.पन्ना के उदयसिंह के स्थान पर किसे सुलाया और क्यों ?

उ. पन्ना के उदयसिंह के स्थान पर अपने पुत्र चन्दन को सुला दिया था क्योंकि वह कुंवर उदय सिंह की बनवीर से रक्षा करना चाहती थी। यही कारण है कि बनवीर चन्दन को उदयसिंह समझ कर हत्या कर देता हैं।

प्रश्न .पन्ना धाय ने कुँवर की रक्षा के लिए अंत में क्या निर्णय लिया? और क्यों?
 
उत्तर- कुँवर उदयसिंह को बनवीर से बचाने के लिए और बनवीर को धोखा देने के लिए बनवीर क्रोध में होने के कारण यह पहचान नहीं पायेगा कि शैय्या पर कौन लेटा है? अतः उदयसिंह के धोखे चन्दन को मार कर वह निश्चिन्त हो जायेगा । 

प्रश्न . बनवीर ने  पन्ना धाय को क्या लालच दिया और क्यों?
 
उत्तर- बनवीर ने पन्ना को मारवाड़ में एक जागीर देने और वहाँ तुलजा भवानी का एक मंदिर बनवाने का लालच दिया ताकि पन्नाधाय उसके षड्यन्त्र में उसका साथ दे और  किसी भी प्रकार भी अड़चन न डाले जिससे वह आसानी से कुँवर उदयसिंह की हत्या कर सके। 

प्र. बालक की हत्या करते समय बनवीर क्या कहता है ?

उ. बालक की हत्या करते समय बनवीर भी कहता है - "यही है मेरे मार्ग का कंटक .आज मेरे नगर में स्त्रियों ने दीपदान किया है .मैं भी यमराज को इस दीपक का दान करूँगा .यमराज लो ,इस दीपक को ,यह मेरा दीपदान है ."


विडियो के रूप में देखें :-



Keywords - 
दीपदान एकांकी का सारांश दीपदान नाटक का सारांश दीपदान एकांकी का उद्देश्य रामकुमार वर्मा एकांकी रचनावली दीपदान का सारांश दीपदान एकांकी pdf दीपदान रामकुमार वर्मा दीपदान एकांकी की समीक्षा deepdan ekanki summary in hindi ekanki sanchay guide download deepdan summary deepdan drama in hindi ekanki in hindi pdf deepdan summary in hindi ekanki sanchay workbook answers ekanki sanchay guide pdf

COMMENTS

Leave a Reply: 24
  1. प्रश्न:- दीपदान एकांकी कौन सी ऐतिहासिक घटना पर आधारित है?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Bahut hi achha tha
      Banveer ka bhi charitra chitran bhi bataye sir please

      हटाएं
    2. बनवीर पतस्तुत एकांकी ला खलनायक हैं।वे महाराजा सांग के भाई पृथ्वीराज का दासी से उत्पन्न पुत्र हैं।वह क्रूर,अत्याचारी तथा डस्ट हैं।वह महाराणा विक्रमादित्य की हत्या हैं और राजसिंहासन पाने के लिए उदयसिंह के प्राण लेने की योजना बनाता हैं।

      हटाएं
  2. Hindi ekanki sanchay kay deepdan kahani may Banveer ka charitra chitran

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Banveer maharana saiga ke bhai maharaja prithviraj Ka dasi putr h aur wo 30 se jada umar ka h ..we bahut krodhi aur atyachari tha ...woh uday singh ko mar kar chitor ka raja bna chata tha

      हटाएं
  3. could u all please give character sketch of 22 or more characters

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद सर जी मैं एम. ए. कर रहा हूँ यह मेरे लिए काफी फायदेमंद है।

    जवाब देंहटाएं
  5. Q. Talwar air rajputo ke Sam and mein Patna be kya kaha

    जवाब देंहटाएं
  6. शीर्षक बहुत अच्छा है।कीरत और सामली का भी चरित्र भेज दीजिए

    जवाब देंहटाएं
  7. इस एकांकी मे वीर वफादार तथा स्वामी भक्त कीरत बारी का अमूल्य तथा साहसिक योगदान रहा परंतु लेखक महोदय द्वारा जूठे पंतल उठाने जैसे शब्द का संबोधन किया गया जबकि इसकी कोई आवश्यकता नही थी।ऐसे शब्द का प्रयोग कर न कि उनका बल्कि पूरे बारी जाति का घोर अपमान किया गया है।ऐसे कुकृत्य का मै तथा पूरा बारी समाज घोर निंदा करते है।आदर के साथ लिखते हुए कहना पड़ रहा है कि जूठे पंतल उठाने जैसे शब्द को इस एकांकी से विलोपित किया जाय।किसी जाति विशेष को ऐसे शब्द का प्रयोग कर अपमानित करने का कोई अधिकार नही है ।

    जवाब देंहटाएं
  8. 'चप्पल' कहानी किस प्रकार की रचना है?

    यथार्थवादी / आदर्शवादी / आदर्शोन्मुखी यथार्थवादी/ इनमें से कोई नहीं

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,35,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1438,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,27,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,33,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,74,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,26,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,38,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,192,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,134,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,41,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,139,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,7,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,12,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,122,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,54,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,30,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,242,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,18,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,76,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,403,हिंदी लेख,514,हिंदी व्यंग्य लेख,12,हिंदी समाचार,170,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,87,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,395,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,104,hindi stories,668,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,36,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,17,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,5,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,43,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: दीपदान एकांकी का सारांश उद्देश्य चरित्र चित्रण प्रश्न उत्तर
दीपदान एकांकी का सारांश उद्देश्य चरित्र चित्रण प्रश्न उत्तर
दीपदान एकांकी का सारांश दीपदान नाटक का सारांश दीपदान एकांकी का उद्देश्य रामकुमार वर्मा एकांकी रचनावली दीपदान का सारांश दीपदान एकांकी pdf दीपदान रामकुमार वर्मा दीपदान एकांकी की समीक्षा deepdan ekanki summary in hindi ekanki sanchay guide download deepdan summary deepdan drama in hindi ekanki in hindi pdf deepdan summary in hindi ekanki sanchay workbook answers ekanki sanchay guide pdf
https://i.ytimg.com/vi/MuJ-zgg5uc8/hqdefault.jpg
https://i.ytimg.com/vi/MuJ-zgg5uc8/default.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2017/07/deepdan-ekanki.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2017/07/deepdan-ekanki.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका