अपना अपना भाग्य

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अपना अपना भाग्य Apna Apna Bhagya


जैनेन्द्र कुमार की कहानी 'अपना-अपना भाग्य' हिंदी साहित्य की एक अत्यंत प्रभावी और मर्मस्पर्शी रचना है, जिसे सामाजिक यथार्थवाद तथा सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।  यह कहानी मुख्य रूप से दो विपरीत वर्गों के जीवन को आमने-सामने रखती है: एक ओर शिक्षित, संपन्न, और सुविधाभोगी पर्यटक हैं, और दूसरी ओर, भूख और शीत से त्रस्त, बेसहारा दस वर्षीय अनाथ बालक। लेखक ने पात्रों का विकास अत्यंत सीमित रखा है, किंतु उनका संवाद और व्यवहार कहानी के केंद्रीय संदेश को तीव्र कर देता है। विशेष रूप से, बालक की निरीहता और मित्रों के तर्क-वितर्क में फँसी हुई संवेदनशीलता का चित्रण कहानी को मनोवैज्ञानिक गहराई प्रदान करता है। कहानी का चरमोत्कर्ष तब आता है जब वही मित्र समूह अगली सुबह बालक को मृत पाता है। 

कहानी का अंतिम वाक्य, "मर गया? तो क्या, अपना-अपना भाग्य!", अत्यंत प्रभावशाली और व्यंग्यात्मक है। यह वाक्य केवल संवाद नहीं है, बल्कि समाज की उस संवेदनहीन, पलायनवादी मानसिकता पर तीखा प्रहार है जो गरीबी और सामाजिक अन्याय के लिए अपनी जिम्मेदारी को नकार कर सब कुछ 'भाग्य' पर डाल देती है। जैनेन्द्र कुमार ने इस कहानी के माध्यम से न केवल सामाजिक विषमता का चित्रण किया है, बल्कि पाठक को आत्मनिरीक्षण के लिए विवश करते हुए, परोपकार और मानवीय जिम्मेदारी के सार्वभौमिक मूल्यों को स्थापित किया है। अपनी संक्षिप्तता, मार्मिकता और सशक्त संदेश के कारण यह कहानी जैनेन्द्र के कथा-साहित्य में एक मील का पत्थर है।

अपना अपना भाग्य कहानी का सारांश

अपना अपना भाग्य, जैनेन्द्र कुमार जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है ,जिसमें उन्होंने बड़े ही मार्मिक ढंग से एक गरीब बच्चे का चित्रण  किया है . कहानी नैनीताल की भयंकर सर्दी से प्रारंभ होती है जहाँ पर एक १० -११ साल का बच्चा भूख और ठण्ड से मर जाता है . इस रचना के माध्यम से लेकाहक ने बड़े ही व्यंगपूर्ण ढंग से यह बताया है की समाज में अमीर वर्ग गरीब और वंचितों की सहताया नहीं करते हैं . अमीर लोग गरीबों की अनदेखी कर देते हैं . उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आते हैं , उनकी संवेदनाएं ,भावनाएं मर चुकि होती हैं और जब गरीब आदमी गरीबी से लड़का हुआ मर जाता है तो वे अपना - अपना भाग्य कह कर स्वयं से सांत्वना देते हैं . प्रस्तुत कहानी में भी एक गरीब ठण्ड व सर्दी के कारण ठिठुरकर केवल इसीलिए मर जाता है क्योंकि किसी अमीर वर्ग ने उसके प्रति संवेदना नहीं दिखाई ,उसकी सहायता नहीं की .इसी सवेंदान्हीनता के कारण व्यंग किया गया है . एक गरीब बच्चा भूख और ठण्ड से दम तोड़ देता और हम उसे अपना भाग्य मान लेते हैं . इसी प्रकार सामाजिक विषमता तथा अमीर और गरीब के बीच गढ़री खायी को कहानी में दिखाया गया है . कहानी दुखांत है जोकि पाठकों को सामाजिक परिस्थिति पर सोचने के लिए मजबूर कर देता है .

 

अपना अपना भाग्य कहानी के शीर्षक की सार्थकता

प्रस्तुत कहानी अपना अपना भाग्य एक गरीब लड़के के ऊपर केन्द्रित है जो अभाव के कारण उपेक्षित जीवन जीने के लिए मजबूर है .सहायता न मिलने पर अपना जान गँवा बैठता है . इस कहानी में लेखक जैनेन्द्र जी ने अमीरों के द्वारा गरीबों उपेक्षित और निर्दयी व्यवहार को दर्शाया गया है . समाज के अमीर लोग सिर्फ बड़ी -बड़ी बातें करते हैं लेकिन किसी उपेक्षित वर्ग की सहायता नहीं करते हैं . गरीबों के भाग्य को दोषी ठहराकर तथा उन्हें अपने भाग्य के सहारे छोड़ कर वे अपने कर्तव्य को पूरा मान लेते हैं और अपने सामाजिक जिम्मेदारी से दूर भागते हैं . अमीर वर्ग के मन में गरीब वर्ग के लिए कोई सहानुभूति नहीं है . अतः अपना -अपना भाग्य शीर्षक को लेखक ने व्यंग के रूप में प्रयोग किया है जो की कथा के अनुसार उचित एवं सार्थक है . 

गरीब लड़के का चरित्र चित्रण  

कहानी अपना अपना भाग्य में एक गरीब लड़का प्रमुख पात्र बन कर उभरता है .पूरी कहानी उसी के इर्द- गिर्द घूमती है और अत्यंत असहाय ,दिन दुखी बालक क्योंकि कोई भी उसकी सहायता नहीं करता है .वह तमाम गरीब भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करता है जो अपने अपने भाग्य के सहारे जीवित है . 
  • मेहनती - गरीब लड़का  मेहनती है. भूखा  रहने पर भी वह किसी के आगे हाथ नहीं फैलता और नह ही कहीं चोरी -चकारी करने का पर्यंत करता है . उसे काम की तलाश है .वह स्वाभिमानी है .वह भावुक और संवेदनशील भी है . 
  • स्पष्टवादी - अपने परिवारवालों की मदद करने के लिए वाह घर छोड़कर काम की तलाश में घर से निकला है .उसे स्पष्टवादी भी कहा जा सकता है .क्योंकि लेखक और उसके मित्र ने उस लड़के से जो भी सवाल किये वादक बेधड़क व स्पष्ट उत्तर देता गया . उसने अपनी गरीबी का बखान नहीं किया वह सरल शब्दों में अपनी बात कहता गया . 
उसका दर्दनाक अंत होता है .बर्फ की चादर उसकी लाश पर पड़ गयी थी. वह लावारिस की मौत करता है . उसके चरित्र को देखते हुए कहा जा सकता है की वह गरीब बच्चा अपनी सरलता ,स्पष्टवादिता ,परिश्रमी व्यक्तिव के कारण पाठकों के ह्रदय पर गहरी छाप छोड़ता है . 

अपना अपना भाग्य कहानी का उद्देश्य

जैनेन्द्र कुमार ने अपनी कहानी 'अपना-अपना भाग्य' के माध्यम से समाज में व्याप्त गहरी विषमता और मनुष्य की संवेदनहीनता को उजागर करने का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य रखा है। कहानी का केंद्रीय भाव यह दिखाना है कि कैसे सुविधाभोगी और संपन्न वर्ग एक गरीब, अनाथ बच्चे के भीषण कष्टों और अंततः उसकी मौत के प्रति पूरी तरह उदासीन रहता है। नैनीताल के सुंदर, आरामदायक परिवेश में रहने वाले लोग सर्दी और भूख से ठिठुर रहे दस साल के बालक को देखकर भी उसकी मदद करने का कोई ठोस प्रयास नहीं करते और न ही उसकी पीड़ा को महसूस करते हैं। लेखक इस बात पर तीखा व्यंग्य करते हैं कि लोग अपने हृदयहीन व्यवहार और सामाजिक जिम्मेदारी से बचने के लिए निर्धनता तथा शोषण को 'अपना-अपना भाग्य' कहकर टाल देते हैं। कहानी का उद्देश्य पाठकों को इस सामाजिक क्रूरता से अवगत कराना है और उन्हें मानवीयता तथा सामाजिक न्याय के प्रति अपने कर्तव्य को समझने के लिए प्रेरित करना है। बालक की मृत्यु भाग्य का नहीं, बल्कि समाज की उपेक्षा और स्वार्थपरता का परिणाम थी, यही संदेश देना लेखक का मुख्य ध्येय रहा है।


अपना अपना भाग्य कहानी के प्रश्न उत्तर 


प्र. लेखक ने अपने मित्र से क्या कहा ?

उ .लेखक और उसका मित्र सड़क किनारे एक बेंच पर बैठे हुए थे .लेखक को वहां चुपचाप अच्छा नहीं लग रहा था .अतः उसने अपने मित्र को वापस चलने के लिए कहा . 

प्र. लेखक ने जिस लड़के को देखा ,वह कैसा था ?

उ. लेखक ने जिस लड़के को देखा वह तीन गज की दूरी पर आ रहा था . सर के बड़े - बड़े बेतरतीब बालों को वह खुजला रहा था .उसके पैरों में जूते ,चप्पल कुछ भी नहीं थे . नंगे पैर उसने सिर्फ एक मैली से कमीज़ पहनी थी .

प्र. लड़के के अपने गाँव से भाग आने का क्या कारण था ?

उ . लड़का बहुत गरीब था .घर पर कई भाई बहन थे .वहाँ काम का अभाव था . माता पिता भूखों रखते थे . अपनी गरीबी से परेशान काम - धंधे के लिए वह भाग आया था .

प्र. वकील साहब ने बच्चे को नौकर क्यों नहीं रखा ?

उ. वकील साहब ने बच्चे को नौकर नहीं रखा क्योंकि उनका मानना था कि किसी भी अनजान आदमी को नौकर नहीं बनाया जा सकता है .अगर कल को वह चोरी करके भाग जाए तो कौन जिम्मेदारी लेगा .

प्र.  दूसरे दिन मोटर पर बैठते ही लेखक को क्या समाचार मिला ?

उ . दूसरे दिन मोटर पर बैठते ही लेखक को यह  समाचार मिला कि पिछली रात को एक पहाड़ी बालक सड़क के किनारे पेड़ के नीचे ठिठुरता हुआ मर गया .

प्र. लोगों ने लेखक को लड़के की मौत के बारे में क्या बताया ?

उ. लोगों से लेखक को समाचार मिला की उस लड़के का कल रात ,सड़क के किरणे ,पेड़ के नीचे ठण्ड से ठिठुरकर मर गया . 

प्र. अपना - अपना भाग्य कहने का क्या अर्थ है ?

उ . अपना -अपना भाग्य कहने का अर्थ है कि बालक के भाग्य में इन्ही परिस्थितियों में इस प्रकार की मृत्यु ही लिखी थी . यदि उसके भाग्य में सुख लिखा होता तो उसका जीवन अच्छा होता ,और उसे ऐसे जीवन को नहीं देखना पड़ता .उसका जीवन अच्छा होता और न ही वह रात को ठिठुरता हुआ मरण को प्राप्त करता .

प्र. अपना अपना भाग्य कहानी के माध्यम से लेखक ने क्या सन्देश दिया है ?

उ. अपना अपना भाग्य कहानी श्री जैनेन्द्र जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है .इस कहानी में उन्होंने बड़े ही मार्मिक ढंग से एक गरीब लड़के का चित्रण किया है . समाज में आदमी को आदमी के प्रति भी सहानुभूति नहीं है . वह सिर्फ अपने वर्गगत स्वार्थ के तरफ़ ही ध्यान देता है . एक अभावपूर्ण जीवन के कारण गरीब बच्चे ही मौत हो गयी . यदि लोगों ने उसकी मदद की होती ,तो उसकी जान बचायी जा सकती थी तथा उसे समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनाया जा सकता था . हमारी एक छोटी से मदद भी किसी की जान बचा सकती है .इसीलिए हमें एक अच्छा इंसान बन कर परोपकारी होना चाहिए .यदि सन्देश देने का प्रयास लेखक ने किया है .

प्र. लेखक व उसके मित्र ने नैनीताल में क्या देखा ?

उ . प्रस्तुत कहानी अपना अपना भाग्य में लेखक व उसका मित्र नैनीताल घूमने गए थे .वहां पर संध्या समय वे एक पार्क की बेंच पर बैठे हुए थे .वर्फ गिर रही थी .रुई के रेशों से ,भाप के बादल की तरह उड़ रही थी .तभी लेखक ने घने कुहरे की सफेदी में एक काली सी मूर्ति को अपनी तरफ आते हुए देखा .वह काली सी सूरत व लम्बे बिखरे बालों वाला एक गरीब लड़का था .

प्र .  बालक की सूनी आँखों से लेखक का क्या तात्पर्य है ?

उ. बालक की सूनी आँखों से लेखक का यह तात्पर्य है कि वह लड़का अत्यंत गरीब है .वह दर - दर की ठोकरे खा रहा है .ठण्ड के कारण वह ठिठुर रहा है .भोजन ,वस्त्र व आवास की सुविधा उसके पास नहीं है .उसकी सहायता करने वाला कोई नहीं है .वह दुनिया में निसहाय है .अतः वह एक लावारिस बच्चे की तरह है जो भुखमरी से मर रहा है .

प्रश्न . लेखक और उसका मित्र कहाँ बैठे थे और क्यों? 

उत्तर- लेखक और उसका मित्र नैनीताल की सैर करने के बाद सड़क के किनारे एक बेंच पर बैठे थे। वे वहाँ बैठ के प्रकृति के नजारों का आनन्द लेना चाहते थे।
 
प्रश्न . लेखक को बादल कैसे लग रहे थे ? 

उत्तर- शाम के समय नैनीताल में बादल देखकर ऐसे लग रहा था मानो वे हमारे सिर को ही छू लेंगे। संध्या के हल्के प्रकाश और अँधियारी से रंगे हुए वे कभी नीले, कभी सफेद और कभी लाल दिखाई दे रहे थे जैसे बादल उनके साथ खेलना चाहते हों।
 
प्रश्न. लेखक मित्र की किस बात पर कुढ़ रहा था और क्यों? 

उत्तर- लेखक का मित्र और थोड़ी देर सड़क किनारे की बेंच पर बैठना चाहता था जबकि शाम के समय अँधेरा होने के साथ-साथ ठंड भी बढ़ रही थी इसलिए लेखक वापस होटल लौटना चाहता था अत: वहाँ चुपचाप बैठे तंग होने के कारण लेखक कुढ़ने लगा। 

प्रश्न. "देखो, वह क्या है?" मित्र के ऐसा कहने पर लेखक ने क्या देखा? 

उत्तर- लेखक ने देखा कि कुछ ही हाथ की दूरी पर कोहरे से एक काली सी परछाई उसे अपनी तरफ आती दिखाई दी। उसे देखकर लेखक ने बड़ी ही लापरवाही से कहा कि होगा कोई। 2. वह हमें न देख पाया, वह जैसे कुछ भी न देख रहा था। न नीचे की धरती, न ऊपर चारों ओर फैला हुआ कुहरा, न सामने तालाब और न एकाकी दुनिया ।
 
प्रश्न. 'वह' कौन था? उसकी दशा कैसी थी ? 

उत्तर- 'वह' एक दस-बारह वर्ष का गरीब पहाड़ी लड़का था। उसके बाल बढ़े हुए, पैर नंगे थे। वह एक मैली सी कमीज पहने थे। उसकी आँखें बड़ी पर सूनी थीं। गोरा रंग मैल से काला पड़ गया था।
 
प्रश्न . 'जैसे वह कुछ भी न देख रहा था।' उसकी ऐसी हालत इसके क्यों थी ? 

उत्तर- जिस लड़के के पास पहनने को कपड़े, रहने का घर तथा खाने के लिए भोजन का इंतजाम न हो ऐसे लड़के के लिए प्राकृतिक नजारों का कोई अर्थ नहीं रह जाता। ये सब सामने होने पर भी उसे दिखाई नहीं देते।
 
प्रश्न. उसने अपने बारे में क्या बताया? 

उत्तर- मित्र के द्वारा पूछे जाने पर उस लड़के ने बताया कि वह एक दुकान पर काम करता था जहाँ पूरे दिन काम के बदले एक रुपया और झूठन खाने को मिलती थी लेकिन उसने भी नौकरी से निकाल दिया इसलिए वह सुबह से भूखा है और उसके पास सोने का भी कोई इंतजाम नहीं है।
 
प्रश्न. वह घर से क्यों भागा? 

उत्तर- उस लड़के के कई भाई-बहन थे। पिता के पास कोई काम न था। माँ रोती रहती थी। भूख व गरीबी से परेशान होकर गाँव के एक साथी के घर से भागकर नैनीताल आ गया। 

प्रश्न . पहाड़ी लड़के ने साथी के बारे में क्या बताया ? 

उत्तर - पहाड़ी लड़के ने बताया कि उसके साथ गाँव का एक साथी बिहारी और था जो उससे बड़ा था लेकिन वह अब नहीं है। उसके साहब ने उसे एक दिन बहुता मारा और वह मर गया।
 
प्रश्न. मित्र उस लड़के को कहाँ ले गया और क्यों ? 

उत्तर- लेखक के मित्र को पहाड़ी लड़के पर दया आ गयी। वह उसे लेकर अपने वकील मित्र के पास गया। उन्हें नौकर की आवश्यकता थी अतः लेखक के मित्र ने वकील से उस पहाड़ी लड़के को नौकरी देने का आग्रह किया।
 
प्रश्न. वकील साहब ने उस लड़के को नौकरी क्यों नहीं दी ? 

उत्तर- वकील साहब किसी अनजान को नौकरी नहीं देना चाहते थे। वे मानते थे कि पहाड़ी लड़के बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में अवगुण भरे होते हैं। हो सकता है कि सामान लेकर यह गायब ही हो जाए। अतः उन्होंने उसे नौकरी देने से साफ इन्कार कर दिया ।
 
प्रश्न. लेखक के असमंजस का क्या कारण था ? 

उत्तर- वकील साहब पहाड़ी लड़के को नौकरी देने से इन्कार कर चुके थे। वह लड़का अभी भी वहीं खड़ा था। लेखक ठंड बढ़ने के कारण होटल भी जाना चाहता था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करें इसलिए लेखक असमंजस में था। 

प्रश्न. मोटर में सवार होकर कौन कहाँ जा रहा था ?

उत्तर- मोटर में सवार होकर लेखक और उसका मित्र अपनी नैनीताल की सैर खत्म कर खुशी-खुशी वापस जा रहे थे ।
 
प्रश्न. पहाड़ी बालक कैसे मरा? प्रकृति ने उसके लिए क्या प्रबन्ध किया ? 

उत्तर- भूख और ठंड से उस पहाड़ी बालक की अल्पायु में ही सड़क के किनारे मौत हो गयी। उसके मृत शरीर पर बर्फ की हल्की सी चादर चिपक गयी मानो प्रकृति ने शव के लिए सफेद और ठंडे कफन का प्रबन्ध किया हो।
 
प्रश्न. लेखक के मित्र के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- लेखक का मित्र एक भावुक, सहृदय और संवेदनशील व्यक्ति है। गरीबों के प्रति उसके मन में दया और करुणा है। वह पहाड़ी लड़के की मदद के लिए उसे वकील के पास ले जाता है। वकील के नौकरी न देने पर उसे समझाने का भी प्रयास करता है। होटल में पहुँचकर भी उस लड़के के बारे में सोचकर उदास हो जाता है। 

प्रश्न. इस कहानी का उद्देश्य क्या है? 

उत्तर- लेखक में एक ऐसे गरीब पहाड़ी बालक का चित्रण किया है। जिसकी भूख व ठंड से कम उम्र में ही अकाल मृत्यु हो जाती है। इस कहानी के माध्यम से समाज में संवेदना जाग्रत कर गरीब व पिछड़े वर्ग की मदद के लिए प्रेरित करना ही लेखक का उद्देश्य है।
 
प्रश्न. शव किसका था ? 

उत्तर- शब दस-बारह वर्ष के गरीब पहाड़ी बालक का था, यह वही बालक था, जिससे एक दिन पूर्व लेखक व उनके मित्र मिले थे और चाहकर भी उसकी कोई सहायता नहीं कर पाये थे ।
 
प्रश्न . सफेद और ठंडे कफ़न से क्या आशय है ? 

उत्तर- उस गरीब पहाड़ी लड़के की मौत ठंड से हुई थी और रात में बर्फ भी गिरी थी जिससे उसका शरीर बर्फ से ढँक गया था ऐसा लगता था कि प्रकृति ने उसके लिए कफ़न की व्यवस्था कर दी थी।
 
प्रश्न. दुनिया की बेहयाई से क्या अर्थ है ? 

उत्तर - दुनिया की बेहयाई से लेखक का अर्थ है कि लोगों से सहायता न मिलने के कारण ही गरीब पहाड़ी बालक की मृत्यु हुई, पर लोग अपनी गलती न मानते हुए भाग्य को दोष देते हैं। लोगों में इतनी बेहयाई आ गई है कि अपना दोष भाग्य पर मढ़ देते हैं ।
 
प्रश्न. अगर आप लेखक या उनके मित्रों की जगह होते तो आप क्या करते ? 

उत्तर- अगर हम लेखक या उनके मित्रों की जगह होते, तो उस पहाड़ी लड़के को ठंड में रात के अंधेरे में भटकने के लिए नहीं छोड़ते। उसे खाना खिलाते, उसे शरीर ढँकने के लिए कपड़े देते और प्रयास करते कि उसकी कहीं नौकरी लगवा दें। 


विडियो के रूप में देखें :-




COMMENTS

Leave a Reply: 17
  1. नैन्ीताल की सरदी वणॉ ििकजीय

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  2. "नैनीताल स्वर्ग के किसी काले गुलाम पशु के दुलार का वह बेटा" कृपया पंक्ति का अर्थे दीजिए |

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    उत्तर
    1. Nainitaal ko swarg ki sangya Di gayi hai aur hindustaaniyon ko gulam Kaha Gaya hai.

      हटाएं
  3. Nenital me lekhak orr unkke mitra ne kya dekha?

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    1. बेनामीमई 23, 2020 5:24 pm

      Ladke ne apne mitra ke baare mein yeh bataya ki vo dono gao se saath mein bhag kar aaye the aur uski mitra ki mrityu ho gayi kyonki unke purva maalik ne use bohot maara

      हटाएं
  4. Ladka kon tha?aske pass kon sa uphar or kisne chodha tha

    जवाब देंहटाएं
  5. Kuch samajh Mai nhi aa raha hai sbse easy tarika batayein jaise bhaak s yaad ho jaai

    जवाब देंहटाएं
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