अहंकार के कई फन फैले हैं शेषनाग की तरह मेरे सिर पर झूलते हैं फुफकारते हैं । लोगों को डराते हैं अहंकार के ये नाग निकलते है अंदर से फुसकते हुए। एक नाग मेरे व्यक्तित्व को दुनिया का सबसे प्रभावशाली घोषित करता है।
अहंकार के नाग
अहंकार के कई फन फैले हैं
शेषनाग की तरह
मेरे सिर पर झूलते हैं फुफकारते हैं ।
लोगों को डराते हैं
अहंकार के ये नाग निकलते है
अंदर से फुसकते हुए।
एक नाग मेरे व्यक्तित्व को
दुनिया का सबसे प्रभावशाली
घोषित करता है।
दूसरा नाग मुझे बहुत बड़ा शिक्षक बताता है।
तीसरा नाग हमेशा सम्मान दिलाता रहता है।
चौथा नाग मुझे सर्वश्रेष्ठ
साहित्यकार घोषित करता है।
सारे अहंकार के नाग
मुझे मदहोशी का ज़हर
पिला कर मदमस्त कर देते हैं।
और मेरे लिए दूसरे बहुत
नीचे हो जाते हैं तुच्छ से जीव।
नागफनी की तरह
अहंकार के कटीले पौधे
ऊगे है मेरे अस्तित्व में
मेरे अस्तित्व पर ऊगी ये नागफनी
खुरचती है मेरे अंतस को
लहूलुहान करती है मेरे मन को।
मुझे दूसरों की बुराई अच्छी लगती है।
मुझे अपने सिवा किसी का भला पसंद नही है।
मुझे अपनी सही आलोचना भी जहर लगती है।
मैं अपने अलावा किसी के बारे में नही सोचता।
मैं सफलता का पूरा श्रेय स्वयं लेना चाहता हूँ ।
मैं चाहता हूँ की लोग मुझे जाने।
मैं सिर्फ वही काम करता हूँ
जिसमे मुझे प्रमुखता मिले
मुझे दूसरों को नीचा दिखाने में
अपनी महत्ता सिद्ध होती दिखती है।
मैं हमेशा दूसरों को शिक्षा देता रहता हूँ ।
अपनी असफलता के लिए
मैं हमेशा दूसरों को दोष देता हूँ ।
धीरे धीरे मेरा मैं बहुत विशाल अट्टालिका बन गया।
जहां पर सिर्फ मैं हूँ और मेरे अट्ठहास गूंजते हैं।
उस विशाल भवन में कैद मेरा मैं
घिरा है जहरीले नागों से।
और मेरे अहम की नागफनी फैलती जा रही है
मेरे व्यक्तित्व की सीमाओं पर।
उस नागफनी की बाड़ के अंदर
एक शिशु सिसक रहा है।
यह रचना सुशील कुमार शर्मा जी द्वारा लिखी गयी है . आप व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाधि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप एक उत्कृष्ट शिक्षा शास्त्री के आलावा सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं| अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में शिक्षा से सम्बंधित आलेख प्रकाशित होते रहे हैं | अापकी रचनाएं समय-समय पर देशबंधु पत्र ,साईंटिफिक वर्ल्ड ,हिंदी वर्ल्ड, साहित्य शिल्पी ,रचना कार ,काव्यसागर, स्वर्गविभा एवं अन्य वेबसाइटो पर एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।आपको विभिन्न सम्मानों से पुरुष्कृत किया जा चुका है जिनमे प्रमुख हैं :-
1.विपिन जोशी रास्ट्रीय शिक्षक सम्मान "द्रोणाचार्य "सम्मान 2012
2.उर्स कमेटी गाडरवारा द्वारा सद्भावना सम्मान 2007
3.कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए नरसिंहपुर जिला द्वारा सम्मान 2002
4.नशामुक्ति अभियान के लिए सम्मानित 2009
इसके आलावा आप पर्यावरण ,विज्ञान, शिक्षा एवं समाज के सरोकारों पर नियमित लेखन कर रहे हैं |
wahh गज़ब की प्रस्तुति सच दुल को छू लेने वाली रचना --- अहंकार के कई फन फैले हुए हैं
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