मन का राजा

SHARE:

सड़क के बीचो बीच करतब दिखाते करीब 7 साल का नन्हा राजा अपने और अपने परिवार के लिये बड़ी तल्लीनता पूर्वक करतब दिखाए जा रहा था बेशक उसके करतब को कोई देखकर भी अनदेखा कर दे फिर भी वो अपने धुन में मग्न करतब सम्पूर्ण करने में लगा रहा

मन का राजा 

भाग-प्रथम
मन का राजा
सड़क के बीचो बीच करतब दिखाते करीब 7 साल का नन्हा राजा अपने और अपने परिवार के लिये बड़ी तल्लीनता पूर्वक करतब दिखाए जा रहा था बेशक उसके करतब को कोई देखकर भी अनदेखा कर दे फिर भी वो अपने धुन में मग्न करतब सम्पूर्ण करने में लगा रहा अंततः उसने करतब सम्पूर्ण कर लिया और फिर अपने हाथो में थाली लिए सड़क पर सभी गाड़ियों के बीच घूमने लगा किसी ने कुछ सिक्के दिए.... और किसी ने खुल्ले पैसे न होने का बहाना दिए ...फिर किसी ने पढ़ने-लिखने की सलाह दी.. तो किसी ने कमाकर खाने की सलाह । वो बच्चा सभी की बातें सुनता मुस्कुराता आगे बढ़ता जा रहा था।
बारिश में भींगे कपड़ो में थर-थर काँपता अपनी मजबूरियों से वाकिफ था तभी तो वो अपने लक्ष्य पर अडिग था,उसकी आँखो में रोती कराहती मजबूर माँ का चेहरा था जिसके आगे बारिश की थपेड़ो का दर्द कहीं कम था वो हर मौसम की तरह आज भी वैसे ही लोहे की गोले से अपना करतब किये जा रहा था और आज वो और अधिक जोश से ये करतब किये जा रहा था क्योंकि आज जन्माष्ट्मी की भीड़ उसी रास्ते मंदिर को जा रही थी जिस रास्ते पर वो करतब कर रहा था कुछ ज्यादा मिल जाता तो आज वो अपने माँ के लिये पैर दर्द का मलहम जरूर ले लेगा ।
वो रोज घर जाते वक्त शाम में चौराहे के साइड में खटिये पर बैठे वैद्य जी और उनकी बूटी की बनी दवाई को कई लोंगो को खरीदते देखता है और छोटे से चोंगे से दर्द की दवाई की तारीफ ,इस्तेमाल और उस मलहम की कीमत भी सुन चुका है पुरे 50 रूपये।
अभी भी 17 रूपये कम पड़ रहे थे बारिश के कारण अन्धकार छाने लगा था। पर वह अपने लक्ष्य पर आज पहुँचना चाहता था उसे आज हर हाल में 50 रूपये जमा करने हैं और अभी थोडी रौशनी तो है ही बस थोड़ा और कमा लूँ ....कि तभी ट्रैफिक का सिंग्नल हो गया गाड़ियां रेंगना शुरु कर दी और वो बच्चा जैसे ही पलट कर सड़क के किनारे पहुँचना चाहा कि तभी एक रफ़्तार से आती गाड़ी का किनारा उसके पैरों से टकराया वो और उसकी पैसों की थाली कहीं दूर फुटपाथ पर लुढ़कती नजर आई ..उस बच्चे के मुँह से “माँ” शब्द के सिवा कुछ न निकल सका उसके सिर से बहते खून से अब बारिश की पानी लाल होने लगी और वो निढाल हो गया...लोगो की गाड़िया रुकने लगी ..लोग गाड़ियों से उतरते ..बच्चे को दूर से देखते रहे पर किसी को भी उसके पास जाकर उसका जख्म देखने या डॉक्टर के पास ले जाने का न तो वक्त था और न ही किसी के पास ऐसी इंसानियत..

सभी को आज कृष्ण लला के  जन्मदिन का आनंद जो लेना था मंदिर जाकर ..वो अपना वक्त इन लफड़ों में क्यों खराब करें  ...तभी एक कार उस बच्चे की निढाल शरीर के पास आकर रुकी और उसमे से एक महाशय बाहर निकले और सीधे बच्चे के शरीर पास पहुँचकर उसकी नाड़ियो को टटोला फिर अपने कन्धे पर पर पड़े रेशमी दुप्पटे से उस बच्चे के सर की चोट को बाँध, उन्होंने उस बच्चे की झूलते शरीर को अपने बाँहो में उठा गाड़ी में डाल चल पड़े और संग उस बच्चे के प्रति अफ़सोस जाहिर करती भीड़ भी छटने लगी पर मेघराज को उस बच्चे की वेदना सही न जा रही थी वो बिफर पड़े और मुसलाधार बारिश के रूप में बिफर पड़े
सूर्यास्त कब की हो चुकी थी पर बारिश और बादलों की वजह से शाम और भी अंधियारी रात का रूप ले चुकी थी कभी-कभी रुक-रुक कर हल्की हल्की पड़ती फुहार बहुत ही तेजी पकड़ लेती फिर कुछ ही पल में शान्त हो जाती।
प्रीतो अपने घर की दहलीज से रह-रह कर बाहर की ओर झाँकती और मन ही मन में भगवान से अपने बेटे राजा की कुशलता की कामना किये जाती। बारिश के साथ रह-रह कर चमकती और कड़कती बिजली की कड़कड़ाहट दिल को और भी झकझोर रही थी वो गरजते बादलों की गडगड़ाहट सीधे माँ की ह्रदय को बेध रही थी पर वो माँ आज अपने आपको बहुत ही लाचार महसूस कर रही थी क्योकि उसके पैर के दर्द ने उसे निढाल कर रखे थे।
धीरे धीरे रात चढ़ने लगी और इधर प्रीतो के दिल का डर और भी गहराने लगा...हे भगवान तु उस छोटी सी नन्ही जान की रक्षा करना प्रभु।
रह रह कर राजा का चेहरा आँखो के सामने आने लगा । 7 साल का मासूम राजा ही अभी घर की जिम्मेदारियां सम्हाले हुए था उसके पिता दो साल पहले ही टीवी की बीमारी के ग्रास बन बैठे थे और घर का सारा सामान खेती सब उन्ही की इलाज में समाप्त हो चुकी थी। अपने पति के जाने के बाद प्रीतो ने राजा और घर की जिम्मेदारी सम्हाली ईट के भट्ठे पर मजदूरी कर जैसे तैसे अपना गुजारा चला लेती थी पर ऊपर वाले को ये भी मंजूर नही था एक दिन अचानक ईटो का ढेर उसके शरीर पर आ गिरा जिसके उसके दाहिने पैर की हड्डियां जवाब दे दी .. पैसे और ईलाज के अभाव ने उसे अपंग बना दिया था।
रोती बिलखती माँ की दशा देख अब नन्हे राजा ने घर की जिम्मेदारी उठा ली थी।
हाय रे विधाता !! कैसी कठोरता है जिस बच्चे की भविष्य के लिये कितने सपने संजोई थी आज वही बच्चा रोड पर करतब दिखाकर मेरा पेट पाल रहा है ...प्रीतो के आँखों से यादों के आँसू अपने आप बहने लगे कि अचानक राजा के अभी तक घर लौट कर न आने का ख्याल एकदम धक से कर गया।किसी तरह खुद को घसीटती प्रीतो दहलीज के बाहर की डेहरी तक पहुँची और रोती बिलखती पड़ोस के घर को आवाज लगाई पर व्यर्थ ।
रात चढ़ती जा रही थी और एक माँ की हृदय वेदना उससे भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी । हे प्रभु रक्षा करना...हे माँ अम्बे वो मेरा ही नही वो आपका भी बेटा है ..रक्षा करना माँ
भादो की घनी अँधियारी अमावस की रात और भी गहराती जा रही थी और बारिश थमने का नाम ही न ले रही थी।

अचानक  प्रीतो के कानों में राजा की दर्द भरी पुकार “माँ” सुनाई पड़ी वो तड़प सी गई ।वो आभास् था एक माँ को अपने लाल की अनहित की।

खुद को घसीटती बाहर दरवाजे तक आई और बावरी की तरह इधर उधर देख.. मेरे लाल ..मेरे राजा ..बेटा जवाब दे ..कहाँ है बेटा चिल्लाने लगी।
एक माँ  की तड़प की करुण चीत्कार  भादो की अंधियारी सनसनाती रात का सीना वेध दी हो जैसे।

क्रमश:

विकाश शुक्ला 
राजू पार्क ,खानपुर 
नई-दिल्ली -110062

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका