वसंत का आगमन मन को प्रफुल्लित कर देने वाला होता है | हृदय को खुश कर देता है | बसन्त के आगमन से नई नई सोंच उठने लगती है | मन में नये नये रूपों का आगमन होता है |
वसंत ऋतु
वसंत ऋतु |
वसंत का आगमन मन को प्रफुल्लित कर देने वाला होता है | हृदय को खुश कर देता है | वसंत के आगमन से नई नई सोंच उठने लगती है | मन में नये नये रूपों का आगमन होता है | प्रेम की नई नई परिछाईं नजर आने लगती है और जीवन को एक नयापन मिलने लगता है तब महसूस होता है कि बसंत गुदगुदी कर रहा है | वसंत ऋतु सभी ऋतुओं का राजा होता है | हर समय गदराया व मदहोश रहने वाला बसंत ऋतु मन को सदैव प्रफुल्लित करता रहता है | सच कहता हूँ प्रकृति को रूपसज्जा देने वाले बसंत मौसम को सभी चाहते हैं | सब लोग अपने दिल में समा कर रखना चाहते हैं | फाल्गुनी रंग जब चलता है तब मन मयूर हो जाता है | जवानी अंगड़ाई लेने लगती है मन में तरह तरह की लहरियां फूटने लगती है |
वसंत के आने से चारो तरफ खुशी से प्रकृति भर जाती है और खुशियों से लबरेज यह मौसम पिया की याद दिला देता है जो पिया परदेश गया है वह भी प्रिया की याद में मचल जाता है और मन मिलन को आतुर हो जाता है प्रेम की गंध फूटने लगती है वह तड़प इतनी तीव्र होती है कि वह पिया प्रिया से मिलने को बावला होकर चल देता है | कितना असीम सौन्दर्य होता है जब एक मुश्कान प्रिया को पाने के लिये उत्सुक कर देता है , वहीं प्रिया के मिलन का बसंत के आगमन पर शत प्रतिशत बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है | अतः यही कारण है इस मौसम का अपना ही अंदाज होता है | अपनापन छिपा होता है | सच में यह मिलन का मौसम हर ढंग से मनुहारी होता है | हंसकर बोलने बतियाने का होता है | नयन रस पीने का होता है | सभी की भावनाओं का स्पर्श करने वाला बसंत मौसम को भुलाया नहीं जा सकता है |
वसंत के आगमन से खेतों में हरियाली आ जाती है | किसान खुश हो जाता है जिसके चलते घर में खुशियां आ जाती है | जिसके चलते नई नई शहनाईंयाँ बज उठती है | नये नये रंग उड़ने लगते हैं | नये नये पर्व का आगमन हो जाता है | नई नई बाते होने लगती है बसंत में आम बौरा जाता है | महुआ गदरा जाता है | सरसों में फूल आ जाते हैं | मटर फलने लगती है | गेहूँ अपनी जवानी पर होता है | घर घर रंगोली बनने लगती है,नृत्य का माहौल होता है,कोयल भी पिय की याद में मधुर मधुर स्वर देने लगती है, कितना सुंदर व मनोरम पर्व जो मन की भावना को मधुमय बना देता है | बासन्तिक छटा से चारो तरफ नयापन ही नजर आता है | फूलों से आच्छादित डालियां मदहोश हो जाती हैं तथा फूल किसी प्रेमी प्रेमिका की शोभा बनने के लिये आतुर हो जाता है |
सच मे अगर कोई मौसम है तो वह बसंत ही है | वसंत को भुलाया नहीं जा सकता है | तीज त्योहार का आगमन चालू हो जाता है | फाल्गुनी रंग की खुमार चढ़ जाता है | देवर भाभी की बतलई बहुत प्रिय हो जाती है, यही तमाम बाते हैं जो नये रंगों जोशों खरोशों के साथ यह मौसम सदियों से लोगों को लुभाता रहा है | आखिर लुभाने के यही तमाम कारण हैं जो भुलाये नहीं जाते हैं मधुमक्खियां भी जगह जगह मंडराने लगती हैं, जो बताती हैं सभी पर्वों का महापर्व ऋतुराज बसंत का आगमन होने को है,ऐसे नवल रंगों से सजे बसंत के आगमन का हम स्वागत अभिनंदन व नमन करते हैं |
लेखक
जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
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